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Home » Blog » Tomato Cultivation in Hindi: जाने टमाटर की खेती कैसे करें

Tomato Cultivation in Hindi: जाने टमाटर की खेती कैसे करें

June 28, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Tomato Cultivation in Hindi: जाने टमाटर की खेती कैसे करें

Tomato Farming: खपत और उत्पादन की दृष्टि से टमाटर एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है। इसकी खेती लगभग सारे देश में गृहवाटिका तथा व्यावसायिक स्तर पर की जाती है। इसकी मांग साल भर रहती है। सलाद और सब्जी के अलावा इसे सूप, चटनी, सलाद, सॉस, स्क्वैश आदि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। आज कल इसकी डिब्बाबन्दी भी की जाती है।

टमाटर का सूखा पाउडर भी बनाया जाता है। टमाटर के प्रति 100 ग्राम में 0.9 ग्राम प्रोटीन, 0.8 ग्राम रेशे, 3.6 ग्राम कार्बोज और 20-25 कैलोरी ऊर्जा होती है। टमाटर (Tomato) पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। इसके फल में विटामिन ‘सी’, ‘ए’ ‘बी- 1’ तथा ‘बी- 2’ पाये जाते है। टमाटर एन्टी ऑक्सीडेन्ट का अच्छा स्त्रोत होता है।

फलों का गूदा सुपाच्य और भूख को बढ़ाने वाला और रक्त को साफ करने वाला होता है। टमाटर की बाजार संभावनाओं को देखते हुए, यदि कृषक बंधु इसकी खेती वैज्ञानिक तकनीकी से करें, तो टमाटर की फसल (Tomato Crop) से अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते है। इस लेख में टमाटर की वैज्ञानिक विधि से खेती कैसे करें, का उल्लेख किया गया है।

Table of Contents

Toggle
  • टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for tomato cultivation)
  • टमाटर की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for tomato cultivation)
  • टमाटर की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for tomato cultivation)
  • टमाटर की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for tomato cultivation)
  • टमाटर के लिए बीज दर और बुवाई का समय (Seed rate and sowing time for tomato)
  • टमाटर की नर्सरी तैयार करना और रोपण (Preparation of nursery and planting)
  • टमाटर की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in tomato crop)
  • टमाटर की फसल में सिंचाई और निराई गुड़ाई (Irrigation and weeding in crop)
  • टमाटर फसल में पौधे को सहारा देना (Providing support to the tomato plant )
  • टमाटर फसल में फल लगने पर उपचार (Treatment after fruit setting in crop)
  • टमाटर की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in tomato crop)
  • टमाटर की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in tomato crop)
  • टमाटर फसल के फलों की तुड़ाई (Harvesting of Crop Fruits)
  • टमाटर फसल के फलों की उपज (Yield of Tomato Crop Fruits)
  • टमाटर के फलों का भण्डारण (Storage of Tomato Fruits)
  • टमाटर का बीज उत्पादन (Tomato Seed Production)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for tomato cultivation)

टमाटर एक उष्ण कटिबन्धीय जलवायु की फसल है, वैसे टमाटर को गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसमों में उगाया जाता हैं। पौधों की सर्वाधिक वृद्धि 34 से 39 डिग्री सेल्सियस तापमान पर होती है। इसकी सफलतापूर्वक खेती हेतु 12 से 26 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त पाया गया है। रात का औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस आवश्यक है।

टमाटर (Tomato) में सूखा सहने की क्षमता भी होती है परंतु अधिक वाष्पोत्सर्जन के कारण बहुत गर्म और शुष्क मौसम में टमाटर के कच्चे फल गिरने लगते हैं। तापक्रम और प्रकाश की तीव्रता का टमाटर के फलों के लाल रंग और खट्टेपन पर काफी प्रभाव पड़ता है।

