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Home » Blog » Urad Varieties in Hindi: जानिए उड़द की किस्में

Urad Varieties in Hindi: जानिए उड़द की किस्में

December 26, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Urad Varieties in Hindi: जानिए उड़द की किस्में

Black Gram Varieties in Hindi: भारत में उड़द (Urad) की खेती सदियों पुरानी है, जहाँ किसान इस बेशकीमती फली को उगाने के लिए पारंपरिक खेती पद्धतियों का इस्तेमाल करते हैं। यहाँ कई प्रकार की दालें उगाई जाती हैं जो देश के भोजन और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उड़द, जिसे काला चना या काली दाल के नाम से भी जाना जाता है, ऐसी ही एक आवश्यक दाल है जिसकी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।

यह लेख भारत में उड़द की किस्मों (Urad Varieties) की समृद्ध विविधता का पता लगाता है, जिसमें उनकी पारंपरिक खेती पद्धतियों, पोषण संबंधी लाभों, पाककला के उपयोगों, किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों, सरकारी सहायता और कृषि परिदृश्य में भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है।

Table of Contents

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  • उड़द की उन्नत किस्में (Improved varieties of urad)
  • उड़द की किस्मों की विशेषताएं (Characteristics of Urad Varieties)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

उड़द की उन्नत किस्में (Improved varieties of urad)

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उड़द की खेती अलग-अलग होती है, हर क्षेत्र में अलग-अलग किस्में होती हैं जो अपने स्वाद और बनावट के लिए बेशकीमती होती हैं। उड़द की किस्मों की विविधता देश की समृद्ध कृषि विरासत और पाक परंपराओं को दर्शाती है। कुछ राज्यवार उड़द की किस्में (Urad Varieties) इस प्रकार है, जैसे-

राज्य उड़द की किस्में
महाराष्ट्रकेयू – 96-3, टीपीयू – 4, एकेयू – 4 (मेलघाट), एकेयू – 15
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़पंत उर्द – 30, जवाहर उर्द – 3, केयू – 96-3, टीपीयू – 4, जवाहर उर्द – 2, खरगोन – 3
आन्ध्रप्रदेशपंत उर्दू – 31, आईपीयू – 2-43, एलबीजी – 685, एलबीजी – 625
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंडपंत उर्द – 40, डब्लूबीयू – 108, आईपीयू – 94-1 (उत्तरा), नरेन्द्र उर्द – 1
तमिलनाडूआईपीयू – 02-43, वांबन – 4, वंबन – 7
हरियाणाकेयू – 300 (शेखर 2), आईपीयू – 94 – 1 (उत्तरा)
राजस्थानपंत उर्द – 31, डब्लूबीयू – 108, आईपीयू – 94-1 (उत्तरा)
बिहार एवं झारखंडपंत उर्द – 31, डब्लूबीयू – 108, आईपीयू – 94-1 (उत्तरा), पंत उर्द- 30, बिरसा उर्द – 1
गुजरातकेयू – 96-3, टीपीयू – 4, एकेयू – 4 (मेलघाट), जीयू – 1, केयूजी – 479, यूएच – 01, माश – 414
पंजाबडब्लूबीयू – 108, आईपीयू – 94-1 (उत्तरा), माश – 338, माश – 414
हिमाचल प्रदेशपंत उर्द – 31, पंत उर्द – 40
कर्नाटकआईपीयू – 02-43, डब्लूबीयू – 108, केयू – 301, एलबीजी – 402
ओडीशाआईपीयू – 02-43, डब्लूबीयू – 108, केयू – 301
असमडब्लूबीयू – 108, आईपीयू – 94-1 (उत्त्तरा), पंत उर्द – 30
पश्चिम बंगालपंत उर्द – 31, डब्लूबीयू – 108, आईपीयू – 94 – 1 (उत्तरा)

उड़द की किस्मों की विशेषताएं (Characteristics of Urad Varieties)

भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ उड़द की कई किस्मों को जन्म देती हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने अनूठे स्वाद और पाक-कला संबंधी बहुमुखी प्रतिभा प्रदान करती है। चाहे देसी उड़द की मलाईदार बनावट हो या मटकी का पौष्टिक स्वाद, प्रत्येक किस्म खाने में कुछ खास लेकर आती है। कुछ उड़द की किस्मों (Urad Varieties) की विशेषताएं और पैदावार क्षमता इस प्रकार है, जैसे-

