
How to Grow Velvet Bean in Hindi: कौंच (केवांच), जिसे वैज्ञानिक रूप से मुकुना प्रुरिएंस के नाम से जाना जाता है, एक फलीदार पौधा है, जिसकी खेती भारत में सदियों से की जाती रही है और इसे कृषि से लेकर पोषण संबंधी कई लाभों के लिए सम्मानित किया जाता है। विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल एक कठोर फसल के रूप में, कौंच स्थायी कृषि पद्धतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, मिट्टी की उर्वरता में योगदान देता है और प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों का एक मूल्यवान स्रोत है।
इस लेख में कौंच की खेती की बारीकियों पर प्रकाश डालता है, इसके ऐतिहासिक महत्व, आदर्श विकास परिस्थितियों, खेती की तकनीकों और आर्थिक क्षमता की पड़ताल करता है। कौंच (Velvet Bean) के बहुआयामी पहलुओं को समझकर, उत्पादक और हितधारक इसके लाभों का दोहन कर सकते हैं, जिससे भारतीय कृषि परिदृश्य में इस महत्वपूर्ण फसल का एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित हो सके।
कौंच के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Velvet Bean)
कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए उपोष्णकटिबंधीय से उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त है, जहाँ न्यूनतम तापमान 15°C और अधिकतम तापमान 38°C के आसपास रहता है। यह फसल विभिन्न जलवायु, जैसे तटीय आर्द्र और शुष्क जलवायु में भी अच्छी तरह से अनुकूलन कर सकती है। इसकी बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय जून-जुलाई में होता है और यह खरीफ फसल है।
कौंच के लिए भूमि का चयन (Selecting Soil for Velvet Bean)
कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए, अच्छी जल निकासी वाली, आदर्श रूप से रेतीली दोमट मिट्टी, जिसका पीएच 5.0 से 8.0 के बीच हो, चुनें। भूमि में उच्च प्रकाश की उपलब्धता और पर्याप्त वर्षा के साथ गर्म, आर्द्र जलवायु होनी चाहिए, हालाँकि यह कुछ सूखे को भी सहन कर सकती है। जलभराव वाले क्षेत्रों और पाले से प्रभावित होने वाली जगहों से बचें, क्योंकि यह पौधा ठंड के प्रति संवेदनशील होता है।
कौंच के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for Velvet Bean)
कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए, खेत को अच्छी तरह जोतकर, 10-20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालकर, और फिर उसे क्यारियों में बाँटकर तैयार करें। चूँकि यह पौधा एक लता है, इसलिए आपको बेलों के चढ़ने के लिए जाली या खूँटियाँ जैसी सहायक संरचनाएँ लगानी होंगी। बुवाई बरसात से पहले जून में, आमतौर पर गड्ढों में, 2 x 2 मीटर की दूरी पर, प्रति गड्ढे 4-5 बीज के साथ की जाती है।
कौंच की उन्नत किस्में (Improved varieties of Velvet Bean)
कौंच (Velvet Bean) फलियों की खेती के लिए लोकप्रिय किस्मों में अर्का धन्वंतरि, अर्का अश्विनी, अर्का शुभ्रा, अर्का शुक्ल, अर्का दक्ष और अर्का चरक शामिल हैं, जिन्हें उपज और अनुकूलनशीलता के लिए चुना गया है। एक उल्लेखनीय किस्म अर्का दक्ष है, जो खुजली रहित है और इसमें एल-डोपा की उच्च मात्रा होती है, जो इसे औषधीय और कृषि दोनों उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाती है।
कौंच की बुवाई और बीज की मात्रा (Sowing of Kaunch and Seed Quantity)
कौंच की बुवाई का सबसे अच्छा समय वसंत और शुरुआती ग्रीष्म ऋतु है, जब पाले का सारा खतरा टल चुका होता है। कुछ क्षेत्रों में, जैसे कि जहाँ बरसात का मौसम एक कारक है, जून के अंतिम सप्ताह में, बारिश शुरू होने से ठीक पहले, बुवाई की सलाह दी जाती है। कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए बुवाई के समय और बीज की मात्रा पर अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
आदर्श बुवाई का समय: वसंत और ग्रीष्म ऋतु, जब मौसम गर्म हो जाता है।
क्षेत्रीय भिन्नता: यदि बरसात के मौसम से पहले रोपण करना है, तो जून का अंतिम सप्ताह उपयुक्त समय है।
पाला: रोपण के लिए अंतिम पाले के बाद तक प्रतीक्षा करना महत्वपूर्ण है।
बीज की मात्रा: कौंच की खेती के लिए प्रति एकड़ 6 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
कौंच की बुवाई की विधि (Method of sowing Velvet Bean)
कौंच (Velvet Bean) फलियाँ बोने के लिए, जमीन को खाद से तैयार करें और बरसात के मौसम की शुरुआत में 3-7 सेमी की गहराई पर बीज बोएँ। आप इन्हें पंक्तियों के बीच 0.9-1 मीटर और पंक्तियों के अंदर 30-40 सेमी की दूरी पर एक ही फसल में लगा सकते हैं, या अंकुरित होने के बाद मक्का या ज्वार जैसे पौधों के साथ अंतर-फसल भी लगा सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को 48 घंटे तक भिगोने से अंकुरण में सुधार हो सकता है।