यही कारण है कि सर्दियों में फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते हैं, जबकि गर्मियों में कुछ कम लाल और खट्टापन लिये होते हैं। इसके पौधे पाले से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र टमाटर की खेती (Tomato Cultivation) के लिए अनुपयुक्त रहते हैं।

टमाटर की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for tomato cultivation)

उचित जल निकास वाली दोमट भूमि इसकी खेती के लिए अच्छी रहती है। अगेती फसल के लिए हल्की भूमि अच्छी होती है, जबकि अधिक उपज के लिये चिकनी दोमट और सादी दोमट अच्छी रहती है। टमाटर की खेती (Tomato Cultivation) 6 से 7 पीएच मान वाली भूमि में अच्छी होती है। यदि भूमि का पीएच मान 5 से कम हो तो भूमि में 9.5 टन चूना प्रति एकड़ मिलाकर इसकी खेती करनी चाहिये।

टमाटर की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for tomato cultivation)

टमाटर की खेती (Tomato Cultivation) के लिए पहली जुताई भूमि पलटने वाले हल से करें, इसके बाद 3-4 बार कल्टीवेटर या देशी हल चलाएँ। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएँ, ताकि भूमि भुरभुरी और एकसार हो जाये। अंतिम जुताई के समय खेत में 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अच्छी गली सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाते है।

टमाटर की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for tomato cultivation)

टमाटर की खेती (Tomato Cultivation) के लिए कुछ अनुमोदित उन्नत और हाइब्रिड किस्में इस प्रकार है, जैसे-

प्रमुख किस्में: पूसा सदाबहार, पूसा रोहिणी, पूसा उपहार, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा रूबी रोमा, अर्का सौरभ, अर्का विकास, अर्का रक्षक, हिसार अनमोल, हिसार अरूण, हिसार ललित, पंजाब छुहारा और पंजाब केसरी इत्यादि है।

लम्बी दूरी तक ले जाने वाली किस्में: पूसा गौरव, रोमा, पंजाब छुहारा, पूसा उपहार और लैबोनिटा इत्यादि है।

प्रसंस्करण के लिए प्रयुक्त किस्में: पूसा गौरव, पूसा हाईब्रिड- 2, पंजाब छुहारा, पूसा उपहार, अर्का सौरभ, पूसा हाईब्रिड- 4, पूसा हाईब्रिड- 8 इत्यादि है।

अधिक तथा कम तापमान सहने वाली किस्में: पूसा शीतल, पूसा सदाबहार और पूसा हाईब्रिड- 1 इत्यादि है।

टमाटर के लिए बीज दर और बुवाई का समय (Seed rate and sowing time for tomato)

इसके बीजों को सीधे खेत में न बोकर पहले नर्सरी में बोया जाता है। जब पौध 4 से 5 सप्ताह अर्थात 10 से 15 सेमी के हो जावें तब इन्हें खेत में लगायें। खरीफ की फसल के लिये टमाटर (Tomato) का बीज जून माह में ऊँची उठी हुई क्यारियों में बोयें।

गर्मी की फसल के लिये दिसम्बर-जनवरी में तथा सर्दी की फसल के लिये सितम्बर में नर्सरी तैयार करें। एक हेक्टेयर हेतु 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। संकर किस्मों के लिये बीज की मात्रा 150 से 200 ग्राम, एक हेक्टेयर के लिये उपयुक्त रहती है।

टमाटर की नर्सरी तैयार करना और रोपण (Preparation of nursery and planting)

ऊँची उठी हुई क्यारियों, जिनकी चौड़ाई एक मीटर और लम्बाई 5 मीटर हो, तो एक एकड़ क्षेत्र की पौध के लिये 25 क्यारियों की आवश्यकता होती है। बीजों को बुवाई से पूर्व 3 ग्राम केप्टान प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें। टमाटर (Tomato) बीजों को 5 से 7 सेन्टीमीटर के फासले पर कतारों में बोयें। जैसे ही बीजों का अंकुरण हो कैप्टान के 0.2 प्रतिशत घोल से क्यारियों का उपचार करें।

