
Zaid Paddy Farming in Hindi: भारत में जायद धान की खेती देश के कृषि परिदृश्य में विशेष रूप से गैर-मानसून मौसम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खरीफ और रबी मौसम के बीच होने वाली खेती का यह रूप किसानों को अपनी भूमि की उत्पादकता को अधिकतम करने और खाद्य सुरक्षा में योगदान करने का अवसर प्रदान करता है।
जायद धान की खेती से जुड़ी विशिष्ट आवश्यकताओं, चुनौतियों और तकनीकों को समझना किसानों के लिए आवश्यक है, जो अपने फसल पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहते हैं और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम लाभ उठाना चाहते हैं। इस लेख में, हम भारत में जायद धान की खेती की पेचीदगियों पर चर्चा करेंगे, जिसमें जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं से लेकर पैदावार तक सब कुछ शामिल है।
जायद धान के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Zaid rice)
जायद में धान (Zaid Paddy) की खेती के लिए, ज्यादा आर्द्रता, ज्यादा तापमान और अच्छी बारिश की जरूरत होती है। जायद में धान की खेती के लिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था करनी होती है। अर्थात इस फसल को उन सभी क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है।
जहां 4 से 6 महीनों तक औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक रहता है। फसल के अच्छे विकास के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और पकने के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। इसके लिए 100-200 सेंटीमीटर सालाना बारिश चाहिए।
जायद धान के लिए मिट्टी का चयन (Soil selection for zaid paddy)
जायद धान (Zaid Paddy) की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी आदर्श होती है। स्वस्थ जड़ विकास और समग्र फसल वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली रेतीली दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है।
मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। हालाँकि इसके लिए 5-8 पीएच रेंज और 1 प्रतिशत से अधिक जैविक कार्बन युक्त सुनिकासी व्यवस्था वाली चिकनी दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
जायद धान के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for zaid paddy)
जायद धान (Zaid Paddy) की खेती के लिए खेत की तैयारी करने के लिए, खेत में जुताई करनी होती है और खरपतवारों को हटाना होता है। इसके लिए, रोटावेटर का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे समय और लागत दोनों की बचत होती है। अच्छी जुताई के लिए खेत को एक या दो बार जोता जाता है।
अंतिम जुताई के दौरान 15 – 20 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट या हरी पत्ती की खाद 6 – 7 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। रोपाई से दस दिन पहले 20 – 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर यूरिया का प्रयोग करें। रोपाई के समय खेत में कम से कम 2 – 2.5 सेमी पानी होना चाहिए।
जायद धान के लिए उन्नत किस्में (Improved Varieties for Zaid Paddy)
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, विभिन्न क्षेत्रों में जायद धान की अपनी पसंदीदा किस्में हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं और लाभ हैं। जायद धान (Zaid Paddy) की खेती के लिए इन उन्नत किस्मों का इस्तेमाल लाभकारी पाया गया है, जैसे- माही सुगंधा, पुसा, सुगंधा- 5, पूसा सुगंध- 4, प्रताप सुगंधा- 1, पूसा बासमती- 1509, इम्प्रूव पूसा बासमती- 1, सीआर- 1000, शरवती, सीआर धान- 808 और स्वर्ण शुष्क धान आदि शामिल है।
जायद धान के लिए बुवाई का समय (Sowing time for Zaid Paddy)
जायद धान की बुआई के लिए सही समय का चयन करना जरूरी होता है। जायद में बुआई का समय फरवरी से मई के आखिर तक होता है। हालाँकि जायद धान (Zaid Paddy) की अगेती बुआई फरवरी में और पछेती बुआई मई के आखिर में की जाती है। यह जुलाई के आखिर या अगस्त के पहले सप्ताह तक जायद धान पूरी तरह से पक जाता है।
जायद धान के लिए बीज की मात्रा (Seed quantity for Zaid rice)