कौंच में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in Kaunch)
कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए जैविक खाद (गोबर की खाद) बुवाई के समय डालना सबसे अच्छा होता है, और फिर रासायनिक उर्वरकों जैसे कि 75 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फॉस्फोरस और 50 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से 2 से 3 किश्तों में देना चाहिए। फॉस्फोरस और पोटाश को गोबर की खाद के साथ बुवाई के समय ही डाल दें, जबकि नाइट्रोजन को बढ़ते मौसम के दौरान किश्तों में दें।
कौंच में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Velvet Bean)
कौंच की खेती के लिए, सिंचाई प्रबंधन में एक विशिष्ट कार्यक्रम शामिल होता है ताकि इष्टतम वृद्धि सुनिश्चित की जा सके, खासकर शुष्क मौसम और महत्वपूर्ण विकासात्मक चरणों के दौरान। कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन पर अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
शुष्क मौसम के दौरान: फसल को आमतौर पर पाक्षिक (हर दो हफ्ते में एक बार) सिंचाई की आवश्यकता होती है।
शीत ऋतु/फलियाँ तोड़ने के दौरान: जब फलियाँ पक रही हों और तोड़ी जा रही हों, तब सिंचाई को लगभग महीने में एक बार तक कम किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण चरण: उपज में कमी को रोकने के लिए फूल आने और फलियाँ बनने के चरणों के दौरान पर्याप्त नमी महत्वपूर्ण है।
वर्षा आधारित परिस्थितियाँ: फसल अक्सर वर्षा ऋतु से ठीक पहले (जून के अंतिम सप्ताह के आसपास) बोई जाती है और विभिन्न जलवायु को सहन कर सकती है, लेकिन शुष्क अवधि के दौरान अतिरिक्त सिंचाई आवश्यक है।
कौंच में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Velvet Bean)
कौंच (Velvet Bean) की खेती में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए कई तरीकों का संयोजन आवश्यक है, जैसे कि शुरुआती हाथ से निराई, ज्यादा सघन रोपण और शाकनाशी का इस्तेमाल। मखमली बीन की तेज़ वृद्धि और ऐलीलोपैथिक गुण भी खरपतवारों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, लेकिन शुरुआती हाथ से निराई और उगने के बाद की खेती जैसी अन्य विधियों के साथ संयोजन करने पर ये लाभ अधिकतम होते हैं।
कौंच में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and disease control in Kaunch)
कौंच (Velvet Bean) की फसल में प्रमुख कीटों में गर्डल बीटल, सेमीलूपर और तम्बाकू इल्ली शामिल हैं, और रोगों में पीत विषाणु रोग, चारकोल रोट और पत्ती धब्बा रोग हैं। इन कीटों और रोगों से नियंत्रण के लिए, नीम साबुन और ट्राईकोडर्मा जैसे जैविक उपचारों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, फसल के अवशेषों को नष्ट करना और फसल की सही समय पर बुवाई करना भी महत्वपूर्ण है।
कौंच की फसल की कटाई (harvesting of Velvet Bean crop)
कौंच (Velvet Bean) की फसल की कटाई में फलियों को हाथ से तोड़ना शामिल है जब वे धूसर-भूरे या काले रंग की हो जाती हैं और सूख जाती हैं, आमतौर पर बुवाई के लगभग 140-180 दिन बाद, या इष्टतम एल-डोपा सामग्री के लिए अर्ध-सूखने की अवस्था में।
तोड़ने के बाद, बीजों को अलग करने के लिए छिलका निकालने से पहले फलियों को और सुखाना चाहिए, फिर उन्हें साफ करके, थैलों में भरकर सूखी जगह पर संग्रहित किया जाता है। चारे के लिए कटाई बहुत पहले की जाती है, जब फलियाँ अभी छोटी होती हैं, आमतौर पर रोपण के 90-120 दिन बाद।
कौंच की खेती से उपज (Yield from Velvet Bean cultivation)
कौंच (Velvet Bean) की फसल से पैदावार एक एकड़ में लगभग 2.5 से 3.0 टन बीज की हो सकती है। सही तरीके से खेती करने पर एक एकड़ से 3 लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है, क्योंकि इसकी खेती में लागत और मेहनत कम लगती है, और इसके बीजों का उपयोग कई आयुर्वेदिक और औषधीय उत्पादों में होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
केवांच या कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए, जून-जुलाई के महीने में बुवाई करें और बुवाई से पहले सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। इसके लिए सहारा देने वाले पेड़ या जाली का इस्तेमाल करें, ताकि लताएं तेजी से बढ़ सकें। अच्छी उपज के लिए, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी चुनें जिसका पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच हो।
केवांच (Velvet Bean) की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु अच्छी होती है, जिसमें सामान्य तापमान और अच्छी बारिश हो। इसके लिए 15 जून से 15 अगस्त के बीच बुवाई का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
