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Home » Blog » Okra Cultivation in Hindi: जाने भिंडी की खेती कैसे करें

Okra Cultivation in Hindi: जाने भिंडी की खेती कैसे करें

July 7, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Okra Cultivation in Hindi: जाने भिंडी की खेती कैसे करें

Ladyfinger Farming: भिंडी भारत की एक बेहद लोकप्रिय सब्जी है। सब्जियो मैं भिण्डी (Okra) को एक मुख्य स्थान दिया गया है। दुनिया के कई हिस्सों में इसे लेडी फिंगर, गम्बो, बेंडेकाई, सारू- पत्रिका और भिंडी आदि के रुप में जाना जाता है। भारत में भिंडी मुख्य रुप से गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक में व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है।

हमारे देश में सब्जी उत्पादन का व्यवसाय निम्न श्रेणी का माना जाता है। अब धीरे-धीरे सरकार तथा निजी क्षेत्र सब्जी बीज उत्पादन पर ध्यान दे रहे हैं, ताकि किसानों को उन्नत प्रजातियों का पर्याप्त बीज समय पर मिल सके। भारत में उत्पादकता कम होने का मुख्य कारण यह है कि किसानों को उन्नत बीज समय पर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। पिछले अनेक वर्षों में सब्जियों की उन्नत प्रजातियों और बीज उत्पादन तकनीकियों का विकास हुआ है तथा उनके बीज उत्पादन के लिए उपयुक्त क्षेत्र भी पहचाने गए हैं।

अधिक उत्पादन तथा मौसम की भिंडी की उपज प्राप्त करने के लिए संकर भिंडी की किस्मों का विकास कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया हैं। ये किस्में यलो वेन मोजकै वाइरस रोग से लड़ने की क्षमता रखती हैं। इसलिए यदि कृषक बंधु भिंडी की खेती (Okra Cultivation) वैज्ञानिक विधि से करें तो अधिकतम और उच्च गुणवत्ता का उत्पादन कर सकते हैं।

Table of Contents

Toggle
  • भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for okra cultivation)
  • भिंडी की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Okra cultivation)
  • भिंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Okra cultivation)
  • भिंडी की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Okra cultivation)
  • भिंडी बुवाई का समय और बीज दर (Time of sowing of Okra and seed rate)
  • भिंडी का बीज उपचार और बुवाई (Seed treatment and sowing of Okra)
  • भिंडी की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in Okra crop)
  • भिंडी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Okra Crop)
  • भिंडी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in ladyfinger crop)
  • भिंडी की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in ladyfinger crop)
  • भिंडी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in ladyfinger crop)
  • भिंडी फसल के फलों की तुड़ाई और उपज (Harvesting and yield of Okra crop fruits)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

भिंडी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for okra cultivation)

लम्बे समय तक गर्म मौसम भिण्डी के लिए उपयुक्त रहता है। भिण्डी की खेती (Okra Cultivation) मुख्यतया ग्रीष्म तथा वर्षा ऋतु में की जाती है। बेहतर अंकुरण के लिए तापमान 29 डिग्री सेन्टीग्रेड से अधिक होना चाहिए। यदि दिन का तापमान 42 डिग्री सेन्टीग्रेड से अधिक हो जाता है, तो फूल झडकर गिरने लगते है। अधिक शीत इसके लिए हानिकारक है। अच्छी वृद्धि के लिए 24-27 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है। 20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर अंकुरण में समस्या रहती है या अंकुरण नहीं होता है।

भिंडी की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Okra cultivation)

वैसे तो भिण्डी की खेती (Okra Cultivation) सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, परन्तु अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु कार्बनिक खाद युक्त दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6 से 6.8 उपयुक्त रहता है। भिंडी पूरी धूप वाले क्षेत्र में लगाने पर सबसे अच्छी होती है।

भिंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Okra cultivation)

खेत की एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा तीन-चार बार हैरो या देसी हल से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। बुआई के समय खेत में उपयुक्त नमी होनी अति आवश्यक है। यदि भूमि में नमी की कमी हो तो खेत की तैयारी से पूर्व एक सिंचाई अवश्य कर लेनी चाहिए। वर्षा ऋतु में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।

भूमि उपचार: भिंडी (Okra) के लिए खेत की तैयारी के समय अन्तिम जुताई के साथ कटुआ कीट के नियंत्रण के लिए भूमि में दानेदार फ्यूराडॉन 25 किग्रा अथवा थिमेट (10 जी) 10-15 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से मिला लेनी चाहिए।

भिंडी की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Okra cultivation)