बीजों की बुवाई से पूर्व, 2 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भूमि में मिलावें। नर्सरी में पौधों की फव्वारे से सिंचाई करें। जब पौधे (10 से 15 सेन्टीमीटर लम्बे) चार से पांच सप्ताह के हो जाये तो इनकी रोपाई करें। नर्सरी में पौधों को कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिये इमीडाक्लोपिड 0.3 मिली लीटर तथा साथ में जाइनेब या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करें।

पौध की रोपाई खेत में शाम के समय 75 सेमी x 75 सेमी की दूरी पर वर्षा ऋतु की फसल के लिये, तथा 50 सेमी x 30 से 45 सेमी की दूरी पर गर्मी की फसल के लिये करें। गर्मी की फसल के लिये पौध की रोपाई फरवरी के अन्त तक आवश्यक हैं अन्यथा उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। टमाटर (Tomato) संकर किस्मों को खेत में 90 सेमी x 45 सेमी की दूरी पर लगावें एवं बढ़वार के समय छड़ी से सहारा देवें।

टमाटर की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in tomato crop)

टमाटर (Tomato) पौधों की रोपाई से एक माह पूर्व 150 से 250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर खेत में डालकर भली भाँति मिला देवें। पौध लगाने के पूर्व 60 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फास्फोरस और 60 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डाल देवें।

पौधे लगाने के 30 दिन व 50 दिन बाद 30-30 किग्रा नत्रजन, खड़ी फसल में देकर सिंचाई करें। टमाटर (Tomato) संकर किस्मों में 300 से 350 क्विंटल गोबर की खाद, 180 किग्रा नत्रजन, 120 किग्रा फास्फोरस और 80 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देवें।

टमाटर की फसल में सिंचाई और निराई गुड़ाई (Irrigation and weeding in crop)

सर्दी में 8 से 10 दिन और गर्मी में 5 से 6 दिन के अन्तराल से आवश्यकतानुसार टमाटर फसल (Tomato Crop) में सिंचाई करनी चाहिये। पौध लगाने के 20 से 25 दिन बाद प्रथम निराई व गुड़ाई करें। आवश्यकतानुसार दुबारा निराई गुड़ाई कर खेत में खरपतवारों को निकालें।

टमाटर (Tomato) पौध रोपाई से पूर्व खेत में एक किलो प्रति हेक्टेयर पेन्डीमेथालिन खरपतवारनाशी छिड़कें एवं 45 दिन बाद एक निराई-गुड़ाई करने से खरपतवारों पर नियन्त्रण किया जा सकता है। छिड़काव हेतु फ्लेट फैन नोजल का प्रयोग करें।

टमाटर फसल में पौधे को सहारा देना (Providing support to the tomato plant )

टमाटर (Tomato) की अधिकतर प्रजातियाँ फैलने वाली होती है जिससे शाखाएँ भूमि के ऊपर गिर जाती है। इस कारण हवा और प्रकाश से वंचित होने लगती है। फल भी सिंचाई के पानी में पड़े रहने के कारण रोगग्रस्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त फलों में आकर्षक रंग भी नहीं आ पाते।

अत: टमाटर (Tomato) पौधों को कम से कम 3-4 सेमी मोटी बाँस की खूँटी के सहारे लताओं को सहारा देना चाहिए। इस प्रक्रिया से अधिक प्रकाश पाकर फल आकार में बड़े और आकर्षक होते हैं।

टमाटर फसल में फल लगने पर उपचार (Treatment after fruit setting in crop)

बसन्त ऋतु के प्रारंभ में कम तापक्रम और शरद ऋतु से पहले अधिक तापक्रम रहने से अक्सर ऐसा देखा जाता है कि फल कम लगते हैं। जब रात्रि का तापक्रम 13° सेंटीग्रेट से कम और दिन का तापक्रम 38° सेंटीग्रेट से अधिक होने लगता है, तब परागण और टमाटर (Tomato) फल लगने पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है।