केवांच (Velvet Bean) की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसका पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच हो। यह मिट्टी सभी प्रकार की मिट्टी में उग जाती है, लेकिन इन विशेष प्रकार की मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है।
केवांच (Velvet Bean) की खेती के लिए म्यूकुना प्रुरिएन्स सबसे अच्छी किस्म है, जो एक औषधीय पौधा है और औषधीय गुणवत्ता के लिए उगाया जाता है। इसकी एक जंगली और दूसरी खेती योग्य प्रजाति है, जिसमें खेती योग्य प्रजाति में कम रोएं होते हैं।
केवांच (Velvet Bean) की खेती के लिए सबसे अच्छा समय मध्य जून से मध्य जुलाई तक होता है, क्योंकि यह खरीफ मौसम की फसल है और बारिश से ठीक पहले इसकी बुवाई की जाती है।
केवांच या कौंच (Velvet Bean) की खेती के लिए प्रति एकड़ 6 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बेहतर अंकुरण के लिए बीज को बोने से पहले 48 घंटे तक पानी में भिगोने की सलाह दी जाती है।
केवांच (Velvet Bean) की फसल में पानी देना उसकी आवश्यकता पर निर्भर करता है, क्योंकि यह खरीफ मौसम की फसल है जो वर्षा पर निर्भर करती है। जब बारिश कम होती है, तो बुवाई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए पानी दिया जाता है। इसके लिए, सबसे अच्छा तरीका है कि आप मिट्टी में हल्की सिंचाई करें, जिससे पौधा अच्छी तरह से विकसित हो सके।
केवांच (Velvet Bean) की खेती के लिए अच्छी उर्वरक केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) और सड़ी हुई गोबर की खाद हैं। इन जैविक खादों से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल तेजी से बढ़ती है। बुवाई से पहले सड़ी गोबर की खाद डालना विशेष रूप से फायदेमंद है।
केवांच (Velvet Bean) की फसल की निराई-गुड़ाई बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद करनी चाहिए। यह सबसे महत्वपूर्ण समय होता है जब खरपतवार मुख्य फसल के साथ पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर देते हैं।
कौंच (Velvet Bean) को प्रभावित करने वाले सामान्य कीटों में एफिड और फली छेदक शामिल हैं, जबकि जड़ सड़न और पत्ती झुलसा जैसे रोग भी चुनौतियाँ पैदा कर सकते हैं। उचित कीट प्रबंधन और खेती के तरीके इन समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।
केवांच (Velvet Bean) की फसल में कीटों और रोगों से बचाव के लिए जैविक और रासायनिक दोनों तरीके अपनाए जा सकते हैं। कीटों के लिए, पत्ती खाने वाले इल्लियों पर 5 ग्राम नीम साबुन प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। रोगों से बचाव के लिए, बीज की बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम या कार्बोक्सिन जैसे फफूंदनाशी से उपचारित करें या मैन्कोजेब जैसे फफूंदनाशी का छिड़काव करें।
केवांच (Velvet Bean) की फसल को तैयार होने में लगभग 3 महीने (80 दिन) लगते हैं। हालांकि, यह किस्म और मौसम पर निर्भर करता है, इसलिए समय सीमा थोड़ी भिन्न हो सकती है।
केवांच (Velvet Bean) फसल की कटाई के लिए, बुवाई के लगभग 90 दिन बाद और जब फली सूख जाए, तब कटाई करनी चाहिए। इस समय फली के भूरे या पीले हो जाने पर और दाने सख्त हो जाने पर कटाई की जाती है।
केवांच (Velvet Bean) की पैदावार कई कारकों पर निर्भर करती है, इसलिए एक निश्चित आंकड़ा देना मुश्किल है, लेकिन औसतन प्रति हेक्टेयर 8-10 क्विंटल पैदावार हो सकती है। यह पैदावार बीज की गुणवत्ता, खेती की विधि और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
कौंच (Velvet Bean) एक फलीदार पौधा होने के कारण, मिट्टी में नाइट्रोजन को स्थिर करने की क्षमता रखता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। यह इसे चक्रण और अंतर-फसलन के लिए एक उत्कृष्ट फसल बनाता है, जिससे कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
हाँ, आप कौंच (Velvet Bean) को गमले या बगीचे दोनों में उगा सकते हैं। गमलों में उगाने के लिए आपको बड़े गमले या ग्रो बैग की आवश्यकता होगी, जबकि बगीचे में उगाने के लिए सहारा देने वाली संरचना (जैसे कि जाल) की ज़रूरत होगी, ताकि यह ऊपर चढ़ सके।
कौंच (Velvet Bean) का उपयोग रक्त शर्करा के स्तर और उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए किया जाता है। यह मूत्र उत्तेजक के रूप में कार्य करता है, बुखार और खांसी को कम करता है। इसका उपयोग तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है जो नसों को शांत करता है और दर्द को कम करता है।
कौंच (Velvet Bean) का उपयोग मुख्यत: प्रोटीन के स्रोत के रूप में इसके पोषण संबंधी लाभों के साथ-साथ इसके औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। इसका उपयोग अक्सर पारंपरिक उपचारों में किया जाता है और इसे पशुओं के चारे के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।





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