
Para Grass Farming in Hindi: पैरा ग्रास, जिसे वैज्ञानिक रूप से यूरोक्लोआ म्यूटिका के नाम से जाना जाता है, एक मजबूत और बहुमुखी घास की प्रजाति है, जिसकी खेती आमतौर पर चारा और चारे के उद्देश्यों के लिए की जाती है। इसकी उच्च उत्पादकता और पोषण मूल्य इसे किसानों और पशुधन मालिकों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाते हैं। चारे के अलावा, यह मृदा संरक्षण के लिए भी एक उपयुक्त घास है।
पानी की अधिकता के कारण बेकार पड़ी तथा ऊसर भूमि से भी अच्छी उपज लेने के लिए पैरा घास (Para Grass) एक उपयुक्त चारा फसल है। यह नमी वाले स्थानों, दलदली मृदा, नालों एवं जलाशयों के किनारे की नम मृदा तथा अन्य पानी लगने वाले स्थान पर अच्छी तरह उगती है।
विभिन्न जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी के प्रकारों में पनपने की अपनी क्षमता के साथ, पैरा ग्रास पशुधन के लिए टिकाऊ चारा विकल्प की तलाश करने वाले किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गया है। यह लेख भारत में पैरा ग्रास की खेती का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करता है, जिसमें जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं, प्रसार तकनीकों, प्रबंधन पद्धतियों और कटाई के तरीकों, जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
पैरा घास के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Para grass)
पैरा घास गर्म और नम वातावरण में उगाई जाती है। अधिक उत्पादन लेने के लिए 1200 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में यह सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। औसत तापमान 32 डिग्री सेल्सियस होने पर वृद्धि अच्छी होती है। तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर वृद्धि रुक जाती है। पाले से पैरा घास (Para Grass) को नुकसान पहुंचता है। उत्तर भारत में जाड़े के दिनों में तापमान कम होने पर वृद्धि नहीं होती, परंतु मार्च अप्रैल में तापमान बढ़ने पर वृद्धि होने लगती है।
पैरा घास के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Para grass)
पैरा घास को सभी प्रकार की मृदाओं में विभिन्न जलमग्न क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। इसके लिए अधिक जल धारण क्षमता वाले दोमट एवं मटियार दोमट मृदा सबसे अच्छी होती है। इसके लिए आप नदी, नाले, तालाब या गड्ढों के किनारे की नम जमीन या निचली जमीन का चयन कर सकते हैं, अर्थात जल भराव, दलदली और अधिक नमी वाली जमीनों का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि पैरा घास (Para Grass) इन जगहों पर अच्छी तरह से विकसित होती है।
पैरा घास के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Para grass)
अधिक उपज के लिए खेत की तैयारी अच्छी तरह से करनी चाहिए। खेत की दो-तीन बार हल से जुताई करनी चाहिए। खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए। नदी नालों तथा तालाबों के किनारे की नम मृदा या अन्य निचली तथा दलदली भूमि में जहां गुड़ाई करना संभव न हो, वहां पर खरपतवारों एवं झाड़ियों को जड़ सहित निकालकर पैरा घास (Para Grass) को लगाना चाहिए।
पैरा घास की उन्नत किस्में (Improved varieties of Urochloa mutica)
पैरा घास (पैरानाग्रास, ब्राचियारिया म्यूटिका) एक बारहमासी घास है जो नमी वाले इलाकों में अच्छी तरह से उगती है और पशुओं के लिए एक अच्छा चारा है। इसकी कुछ उन्नत किस्में हैं जो तेजी से बढ़ती हैं और अधिक चारा पैदा करती हैं। पैरा घास की उन्नत किस्मों में एनबी- 21, आईजीएफआरआई- 3, आईजीएफआरआई- 6, आईजीएफआरआई- 7, आईजीएफआरआई- 10, यश्वन्त, सवाति, गजराज आदि शामिल है। ये उच्च गुणवत्ता वाली पैरा घास (Para Grass) किस्में है, जो अधिक प्रोटीन और पोषक तत्व प्रदान करती है, जो पशुओं के लिए एक अच्छा आहार है।