पीत शिरा मोजेक विषाणु रोधी किस्में: वर्षा उपहार (लेम सलेक्शन X परभिनी क्रान्ति), अर्का अनामिका, हिसार उन्नत (सलेक्शन – 2 X परमिनी क्रान्ति), बीआरओ – 6 और अर्का अभय आदि मुख्य है।

मध्यम पीत शिरा मोजेक विषाणु रोधी किस्में: परभिनी क्रान्ति, पूसा सावनी, पूसा मखमली, पंजाब पद्मिनी, पंजाब – 7, आदि मुख्य है।

भिंडी बुवाई का समय और बीज दर (Time of sowing of Okra and seed rate)

बुवाई का समय: ग्रीष्मकालीन भिंडी (Okra) की बुवाई फरवरी-मार्च में तथा वर्षाकालीन भिंडी की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। यदि भिंडी की फसल लगातार लेनी है, तो तीन सप्ताह के अंतराल पर फरवरी से जुलाई के मध्य अलग-अलग खेतों में भिंडी की बुवाई की जा सकती है।

बीज दर: जायद के मौसम में अंकुरण कम होने के कारण अधिक बीज की आवश्यकता होती है। अतः एक हैक्टर के लिए 18-20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।

भिंडी का बीज उपचार और बुवाई (Seed treatment and sowing of Okra)

बीज उपचार: बुआई से पहले बीज को 24 घंटे पानी मे भिगो लें। तत्पश्चात बीजों को निकालकर कपड़े की थैली में बांधकर गर्म स्थान में रख दें तथा अंकुरण होने लगे तभी बुआई करें। बीजजनित रोगों की रोकथाम के लिए बुआई से पूर्व थायरम या कैप्टॉन (2 से 3 ग्राम दवा प्रति किग्रा) से बीज को उपचारित कर लेना चाहिए।

बुआई: गर्मी या जायद की भिंडी फसल (Okra Crop) के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंमी और पौधे से पौधे दूरी 15 सेंमी रखनी चाहिए। वर्षा ऋतु की फसल हेतु पंक्ति की दूरी 45-60 सेंमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 30-45 सेंमी रखनी चाहिए।

भिंडी की फसल में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in Okra crop)

खाद और उर्वरक की मात्रा भूमि में उपस्थित पोषक तत्वों पर निर्भर करती है। 15 से 20 टन सड़ी गोबर की खाद प्रति हैक्टर की दर से बुआई के 25 से 30 दिनों पूर्व खेत में मिला लेनी चाहिए। इसके अतिरिक्त 40 किग्रा नाइट्रोजन, 40 किग्रा फॉस्फोरस व 40 किग्रा पोटाश को प्रति हैक्टर की दर से बुआई से पूर्व आखिरी जुताई के समय देना चाहिए।

भिंडी (Okra) की खड़ी फसल में 40 से 60 किग्रा नाइट्रोजन को दो बराबर भागों में बांटकर पहली मात्रा बुआई के 3-4 सप्ताह बाद पहली निराई-गुड़ाई के समय तथा दूसरी मात्रा फसल में फूल बनने की अवस्था मे देना लाभप्रद है।

भिंडी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Okra Crop)

भिंडी (Okra) की सिंचाई मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून मे 4-5 दिन के अन्तर पर करें। बरसात में यदि बराबर वर्षा होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पडती है, अन्यथा नमी के अभाव में पौधे सूखने लगते हैं।

भिंडी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in ladyfinger crop)

भिंडी की फसल (Okra Crop) में 2-3 बार निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकाल देना चाहिए। इससे खरपतवार नियंत्रण के साथ भूमि में वायु संचार भी ठीक रहेगा। रसायनिक नियंत्रण हेतु बेसालीन 2.5 लीटर रसायन को बुआई के 4 दिन पूर्व या लासों 5 लीटर रसायन को बुआई के बाद प्रति हैक्टर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

भिंडी की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in ladyfinger crop)

पीला मोजैक: यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलाया जाता है। इसका प्रकोप होने पर पत्तियों की शिराएं पीली हो जाती हैं। बाद में भिंडी (Okra) फल सहित पूरा पौधा पीला हो जाता है। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए रोगार या मैटासिस्टॉक्स (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव पौधे उगने के बाद से ही 10-12 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए।

चूर्णिल फूंफदी रोग: रोगग्रस्त पौधों पर सफेद पाउडर जैसी हल्की पर्त जमा हो जाती है। पत्तियां पीली पड़ जाती है, तथा धीरे-धीरे गिरने लगती हैं। पौधों पर कैराथेन (0.06 प्रतिशत) का छिड़काव 10-15 दिनों के अंतराल पर दो से तीन बार करना चाहिए।

भिंडी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in ladyfinger crop)

