
Zaid Maize Farming in Hindi: भारत में जायद मक्का की खेती कृषि पद्धतियों का एक महत्वपूर्ण पहलू है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ जायद का मौसम अतिरिक्त फसल की खेती के लिए अवसर प्रदान करता है। मक्का, एक बहुमुखी अनाज की फसल है, जो देश भर के किसानों के लिए महत्वपूर्ण कृषि और आर्थिक महत्व रखती है।
जलवायु संबंधी विचारों, सर्वोत्तम पद्धतियों और बाजार के अवसरों सहित इसकी खेती की बारीकियों को समझना, पैदावार और लाभप्रदता को अधिकतम करने के लिए आवश्यक है। यह लेख जायद मक्का की खेती की पेचीदगियों पर प्रकाश डालता है, जिसमें मिट्टी की आवश्यकताओं, कीट प्रबंधन, कटाई की तकनीक और क्षेत्र से सफलता जैसे विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई है।
जायद मक्का की खेती के लिए आदर्श जलवायु (Ideal Climate for Zaid Maize Cultivation)
जायद मक्का (Zaid Maize) की खेती 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच के गर्म तापमान, पर्याप्त धूप और मध्यम मात्रा में वर्षा में पनपती है। जब औसत तापक्रम 10 डिग्री सेन्ट्रीग्रेट से कम हो जाता है, तो बीज के जमाव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शुष्क जलवायु और न्यूनतम जल की कमी वाले क्षेत्र जायद मक्का की सफल खेती के लिए अनुकूल हैं।इसकी खेती मैदानी क्षेत्रों से लेकर 2700 मीटर ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में भी की जा सकती है।
जायद मक्का की खेती के लिए मिट्टी का चयन (Soil selection for zaid maize cultivation)
अच्छी जल निकासी और उच्च उर्वरता स्तर वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी जायद मक्का (Zaid Maize) की खेती के लिए आदर्श हैं। 5.8 से 7.0 तक की मिट्टी का पीएच इष्टतम पोषक तत्व अवशोषण और विकास सुनिश्चित करता है, जिससे उच्च उपज वाले स्वस्थ मक्का के पौधे बनते हैं। लवण युक्त और क्षारीय मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नही है।
जायद मक्का की खेती के लिए खेती की तैयारी (Preparation of field for zaid maize cultivation)
अच्छी सिंचाई और जल निकासी प्रणाली के साथ अच्छी तरह खेत की तैयारी करनी चाहिए। खेत को पलेवा करने के बाद, मिट्टी पलटने वाले हल से 10-12 सेंटीमीटर गहरी एक जुताई करनी चाहिए। इसके बाद, कल्टीवेटर या देशी हल से दो-तीन जुताइयां करनी चाहिए। हालाँकि जायद मक्का (Zaid Maize) की खेती शून्य जुताई प्रणाली द्वारा भी की जा सकती है।
जायद मक्का की खेती के लिए उन्नत किस्में (Advanced varieties for zaid maize cultivation)
जायद में मक्का (Zaid Maize) की खेती के लिए कम समय लेने वाली किस्मों का चयन करना चाहिए हैं। प्रो – 345, बायो – 9636, पूसा अर्ली हाइब्रिड-5, प्रकाश, जेएच – 10655, एनईसीएस – 117,एमएएस – 75बी, पार्वती, एक्स – 1174 और शक्ति – 1 जैसी उन्नत किस्मों को अपनाया जा सकता है।
जायद मक्का बुवाई का समय और बीजदर (Zaid Maize Sowing Time and Seed Rate)
बुवाई का समय: जायद मक्का (Zaid Maize) की बुआई का सही समय फरवरी के आखिर से लेकर मध्य मार्च तक होता है।
बीज की मात्रा: जायद मक्का के लिए 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (छोटे या बड़े दानों के अनुसार भी बीज की मात्रा कम या अधिक) उचित होती है।
बीजोपचार: बीज को बोने से पूर्व किसी फंफूदनाशक दवा जैसे कैप्टन या एग्रोसेन जीएन 2.5-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज का दर से उपचारित करके बोना चाहिए। एजोस्पाइरिलम या पीएसबी कल्चर 5-10 ग्राम प्रति किलो बीज का उपचार भी अवश्य करें।
जायद मक्का की खेती के लिए बुवाई का तरीका (Sowing method for zaid maize cultivation)