पैरा घास की रोपाई का समय और विधि (Time and method of planting Para grass)
रोपाई का समय: सिंचित क्षेत्र में भारत के दक्षिणी पूर्वी एवं दक्षिणी पश्चिमी प्रदेशों में दिसंबर जनवरी को छोड़कर पूरे वर्ष पैरा घास (Para Grass) की रोपाई की जा सकती है। उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्र में रोपाई का उपयुक्त समय मार्च से लेकर अगस्त और असिंचित क्षेत्रों में वर्षा ऋतु है।
रोपाई का तरीका: रोपाई के लिए तनों के टुकड़ों में दो या तीन गांठें होनी चाहिए। इन टुकड़ों की एक या दो गांठें मृदा के अंदर दवा देनी चाहिए तथा एक गांठ मृदा के ऊपर होनी चाहिए। पैरा घास (Para Grass) की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
फसल की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1 से 2 मीटर रखी जाती है। इस घास को कम दूरी पर उगाने से चारे की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 50 से 150 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करने के लिए 40,000 टुकड़ों की आवश्यकता होती है। इन टुकड़ों का वजन लगभग 12 से 15 क्विंटल होता है।
पैरा घास के लिए सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management for Para Grass)
पैरा घास की रोपाई के तुरंत बाद दो-तीन हल्की सिंचाईयां 5-6 दिनों के अंतराल पर करनें की आवश्यकता होती है। इसके बाद की सिंचाईयां भूमि की संरचना, तापमान और नमी के आवश्यकता अनुसार करनें चाहिए। गर्मियों में 10 से 12 तथा सर्दियों में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करने से उपज अच्छी मिलती है। पैरा घास (Para Grass) अधिकतर प्राय जलमग्न जल भराव वाले क्षेत्र में उगाई जाती है।
पैरा घास में खाद एवं उर्वरक (Manure and fertilizer in Para grass)
पैरा घास (Para Grass) अधिक उपज देने वाली बहुवर्षीय घास है। जिससे कई कटाइयां प्राप्त होती हैं। अत: इसकी अच्छी उपज के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। विशेषकर नाइट्रोजन उर्वरकों के प्रयोग से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। पत्तियों के आकार एवं संख्या में वृद्धि होने से चारे की पौष्टिकता एवं उपज में वृद्धि होती है।
बुवाई से पूर्व तथा प्रतिवर्ष वर्षा होने पर 5-10 टन गोबर अथवा कंपोस्ट की खाद 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से फास्फोरस एवं पोटाश देना चाहिए। इसके अलावा अच्छी पुन: वृद्धि, मुलायम एवं पौष्टिक चारे के लिए कटाई के तुरंत बाद 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए।
पैरा घास में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Urochloa mutica)
पौष्टिक एवं अधिकतम चारा प्राप्त करने के लिए खेत को हमेशा खरपतवार रहित रखना चाहिए। पैर घास (Para Grass) लगाने के लगभग दो माह तक पंक्तियों के बीच निराई गुड़ाई करके खरपतवारों को नियंत्रण में रखना चाहिए। दूसरे वर्ष से प्रत्येक वर्ष के बाद घास की पंक्तियों के बीच खेत की गुड़ाई कर देनी चाहिए।
पैरा घास की कटाई और उपज (Harvesting and yield of Para grass)
फसक की कटाई: पैरा घास (Para Grass) की पहली कटाई बुआई के लगभग 70 से 75 दिनों बाद करनी चाहिए। इसके बाद बरसात के मौसम में 30 से 35 दिनों और गर्मियों में 40 से 45 दिनों के अंतराल पर कटाई करनी चाहिए। इसकी ऊंचाई 60 से 75 सेंटीमीटर होने पर कटाई कर लेनी चाहिए।
कटाई में देरी होने पर इसके चारे की पौष्टिकता में कमी आ जाती है। कटाइयों की संख्या भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होती है। ठंडे क्षेत्रों में इसकी वृद्धि दिसंबर जनवरी में रुक जाती है, इस प्रकार उत्तर भारत में इसकी 5 से 6 कटाइयां और दक्षिण भारत में 8 से 9 कटाइयां ली जा सकती हैं।