अच्छी फलत, अगेती फसल तथा फलों में कम बीज के लिये पैरा- क्लोरीफीनोक्सी एसीटिक एसिड 15-20 पीपीएम, 2-4 डाईक्लोरोफीनोक्सी एसिटिक एसिड 1 से 5 पीपीएम, जीवलिक एसिड 50 पीपीएम, सीआईपीपी 25 पीपीएम, एनओए 50 से 100 पीपीएम, आदि हारमोन्स का प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है।

टमाटर की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in tomato crop)

रोपण उपचार: यदि नर्सरी में कीटनाशी का प्रयोग नहीं किया गया हो तो फास्फोमिड़ान 85 एसएल का 0.3 मिली प्रति लीटर पानी के घोल में पौध की जड़ों को डुबोकर खेत में रोपाई करें।

सफेद लट: यह टमाटर की फसल (Tomato Crop) को काफी नुकसान पहुँचाती है। इसका आक्रमण जड़ों पर होता है। इसके प्रकोप से पौधे मर जाते हैं।

नियंत्रण: फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी 15 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से पूर्व कतारों में पौधों की जड़ों के पास डालें।

कटवा लट: इस कीट की लटें रात में भूमि से बाहर निकल कर छोटे-छोटे पौधों को सतह के बराबर से काटकर गिरा देती है। दिन में मिट्टी के ढेलों के नीचे या दरारों में छिपी रहती है।

नियंत्रण: क्यूनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से भूमि में मिलावें।

सफेद मक्खी, पर्णी जीवी, हरा तेला और मोयला: ये कीट पौधों की पत्तियों और कोमल शाखाओं से रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। सफेद मक्खी टमाटर में विषाणु रोग फैलाती हैं। इनके प्रकोप से उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

नियन्त्रण: फास्फोमिडान 85 एसएल 0.3 मिली या डाइमिथोएट 30 ईसी या मैलाथियान 50 ईसी एक मिली का प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर यह छिड़काव 15 से 20 दिन बाद दोहरायें।

फल छेदक कीट: कीट की लटें फलों में छेद करके अन्दर से खाती है। कभी कभी इनके प्रकोप से फल सड़ जाता है तथा उत्पादन में कमी के साथ-साथ फलों की गुणवत्ता भी कम हो जाती है।

नियन्त्रण: मैलाथियान 50 ईसी एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिये।

मूल सन्धि ब्रिमेटम: इस कृमि से टमाटर (Tomato) की जड़ों में गाठें पड़ जाती हैं तथा पौधों की बढ़वार रूक जाती हैं और उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

नियन्त्रण: रोपाई से पूर्व 25 किग्रा कार्बोफ्यूरान 3 जी प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि में मिलाये। या, पौध की रोपाई के स्थान पर जड़ों के पास 8 से 10 कण डालकर रोपाई करें अथवा पौधों की जड़ों को सवा मिमी फास्फोमिडॉन 85 एसएल प्रति लीटर पानी के घोल में एक घण्टे तक भिगोकर खेत में रोपाई करें।

टमाटर की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in tomato crop)

आद्रगलन (डैम्पिंग ऑफ): रोग के प्रकोप से पौधे का जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़ जाता है और नन्हें पौधे गिरकर मरने लगते हैं। यह रोग भूमि एवं बीज के माध्यम से फैलता है।

नियन्त्रण: बीज को 3 ग्राम थाइरम या 3 ग्राम कैप्टान प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर बोयें। नर्सरी में बुवाई से पूर्व थाइरम या कैप्टान 4 से 5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलायें। नर्सरी, आस-पास की भूमि से 4 से 6 इन्च उठी हुई भूमि में बनावें ।