धान की बुआई के लिए बीज की मात्रा, बुआई की विधि पर निर्भर करती है। जायद धान (Zaid Paddy) से अधिक उपज के लिए खरीफ की अपेक्षा कुछ घनी रोपाई अथवा बुआई करते हैं, क्योंकि गर्मी में पौधों के गिरने की सम्भावना कम होती है। एक हेक्टर की रोपाई के लिए 30-40 किग्रा तथा सीधी बुआई के लिए लगभग 60-90 किग्रा बीज की आवश्यकता पड़ती है।
जायद धान के लिए बीज शोधन (Seed treatment for Zaid rice)
जायद धान (Zaid Paddy) के लिए नर्सरी डालने से पूर्व बीज शोधन अवश्य कर ले। इसके लिये जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो वहां पर 25 किग्रा बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लान्टोमाइसीन को मिलाकर पानी में रात भर भिगों दे।
दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी डाले। बीज को रातभर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन निकाल कर अतिरिक्त पानी निकल जाने के बाद 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8-10 लीटर पानी में घोलकर बीज में मिला दिया जाये इसके बाद छाया में अंकुरित करके नर्सरी में बुआई की जानी चाहिए।
जायद धान के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for Zaid Paddy)
पहले की फसल कटाई के बाद खेत को अच्छे से जोतकर समतल करें। क्योंकि जायद धान (Zaid Paddy) की बुआई के लिए, खेत को अच्छे से तैयार करना होता है और उचित समय पर बुआई करनी होती है। जायद धान की बुआई के लिए, रोपाई या सीधी बुवाई या सीड ड्रिल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
यदि खेत अधिक उपजाऊ है तो लाइन से लाइन तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 x 15 सेमी रखनी चाहिए। यदि खेत औसत उपजाऊ है तो पंक्ति की दूरी 15 सेमी तथा पौध की दूरी 10 सेमी रखनी चाहिए और गहराई 1.5 से 2 इंच तक होनी चाहिए।
जायद धान के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for Zaid rice)
जायद धान (Zaid Paddy) की पौध लगाने के तुरन्त बाद पौधों की जड़े पोषक तत्व अवशोषित करने में असमर्थ रहती है। जिसके कारण पौधे लगने के बाद एक बार पौधों का हरा रंग कम हो जाता है। जायद धान के लिए 120 किग्रा नत्रजन, 60 किग्रा फास्फोरस और 60 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर तथा 25 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए।
जायद धान (Zaid Paddy) के पौधों को लगाने के 1 हफ्ते बाद ही पौधे पोषक तत्व अवशोषित करने लगते है। इस बीच यदि नत्रजन बेसल ड्रेसिंग के रूप में कुल मात्रा की आधी मात्रा दे दी जाये तो उर्वरकों का नुकसान लीचिंग तथा अन्य कारणों से हो जाता है।
इसलिये उचित होगा कि नत्रजन की मात्रा को तीन भागों में बांटकर 1/3 भाग धान पौधों की रोपाई के 7 दिनों के बाद, 1/3 भाग कल्ले निकलने के समय तथा 1/3 भाग बालियां निकलने के समय देना उपयुक्त होगा। फास्फोरस, पोटाश तथा जिंक की पूरी मात्रा रोपाई के पहले मृदा में मिला देना चाहिए।
जायद धान के लिए सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management for Zaid Paddy)
जायद में धान (Zaid Paddy) की खेती पूर्णतया सिंचाई पर ही निर्भर करती है तथा जायद का मौसम अत्यधिक गर्म, शुष्क एवं तेज पछुआ हवा के कारण पानी की आवश्यकता खरीफ की अपेक्षा और बढ़ा देता है। जायद में धान की सफल खेती के लिए सिंचाई की लगातार आवश्यकता पड़ती है।
धान में बाली बनने से पहले सिंचाई, तीसरे चौथे दिन तथा बाली बनने के समय से दाना भरने तक दूसरे-तीसरे दिन करना आवश्यक है। इस तरह धान की किस्म एवं भूमि के आधार पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।
जायद धान के लिए खरपतवार नियन्त्रण (Weed control for zaid rice)
धान के खरपतवार नष्ट करने के लिए खुरपी या पैडीवीडर का प्रयोग करें। यह कार्य खरपतवार विनाशक रसायनों द्वारा भी किया जा सकता है। रोपाई वाले धान में घास कुल एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु ब्यूटाक्लोर (50% ईसी) 3 से 4 लीटर अथवा प्रेटिलाक्लोर 50% ईसी 1.25 लीटर या एनिलोफास 30% ईसी 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर का रोपाई के 3-7 दिन के अन्दर प्रयोग करना चाहिए।
उक्त रसायनों का प्रयोग 3-4 सेमी पानी में करें। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण हेतु 2-4 डी सोडियम साल्ट 80% का मिश्रण का 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग जायद धान (Zaid Paddy) की रोपाई एवं सीधी बुआई के 20 दिन बाद करना चाहिए।
