
Varieties of Guar in Hindi: ग्वार, जिसे क्लस्टर बीन के रूप में भी जाना जाता है, एक सूखा-सहिष्णु फली है, जिसकी खेती मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में की जाती है। ग्वार लंबे समय से चली आ रही एक बहुमुखी फसल है, जो पोषण मूल्य से लेकर औद्योगिक अनुप्रयोगों तक कई तरह के लाभ प्रदान करती है। इस लेख में, हम भारत में ग्वार की किस्मों की दुनिया में इसकी खेती के तरीकों, लोकप्रिय किस्मों की खोज करेंगे।
ग्वार की उन्नत किस्में (Improved varieties of Guar)
भारत में ग्वार की विभिन्न किस्में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पसंद को पूरा करती हैं। जल्दी पकने वाली किस्मों से लेकर अपनी बीज गुणवत्ता के लिए बेशकीमती किस्मों तक, ग्वार की दुनिया किसानों को चुनने के लिए कई विकल्प प्रदान करती है। प्रत्येक किस्म की खूबियों को समझने से विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सही किस्म का चयन करने में मदद मिल सकती है। कुछ उन्नत ग्वार की किस्में (Guar Varieties) राज्यवार इस प्रकार है, जैसे-
राज्य | ग्वार की किस्में |
राजस्थान | आर.जी.सी 1033, आर. जी. सी. 1066, आर.जी.सी 1055, आर. जी. सी. 1038, आर.जी.सी. 1003, आर. जी. सी. 1002, आर.जी.सी. 986, आर. जी. एम. 112, आर. जी. सी. 197 |
गुजरात | जी. सी. 1, जी.सी. 23 |
हरियाणा | एच.जी. 75, एच.जी. 182, एच. जी 258, एच. जी. 365, एच. जी. 563, एच.जी. 870, एच. जी. 884, एच. जी. 867, एच.जी. 2-204 |
पंजाब | ए. जी. 112 एवं शीघ्र पकने वाली हरियाणा की किस्में |
उत्तरप्रदेश | एच.जी. 563, एच.जी. 365 |
मध्यप्रदेश | एच.जी. 563, एच. जी. 365 |
महाराष्ट्र | एच. जी. 563, एच.जी. 365, आर. जी.सी. 9366 |
आंध्र प्रदेश | आर. जी. एम. 112, आर. जी. सी 936, एच. जी. 563, एच. जी. 365 |
दाने व गोंद हेतु: एच.जी. 365, एच. जी. 563, आर. जी. सी. 1066 और आर. जी. सी. 1003 आदि प्रमुख है।
सब्जी हेतु: दुर्गा बहार, पूसा नवबहार और पूसा सदाबहार आदि प्रमुख है।
चारा हेतु: एच.एफ. जी. 119 और एच.एफ. जी. 156 आदि प्रमुख है।
ग्वार की लोकप्रिय उन्नत किस्में (Popular Improved Varieties of Guar)
भारत में ग्वार की विभिन्न किस्में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पसंद को पूरा करती हैं। आइए ग्वार की किस्मों के बीच मुख्य अंतर और उन अनूठी विशेषताओं को देखें जो उन्हें किसानों के बीच लोकप्रिय विकल्प बनाती हैं। कुछ ग्वार की किस्मों (Guar Varieties) की विशेषताएं और पैदावार क्षमता इस प्रकार है, जैसे-
ए एच जी- 13: यह किस्म मरु क्षेत्र की अत्यधिक कठोर जलवायु में भी अच्छी गुणवत्ता युक्त फलियों की उपज देती है। वर्षा आधारित बारानी खेती तथा गर्मी में सिंचाई द्वारा खेती के लिए उपयुक्त है। बुवाई के 50 दिन बाद फलियों की पहली तुड़ाई प्रारम्भ हो जाती है। पौधे 75 से 145 सेमी तक लम्बे हो सकते हैं।
फलियाँ पौधे की 2-3 गाँठ से ही प्रारम्भ हो जाती हैं। इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) के एक पौधे पर 7 से 15 फलियों के गुच्छ होते हैं तथा एक गुच्छ में 9 से 21 तक फलियाँ लगती हैं। मध्यम आकार की हल्की हरी फलियाँ नरम, चिकनी तथा खाने में स्वादिष्ट होती हैं।
पूसा मौसमी: इसके पौधों में बहुत शाखाएं आती हैं और यह वर्षा ऋतु के लिए उपयुक्त किस्म है। फलियाँ चिकनी, चमकदार, हरी, मुलायम तथा 10 से 12 सेमी लम्बी होती हैं। बुवाई के 65 से 70 दिन बाद हरी फलियाँ तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इस ग्वार की किस्म (Guar Varieties) द्वारा लगभग 35 से 40 क्विंटल हरी फलियाँ प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती हैं।
पूसा सदाबहार: यह ग्वार की किस्म (Guar Varieties) बिना शाखाओं वाली होती है तथा गर्मी व वर्षा ऋतु में खेती के लिए उपयुक्त है। इसकी फलियाँ हरी, 10 से 13 सेमी लम्बी तथा रेशे रहित तथा नर्म होती हैं। बुवाई के लगभग 55 दिन बाद कच्ची फलियों की पहली तुड़ाई प्रारम्भ हो जाती है।
