
Black Gram Cultivation in Hindi: जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती न केवल किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करती है, बल्कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करके मिट्टी की उर्वरता में भी योगदान देती है। यह भारत में दालों की घरेलू मांग को पूरा करने में भी मदद करती है। यह लेख जायद उड़द की खेती की पेचीदगियों पर प्रकाश डालता है, जो एक दलहनी फसल है जो विशिष्ट जलवायु और मिट्टी की स्थितियों में पनपती है।
बीज चयन से लेकर कटाई के बाद के प्रबंधन तक, किसान जायद उड़द की खेती (Zaid Urad Farming) से जुड़ी सर्वोत्तम प्रथाओं को समझने से लाभ उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, पोषक तत्व प्रबंधन, सिंचाई तकनीक, कीट और रोग नियंत्रण के साथ-साथ भारत में जायद उड़द की खेती की आर्थिक व्यवहार्यता और बाजार क्षमता के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
जायद उड़द की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for zaid urad cultivation)
जायद उर्द की फसल (Zaid Urad Crop) को सफलतापूर्वक उगाने के लिए गर्म एवं नम जलवायु की आवश्यकता होती है। जायद उड़द की अच्छी पैदावार के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल रहता है तथा उड़द की खेती के लिए 75-90 सेमी वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र उपयुक्त रहता है तथा इसमे पुष्पावस्था के दौरान अधिक वर्षा हानिकारक होती है।
जायद उड़द की खेती के लिए भूमि का चुनाव (Selection of land for zaid urad cultivation)
जायद उर्द की फसल (Zaid Urad Crop) अच्छे जल निकास वाली भूमि में बोई जा सकती है। लाल दोमट मिट्टी, हल्की लाल, कपास की काली मिट्टी एवं भारी जलोढ़ मिट्टी में इसकी खेती की जाती है तथा भारी मटियार या दोमट मिट्टी उर्द की खेती के लिए अच्छी होती है। पीएच मान 7-8 के बीच वाली भूमि उड़द के लिए उपजाऊ होती है। उड़द की खेती में अम्लीय और क्षारीय भूमि अच्छी नहीं होती।
जायद उड़द की खेती के लिए भूमि कि तैयारी (Land preparation for Zaid Urad cultivation)
भूमि की तैयारी करने के लिए 2-3 बार खेत की हल्की जुताई कर खरपतवार साफ कर देना चाहिए। जुताई के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर देना चाहिए। जायद उर्द (Zaid Urad) को अधिकतर मिलवा फसल के रूप में बोते हैं। इस दशा में खेत की तैयारी साथ वाली फसल के अनुरूप ही की जानी चाहिए। दीमक से बचाव के लिए क्लोरपायरीफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20 किलो प्रति हेक्टेयर कि दर से मिट्टी मे मिलाना चाहिए।
जायद उड़द की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for zaid urad cultivation)
जायद में उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए जल्दी पकने वाली उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए। जायद उड़द की कुछ अच्छी किस्मों में पंत उड़द 31, पंत उड़द 40, आईपीयू 02-43, डब्ल्यूबीयू 108, शेखर 1, उत्तरा, आजाद फुलाद 1, शेखर 2, शेखर 3 और माश 1008 आदि शामिल है।
जायद उड़द के लिए बीज दर और बीज उपचार (Seed rate and seed treatment for zaid urad)
बीज की मात्रा: खरीफ सीजन के लिए प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है, वहीं जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीज की मात्रा लेना चाहिए।
बीज उपचार: मृदा एवं बीज जनित रोगों से बचाव के लिए 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम मिश्रण ( 2:1) प्रति किग्रा बीज अथवा कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लें। बीजशोधन कल्चर से उपचारित करने के 2-3 दिन पूर्व करना चाहिए।
जायद उड़द के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for black gram
जायद में उड़द (Zaid Urad) के पौधे की वृद्धि कम होती है, इसलिए प्रति हेक्टेयर 25-30 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें। अच्छी उपज के लिए, शीघ्र पकने वाली किस्मों की बुवाई करें। बुवाई पंक्तियों में ही सीड ड्रिल या देशी हल के पीछे नाई या चोंगा बाँधकर करते हैं। ग्रीष्म ऋतु में अधिक तापक्रम के कारण फसल वृद्धि कम होती है। इसलिए बुवाई कम दूरी पर (पंक्ति से पंक्ति 20-25 सेमी तथा पौधा से पौधा 6-8 सेमी) करना चाहिए तथा अधिक बीजदर का प्रयोग करना चाहिए।
जायद उड़द के साथ अन्तर्वर्ती खेती (Intercropping with Black Gram
गन्ने के साथ अन्तर्वर्ती खेती करना अत्यन्त लाभदायक रहता है। 75 सेमी की दूरी पर बोई गयी गन्ने की दो पंक्तियों के बीच की दूरी में उर्द की दो पंक्ति आसानी से ली जा सकती है। ऐसा करने पर उर्द के लिए अतिरिक्त उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। सूरजमुखी और जायद उर्द (Zaid Urad) की अन्तर्वर्ती खेती के लिए सूरजमुखी की दो पंक्तियों के बीच उर्द की दो से तीन पंक्तियाँ लेना उत्तम रहता है।
जायद उड़द के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for zaid urad)
जायद उड़द (Zaid Urad) एकल फसल के लिए 10 किग्रा नत्रजन, 30 किग्रा फासफोरस एवं 20 किग्रा सल्फर, प्रति हेक्टेयर की दर से अन्तिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए। अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन से सल्फर के प्रयोग से 11 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त हुई है।
नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की पूर्ति के लिए 75 किग्रा डीएपी तथा सल्फर की पूर्ति के लिए 100 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। उर्वरकों को अन्तिम जुताई के समय ही बीज से 2-3 सेमी की गहराई व 3-4 सेमी साइड पर ही प्रयोग करना चाहिए।
जायद उड़द की फसल में खरपतवार प्रबंधन (Weed Management in Zaid Black Gram)
जायद उर्द (Zaid Urad) की फसल में बुवाई के बीच 20-25 दिनों के तथा दूसरी निदाई आवश्यकतानुसार फल-फूल की अवस्था में करनी चाहिए तथा जिन खेतों में खरपतवार गम्भीर समस्या हो वहाँ पर बुआई से एक दो दिन पश्चात पेन्डीमेथलीन की 0.75 किग्रा सक्रिय मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करना लाभप्रद रहता है।
जायद उड़द की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in zaid urad crop)
जायद उड़द (Zaid Urad) की फसल में 2-4 सिंचाई आवश्यकतानुसार करें। प्रथम सिंचाई पलेवा के रूप में तथा अन्य सिंचाईयाँ 15 से 20 दिन के अन्तराल में फसल की आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। पुष्पावस्था एवं दाने बनते समय खेत में उचित नमी होना अति आवश्यक है। स्प्रिंकलर सेट का उपयोग कर जल संवर्धन एवं फसल के उत्पादन में अप्रत्याशित बढ़त प्राप्त की जा सकती है।
जायद उड़द की फसल में रोग और कीट नियंत्रण (Disease and Pest Control in Zaid Urad Crop)
माहू: ये कीट पौधे की पत्तियों, कोमल टहनियों, फूलों तथा फलियों आदि के रस को चूसते हैं, जिससे क्षतिग्रस्त टहनियां टेढ़ी-मेढ़ी व छोटी रह जाती है। इस कीट नियंत्रण के लिए डायमिथोएट 30 ईसी 1000 मिली. का छिड़काव प्रति हेक्टेयर करना चाहिए।
चारकोल विगलन रोग: यह रोग मेक्रोफोमिना फेसि ओलाइ नामक कवक द्वारा उत्पन्न होता है। इसकी रोकथाम के लिए बुआई से पूर्व जायद उरद (Zaid Urad) बीज को उपचारित कर देना चाहिए।
लीफ कर्ल रोग: यह वायरस से फैलने वाला रोग है। इस रोग के नियंत्रण के लिए फसल पर मेटासिस्टॉक्स (0.1 प्रतिशत) के 2-3 छिड़काव 10 दिन के अंतराल करना चाहिए।
जायद उड़द फसल की कटाई और मड़ाई (Harvesting and threshing of zaid urad crop)
जब जायद उड़द फसल (Zaid Urad Crop) की 70-80 प्रतिशत फलियाँ पक जाएं, हंसिया से कटाई आरम्भ कर देना चाहिए। तत्पश्चात बण्डल बनाकर फसल को खलिहान में ले आते हैं। 3-4 दिन सुखाने के पश्चात बैलों की दायें चलाकर या थ्रेसर द्वारा भूसा से दाना अलग कर लेते हैं।
जायद उड़द की फसल से उपज और भंडारण (Yield and storage from zaid urad crop)
उपज: उक्त तरीके से जायद उरद (Zaid Urad) की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल उत्पादन मिल सकता है।
भंडारण: उर्द का भंडार करते समय दानो में नमी की मात्रा 10- 12 प्रतिशत रखते हैं। दानों को नमी रहित सूखे गोदाम में संग्रहित करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
जायद उर्द (Zaid Urad) की खेती के लिये दोमट तथा मटियार भूमि उपयुक्त रहती है। पलेवा करके एक दो जुताई देशी हल अथवा कल्टीवेटर से करके खेत तैयार हो जाता है। हर जुताई के बाद पाटा लगाना आवश्यक है जिससे नमी बनी रहे। पावर टिलर या ट्रैक्टर से खेत की तैयारी जल्दी हो जाती है। बुवाई पंक्तियों में ही सीड ड्रिल या देशी हल के पीछे नाई या चोंगा बाँधकर करते हैं।
जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है। हालांकि, यह 43 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान भी सहन कर सकती है।
जायद में उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए दोमट या मटियार मिट्टी अच्छी होती है, जहां पानी का निकास अच्छा हो।
जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए पंत उड़द 31, पंत उड़द 40, आईपीयू 02-43, डब्ल्यूबीयू 108, शेखर 1, उत्तरा, आजाद फुलाद 1, शेखर 2. शेखर 3, माश 1008, माश 479, माश 391 व सुजाता आदि किस्में प्रमुख हैं।
जायद में उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 25-30 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जायद में उड़द के पौधे की वृद्धि कम होती है।
जायद उड़द (Zaid Urad) की बुआई जुलाई के तीसरे सप्ताह से अगस्त के पहले सप्ताह के बीच करनी चाहिए। शीघ्र पकने वाली किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।
जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती के लिए यूरिया, सिंगलसुपर फास्फेट तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश की 43:375:33 किग्रा प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग कर सकते है। इस के लिए 40 किग्रा डीएपी के साथ 10 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ उपयोग भी किया जा सकता है।
जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती में सिंचाई 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। पहली सिंचाई पलेवा के रूप में करनी चाहिए। फसल पकाने से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। फूल आने की अवस्था में सूखे की स्थिति में सिंचाई करने से उपज में काफ़ी बढ़ोतरी होती है। स्प्रिंकलर सेट का इस्तेमाल करके जल संवर्धन किया जा सकता है।
जायद उड़द (Zaid Urad) की खेती से आमतौर पर 10-12 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है। वहीं, खरीफ में उड़द की उपज 12-15 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है। लेकिन उक्त उन्नत तकनीक से पैदावार को बेहतर किया जा सकता है।
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