• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
Krishak-Jagriti-Logo

Krishak Jagriti

Agriculture Info For Farmers

  • रबी फसलें
  • खरीफ फसलें
  • जायद फसलें
  • चारा फसलें
  • सब्जी फसलें
  • बागवानी
  • औषधीय फसलें
  • जैविक खेती
Home » Blog » Lettuce Farming in Hindi: जाने लेट्यूस की खेती कैसे करें

Lettuce Farming in Hindi: जाने लेट्यूस की खेती कैसे करें

September 29, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Lettuce Farming in Hindi: जाने लेट्यूस की खेती कैसे करें

Lettuce Cultivation in Hindi: सलाद वाली फसलों में लेट्यूस का प्रमुख स्थान है। इसका वानस्पतिक नाम लैक्टुका सटाइवा है और इसका कुल एस्टऐरेसी है। इसका मुख्य रूप से प्रयोग सलाद के रूप में कच्चे खाने के लिए होता है। यह अन्य सलाद के रूप में प्रयोग की जाने वाली सब्जियों को सजाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। हमारे देश में व्यावसायिक दृष्टि से इसकी खेती सीमित क्षेत्रों में की जाती है।

बड़े शहरों, पर्यटकों वाली जगह और पांच सितारा होटलों में इसे बहुत अधिक पसंद किया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में लेट्यूस की खेती (Lettuce Farming) संरक्षित गृहों तथा खुले आसमान में भी करते हैं। इसके पत्तों एवं गांठों का सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। इस लेख में लेट्यूस की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें का उल्लेख किया गया है।

Table of Contents

Toggle
  • लेट्यूस के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for lettuce)
  • लेट्यूस के लिए भूमि का चयन (Selection of land for lettuce)
  • लेट्यूस के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for lettuce)
  • लेट्यूस की उन्नत किस्में (Improved varieties of lettuce)
  • लेट्यूस के बीज की मात्रा और उपचार (Quantity and treatment of letuce seeds)
  • लेट्यूस बीज बोने की विधि (Method of sowing lettuce seeds)
  • लेट्यूस के लिए खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer for Letuce)
  • लेट्यूस में सिंचाई प्रबन्धन (Irrigation Management in Lettuce)
  • लेट्यूस की कटाई (Harvesting of Lettuce)
  • लेट्यूस की पैदावार (Yield of lettuce)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

लेट्यूस के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for lettuce)

लेट्यूस की फसल (Lettuce Crop) के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त रहती है। अतः पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है। इसकी अच्छी वृद्धि के लिए 13 – 16° सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। अधिक तापमान के कारण बीज के डंठल शीघ्र निकल आते हैं और पत्तियों का स्वाद भी कड़वा हो जाता है। शीघ्र टाइप वाली किस्में गर्म आर्द्र एवं वर्षा वाले मौसम में सड़ जाती हैं।

लेट्यूस के लिए भूमि का चयन (Selection of land for lettuce)

लेट्यूस (Lettuce) के सफल उत्पादन हेतु उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट भूमि जिसका पी एच मान 6.0 – 6.5 हो, सर्वोतम मानी जाती है। यह अम्लीय मृदाओं के लिए अति सहिष्णु होती है। 5 से कम और 7 से अधिक पी एच मान वाली मृदा में लेट्यूस की उपज कम होती है।

लेट्यूस के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for lettuce)

लेट्यूस (Lettuce) एक उथली जड़ वाली अल्प प्रचलित सब्जी है। अत: इसको अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिये। इसके बाद 2 जुताई कल्टीवेटर अथवा हैरो से अवश्य करें। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं।

लेट्यूस की उन्नत किस्में (Improved varieties of lettuce)

लेट्यूस (Lettuce) की किस्मों को उनके रंग-रूप और बनावट के आधार पर निम्नलिखित चार भागों में बांटा गया है, जो निम्नलिखित हैं, जैसे-

रोमेनर टाइप: इसकी पत्तियाँ चमकीली और शीर्ष लम्बे होते हैं। घुंघरदार उत्तम गुणों वाली पत्तियों के कारण इसकी बाजार में मांग अन्य किस्मों की तुलना में अधिक होती है। इस वर्ग की किस्मों में डार्क ग्रीन किस्म आती हैं।

घुंघरदार पत्तियों वाली प्रजातियाँ: इस वर्ग की सबसे बड़ी पहचान यह है कि इसकी पत्तियां बंदगोभी की तरह के शीर्ष बनाती हैं अर्थात पत्तियाँ एक दूसरे से लिपटी रहती हैं।

ढीली पत्तियों वाली प्रजातियाँ: इस वर्ग के अंतर्गत फैलने वाली किस्में आती हैं। पौधों की पत्तियां गुच्छों में बनती हैं और एक दूसरे पर नहीं चढ़ती हैं। ये किस्में खाने में
अत्यंत स्वादिष्ट होती हैं।

