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Home » Blog » Sugarcane Varieties in Hindi: जानिए गन्ना की किस्में

Sugarcane Varieties in Hindi: जानिए गन्ना की किस्में

October 24, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Sugarcane Varieties in Hindi: जानिए गन्ना की किस्में

Varieties of Sugarcane in Hindi: भारत के कृषि परिदृश्य में गन्ने की खेती का एक प्रमुख स्थान है, जिसका इतिहास सदियों पुराना है। देश के विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र विभिन्न गन्ना किस्मों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिनमें से प्रत्येक उद्योग में अद्वितीय योगदान देता है। किसानों के लिए उपज, गुणवत्ता और आर्थिक लाभ को अधिकतम करने के लिए सही गन्ना किस्मों के चयन के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है।

यह लेख गन्ने की किस्मों (Sugarcane Varieties) की जानकारी पर प्रकाश डालता है, विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्रमुख किस्मों, उनकी विशेषताओं, चयन कारकों, किस्म के विकास में चुनौतियों और गन्ने की खेती के तरीकों को बढ़ाने में प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के परिवर्तनकारी प्रभाव की खोज करता है।

Table of Contents

Toggle
  • गन्ना की उन्नत किस्में (Improved varieties of sugarcane)
  • गन्ने की किस्मों विशेषताएं और पैदावार (Sugarcane Varieties, Characteristics and Yields)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

गन्ना की उन्नत किस्में (Improved varieties of sugarcane)

सही गन्ने की किस्म किसानों के लिए गेम-चेंजर हो सकती है। यह न केवल उनकी उपज बल्कि उनकी आय को भी प्रभावित करती है, जिससे यह गन्ने की खेती की यात्रा में एक महत्वपूर्ण निर्णय बन जाता है। विभिन्न क्षेत्रों के लिए गन्ना की किस्में (Sugarcane Varieties) समय अनुसार इस प्रकार है, जैसे-

उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के लिए-

अगेती किस्में: कोएच 92201, कोशा 95255, को 98014, कोशा 96268, कोशा 8272, को 0118, को 0238, को 0237, कोपीके 05191 को 05009, सीओ 66-17 और सीओ पन्त 84211 इत्यादि प्रमुख है।

पछेती किस्में: कोशा 91230, कोपंत 90223, कोशा 94270, कोएच 119, कोपंत 97222, कोजे 20193, कोएस 96275, को 0124, कोएच 128, को 05011 और को 06034 इत्यादि गन्ना की किस्में (Sugarcane Varieties) प्रचलित है।

उत्तरी मध्य और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए-

अगेती किस्में: को 87263, को 87268, को 89029, कोसे 95422, कोसे 96234, कोलक 94184, कोसे 01421, को 0232, कोजेएन 86141, को 86572, को 94008, कोजेएन 9823 आदि प्रचलित है।

पछेती किस्में: बीओ 128, कोसे 92423, को 0233, कोपी 06436 (कोपी 2061), को 86032, को 7318, कोजेएन 86600 और कोजेएन 9505 आदि गन्ना की किस्मे (Sugarcane Varieties) प्रमुख है।

प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए-

अगेती किस्में: को 85004, को 94008, को 0403 और कोशंक 05103 इत्यादि गन्ने की किस्में (Sugarcane Varieties) प्रमुख है।

पछेती किस्में: को 86032, को 87025, को 87044, को 8371, कोएम 7714, कोएम 88121, को 91010, को 99004, को 2001-13, को 2001-15, को 0218, को 06027 और कोशंक 05104 आदि प्रमुख है।

पूर्वी तटीय क्षेत्र के लिए-

अगेती किस्में: कोसी 01061 और कोउ 03151 आदि मुख्य है।

पछेती किस्में: को 86249 और को 06030 इत्यादि गन्ने की किस्में (Sugarcane Varieties) प्रमुख है।

गन्ने की किस्मों विशेषताएं और पैदावार (Sugarcane Varieties, Characteristics and Yields)

लोकप्रिय गन्ने की किस्मों (Sugarcane Varieties) की विशेषताएं और उपज की संभावना अलग-अलग हो सकती है, कुछ किस्मों से समान्य फसल होती हैं, तो कुछ बंपर फ़सल का वादा करती हैं। कुछ किस्मों का विवरण इस प्रकार है, जैसे-

