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Home » Blog » Ridge Gourd in Hindi: जानिए तोरई की खेती कैसे करें

Ridge Gourd in Hindi: जानिए तोरई की खेती कैसे करें

July 24, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Ridge Gourd in Hindi: जानिए तोरई की खेती कैसे करें

Ridge Gourd Farming in Hindi: तोरई, जिसे वैज्ञानिक रूप से लफ्फा एक्यूटांगुला के नाम से जाना जाता है, तुरई की खेती लगभग पुरे भारत में की जाती है। लेकिन इसके मुख्य उत्पादक राज्य केरल, उड़ीसा, कर्नाटक, बंगाल और उत्तर प्रदेश है। यह बेल पर उगने वाली सब्जी होती है, जिसे हर मनुष्य खाने में पसंद करता है। यह पौष्टिक सब्ज़ी है, जो विभिन्न जलवायु में पनप सकती है। चूँकि तोरई (Ridge Gourd) एक महत्वपूर्ण कद्दू वर्गीय सब्जी फसल है।

चाहे आप नौसिखिए किसान हों या अनुभवी माली जो व्यावसायिक खेती में हाथ आजमाना चाहते हैं, तुरई की खेती टिकाऊ कृषि के लिए एक अवसर प्रदान करती है। इस चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका में, हम तुरई की उन्नत खेती के आवश्यक पहलुओं का पता लगाएंगे, जिसमें भूमि का चयन और मिट्टी की तैयारी से लेकर रोपण तकनीक और कीट प्रबंधन तक शामिल है, ताकि आपको तोरई (Ridge Gourd) की फसल में गुणवत्ता युक्त और उत्तम उत्पादन मिल सके।

Table of Contents

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  • तोरई की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Ridge gourd cultivation)
  • तोरई की खेती के लिए भूमि का चयन (Land Selection for Ridge Gourd Cultivation)
  • तोरई की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for Ridge gourd cultivation)
  • तोरई की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Ridge gourd cultivation)
  • तोरई की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing Time for Ridge Gourd Cultivation)
  • तोरई के बीज की मात्रा और बीज उपचार (Tori seed quantity and seed treatment)
  • तोरई की खेती के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for Ridge gourd cultivation)
  • तोरई की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in Ridge gourd crop)
  • तोरई की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in Ridge gourd crop)
  • तोरई की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Ridge gourd cultivation)
  • तोरई की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in Tori crop)
  • तोरई फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Tori crop)
  • तोरई फसल के फलों की तुड़ाई (Picking of Ridge gourd fruits)
  • तोरई की खेती से पैदावार (Yield from Ridge gourd cultivation)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

तोरई की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Ridge gourd cultivation)

तोरई की खेती (Ridge Gourd Cultivation) हर तरह के मौसम में की जाती है। लेकिन तोरई की अच्छी फसल लेने के लिए उष्ण और नम जलवायु सर्वोत्तम मानी जाती है। यह 25 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच गर्म तापमान में अच्छी पनपती है, और आदर्श अंकुरण और वृद्धि तब होती है, जब न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस ​​से नीचे न जाये। वनस्पति विकास, फूल और फल विकास के लिए इसे प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 घंटे पूर्ण सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।

तोरई की खेती के लिए भूमि का चयन (Land Selection for Ridge Gourd Cultivation)

तोरई की खेती सभी प्रकार की मृदाओं में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन जीवांश युक्त हल्की दोमट और उचित जल निकास वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। नदियों के किनारे वाली मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है। जिस मिट्टी में तोरई (Ridge Gourd) की खेती की जा रही हो उस मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 हो तो बेहतर होता है। इस मिट्टी में तोरई की अच्छी उपज मिल जाती है।

तोरई की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for Ridge gourd cultivation)

यह फसल अधिक निराई वाली फसल है। इसलिए इसके खेत में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। जुताई करने के बाद खेत में 2 या 3 बार कल्टीवेटर चलायें। जब खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाये तो ही तोरई की खेती करें। साथ ही अच्छी उपज हेतु तोरई (Ridge Gourd) की फसल के लिए सामान्य: भूमि में 15-25 टन गोबर की खाद सड़ी हुई प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

तोरई की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Ridge gourd cultivation)