बटर हैड वाली किस्में: इस वर्ग की किस्मों की पत्तियां घुंघरदार या सिकुड़ने वाली होती हैं। पतियाँ कोमल चिकनी एवं मखनी रंग की होती हैं। इस वर्ग की प्रमुख किस्म वाइट बोस्टन है।

उन्नत किस्में: लेट्यूस (Lettuce) की कुछ किस्मों का विवरण इस प्रकार है, जैसे-

इम्पीरियल 859: इस किस्म के शीर्ष मध्यम आकार के और ठोस होते हैं। इनके शीर्ष बाहरी पत्तियों से भली प्रकार से कसकर ढके रहते हैं। इस किस्म की खास बात यह है कि इसको गर्म मौसम में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

सिम्पसन ब्लैक सीडेड: इस (Lettuce) किस्म के पत्ते लम्बे और हल्के हरे रंग के होते हैं। ये बड़े होने पर कड़वे हो जाते हैं। इसकी प्रति हैक्टर उपज 65-75 क्विंटल तक होती है। यह किस्म सभी क्षेत्रों में उगाने हेतु उपयुक्त होती है।

चायनीज येलो: यह किस्म अगेती होती है। यह खुली पत्तियों वाली किस्म है। इसकी पत्तियां हल्के हरे रंग की खस्ता एवं कोमल होती हैं। इस किस्म में शीर्ष का निर्माण नहीं होता है। इसके बीज सफेद रंग के होते हैं। यह एक अधिक उपज देने वाली अच्छी किस्म है।

स्लो बोल्ट: यह एक फैलने वाली किस्म होती है। इसकी पत्तियां चौड़ी एवं पीलापन लिए हुए हरे रंग की होती हैं। इसकी पत्तियां शीर्ष का निर्माण नहीं करती हैं। इस किस्म की विशेषता यह है कि यह देर से फूलती है। अत: यह गृह वाटिका में उगाने के लिए उत्तम किस्म है। यह मध्य एवं उच्च पर्वतीय एवं शीत मरुस्थलीय क्षेत्रों में उगाने के लिए उपयुक्त है। इसकी उत्पादन क्षमता 235 क्विंटल प्रति हैक्टर तक होती है।

लेट्यूस के बीज की मात्रा और उपचार (Quantity and treatment of letuce seeds)

बीज दर: लेट्यूस (Lettuce) की प्रति हैक्टर खेती के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।

बीजोपचार: लेट्यूस के बीज को बोने से पहले थीरम अथवा एग्रोसिन जी एन 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित अवश्य कर लेना चाहिये।

लेट्यूस बीज बोने की विधि (Method of sowing lettuce seeds)

लेट्यूस (Lettuce) को निम्नलिखित प्रकार से बोया जाता है, जैसे-

पत्तियों वाली किस्मों को खेत में सीधे बोया जाता है। इसके लिए उपयुक्त समय अगस्त सितम्बर का महीना होता है। कुछ एक किस्मों को नर्सरी में बोया जाता है। जब पौधे 5-6 सप्ताह के हो जाते हैं, तब उनको खेत में रोप दिया जाता है। पौधशाला में बीज बोने का उपयुक्त समय सितम्बर-अक्टूबर होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में लेट्यूस की बुआई का उपयुक्त समय फरवरी से जून का महीना होता है।

लेट्यूस (Lettuce) की खेत में सीधी बुआई के लिए पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 45 सेंमी और पौधों से पौधों की दूरी 30 सेंमी तक रखी जाती है। रोपाई की जाने वाली फसलों में पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 45 सेंमी और पौधों से पौधों की दूरी 25-35 सेंमी तक रखी जाती है।

लेट्यूस के लिए खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer for Letuce)

आमतौर पर लेट्यूस की खेती भारत में बड़े पैमाने पर नहीं की जाती है। परंतु पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है। इसकी व्यावसायिक स्तर पर खेती के लिए 15-20 टन गोबर की खाद के अलावा 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टर की दर से अवश्य डालें। गोबर की खाद को खेत की तैयारी के पहले खेत में समान रूप से बिखेर दें।

फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा के साथ नाइट्रोजन की 1/2 मात्रा का मिश्रण बनाकर खेत की अंतिम जुताई के वक्त भूमि में डाल दें। बाद में नाइट्रोजन की शेष मात्रा को दो बार टॉप ड्रेसिंग के रूप में अवश्य डालना चाहिये। लेट्यूस (Lettuce) पहली बार रोपाई के एक महीने बाद एवं दूसरी बार रोपाई के 45-60 दिन बाद डालनी चाहिये।

लेट्यूस में सिंचाई प्रबन्धन (Irrigation Management in Lettuce)