के यू- 96-3: यह उड़द किस्म (Urad Varieties) छोटे कद वाली और इसका दाना छोटा तथा काले रंग का होता है। पकने की अवधि लगभग 70 दिन है, समकालिक परिपक्वता वाली इस किस्म का औसत पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टर है। यह पीत शिरा विषाणु रोग अवरोधी है।

हिम माश- 1(यू पी यू- 0031): यह किस्म सम-पर्वतीय तथा निचले पर्वतीय सम-उष्णकटिबंध क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह भूरे व काले दानों वाली और अधिक पैदावार देने वाली किस्म है, जो एक समय पर पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म लगभग 72 से 76 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह पीली मौजेक बीमारी के लिए अधिक रोग प्रतिरोधी किस्म है। यह लीफकर्ल, श्यामवर्ण धब्बा तथा चूर्णिल आसिता बिमारियों के लिए भी प्रतिरोधी है। लेकिन सर्कोस्पोरा धब्बा रोग के लिए मध्यम ग्रहणशील है। इसकी औसत पैदावार 14 से 16 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लगभग है।

यू जी- 218: यह जल्दी तैयार होने वाली उरद किस्म (Urad Varieties) है, जो 81 दिनों में पक जाती है। यह किस्म सम-पर्वतीय तथा निचले पर्वतीय सम-उष्णकटिबंध क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है। इसको जायद फसल के रूप में गर्मी की ऋतु में सिंचित क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। यह पीली मौजेक के प्रति प्रतिरोधी है तथा सरकोस्पोरा पत्ता धब्बा बिमारी के लिए सहनशील है। इसकी पैदावार 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लगभग है।

जवाहर उड़द- 2: यह उड़द की किस्म (Urad Varieties) 60 से 70 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। काला बड़ा दाना और पीतशिरा मौजेक तथा सर्कोस्पोरा परती धब्बा के प्रति सहनशील है।

बसंत बीर (पीडीयू- 1): यह उड़द की उन्नत किस्म 70 से 80 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। बड़ा दाना, सीधी बढने वाली उर्द की किस्म (Urad Varieties) और काला दाना, बसंत के लिए उपयुक्त है।

टी पी यू- 4: यह उड़द की किस्म (Urad Varieties) 70 से 75 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 7 से 9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। बड़े दाने वाली मध्यम अवधि की सीधी बढ़ने वाली है।

बरखा (आरबीयू- 38): यह उड़द की किस्म (Urad Varieties) 75 से 80 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 9 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। बड़ा दाना, सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा के प्रति सहनशील है।

कृष्णा: यह किस्म मध्यम कद के पौधों वाली है। यह 90 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसका दाना बड़ा और भूरे रंग का होता है। इससे 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टर तक पैदावार प्राप्त होती है। यह उर्द की किस्म भारी मिटटी के लिये अधिक उपयुक्त है|

टी- 9-19: यह किस्म मध्यम कद के पौधों की है। इसका दाना मोटा और काला होता है। यह किस्म 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है, इससे 9 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह दोमट मिटटी तथा जायद के लिए अधिक उपयुक्त उर्द किस्म है।

पूसा- 1: यह खरीफ और जायद दोनों के लिए उपयुक्त है। लगभग 80 से 85 दिन में पक जाती है और 12 से 15 क्विंटल तक पैदावार होती है। यह पीला मोजेक रोधी उरद किस्म (Urad Varieties) है एवं इसके बीज काले होते है।

पन्त यू- 19: यह उरद किस्म खरीफ और जायद दोनों के लिए उपयुक्त है। मध्यम कद की इस किस्म का दाना छोटा और काला होता है। यह 70 से 75 दिन में पककर 10 से 12 क्विन्टल प्रति हेक्टर तक पैदावार देती है।

पन्त यू- 30: खरीफ और जायद दोनों के लिए उपयुक्त है। करीब 75 से 80 दिन में पककर 10 से 12 क्विन्टल प्रति हेक्टर पैदावार प्राप्त होती है। यह मृदुरोमिल आसिता तथा पीले मोजेक रोधी किस्म है।

खारगोन- 3: मध्यम समय में पकने वाली उर्द की किस्म (Urad Varieties) है, जो 85 दिन में पक जाती है। इसके दाने काले रंग के होते हैं और पैदावार 12 से 15 क्विन्टल प्रति हेक्टर होती है।