तोरई (Ridge Gourd) की पंजाब सदाबहार, पूसा नसदार, एमए – 11, कोयम्बटूर 1, कोयम्बटूर 2, पीकेएम – 1, पूसा चिकनी, आर – 164, कल्याणपुर चिकनी, राजेन्द्र नेनुआ – 1, राजेन्द्र आशीष, सीएचआरजी – 1, पीआरजी – 1, पूसा स्नेहा, स्वर्ण मंजरी, सरपूतिया आदि किस्में भारत में उगाई जाती हैं।

तोरई की खेती के लिए बुवाई का समय (Sowing Time for Ridge Gourd Cultivation)

गर्मी के मौसम की तोरई (Ridge Gourd) फसल लेने के लिए इसकी बुवाई जनवरी से मार्च के महीने में करनी चाहिए। जबकि वर्षा कालीन फसलों के लिए जून से जुलाई का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। भुरभुरी मिट्टी बीज के अंकुरण के लिए बेहतर है। इसलिए खेत तैयार करते समय जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं।

तोरई के बीज की मात्रा और बीज उपचार (Tori seed quantity and seed treatment)

तोरई के 3 से 5 किग्रा बीज की मात्रा एक हेक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त है। तोरई के बीज को खेत में बोने से पहले गौमूत्र से उपचारित करना चाहिए। साथ ही बीज का शोधन इसलिए आवश्यक है, क्योकि तोरई (Ridge Gourd) फसल को फफूंदी रोग अत्याधिक नुकसान पहुंचाते है। बीज को बुवाई से पहले थीरम या बाविस्टीन की 3 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करना अच्छा रहता है।

तोरई की खेती के लिए बुवाई की विधि (Sowing method for Ridge gourd cultivation)

तोरई (Ridge Gourd) के पौधे को कतारों में लगाना चाहिए। तोरई के एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 1.0 से 1.20 मीटर तक होनी चाहिए। तोरई की एक जगह पर दो बीज बोयें। इसके बीजों को अधिक गहराई में नहीं बोना चाहिए। यदि इसके बीजों को अधिक गहराई में बोया गया तो इसके अंकुरण में कमी आ सकती है। बीज की गहराई 3 से 4 सेंटीमीटर रखें।

तोरई की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in Ridge gourd crop)

तोरई (Ridge Gourd) की अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी करते समय सड़ी कम्पोस्ट या गोबर की खाद 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आखरी जुताई के समय मिटटी में मिला देनी चाहिए। इसके आलावा 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से तत्व के रूप में देते है, और आख़िरी जुताई करते समय आधी नाइट्रोजन की मात्रा, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा को खेत में मिला देना चाहिए है।

तोरई की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in Ridge gourd crop)

तोरई (Ridge Gourd) की सिंचाई मौसम पर आधारित होती है। यदि तोरई को गर्मी में उगाया गया है, तो इसकी सिंचाई 6 से 7 दिन के अंतर पर करें। इसके अलावा वर्षा ऋतु की फसलों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। इसकी सिंचाई वर्षा पर ही निर्भर होती है।

तोरई की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Ridge gourd cultivation)

खरतपवार की रोकथाम करने के लिए तोरई (Ridge Gourd) के खेत में उगे हुए छोटे-छोटे खरपतवार को जड़ समेत उखाड़कर निकाल देना चाहिए। इसके लिए केवल 2 से 3 बार हल्की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। यदि खेत में खरपतवार अधिक उगता है, तो बुवाई से पहले खेत में बासालीन 48 ईसी 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में मिला देना चाहिए, जिससे खरपतवार पर शुरु के 35 से 40 दिन तक नियंत्रण रहेगा।

तोरई की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in Tori crop)

तोरई (Ridge Gourd) की फसल में लगने वाले किट लालड़ी, फल की मक्खी, सफ़ेद ग्रब आदि है, कीटों के नियंत्रण के लिए कार्बोसल्फान 25 ईसी 1.5 लीटर 900 से 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करते रहना चाहिए।

तोरई फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in Tori crop)

