
Napier Grass Farming in Hindi: नेपियर घास (सदाबहार हरा चारा) एक बहुवर्षीय चारे की फसल है। इसके पौधे गन्ने की भांति लम्बाई में बढ़ते है। इसे हाथी घास या युगांडा घास के नाम से भी जाना जाता है। नेपियर घास, जिसे वैज्ञानिक रूप से पेनिसेटम पर्पुरियम के रूप में जाना जाता है, संकर नेपियर घास अधिक पौष्टिक एवं उत्पादक होती है। पशुओं को नेपियर के साथ रिजका, बरसीम या अन्य चारे अथवा दाने और खली देनी चाहिए।
बहुवर्षीय फसल होने के कारण इसकी खेती सर्दी, गर्मी व वर्षा ऋतु में कभी भी की जा सकती है। इसलिए जब अन्य हरे चारे उपलब्ध नही होते उस समय नेपियर का महत्व अधिक बढ़ जाता है इसके चारे से हे भी तैयार की जा सकती है। पशुपालकों को गर्मियों में हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बरसीम, मक्का, ज्वार, बाजरा जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है।
ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर बाजरा हाइब्रिड घास लगाने पर महज दो महीने में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकती है। यह लेख नेपियर घास (Napier Grass) की खेती के तरीकों पर गहराई से चर्चा करता है, इसके लाभों, आवश्यकताओं और पशुधन चारे में इसके उपयोग की खोज करता है।
नेपियर घास के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Napier grass)
गर्म और नम जलवायु वाले स्थान जहां तापमान 24 से 28 डिग्री सेल्सियस रहता है, वर्षा अधिक होती है। 1000 मिलीमीटर तथा वायुमंडल में आद्रता अधिक रहती हो, ऐसे क्षेत्र नेपियर घास (Napier Grass) की खेती के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। अधिक ठंडी जलवायु में फसल की वृद्धि नहीं हो पाती है, पाला नेपियर के लिए हानिकारक होता है।
नेपियर घास के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Napier grass)
संकर नेपियर घास (Napier Grass) शीघ्र बढ़ती है तथा अधिक उत्पादन देती है, अत: भूमि से काफी मात्रा में पोषक तत्व को अवशोषित करती है। इसलिए इसके लिए उचित जल निकास अच्छी उपजाऊ दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। हालाँकि यह घास कई प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा जाती है, मटियार दोमट मिट्टी जिसमें प्रचुर मात्रा में जीवाश्म पदार्थ उपस्थित हो इसके लिए सर्वोत्तम होती है। मृदा का पीएच 5.5-8 होना चाहिए।
नेपियर घास के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Napier grass)
नेपियर घास (Napier Grass) की खेती के लिए, खेत की तैयारी में गहरी जुताई करना, गोबर की खाद का उपयोग करना, और अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, खरपतवार नियंत्रण और उचित सिंचाई का ध्यान रखना चाहिए। अत: इसके लिए एक जुताई मिट्टी पलट हल से तथा दो से तीन जुताई हैरो या कल्टीवेटर से करके भूमि तैयार कर लेनी चाहिए। नेपियर बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद डालें और इसे मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं।
नेपियर घास के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Napier grass)
पूसा जाइंट नेपियर: (नेपियर बाजरा का संकरण ) पूसा कृषि से विकसित है। इसका चारा उत्तम गुणवत्ता वाला कठोर होता है। प्रोटीन व शर्करा अधिक मात्रा में पाया जाता हैं, चारा मुलायम अधिक पत्तेदार होता है। इनकी जड़ छोटी व उथली होती है। जिसके कारण आगामी फसल के लिए खेत की तैयारी में कोई बाधा नहीं होती है।
नेपियर बाजरा (Napier Grass) हाइब्रिड पौधे लंबे शीघ्र बढ़ने वाले व पत्तियां लंबी पतली चिकनी तथा तना पतला रोए नहीं होते हैं। कल्ले अधिक मात्रा में बनते हैं। पहली कटाई बोने के 50 से 60 दिन बाद व अन्य कटाई 35 से 40 दिन के अंतराल पर करते हैं। यह बहुवर्षीय घास एक बार रोपने के बाद 2 से 3 बर्ष तक चारा देती है।