अगेती पकने वाली किस्में

सी ओ जे 64: यह अगेती पकने वाली गन्ना की किस्म (Sugarcane Varieties) है। इसमें चीनी का अंश 18-20 प्रतिशत है। इसका जमाव बहुत अच्छा होता है और यह मोढ़ी की फसल के लिये भी अच्छी है, परन्तु सूखे से अधिक प्रभावित होती है। अच्छी पैदावार लेने के लिए समुचित पानी, कीड़ों तथा बीमारियों से बचाव जरूरी है। इसमें तना छेदक एवं अगोला बेधक अधिक लगता है और यह लाल सड़न के लिये भी संवेदनशील है। इसकी औसत पैदावार 200 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह पूरे पश्चिमी क्षेत्र में उगाई जा सकती है।

सीओ एच 56: यह एक अगेती पकने वाली व अधिक पैदावार वाली गन्ना किस्म (Sugarcane Varieties) है। चीनी अंश 18.0 प्रतिशत है। इसका गन्ना मध्यम मोटाई का और पत्तियां चौड़ी व हल्के-हरे रंग की होती हैं। यह न गिरने वाली एवं अच्छे फुटाव वाली किस्म है। यह घसैला रोग के लिए अति संवेदनशील है। अत: इसका बीज गर्म व तर हवा द्वारा उपचारित करके ही प्रयोग में लाना चाहिए। इसकी सिफारिश केवल पश्चिमी क्षेत्र के लिए की जाती है। यह लाल सड़न के लिए संवेदनशील है। अत: इसे खड़े पानी की परिस्थितियों में न उगायें।

सी ओ एच 92: यह एक अगेती पकने वाली गन्ना किस्म (Sugarcane Varieties) है। इसमें चीनी अंश 18-20 प्रतिशत है। इसका जमाव अच्छा परन्तु फुटाव कम है। इस किस्म का गन्ना मोटा, ठोस तथा लम्बी बढ़वार वाला होता है। अच्छी पैदावार के लिए जड़ बेधक कीड़े की रोकथाम का समय पर प्रबन्ध आवश्यक है। इसकी औसत पैदावार 250 क्विंटल प्रति एकड़ है।

मध्यम पकने वाली किस्में

सी ओ 7717: यह एक अगेती पकने वाली किस्म है, जो नवम्बर के अन्त में पककर तैयार हो जाती है। इसमें चीनी अंश लगभग 17 प्रतिशत है। यह अच्छे फुटाव वाली, न गिरने वाली और सीधी बढ़ने वाली किस्म है। इसकी मोढ़ी की फसल बहुत अच्छी होती है। यह अधिक खाद देने पर अच्छी उपज देती है। इसकी औसत पैदावार लगभग 350 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसका गुड़ काफी अच्छा होता है। यह किस्म कांगियारी तथा सूखे की प्रतिरोधी है, परन्तु लाल सड़न एवं घसैला रोग के लिये संवेदनशील है।

सीओ एच 99: यह एक मध्यम – अगेती पकने वाली किस्म है, जो नवम्बर माह के दूसरे सप्ताह में पिराई के लिए तैयार हो जाती है। इसमें चीनी अंश लगभग 17.5 प्रतिशत होता है। सूखे और खड़े पानी जैसी परिस्थितियों में यह एक सर्वोत्तम किस्म है। गिरने के बाद भी पैदावार तथा चीनी पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता। यह कीड़ों व बीमारियों के लिये संवेदनशीन नहीं है। इसकी औसत पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ है।

सी ओ एस 8436: यह गन्ना किस्म (Sugarcane Varieties) मध्यम पकने वाली है। इसकी कम बढ़वार, ठोस मोटा गन्ना, चौड़ी पत्तियां एवं छोटी पोरियां होती हैं। इसमें चीनी अंश 16-18 प्रतिशत होता है। इसमें अच्छी पैदावार के लिए सिफारिश की गई नत्रजन की मात्रा से 25 प्रतिशत अधिक की आवश्यकता होती है। यह पछेती बिजाई (गेहूँ के बाद) के लिये अनुपयुक्त है। इसकी औसत पैदावार 280 क्विंटल प्रति एकड़ है। पानी का समुचित प्रबंध अच्छी पैदावार के लिये अति आवश्यक है।

सी ओ एच 119: यह एक मध्यम पकने वाली किस्म है। इसका गन्ना ठोस, वजन में भारी तथा मध्यम मोटाई का है। यह किस्म बसन्तकालीन बिजाई के लिए उपयुक्त है। इसकी मोढ़ी अच्छी तथा यह एक न गिरने वाली किस्म है। यह किस्म लाल सड़न रोधक है। इसकी औसत पैदावार 320 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस किस्म की अच्छी पैदावार लेने के लिए समय पर बिजाई तथा मंजूरशुदा (सिफारिश ) किया गया बीज व खाद की मात्रा का ही प्रयोग करें।