फल छेदक: यह कीट भिंडी (Okra) के बढ़ते हुए फलों में छेद करके हानि पहुंचाता है। इसका लार्वा फलों में छेद करता है। पौधों पर थायोडान (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव 10-12 दिनों के अंतराल पर दो तीन बार करना लाभकारी होता है।

कटुआ कीट: यह कीट पौधे के उगने के समय पौधे को नीचे से काट देता है, जिससे पौधा सूख जाता है। इससे बचाव के लिए दानेदार फ्यूराडॉन 25 किग्रा अथवा थिमेट (10 जी) 10 से 15 किग्रा मात्रा प्रति हैक्टर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

भिंडी फसल के फलों की तुड़ाई और उपज (Harvesting and yield of Okra crop fruits)

फलों की तुड़ाई: इस फसल में तुड़ाई के समय का बहुत महत्व है। फल अधिक समय तक पौधों पर रहने या तुड़ाई में देरी से फलों में रेशे की मात्रा बढ़ जाती है तथा फलों की कोमलता कम हो जाती है। इससे फलों का स्वाद कम हो जाता है। अतः फलों को एक दिन के अंतराल पर तुड़ाई करते रहना चाहिए।

उपज: वैज्ञानिक विधि से भिण्डी की खेती करने (Okra Cultivation) पर 100-130 क्विंटल प्रति हैक्टर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

भिंडी के लिए कौन सी जलवायु सबसे अच्छी है?

भिंडी (Okra) के लिये दीर्घ अवधि का गर्म और नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। बीज उगने के लिये 27-30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डिग्री सेंटीग्रेट से कम पर बीज अंकुरित नहीं होते। यह फसल ग्रीष्म तथा खरीफ, दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है।

भिंडी की खेती के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी होती है?

भिंडी की खेती (Okra Cultivation) गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में की जाती है, इसलिये जल निकासी वाली दोमट मिट्टी का चयन करें। सबसे पहले खेत में गहरी जुताई का काम कर लें। दो-तीन जुताई के बाद मिट्टी को पाटा लगाकर समतल कर लें। इसके बाद खेत में गोबर की कंपोस्ट खाद डालकर मिट्टी को पोषण प्रदान करें।

भिंडी के लिए कौन सा महीना सबसे अच्छा है?

अच्छी पैदावार के लिए, भिंडी को वसंत ऋतु में पाले का खतरा टल जाने के दो-तीन सप्ताह बाद रोपें, जो इस क्षेत्र के लिए अप्रैल के अंत या मई के आसपास होता है। अच्छी पतझड़ की भिंडी फसल (Okra Crop) के लिए, पहली पतझड़ की ठंढ से कम से कम तीन महीने पहले (अगस्त के पहले भाग के आसपास) रोपें, जो 31 अक्टूबर की शुरुआत में हो सकता है।

भिंडी में यूरिया कब डालना चाहिए?

भिंडी की फसल (Okra Crop) के लिए नत्रजन की आधी मात्रा स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के पूर्व भूमि में देना चाहिए। नत्रजन की शेष मात्रा को दो भागों में 30-40 दिनों के अंतराल पर देना चाहिए।

भिंडी की बुवाई कैसे करें?

भिंडी के बीज सीधे मिट्टी में बोए जाते हैं। फसल की पंक्तिबद्ध बुवाई की जाती है। वसंत या गर्मी की फसल के लिए बीजों को कम दूरी (45 सेमी × 30 सेमी) पर बोया जाता है और बरसात के मौसम की भिंडी फसल (Okra Crop) के लिए अधिक दूरी (60 सेमी × 45 सेमी) पर। आमतौर पर अच्छे अंकुरण के लिए बुवाई से पहले रात भर पानी में बीज भिगोए जाते हैं।

एक एकड़ में कितनी भिंडी पैदा हो सकती है?

एक एकड़ में भिंडी का 4 किलो बीज पर्याप्त होता है। जो किसान 5 किलो बीज प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करते हैं वह अधिक लाभप्रद रहता है। अगर किसान भाई एक एकड़ जमीन पर भिंडी की खेती (Okra) करते हैं, तो एक सीजन में 50 से 60 क्विंटल भिंडी का उत्पादन होगा।

भिंडी की उपज कैसे बढ़ाएं?

भिंडी की फसल (Okra) में अच्छा उत्पादन लेने के लिए प्रति हेक्टेर क्षेत्र में लगभग 15 से 20 टन गोबर की खाद और नत्रजन, स्फुर तथा पोटाश की क्रमश: 80 किग्रा, 60 किग्रा व 60 किग्रा प्रति हेक्टर की दर से बुवाई से पहले मिट्टी में देना चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के पूर्व भूमि में देना चाहिए। नत्रजन की शेष मात्रा को दो भागों में 30-40 दिनों के अंतराल पर देना चाहिए।

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