पन्त यू- 31: यह किस्म छोटे कद की और इसका दाना मध्यम आकार व भूरे रंग का होता है। पकने की अवधि लगभग 70 दिन है। समकालिक परिपक्वता वाली इस किस्म का औसत उत्पादन 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टर है। यह पीत शिरा विषाणु रोग अवरोधी है।

आजाद उड़द- 3: यह उड़द की किस्म (Urad Varieties) 75 से 80 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। पीतशिरा मौजेक के प्रति अवरोधी है।

जवाहर उड़द- 3: यह उड़द की उन्नत किस्म 70 से 75 दिन में पकने वाली, औसत पैदावार 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है।

बसंत बहार: इस उड़द की किस्म (Urad Varieties) की औसत पैदावार 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। उड़द उगाने वाले समस्त राज्यों के लिए उपयुक्त और पीले विषाणु रोग के प्रतिरोधी है।

उत्तरा: इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। पूर्वी मैदानी एवं उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, विषाणु रोग के प्रति अवरोधी है।

पन्त उड़द- 40: इस उड़द की किस्म (Urad Varieties) की औसत पैदावार 10 से 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। उड़द उगाने वाले क्षेत्रों और अंतःफसलों के साथ उगाने के लिए उपयुक्त है।

शेखर- 2: इस उड़द की किस्म की औसत पैदावार 10 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब राज्यों के लिए उपयुक्त है।

नरेन्द्र उड़द- 1: इस उड़द की किस्म (Urad Varieties) की औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। उड़द उगाने वाले समस्त क्षेत्र के लिए उपयुक्त है।

पन्त उड़द- 35: इस उड़द की उन्नत किस्म की औसत पैदावार 10 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। खरीफ व जायद दोनों मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

उड़द की किस्में तैयार होने में कितना समय लेती है?

उड़द की फसल 60 से 65वें दिन परिपक्व फली का पहला गूदा पूरा करती है, और 20-25 दिनों के भीतर दूसरा नया गूदा तैयार होता है। इसलिए 100 दिनों की अवधि के भीतर एक बार में दो फली का गूदा काटा जा सकता है।

उड़द की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?

उड़द की कई अच्छी किस्में पंत उड़द- 31, उड़द टी- 9, आजाद उड़द- 2, पंत उड़द- 40, आईपीयू- 02-43, डब्ल्यूबीयू- 108, शेखर- 1, उत्तरा, आजाद फुलाद- 1, शेखर- 2, शेखर- 3, माश- 1008, माश- 479, माश- 391, सुजाता, आईपीयू- 11.2, आईपीयू- 13.1, और आईपीयू- 2.43 प्रमुख हैं।

उड़द की हाइब्रिड किस्में कौन सी है?

उड़द की कुछ हाइब्रिड किस्में आईपीयू- 02-43, डब्ल्यूबीयू- 108, शेखर- 1, उत्तरा, आजाद फुलाद- 1, शेखर- 2, शेखर- 3, माश- 1008, माश- 479 और माश- 391 आदि मुख्य है।

उड़द की जल्दी पकने वाली किस्में कौन सी है?

उड़द की जल्दी पकने वाली कुछ किस्में आईपीयू- 11.2, आईपीयू- 13.1, आईपीयू- 2.43, पंत यू- 30, उड़द टी- 9 और आजाद उड़द- 2 आदि प्रमुख है।

उड़द की मध्यम पकने वाली किस्में कौन सी है?

उड़द की मध्यम पकने वाली किस्में जवाहर उड़द- 2, जवाहर उड़द- 3, पंत यू- 30 और उड़द टी- 9 प्रमुख है।

उड़द कैसे उगाएं?

फसल को पिछली फसल की पंक्तियों के बीच में नाली में सूखा बोया जा सकता है, उसके बाद सिंचाई की जाती है। बुवाई फरवरी (वसंत की शुरुआत) या जून-जुलाई (वर्षा ऋतु) या अक्टूबर-नवंबर (शरद ऋतु) में की जा सकती है, जो जलवायु और कृषि स्थितियों और उगाई जाने वाली किस्म पर निर्भर करता है। बीज की दर 10-15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।

उड़द की बुवाई कब करें?

बुआई का उपयुक्त समय वायुमण्डलीय तापमान, मृदा की नमी व फसल प्रणाली पर निर्भर करता है। ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई का उपयुक्त समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक है, और बसन्त उड़द की बुआई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक है। सरसों, गेहूं, आलू की कटाई के उपरान्त 70 से 80 दिनों में पकने वाली उर्द की प्रजातियों (Urad Varieties) की बुआई की जा सकती है।

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