जायद धान में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control in Zaid Paddy)
जायद धान (Zaid Paddy) की फसलों की सुरक्षा के लिए कीटों और रोगों के खिलाफ सतर्क निगरानी और त्वरित कार्रवाई महत्वपूर्ण है। जैव कीटनाशकों के उपयोग से लेकर फसल चक्र अपनाने तक, किसान कीटों से मुक्त स्वस्थ फसल सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करते हैं। इसके अलावा कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। रोग प्रतिरोधी किस्मों का इस्तेमाल करने और स्वच्छ खेती करने से भी इनसे बचा जा सकता है।
जायद धान फसल की कटाई (Harvesting of Zaid Paddy Crop)
जायद धान (Zaid Paddy) की कटाई, पुष्पावस्था के 30 दिनों के अंदर करनी चाहिए। जायद धान की फसल खरीफ की तुलना में अच्छी होती है। देर से पकने वाली किस्मों के लिए बुवाई के 130 से 136 दिन बाद कटाई करनी चाहिए। मध्यम पकने वाली किस्मों के लिए कटाई 113 से 125 दिन बाद करनी चाहिए।
शीघ्र पकने वाली किस्मों के लिए कटाई 110 दिन बाद करनी चाहिए। पकने से पहले कटाई करने से दाने पोचे हो जाते हैं। कटाई में देरी करने से दाने झड़ जाते हैं और चावल ज़्यादा टूटते हैं।
जायद धान की फसल से उपज (Yield from Zaid Paddy Crop)
जायद धान (Zaid Paddy) की फसल से विभिन्न किस्मों के अनुसार 40 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिलती है। क्योंकि जायद में धान की उपज खरीफ की तुलना में अच्छी होती है तथा रोग और कीट का प्रकोप भी कम होता है एवं दाने चमकीले तथा सुडौल होते है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
जायद में धान की खेती के लिए शीघ्र पकने वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए। जायद में धान की खेती के लिए सीधी बुवाई या रोपाई दोनों तरीके अपनाए जा सकते हैं। जायद धान (Zaid Paddy) की खेती के लिए, खरीफ की तुलना में घनी रोपाई करनी चाहिए।
जायद धान (Zaid Paddy) की बुआई के लिए सही समय का चयन करना बहुत जरूरी होता है। जायद धान की बुआई का सही समय फरवरी से मई के आखिर तक होता है।
जायद धान (Zaid Paddy) की खेती के लिए खेत की तैयारी में मौजूद खरपतवार, पत्थर और मिट्टी के ढेलों को हटाने के लिए कल्टीवेटर से जुताई करें, खेत में मेढ़ों की मरम्मत करें, खेत में मच करें ताकि पानी का नुकसान कम हो, खेत में गोबर की खाद डालें और जुताई करें, खेत में पानी भरकर जुताई करें और खरपतवार को निकालें और खेत की पडलिंग करें।
जायद धान (Zaid Paddy) के लिए माही सुगंधा, पुसा सुगंधा- 5, पूसा सुगंध- 4, प्रताप सुगंधा- 1, पूसा बासमती- 1509 और इम्प्रूव पूसा बासमती- 1 आदि किस्में अच्छी मानी जाती ये हैं।
जायद सीजन में धान की बुवाई करने के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना होता है। इसके लिए, पूर्व की कटाई के बाद खेत को जोतकर समतल करना चाहिए। इसके बाद, खेत में पानी छोड़कर पलेवा करना चाहिए। फिर, पर्याप्त नमी रहने के बाद खेत को दोबारा जोतकर तैयार करना चाहिए। इसके बाद, डीएसआर मशीन या अन्य तरीके से धान की बुवाई की जाती है।
जायद धान (Zaid Paddy) की अच्छी पैदावार के लिए आमतौर पर कृषक नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटेशियम और डीएपी (NPK) का इस्तेमाल करते हैं। जिससे की खेत में नाइट्रोजन की कमी ना हो. साथ ही फसल को अन्य पोषक तत्व भी आसानी से मिल सके। हालाँकि यह रासायनिक उर्वरक खेत की मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं।
जायद धान (Zaid Paddy) की सिंचाई रोपाई के करीब एक सप्ताह बाद खेत में 2-3 सेंटीमीटर पानी भरा होना चाहिए। बालियां बनने, फूल निकलने और दाने बनने के समय खेत में 5-7 सेंटीमीटर पानी भरा होना चाहिए। जरूरी है कि खेत में नमी बनी रहे, ज़्यादा पानी भरने से पौधे पीले पड़ सकते हैं और सूख सकते हैं। फसल में आखिरी सिंचाई कटाई से करीब 12-15 दिन पहले कर देनी चाहिए।
जायद धान (Zaid Paddy) की खेती से उन्नत तकनीकों को अपनाकर 55 से 70 क्विंटल तक हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। हालाँकि जायद धान की उपज, धान की किस्म, जलवायु, और सिंचाई की सुविधा पर निर्भर करती है।
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