पूसा नवबहार: इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) में भी शाखाएं नहीं होती हैं तथा वर्षा व गर्मी में खेती के लिए उपयुक्त है। फलियाँ 12 15 सेमी लम्बी एवं अच्छी गुणवत्ता वाली होती हैं। फलियाँ बुवाई दिन बाद तुड़ाई के उपयुक्त होती हैं। इस किस्म से 55 से 85 क्विंटल तक फली उत्पादन लिया जा सकता है।
दुर्गा बहार: यह शाखा रहित ग्वार किस्म (Guar Varieties) है तथा बुवाई के 50 से 55 दिन बाद फलियाँ तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। फलियाँ काफी लम्बी, गूदेदार, गहरे हरे रंग की और चिकनी होती हैं। इस किस्म की प्रति हेक्टेयर उपज 75 से 80 क्विण्टल फलियाँ होती हैं।
शरद बहार: यह ग्वार की किस्म (Guar Varieties) देर से पकने वाली है। इसमें बीमारियों के प्रति कुछ हद तक रोधक क्षमता होती है। सब्जी के लिए फलियाँ बुवाई के 70 से 85 दिन बाद तुड़ाई पर आती हैं। एक हेक्टेयर में 140 से 150 क्विंटल तक फली उत्पादन हो सकता है।
एम-83: वर्षा व गर्मी ऋतु के लिए यह ग्वार की किस्म (Guar Varieties) उपयुक्त है। इसमें फलियाँ बुवाई के 55 से 60 दिन बाद तुड़ाई पर आती हैं तथा 120 क्विंटल तक उपज देने में सक्षम है।
गोमा मंजरी: बिना शाखा वाली इस किस्म के पौधे काफी लम्बे होते हैं तथा फलियाँ नीचे से ही लगना प्रारम्भ हो जाती हैं। बुवाई के 75 से 80 दिन बाद पहली तुड़ाई आती है तथा एक हेक्टेयर से 88 से 103 क्विंटल फलियाँ प्राप्त की जा सकती है। फलियाँ लम्बी, पतली, नर्म, रेशेरहित, चिकनी तथा हरी होती हैं। यह ग्वार की किस्म (Guar Varieties) अर्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षा तथा गर्मी ऋतु के लिए उपयुक्त है।
आर जी सी- 936: यह किस्म एक साथ पकने वाली प्रकाश संवेदशील है। दाने मध्यम आकर के हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। 80 से 110 दिन की अवधि वाली यह किस्म अंगमारी रोधक है। इसमें झुलसा रोग को सहने की क्षमता भी होती है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जायद तथा खरीफ में बोने के लिये उपयुक्त, एक साथ पकने वाली यह किस्म 8 से 12 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर उपज देती है।
आर जी एम- 112 (सूर्या ग्वार): यह ग्वार की किस्म (Guar Varieties) शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है, जिसको जायद तथा खरीफ दोनों परिस्थितयों में बोया जा सकता है। यह किस्म 85 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है। एक साथ पकने वाली यह किस्म 10 से 12 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर उपज देती है और इसमें बैक्टिरियल ब्लाइट सहन करने की क्षमता होती है।
आर जी सी- 1002: इस किस्म का अनुमोदन शुष्क और कम वर्षा वाले सम्पूर्ण ग्वार पैदा करने वाले क्षेत्रों के लिए किया है। यह शीघ्र पकने वाली किस्म 80 से 90 दिन, पैदावार लगभग 10 से 13 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर तक देती है। इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) के दानों में एण्डोस्पर्म की मात्रा 35 से 37 प्रतिशत व प्रोटीन की मात्रा 28 से 32 प्रतिशत होती है।
आर जी सी- 1003: इस किस्म के पौधे शाखाओं युक्त होते हैं, पत्तियां खुरदरी व किनारा बिना दांतेदार होती हैं। इसकी फसल 85 से 92 दिनों में पक जाती हैं| पौधे की ऊंचाई 51 से 83 सेन्टीमीटर होती है। पैदावार 8 से 14 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है। बीज में गोंद की मात्रा 29 से 32 प्रतिशत होती है, यह किस्म देश के शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है।
आर जी सी- 1017: इस किस्म की फसल 90 से 100 दिनों में पक जाती है। दानों में एण्डोस्पर्म की मात्रा 32 से 37 प्रतिशत और प्रोटीन की मात्रा 29 से 33 प्रतिशत तक पायी जाती है। इसकी पैदावार 10 से 14 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर है। यह ग्वार की किस्म (Guar Varieties) देश के सामान्य रूप से अर्द्ध शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है।
आर जी सी- 1031 (ग्वार क्रांति): इस किस्म के पौधे 75 से 108 सेंटीमीटर उँचाई तथा अत्यधिक शाखाओं युक्त होते हैं। दानों का रंग स्लेटी और आकर मध्यम मोटाई का होता है। इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) की पकाव अवधि 110 से 114 दिन तथा पैदावार क्षमता 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