फसल से उपज: पैरा घास (Para Grass) से उत्तर भारत में लगभग 600 से 800 क्विंटल और दक्षिण भारत में 1000 से 1200 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
पैरा घास (Para Grass) की खेती के लिए, आपको सबसे पहले अच्छी तरह से खेत की तैयारी करनी चाहिए, फिर कल्लों या तने के टुकड़ों से रोपाई करनी चाहिए। यह फसल नमी और जलभराव वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से उगती है, इसलिए इसे ऐसे क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। कल्ले या तने के टुकड़ों की खेत में उचित दूरी पर रोपाई करें।
पैरा घास (Para Grass) की बुवाई वानस्पतिक फैलाव (कायिक जनन) द्वारा की जाती है। 3-4 गांठों के साथ 25-30 सेंटीमीटर लंबी पौधे की गांठ काट कर हाथ से लगाई जाती है। रोपाई के लिए तनों के टुकड़ों में 2 या 3 गांठें होनी चाहिए।
पैरा घास (Para Grass) की बुवाई का सबसे अच्छा समय उत्तर भारत में मई से अगस्त और दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी भारत में दिसंबर और जनवरी को छोड़कर पूरे साल है। यह घास कम समय में ज्यादा उपज देती है और इसमें बीज नहीं होते, इसलिए इसे कल्लों या तने के टुकड़ों से लगाया जाता है।
सबसे अच्छी पैरा घास (Para Grass), जिसे अंगोला घास के नाम से भी जाना जाता है। एक प्रकार की बहुवर्षीय घास है, जो पशुओं के लिए एक अच्छा चारा है। यह घास नमी वाली जगहों पर अच्छी तरह उगती है, खासकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में इसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि अंगोला घास, ब्राकिएरिया म्यूटिका आदि।
पैरा घास (Para Grass) की कुछ अच्छी किस्मों में एनबी 21, आईजीएफआरआई 3, आईजीएफआरआई 6 और 7, आईजीएफआरआई- 10, यश्वन्त, स्वाती, गजराज आदि शामिल है।
पैरा घास (Para Grass) को तैयार होने में, पहली कटाई के लिए, लगभग 70-75 दिन लगते हैं। इसके बाद, बरसात के मौसम में 30-35 दिनों और गर्मी में 40-45 दिनों के अंतराल पर कटाई की जा सकती है।
पैरा घास (Para Grass) फसल एक बार लगाने के बाद लगभग 4-5 साल तक हरा चारा देती है। यह एक बहुवर्षीय चारा है, जिसका मतलब है कि एक बार लगाने के बाद यह कई वर्षों तक जीवित रहता है।
पैरा घास (Para Grass) की रोपाई के तुरंत बाद दो-तीन हल्की सिंचाईयां 5-6 दिनों के अंतराल पर करनें की आवश्यकता होती है। इसके बाद की सिंचाईयां भूमि की संरचना, तापमान और नमी के आवश्यकता अनुसार करनें चाहिए।
पैरा घास (Para Grass) में अच्छी पैदावार के लिए, आप गोबर की खाद, यूरिया, एस एस पी (सिंगल सुपर फास्फेट) और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। पहले साल में, 8 किलो गोबर की खाद, 50 ग्राम यूरिया और 50 ग्राम एस एस पी प्रति पौधे में डालें। दूसरे और तीसरे साल में, 10 किलो गोबर की खाद, 80 ग्राम यूरिया और 150 ग्राम एस एस पी प्रति पौधे में डालें।
हरे चारे के लिए पैरा घास (Para Grass) की कटाई वर्षा ऋतु में 30-35 दिनों और गर्मी में 40-45 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए। बुवाई के 60-70 दिन बाद पहली कटाई करनी चाहिए। पैरा घास 20 सेंटीमीटर से नीचे नहीं काटना चाहिए, वरना इसके कल्ले भी कट जाते हैं और दोबारा हरा चारा नहीं मिल पाता है।
पैरा घास (Para Grass) से एक हेक्टेयर में 30 से 40 टन तक हरा चारा प्राप्त हो सकता है। यह एक बारहमासी घास है, जो 5 मीटर तक बढ़ सकती है और उच्च प्रोटीन सामग्री के साथ मीठी होती है। यह फसल सूखा, दलदली और बाढ़ वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से बढ़ती है
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