अन्य उन्नत किस्मों में पूसा नेपियर- 2, एपीबीएन- 1, सीओ- 4, आरबीएन- 13, एनबी- 17. एनबी- 8 – 95, पीएनबी- 87, पीएनबी- 72, आईजीएफआरआई- 293, आईजीएफआरआई- 6, 7, 9, यशवन्त, स्वातिका, गजराज, संकर- 1, संकर- 2 और शक्ति आदि शामिल हैं। ये किस्में उच्च पैदावार और पोषण प्रदान करती हैं।
नेपियर घास के बीज की मात्रा (Quantity of Pennisetum purpureum seed)
नैपियर घास (Napier Grass) की बुवाई वानस्पतिक भागों द्वारा की जाती है, बुवाई के लिए भूमिगत तना जिन्हें राइजोम कहते हैं को उपयोग में लिया जाता है। राइजोम की मात्रा या भार उनके लगाने की दूरी पर निर्भर करता है। यदि लाइन से लाइन की दूरी दो मीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी रखते है, तो प्रति हैक्टेयर 20000-24000 राइजोम या तने के टुकडों की आवश्यकता पड़ती है।
जिनका वजन 12-13 क्विंटल होता है। यदि लाइन से लाइन की दूरी एक मीटर तथा पौधों से पौधों की दूरी 30 सेमी रखते हैं, तो 32000 – 33000 (राइजोम) की आवश्यकता होती है, जिनका वजन 24-25 क्विंटल होता है।
नेपियर रोपाई का समय और तरीका (Time and method of planting Napier)
नेपियर घास को लगाने का सर्वोत्तम समय मार्च माह माना जाता है। बुवाई जुलाई-अगस्त में भी कर सकते हैं। अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी में पौधे ठीक तरह से स्थापित नहीं हो पाते हैं। बुवाई हमेशा लाइनों मेडों पर करनी चाहिए। उपर्युक्त दूरी पर लाइन बनाकर 2-3 वाले टुकड़ों को भूमि में 45 डिग्री के कोणपर इस प्रकार लगाये कि टुकड़े की एक गांठ जमीन के अन्दर व दूसरी जमीन से उपर रहे।
टुकड़ों का झुकाव उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ताकि फसल पर वर्षा का हानिकारक प्रभाव नहीं पड़े। नेपियर घास (Napier Grass) की बूवाई ठीक उसी प्रकार की जाती है जेसे गन्ने की की जाती है।
नेपियर घास के लिए खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer for Napier Grass)
खेत की तैयारी के समय प्रति हैक्टेयर 20 से 25 टन सड़ी हुई गोबर खाद या कम्पोस्ट को खेत में डालकर अन्तिम जुताई करनी चाहिए। बुवाई के समय 50-60 किलो नाइट्रोजन, 80-100 किलो फास्फोरस व 25-30 किलो पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से डालना चाहिए, ताकि नेपियर घास (Napier Grass) फसल की वृद्धि शीघ्र हो एवं अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके। रोपण के 30 दिन बाद 75 किग्रा नत्रजन तथा इसके पश्चात् प्रत्येक कटाई के बाद 75 किग्रा नत्रजन प्रति हैक्टेअर की दर से प्रयोग करना चाहिये।
नेपियर घास में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Napier Grass)
नेपियर घास (Napier Grass) की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि खेत में पर्याप्त नमी बनी रहनी चाहिए। सर्दियों में पाले से बचाव के लिए तथा गर्मियों में सूखे से बचाव के लिए प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। हल्की भूमि में भारी भूमि की अपेक्षा अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मीयों में 4-5 दिन तथा सर्दियों में 10-15 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए। वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन जल निकास की सुविधा होनी चाहिए।
नेपियर घास में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Pennisetum purpureum)