पछेती पकने वाली किस्में

सी ओ 1148: यह जनवरी के अन्तिम सप्ताह में पक जाती है। यह धीरे बढ़ने वाली, अधिक फुटाव, ठोस गन्ना एवं अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। इसकी मढ़ी मोढ़ी बहुत अच्छी होती है। यह पाले को सहन कर लेती है। परन्तु कनसुवे, तना बेधक और लाल सड़न के लिए संवेदनशील है। इसकी औसत पैदावार 320 क्विंटल प्रति एकड़ है और चीनी अंश 17-19 प्रतिशत है। यह पछेती पिराई के लिए सर्वोत्तम किस्म है।

सी ओ एस 767: यह गन्ना किस्म (Sugarcane Varieties) दिसम्बर माह में पकती है। यह अच्छे जमाव, ठोस गन्ने, न गिरने वाली, सर्वोत्तम मोढ़ी वाली किस्म है। यह पाला, सूखे और खड़े पानी को सहज ही सहन कर लेती है। यह कीड़ों तथा बीमारियों की प्रतिरोधी है। इसकी औसत उपज 300 क्विंटल प्रति एकड़ है और पकने पर इसका शक्कर अंश 16 – 18 प्रतिशत होता है ।

सी ओ एच 110: यह पछेती पकने वाली किस्म है। इस किस्म का गन्ना मोटा वज़नदार और लम्बा व तेज बढ़ने वाला है। इसकी मोढ़ी नौलफ फसल से फुटाव में अच्छी पाई गई है। यह किस्म कम उपजाऊ भूमि तथा कम पानी वाले क्षेत्रों में अच्छी पैदावार देने की क्षमता रखती है। यह किस्म बहुत तेज बढ़ती है, इसलिए बसन्तकालीन बिजाई के साथ-साथ ग्रीष्मकालीन बिजाई के लिए भी उपयुक्त है।

इसकी नौलफ फसल में नत्रजन की आधी मात्रा ही प्रयोग में लाएं। यह किस्म गन्ने (Sugarcane Varieties) की लाल सड़न बीमारी की प्रतिरोधक है। इसकी शरदकालीन बिजाई न करें तथा पछेती बिजाई में गन्ने का ऊपर का 2/3 भाग प्रयोग में लाएं। इसकी औसत उत्पादन 320 क्विंटल प्रति एकड़ है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

गन्ने की कौन सी किस्म सबसे अच्छी है?

को 0238 (करण 4): एक उच्च उपज और उच्च शर्करा सामग्री वाली गन्ना किस्म है, जो गन्ने की किस्मों (Sugarcane Varieties) को एलके 8102 x को 775 के क्रॉस से प्राप्त हुई है।

गन्ने की सबसे अच्छी किस्में कौन सी हैं?

गन्ने की कुछ अच्छी किस्में ये है: सीओ-0238, सीओ-0118 ,कोलख 12207 (इक्षु-6), को 2001-13 और को 2001-15 इत्यादि प्रमुख है।

उत्तर भारत में गन्ने की कौन सी किस्में प्रचलित हैं?

उत्तरी मैदानों में, को 0238 और को 05011 जैसी गन्ने की किस्में (Sugarcane Varieties) सर्वोच्च हैं, जो उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों के खेतों में मिठास लाती हैं।

दक्षिण भारत में गन्ने की कौन सी किस्में प्रचलित हैं?

दक्षिण में, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों की गर्म जलवायु में पनपने वाली गन्ने की किस्में (Sugarcane Varieties) को 86032 और को 98014 सुर्खियों में हैं।

पश्चिमी भारत में गन्ने की कौन सी किस्में प्रचलित हैं?

पश्चिम की ओर बढ़ते हुए, को 0239 और कोजे 64 जैसी गन्ने की किस्में (Sugarcane Varieties) महाराष्ट्र और गुजरात को अपनी मजबूत वृद्धि से गौरवान्वित करती हैं।

पूर्वी भारत में गन्ने की कौन सी किस्में प्रचलित हैं?

पूर्वी क्षेत्र में, आइएसडी 16 और आइएसडी 37 जैसी गन्ने की किस्में (Sugarcane Varieties) बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की उपजाऊ भूमि में चमकती हैं।

गन्ना की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

कोलख 12209 (इक्षु-7): परीक्षण के दौरान औसत गन्ना उपज लगभग 77.5 टन प्रति हेक्टेयर अंकित की गई जो की क्षेत्रीय मानक किस्म 10% अधिक थी। इस किस्म के रस में औसत शर्करा की मात्रा 17.66% और पोल प्रतिशत केन 14.33% होता है। इस किस्म की पेड़ी उत्तम होती है, जो कि मानक किस्मों की तुलना में 7.0-12.0% तक अधिक उपज देती है।

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