आर जी सी- 1038 (करण): इस किस्म की पकाव अवधि 100 से 105 दिन है। इस किस्म की पैदावार क्षमता 10 से 21 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है। इस किस्म के दानों में एन्डोर्पम की मात्रा 31.6 से 36.5 प्रतिशत, प्रोटीन 28.6 से 30.9 प्रतिशत, गोंद 28.9 से 32.6 प्रतिशत और कार्बोहाड्रेड 35.2 से 37.4 प्रतिशत पाया जाता है। यह किस्म अनेक रोगों की प्रतिरोधकता है।
एच जी- 2-20: ग्वार की यह किस्म वर्षा आधारित परिस्थतियों में भी अच्छी उपज देती है। इस किस्म की पकाव अवधि 90 से 100 दिन और पैदावार क्षमता 8 से 9 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म जीवाणु पत्ता अंगमारी, जड़ गलन तथा अल्टरनेरिया अंगमारी रोगों के प्रति सामान्यतः प्रतिरोधी भी पाई गयी है।
एच जी- 258: ग्वार की यह एक देरी से पकने वाली शाखित किस्म है। इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) की पकने की अवधि 115 से 120 दिन है, औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है।
एच जी- 365: ग्वार की यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है। इसकी पकने की अवधि 90 से 95 दिन है, औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है, इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) के पौधे शाखित होते हैं।
एच जी- 563: यह भी एक जल्दी पकने वाली ग्वार की उन्नत किस्म है। इसकी पकने की अवधि 90 से 95 दिन है, औसतन पैदावार 17 से 19 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है, इस ग्वार की किस्म (Guar Varieties) पौधे शाखित होते हैं।
एच जी- 884: यह एक मध्यम देरी से पकने वाली शाखित ग्वार की उन्नत किस्म है। इसकी पकने की अवधि 95 से 100 दिन है, औसतन पैदावार 14 से 15 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है।
ए जी- 111: यह जल्दी पकने वाली ग्वार की उन्नत किस्म है। इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) की पकने की अवधि 90 से 95 दिन है, औसतन पैदावार 12 से 15 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है, इसके पौधे शाखित होते हैं।
ग्वार- 80: यह एक देरी से पकने वाली शाखित किस्म है, इसकी पकने की अवधि 115 से 120 दिन है, औसतन पैदावार 18 से 20 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है।
नवीन: यह एक जल्दी पकने वाली ग्वार की उन्नत किस्म है, इसके पौधे शाखाओं वाले होते हैं। इस ग्वार किस्म (Guar Varieties) की पकने की अवधि 90 से 95 दिन है, औसतन पैदावार 15 से 18 क्विंटल, सिंचित और वर्षा आधारित क्षत्रों के लिए उपयुक्त है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
ग्वार की किस्मों (Guar Varieties) को प्रमुख रूप से तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। पहली वह किस्में जिनकी कच्ची फलियाँ सब्जी के लिए उपयुक्त मानी गई हैं, दूसरी व तीसरी प्रकार की वह किस्में जिनके पौधों से प्राप्त फलियाँ दाना, ग्वार गम या चारे के लिए उपयुक्त हैं।
ग्वार की कुछ बेहतरीन किस्में में आरजीसी-1038, एचजी- 2-20, एचजी- 365, आरजीसी- 1002, आरजीसी- 936, आरजीसी- 986, एचजी- 563, आरजीसी- 1066 और आरजीसी- 1003 आदि शामिल है।
आर जी सी- 1038: ग्वार की किस्म (Guar Varieties) सबसे अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है। इसकी अवधि 100-110 दिनों की होती है। इसकी पत्तियां खुरदुरी और कटाव वाली होती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
ग्वार की कुछ हाइब्रिड किस्में में एचजी- 2-20, आरजीसी- 1031 और आरजीसी- 1038 आदि शामिल है।
ग्वार की जल्दी पकने वाली किस्मों में अगेती ग्वार- 111, आरजीसी- 197, आरजीसी- 417, आरजीसी- 986, एचजी- 563, आरजीसी- 1066, आरजीसी- 1003, एचजी- 2-20 और एचजी- 365 आदि शामिल है।
सब्जी वाली ग्वार की किस्मों (Guar Varieties) में दुर्गा बहार, पूसा नवबहार और पूसा सदाबहार आदि शामिल है।
चारे वाली ग्वार की किस्मों (Guar Varieties) में एचएफजी- 119, गुजरात ग्वार, बुंदेल ग्वार और एचएफजी- 156 आदि शामिल है।
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