नोट: उपरोक्त उपचार नहीं करने की अवस्था में बीज के अंकुरण के बाद जमीन की सतह पर आवश्यकता हो तो पौधशाला में थाइरम या कैप्टान 2 से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 7 से 10 दिन में छिड़काव करें।

झुलसा (ब्लाइट): इस रोग से टमाटर (Tomato) के पौधों की पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यह रोग दो प्रकार का होता है, जैसे-

अगेती झुलसा: इस रोग में धब्बों पर गोल छल्ले नुमा धारियाँ दिखाई देती हैं।

पछेती झुलसा: इस रोग से पत्तियों पर जलीय, भूरे रंग के गोल से अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं। जिनके कारण अन्त में पत्तियाँ पूर्ण रूप से झुलस जाती हैं।

नियन्त्रण: मैन्कोजेब 2 ग्राम या कॉपर आक्सी क्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें। छिड़काव फल आने पर 10 से 15 दिन के अन्तराल से करें।

पर्णकुंचन या मोजेक (विषाणु रोग): पर्णकुचन रोग में पौधों के पत्ते सिकुड़कर मुड़ जाते हैं तथा छोटे व झुर्रियों युक्त हो जाते हैं। मोजेक रोग के कारण पत्तियों पर गहरे व हल्का पीलापन लिए हुए हरे रंग के धब्बे हो जाते है। इस रोग को फैलाने में कीट सहायक होते हैं।

नियन्त्रण: बुवाई से पूर्व कार्बोफ्यूरान 3 जी 8 से 10 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भूमि में मिलायें।

पौध रोपण के 15 से 20 दिन बाद डाईमिथोएट 30 ईसी 1 एम एल प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। यह छिड़काव 15 से 20 दिन के अन्तर पर आवश्यकतानुसार दोहरायें।

फूल आने के बाद उपरोक्त कीटनाशी दवाओं के स्थान मैलाथियान 50 ईसी एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़के।

नोट: जो भी कीड़े या बीमारियों की दवा खरीदें तो उनके पैकेट या बोतल पर दिये निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें।

टमाटर फसल के फलों की तुड़ाई (Harvesting of Crop Fruits)

टमाटर (Tomato) की तुड़ाई बाजार के अनुरूप करते है। सीमित बढ़वार वाली किस्में रोपाई के 65-70 दिनों बाद एवं असीमित बढ़वार वाली किस्में 75–80 दिनों बाद फल देना प्रारंभ कर देती है। तुरन्त प्रयोग करने के लिए फल पूर्णरूप से सुर्ख हो जाने पर ही तोड़ना चाहिये। हाट में या दूर भेजने के लिये यह सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि तुड़ाई करते समय फलों मे हल्का लाल रंग आने लगा हो।

टमाटर फसल के फलों की उपज (Yield of Tomato Crop Fruits)

टमाटर (Tomato) की जुलाई-अगस्त में रोपी गई फसल नवम्बर-दिसम्बर में तैयार हो जाती है। संकर किस्मों की उपज लगभग 500-700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और प्रभेदों की लगभग 200-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है।

टमाटर के फलों का भण्डारण (Storage of Tomato Fruits)

समीप वाले बाजारों में टमाटर शाम को तोड़कर सुबह को भेज दिया जाता है। टमाटर (Tomato) के लिये भण्डार गृह का तापक्रम 12° से 15° सेंटीग्रेट होना चाहिए। परिपक्व हरे टमाटर 10°- 15° सेंटीग्रेट पर लगभग एक माह तक रखे जा सकते हैं। पके हुए टमाटर लगभग 10 दिनों तक 4.5° सेंटीग्रेट तापक्रम पर रखे जा सकते हैं।

टमाटर का बीज उत्पादन (Tomato Seed Production)