जायद मक्का (Zaid Maize) की खेती के लिए खेत तैयारी के बाद पौधों की जड़ों को पर्याप्त नमी और जलभराव से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बीज को मेड़ों पर बोया जाए, बुवाई उचित दूरी कतार से कतार 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी पर ही लगाना चाहिए। इसके लिए उचित बुवाई यंत्र का उपयोग करने से एक ही बार में बीज उर्वरको को उचित स्थान पर डालने में मदद मिलती है।
जायद मक्का की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in zayed maize crop)
जायद मक्का (Zaid Maize) की फसल के लिए बुआई से पहले खेत में 10-12 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए। मक्का की फसल को नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटाश की भी जरूरत होती है। इसके लिए नाइट्रोजन 40-50 किलोग्राम, पोटाश 20-25 किलोग्राम और फ़ॉस्फ़ोरस 25-30 किलोग्राम की मात्रा प्रति एकड़ देनी चाहिए।
मक्के की फसल में जिंक और मैग्नीशियम की कमी आम है। इस कमी को पूरा करने के लिए जिंक सल्फ़ेट 8 किलोग्राम प्रति एकड़ डालना चाहिए। फास्फोरस, पोटाश और जिंक की पूरी मात्रा तथा 1/2 नाइट्रोजन को बुवाई के समय देना चाहिए, शेष नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बाद में देनी चाहिए।
जायद मक्का की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in zaid maize crop)
जायद मक्का (Zaid Maize) की फसल में अच्छी उपज के लिए खेत में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है। पौधों में फुटाव, बालियां निकलने और दाना बनने के समय नमी की कमी न हो, बालियां निकलते समय खास तौर पर नमी का ध्यान रखें। उच्च तापमान से बचने के लिए, दाना भरने के समय सिंचाई जरूर करें। बारानी क्षेत्रों में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए, ढलान के लंबवत जुताई करें। कम सिंचाई की स्थिति में स्थानीय स्तर पर मिलने वाली सामग्री से मल्चिंग करें।
जायद मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in zayed maize crop)
जायद मक्का (Zaid Maize) की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, बुवाई से पहले खेत को गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को धूप लगानी चाहिए, इससे हानिकारक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। बुवाई के बाद, जमाव से पहले एट्राजीन 0.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 700-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
मक्का बुवाई के 30-40 दिनों बाद ग्लाइफ़ोसेट 750 मिली प्रति हेक्टेयर का मोथा वर्गीय पौधों के लिए छिड़काव करें। खरपतवार दिखाई देने पर निकाई के बाद गहरी गुड़ाई करने से खरपतवारों पर नियंत्रण के साथ-साथ नमी का संरक्षण भी हो जाता है।
जायद मक्का की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in zaid maize crop)
जायद मक्का (Zaid Maize) की फसल में रोग नियंत्रण के लिए फसल की साप्ताहिक निगरानी करें, खेत के अंदर और आस-पास के खरपतवारों को हटा दें, प्रतिरोधी किस्मों की बुआई करें, बीज का उपचार करें, फसल चक्र अपनाएं, कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं को संरक्षित करें और रसायनिक नियंत्रण के लिए उचित रोगनाशी का इस्तेमाल करें।
जायद मक्का की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in zayed maize crop)
जायद मक्का (Zaid Maize) की फसल में कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं को संरक्षित करके भी कीटों से लड़ाई की जा सकती है, ट्राइकोग्रामा कार्ड लगाएं, फसल की साप्ताहिक निगरानी करें और अधिक प्रकोप होने पर उचित कीटनाशी का उपयोग करें।
जायद मक्का फसल की कटाई और गहाई (Harvesting and threshing of Zaid Maize Crop)
जायद मक्का (Zaid Maize) फसल की अवधि पूर्ण होने के पश्चात अर्थात दाने वाली देशी किस्म बोने के 80-90 दिन बाद और संकर एवं संकुल किस्म बोने के 90-115 दिन बाद तथा दाने में लगभग 25-15 प्रतिशत् तक नमी होने पर कटाई करनी चाहिए। कटाई के बाद मक्का फसल में सबसे महत्वपूर्ण कार्य गहाई है।