तोरई (Ridge Gourd) की फसल में बरसात में फफूंदी रोग अधिक लगता है। इसके नियंत्रण के लिए मेन्कोजेब अथवा बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर हर 15 से 20 दिन के अंतराल पर छिडकाव करते रहना चाहिए। बरसात में छिडकाव करते समय यह ध्यान रखे, की जिस दिन पानी न बरस रहा हो और सुबह के समय इसका छिडकाव करना चाहिए।

तोरई फसल के फलों की तुड़ाई (Picking of Ridge gourd fruits)

तोरई (Ridge Gourd) की फसल के फलों की तुड़ाई आकार को देखकर तथा कच्ची अवस्था या अनुभव या बाजार भाव के आधार पर की जाती है। फल तोड़ते समय ध्यान रहे कि चाकू आदि से काटने पर अन्य फल या शाखा न कटें। फलों को देर से तोड़ने पर उसमें रेशे बन जाते है, जिससे बाजार भाव अच्छा नही मिल पता है।

तोरई की खेती से पैदावार (Yield from Ridge gourd cultivation)

तोरई (Ridge Gourd) की उपज किस्म के चयन और खेती की तकनीक पर निर्भर करती है। यदि उपरोक्त उन्नत विधि और उन्नत किस्म के साथ खेती की जाये तो प्रति हेक्टेयर 150 से 250 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

तोरई की खेती कैसे की जाती है?

तुरई (Ridge Gourd) को कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन यह रेतीली दोमट मिट्टी को पसंद करती है जिसमें कार्बनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में होते हैं। मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। तुरई के बीज सीधे जमीन या नर्सरी में बोए जा सकते हैं। अगर सीधे जमीन में बोना है, तो बीज को 1.5-2 इंच गहराई पर और 1-2 फीट की दूरी पर बोएं।

तोरई के लिए कैसी जलवायु अच्छी होती है?

तोरई (Ridge Gourd) की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु उपयुक्त होती है, साथ ही इसकी खेती के लिए 25 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित माना जाता है।

तोरई के लिए कैसी भूमि अच्छी होती है?

तोरई (Ridge Gourd) की खेती के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थो से युक्त व अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मृदा की आवश्यकता होती है। साथ ही मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7. 5 के बीच होना चाहिए।

तोरई की बुवाई कब की जाती है?

वर्ष में दो बार तोरई (Ridge Gourd) के बीजों को बोया जाता है। बिजाई के लिए उपयुक्त समय मध्यम फरवरी से मार्च का महीना है और दूसरी बार बिजाई के लिए मध्य मई से जुलाई का समय उपयुक्त है।

तोरई के बीज कैसे बोए जाते हैं?

तोरई से तोरी उगाने के लिए, तोरई (Ridge Gourd) के बीजों को सीधे उस जगह पर लगाएं जहां पौधे उगने हैं। टीले बनाने के बाद, प्रत्येक में दो या तीन बीज बोएं और जब वे अंकुरित हो जाएं तो सबसे मजबूत अंकुर चुनें। अगर जगह की अनुमति हो तो आप प्रति टीले दो पौधे उगा सकते हैं।

तोरई का बीज कितने दिन में अंकुरित होता है?

तोरई (Ridge Gourd) के बीज बुवाई के 6-8 दिनों के भीतर बीज अंकुरित हो जाएंगे और छोटे और छोटे अंकुर दिखाई देंगे।

तोरई को तैयार होने में कितना समय लगता है?

तोरई (Ridge Gourd) रोपण से कटाई तक का समय 60 से 75 दिन का होता है। धारीदार तुरई आपके स्वाद और सौंदर्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा करती है। आप इन्हें नरम होने पर खा सकते हैं या पकने के बाद लूफ़ा के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

तोरई फसल की सिंचाई कब करें?

तोरई (Ridge Gourd) फसल की सिंचाई आवश्यकतानुसार की जाती है। यदि इसके बीजों की रोपाई जुलाई के महीने में की गई है, तो इसमें पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए और अगली सिंचाई तीन से चार दिन के अंतराल में हल्की-हल्की करें, जिससे की खेत में नमी बनी रहे और बीजो का अंकुरण ठीक से हो सके।

तोरई की पैदावार कितनी होती है?

तोरई (Ridge Gourd) की खेती में फसल की सही देखभाल करने पर एक हैक्टेयर खेत से 100-250 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं।

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