टमाटर (Tomato) के बीज उत्पादन हेतु ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमें पिछले वर्ष टमाटर की फसल न लगायी गयी हो । पृथक्करण दूरी आधार बीज के लिए 50 मीटर तथा प्रमाणित बीज के लिए 25 मीटर रखें। अवांछनीय पौधों को पुष्पन अवस्था से पूर्व, पुष्पन अवस्था में तथा जब तक फल पूर्ण रूप से परिपक्व न हुए हों, तो पौधे, फूल तथा फलों के गुणों के आधार पर निकाल देना चाहिए।

फलों की तुड़ाई पूर्ण रूप से पकी अवस्था में करें, पके फलों को तोड़ने के बाद लकड़ी के बक्सों या सीमेंट के बने टैंकों में कुचलकर एक दिन के लिए किण्वन हेतु रखें। अगले दिन पानी तथा छलनी की सहायता से बीजों को गूदे से अलग करके छाया में सुखा लें। बीज को पेपर के लिफाफे, कपड़े के थैलों तथा शीशे के बर्तनों में भण्डारण हेतु रखें। बीज उपज 100-120 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

टमाटर की खेती की अवधि क्या है?

टमाटर (Tomato) एक तेजी से बढ़ने वाली फसल है जिसकी बढ़ती अवधि 90 से 150 दिन है। यह एक दिन की लंबाई वाला तटस्थ पौधा है। विकास के लिए इष्टतम औसत दैनिक तापमान 18 से 25 डिग्री सेल्सियस है, जबकि रात का तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। हालांकि, दिन और रात के तापमान के बीच बड़ा अंतर उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

टमाटर की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है?

टमाटर (Tomato) को रेतीली से लेकर भारी मिट्टी तक की कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है। हालाँकि, अच्छी जल निकासी वाली, रेतीली या लाल दोमट मिट्टी जिसमें कार्बनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में हों और जिसका पीएच मान 6.0-7.0 हो, आदर्श मानी जाती है। सबसे अच्छा फल रंग और गुणवत्ता 21-24 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर प्राप्त होती है।

टमाटर कौन से महीने में लगाया जाता है?

टमाटर की फसल (Tomato Crop) साल में तीन बार ली जाती है। इसके लिए मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में बुवाई की जाती है।

टमाटर के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?

ऐसे उर्वरक की तलाश करें, जिसमें एन-पी-के विश्लेषण में उच्च मध्य संख्या हो, जो फॉस्फोरस का प्रतिनिधित्व करती है। टमाटर (Tomato) के पौधों के लिए सामान्य रूप से उपलब्ध उर्वरक विश्लेषण में 8-32-16 और 12-24-12 शामिल हैं। पैकेज पर दिए निर्देशों के अनुसार उर्वरक को पानी के साथ मिलाएं।

टमाटर की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

टमाटर की पूसा-120, पूसा हाईब्रिड-4, पूसा गौरव, अर्का सौरभ, अर्का रक्षक, अर्का सोनाली और पूसा हाइब्रिड-1 सहित टमाटर (Tomato) की कई बेहतरीन किस्में हैं।

टमाटर की फसल में सिंचाई कब करें

टमाटर (Tomato) के बीजों की बुवाई करने के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। टमाटर के पौधों को प्रति सप्ताह लगभग 1 से 2 इंच पानी की आवश्यकता होती है। हालाँकि, आपके पौधों को पूरे मौसम में अधिक या कम पानी की आवश्यकता हो सकती है, जो आपके क्षेत्र के गर्म मौसम और वर्षा पर निर्भर करता है।

टमाटर की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें?

टमाटर के पौधों की छंटाई का मतलब प्रूनर लेकर जाना और तने को काट देना नहीं है। अनिश्चित किस्मों में टमाटर (Tomato) की छंटाई से विकास और फल उत्पादन बढ़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आप पूरी तरह से वनस्पति वृद्धि को हटा रहे हैं। उस वृद्धि को हटाने से फूल और फल पैदा करने के लिए ऊर्जा मिलती है।

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