बुवाई के 15 दिन बाद अंधी गुडाई करनी चाहिए प्रत्येक कटाई बाद कतारों के बीच में गुडाई करनी चाहिए। इससे वायु संचार बढ़ता है तथा भूमि की जल धारण क्षमता बढती है, जिससे फसल की बढ़वार अधिक होती है। फसल लगाने के 2-3 माह तक खरपतवार अधिक होते है, इसलिए निराई गुडाई कर इन्हें नियंत्रित करना चाहिए। वर्ष में दो बार (वर्षा प्रारम्भ होने से पूर्व एवं सर्दियों के अन्त में) लाइनों के बीच जुताई करनी चाहिए।
रासायनिक नियंत्रण के लिए एटाजीन 3 से 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर में घोल बनाकर प्रयोग कर सकते हैं। लगातार कटाई करने से धीरे-धीरे शुष्क कल्लों की संख्या बढ़ने लगती है, अत: इन सूखे कल्लों को निकाल देना चाहिए, ताकि नेपियर घास (Napier Grass) की बढ़वार एवं वृद्धि प्रभावित न हो सके।
नेपियर घास में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and disease control in Napier grass)
नेपियर घास (Napier Grass) एक चारे की फसल है अत: इसकी बार बार कटाई किए जाने के कारण कीट एवं बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है। यदि भूमि में दीमक की समस्या हो तो सिंचाई के पानी के साथ क्लोरोपाइरीफॉस या फिप्रोनिल 2 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से देने से दीमक की समस्या हल हो जाती है।
यदि वर्षा ऋतु में फड़का की समस्या हो तो विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार मिथाइल पैराथियान का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन छिड़काव के एक माह तक चारा पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए।
नेपियर घास की कटाई और उपज (Napier Grass Harvesting and Yield)
फसल की कटाई: नेपियर घास (Napier Grass) की पहली कटाई, बुवाई के 70-80 दिन बाद करनी चाहिए इसके बाद 35-40 दिन के अन्तराल पर कटाई करते रहना चाहिए। कटाई जमीन से 10 सेमी की उंचाई से करनी चाहिए। इस प्रकार कटाई करने से हर कटाई पर 1-1.5 मीटर लम्बाई की फसल मिलती रहती है।
अधिक समय तक कटाई नही करने पर इसके तने सख्त हो जाते है और उसमें रेशे की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके कारण पशु इसे कम खाना पसन्द करते है। साथ ही चारे की पाचनशीलता कम हो जाने के कारण पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है। सर्दियों में पौधों की वृद्धि रूक जाती है और चारे का उत्पादन नही मिल पाता है।
फसल से उपज: वर्षभर में नेपियर घास (Napier Grass) से 5-6 कटाई ली जा सकती है, जिससे 150-200 टन तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। हालाँकि कुछ हाइब्रिड किस्मों से यह पैदावार 400-500 टन प्रति हेक्टेयर तक भी पहुँच सकती है। जिसमें 15 से 20 प्रतिशत शुष्क पदार्थ होता है इसके चारे में 7 से 12 प्रतिशत प्रोटीन होती है, इसकी पाचनशीलता 50 से 70 प्रतिशत होती है।
नेपियर घास पुनरुद्धार की विधि (Method of Pennisetum purpureum revival)
कई वर्षों तक लगातार कटाई करते रहने से घास में मृत कल्लो की संख्या बढ़ती रहती है, जिससे पौधों की परिधि तो बढ़ती है लेकिन सजीव कल्लो की संख्या कम रहती है। अत: अधिक चारा उत्पादन हेतु कटाई के बाद वर्षा ऋतु से पहले घास को खोदकर पुन: रोपाई कर देना चाहिए। यह प्रक्रिया 5 से 6 वर्ष पर करते रहना चाहिए।
इस विधि से संकर नेपियर घास (Napier Grass) से अधिक चारा प्राप्त किया जा सकता है। चारे के साथ-साथ इन्हीं जड़ों को दूसरे किसान को बेच भी सकते हैं और अतिरिक्त मुद्रा भी कमा सकते हैं। इसलिए इस फसल को उगाने का मतलब आम के आम गुठलियों के दाम जैसा प्रतीत होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