सिंचाई बुआई करने से पहले पलेवा करना अत्यंत आवश्यक होता है। ठीक इसी प्रकार से रोपाई के बाद सिंचाई करना भी जरूरी होता है। जिसकी वजह से पौधे भली भांति स्थापित हो जाएं। रोपाई करने वाली फसलों में 3-4 दिनों बाद हल्की सिंचाई अवश्य करनी चाहिये। लेट्यूस (Lettuce) की फसल में नमी की कमी नहीं होनी चाहिये वरना तो बोल्टिंग की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

लेट्यूस की कटाई (Harvesting of Lettuce)

कटाई लेट्यूस (Lettuce) की किस्मों के प्रकार पर निर्भर करती है। मुख्य बात यह होती है कि कौन सी किस्म उगाई गई है। आमतौर पर पहली कटाई पौध लगाने के 40 दिन बाद कर लेनी चाहिये। जबकि शीर्ष टाइप वाली किस्मों की कटाई उनके अच्छे शीर्ष निर्माण, अच्छे आकार और ठोस हो जाने पर की जाती है।

लेट्यूस की पैदावार (Yield of lettuce)

लेट्यूस (Lettuce) की उपज कई बातों पर निर्भर करती है जिनमें भूमि की उर्वराशक्ति, उगाई जाने वाली किस्मों के प्रकार, उगाने की विधि एवं फसलों की देखभाल इत्यादि प्रमुख हैं। आमतौर पर प्रति पौधा 12-14 पत्तियां प्राप्त हो जाती हैं। इसकी प्रति हैक्टर उत्पादन क्षमता 110-114 क्विंटल तक होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

क्या भारत में लेट्यूस को उगाया जा सकता है?

लेट्यूस (Lettuce) को ठंडा तापमान पसंद होता है और सर्दियों के महीनों में यह सबसे अच्छी तरह से उगता है। बुवाई का समय: भारत के अधिकांश हिस्सों में अक्टूबर से फरवरी तक लेट्यूस के बीज बोएँ। उगाने का आदर्श तापमान 15°C से 20°C के बीच होता है।

लेट्यूस कैसे उगाएं?

लेट्यूस (Lettuce) के बीजों को अंकुरित होने में आमतौर पर 7-10 दिन लगते हैं। अंकुरण प्रक्रिया के दौरान, सुनिश्चित करें कि आपके पौधों को सही मात्रा में सूरज की रोशनी मिल रही है, मिट्टी लगातार नम है, और तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से 22 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहे। इसकी सीधी बीज बुवाई या नर्सरी में पौध तैयार कर के की जाती है।

लेट्यूस को तैयार होने में कितना समय लगता है?

लेट्यूस (Lettuce) गर्म मौसम में सबसे तेजी से बढ़ता है, लूज-लीफ वाली किस्में चार से छह सप्ताह में ही तैयार हो जाती हैं। हार्टिंग लेट्यूस को अधिक समय लगता है, लगभग 10 से 14 सप्ताह, जो कि किस्म और वर्ष के समय पर निर्भर करता है। यदि संभव हो तो सुबह में कटाई करें, जब पत्तियां ताजा और रसदार हों।

लेट्यूस की कितनी सिंचाई करें?

सामान्यतः, वांछनीय सलाद फसल के उत्पादन के लिए प्रति एकड़ 38 से 50 इंच पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन यह मिट्टी के प्रकार, खेत की ढलान, तापमान और रोपण समय के साथ नाटकीय रूप से भिन्न होता है।

लेट्यूस से कितनी उपज प्राप्त की जा सकती है?

लेट्यूस (Lettuce) की उपज ताजे सलाद के औसत सिर का वजन और कुल उपज क्रमशः 352 से 434 ग्राम प्रति पौधा और 38.7 से 46.9 टन प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है।

Related Posts

Onion Cultivation in Hindi: जाने प्याज की खेती कैसे करें
Onion Cultivation in Hindi: जाने प्याज की खेती कैसे करें
Sweet Potato in Hindi: जानिए शकरकंद की खेती कैसे करें
Sweet Potato in Hindi: जानिए शकरकंद की खेती कैसे करें
Ginger Cultivation in Hindi: जाने अदरक की खेती कैसे करें
Ginger Cultivation in Hindi: जाने अदरक की खेती कैसे करें
Red Cabbage Farming: जाने लाल बंद गोभी की खेती कैसे करें
Red Cabbage Farming: जाने लाल बंद गोभी की खेती कैसे करें

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

  • Facebook
  • LinkedIn
  • Twitter

Recent Posts

  • Rose Cultivation in Hindi: गुलाब की बागवानी कैसे करें
  • Mulberry Cultivation: जाने शहतूत की बागवानी कैसे करें
  • Falsa Cultivation in Hindi: फालसा की बागवानी कैसे करें
  • Bael Cultivation in Hindi: जाने बेल की बागवानी कैसे करें
  • Amla Cultivation in Hindi: आंवला की बागवानी कैसे करें

Footer

Copyright © 2025 Krishak Jagriti

  • Blog
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Sitemap
  • Contact Us