इसमें दाने निकालने के लिये सेलर का उपयोग किया जाता है। सेलर नहीं होने की अवस्था में साधारण थ्रेशर में सुधार कर मक्का की गहाई की जा सकती है। इसमें मक्के के भुट्टे के छिलके निकालने की आवश्यकता नहीं है। सीधे भुट्टे सुखे होने पर थ्रेशर में डालकर गहाई की जा सकती है, साथ ही दाने का कटाव भी नहीं होता।
जायद मक्का का भंडारण और उपज (Storage and yield of Zaid Maize)
भण्डारण: जायद मक्का फसल की कटाई व गहाई के पश्चात प्राप्त दानों को धूप में अच्छी तरह सुखाकर भण्डारित करना चाहिए। यदि दानों का उपयोग बीज के लिये करना हो तो इन्हें इतना सुखा लें, कि आर्द्रता करीब 12 प्रतिशत रहे। खाने के लिये दानों को बांस से बने बण्डों में या टीन से बने ड्रमों में रखना चाहिए।
उपज: उपरोक्त सभी प्रक्रिया अपनाने के बाद हमें लगभग जायद मक्का (Zaid Maize) की फसल से आम तौर पर 80 से 125 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है। हालांकि, यह उपज मक्का की किस्म, मिट्टी, देखभाल और सिंचाई पर निर्भर करती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
जायद में मक्का (Zaid Maize) की खेती के लिए खेत की तैयारी, बीज दर, बुवाई और सिंचाई जैसे कई पहलुओं का ध्यान रखना होता है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली, समतल, और पर्याप्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है। मक्का की बुआई के लिए कूड़ में बुआई की विधि सबसे अच्छी होती है।
जायद मक्का (Zaid Maize) की बुआई फरवरी के आखिर से लेकर मध्य मार्च के बीच करनी चाहिए। जायद मक्का की बुआई के लिए मार्च से अप्रैल का समय भी अच्छा रहता है।
जायद मक्का (Zaid Maize) के लिए पूसा हाइब्रिड 1, शक्तिमान, एफएच 3049, विवेक संकर 4, गौरव, जवाहर संकरित मक्का 12 और बजौरा मक्का जैसी किस्में अच्छी होती हैं। ये किस्में जल्दी पकती हैं और सिंचित और असिंचित दोनों तरह के क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं।
जायद मक्का (Zaid Maize) की बुआई के लिए एक हेक्टेयर जमीन में 20 से 22 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। मक्के के बीजों को 3-4 सेंटीमीटर गहराई पर बोना चाहिए।
जायद मक्का (Zaid Maize) की बुवाई से 10-15 दिन पूर्व खेत में भलीभाँति सड़ी हुई 10-12 टन गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर मिला देनी चाहिए तथा 150 से 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-70 किलोग्राम फास्फोरस, 60-70 किलोग्राम पोटाश तथा 25 किलो ग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाना चाहिए।
जायद मक्का (Zaid Maize) की सिंचाई, पौधों के विकास के चरणों के आधार पर करनी चाहिए। मक्के की फसल को अच्छी उपज देने के लिए, खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना जरूरी है। जायद मक्का की फसल में फुटाव, बालियां निकलना और दाना बनना जैसे चरणों में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए।
जायद सीजन में मक्का की अच्छी पैदावार के लिए, अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं, मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखें, उचित समय पर सही मात्रा में खाद और उर्वरक दें, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे पोषक तत्वों का इस्तेमाल करें, रोग प्रतिरोधक किस्म के बीजों का इस्तेमाल करें और बुवाई के समय और तरीके का ध्यान रखें।
मक्का की उपज कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि मक्के की किस्म, खाद और उर्वरक का इस्तेमाल और बुआई का समय। हालाँकि उचित देखरेख, उन्नतशील किस्म, खाद और उर्वरकों के उचित प्रयोग से प्रति हेक्टेयर गर्मी (Zaid Maize) के दिनों में 120-150 तथा वर्षा में 150-200 कुन्तल उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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