नेपियर घास (Napier Grass), जिसे हाथी घास भी कहा जाता है, एक तेजी से बढ़ने वाली, उच्च उपज वाली घास है जो पशुधन के लिए एक अच्छा चारा है। इसकी खेती करने के लिए, आप खेत में जुताई करके, गोबर की खाद डालकर और फिर नेपियर घास के तनों को रोप कर शुरुआत कर सकते हैं।
जुलाई से लेकर अक्टूबर या फरवरी से लेकर मार्च महीने में नेपियर घास (Napier Grass) की खेती की शुरुआत की जानी चाहिए। नेपियर घास के डंठल को नेपियर स्टिक कहते हैं, जिसे खेतों में लगाने के लिए कम से कम एक से फिट की दूरी रखें। यदि आप एक बीघा खेत में नेपियर घास लगाना चाहते हैं तो आपको कम से कम 4000 डंठल की आवश्यकता होगी।
सबसे अच्छी नेपियर घास (Napier Grass), सुपर नेपियर है। यह एक हाइब्रिड किस्म है, जो तेजी से बढ़ती है, ज्यादा उपज देती है और पशुओं के लिए पौष्टिक होती है। यह उच्च वर्षा क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है, लेकिन यह सूखा-सहिष्णु है और सूखे क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से विकसित हो सकती है।
नेपियर घास (Napier Grass) की खेती किसी भी मौसम में कर सकते हैं, इसकी खेती सर्दी, गर्मी और वर्षा ऋतु में कभी भी की जा सकती है। हालाँकि इसकी बुवाई आमतौर पर जुलाई से अक्टूबर या फरवरी से मार्च के बीच की जाती है। यह निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की नेपियर घास लगा रहे हैं। कुछ किस्में वर्षा ऋतु में और कुछ बसंत ऋतु में बेहतर तरीके से बढ़ती हैं।
नेपियर घास (Napier Grass) की कुछ अच्छी किस्मों में सुपर नेपियर, फ्रेंच कैमरून, बनाना ग्रास, काकमेगा- I, काकमेगा- II, काकमेगा- III, युगांडा हेयरलेस, क्लोन- 13, सीओ- 3, पीबीएन- 233, सीओ- 4 और एपीबीएन- 1 शामिल है। इन किस्मों में से, सुपर नेपियर को एक बहु-कट किस्म के रूप में जाना जाता है, जो पूरे मौसम में कई फसलें देती है। यह उच्च उपज देने वाली और तेजी से बढ़ने वाली भी है।
नेपियर घास (Napier Grass) लगभग 25 से 70 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, लेकिन यह समय-सीमा घास की किस्म, मौसम और मिट्टी की स्थिति जैसे कारकों पर निर्भर कर सकती है। सामान्य रूप से, नेपियर घास हर 50 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
पशुपालकों को हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। लेकिन नेपियर घास (Napier Grass) इस समस्या को पांच से 10 साल तक के लिए खत्म कर देती है। दरअसल नेपियर घास बाजरा की हाईब्रिड वैरायटी है।
नेपियर घास (Napier Grass) की मिट्टी और बारिश की उपलब्धता के आधार पर 8 से 10 दिन में एक बार सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई के लिए अपशिष्ट जल का भी उपयोग किया जा सकता है। सुपर नेपियर सभी प्रकार के पानी में अच्छी तरह से बढ़ता है। पानी की अधिकता और खारे पानी में भी उपज बहुत कम नहीं होती है।
नेपियर घास (Napier Grass) में अच्छी वृद्धि और हरे चारे के लिए, आप नाइट्रोजन युक्त खाद (जैसे यूरिया), फास्फोरस युक्त खाद (जैसे सुपर फास्फेट), और पोटाश युक्त खाद (जैसे म्यूरेट ऑफ पोटाश) का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मी-कम्पोस्ट और हरी खाद भी अच्छी होती हैं।
अधिकतर नेपियर घास (Napier Grass) की किस्मों की कटाई आमतौर पर हर 45-60 दिनों में की जाती है। पहली कटाई बुवाई के 50-60 दिनों के बाद की जाती है, उसके बाद प्रत्येक 35-40 दिनों के अंतराल पर कटाई की जाती है।
नेपियर घास (Napier Grass) की उपज काफी व्यापक रूप से भिन्न होती है, लेकिन औसतन एक एकड़ में प्रति वर्ष 180 से 200 टन हरे चारे का उत्पादन होता है। कुछ हाइब्रिड किस्मों में, यह उत्पादन 400-500 टन प्रति हेक्टेयर तक भी पहुँच सकता है।
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