
Marigold Gardening in Hindi: गेंदे की खेती लंबे समय से भारतीय कृषि का एक अभिन्न अंग रही है, जो न केवल अपने जीवंत रंगों और सुंदरता के लिए, बल्कि अपने सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। अपनी लचीलापन और अनुकूलनशीलता के लिए जाने जाने वाले गेंदे देश के विभिन्न क्षेत्रों में विविध जलवायु परिस्थितियों में पनपते हैं।
इन फूलों का व्यापक रूप से धार्मिक समारोहों, त्योहारों और पारंपरिक सजावट में उपयोग किया जाता है, जिससे ये भारतीय घरों का एक अभिन्न अंग बन गए हैं। जैसे-जैसे घरेलू उपयोग और निर्यात दोनों के लिए गेंदे (Marigold) की मांग बढ़ती जा रही है, उनकी खेती की बारीकियों को समझना और भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
यह लेख भारत में गेंदे की खेती के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, उपयुक्त किस्मों, खेती के तरीकों, कीट प्रबंधन रणनीतियों और इस फलते-फूलते क्षेत्र की समग्र आर्थिक क्षमता का पता लगाता है। चाहे आप एक अनुभवी किसान हों या एक नौसिखिया, इस गाइड का उद्देश्य भारत में गेंदे (Marigold) की खेती की दुनिया के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करना है।
गेंदा के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for marigold)
गेंदे की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। यह फसल 18°C से 30°C तापमान में अच्छी तरह से पनपती है, 35°C से ऊपर का तापमान फूलों के आकार और संख्या पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कड़ाके की सर्दी, खासकर पाला, पौधों और फूलों दोनों को नुकसान पहुँचा सकते है।
गेंदे के पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए 6-8 घंटे की धूप की आवश्यकता होती है, इसलिए पर्याप्त धूप वाली जगह महत्वपूर्ण है। गेंदा (Marigold) एक सूखा सहिष्णु पौधा है, लेकिन इसे नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है।
गेंदा के लिए मृदा का चयन (Soil selection for marigold)
गेंदे की खेती के लिए दोमट, मटियार दोमट या बलुआर दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें उचित जल निकास की व्यवस्था हो। 6.0 से 7.5 के बीच पीएच मान वाली मिट्टी गेंदे की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है। मिट्टी में उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव वाली मिट्टी गेंदे (Marigold) की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। अधिक अम्लीय या क्षारीय मिट्टी से बचें, गेंदे अत्यधिक पीएच स्तर को अच्छी तरह सहन नहीं कर पाते हैं।
गेंदा के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for marigold)
गेंदे की खेती के लिए खेत तैयार करने में कई चरण शामिल हैं: गहरी जुताई, हैरो चलाना, जैविक पदार्थ डालना और ऊँची क्यारियाँ या मेड़ और खाइयाँ बनाना। अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ और तटस्थ पीएच वाली दोमट मिट्टी आदर्श होती है। जलभराव को रोकने के लिए उचित जल निकासी अत्यंत आवश्यक है। गेंदा (Marigold) उत्पादन के लिए खेत की तैयारी का अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
मिट्टी की तैयारी:-
प्रारंभिक गहरी जुताई: मोल्डबोर्ड हल से खेत की गहरी (20-25 सेमी) जुताई करें। इससे मिट्टी को ढीला करने और कीटों तथा खरपतवारों को धूप में रखने में मदद मिलती है।
हैरो चलाना: ढेलों को और तोड़ने और खेत को समतल करने के लिए 2-3 बार हैरो चलाएँ।
जैविक पदार्थ मिलाना: अंतिम हैरो चलाते समय, अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) या कम्पोस्ट (20-25 टन प्रति हेक्टेयर) मिलाएँ। इससे मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता और उर्वरता में सुधार होता है।
क्यारी तैयार करना:-
उठी हुई क्यारियाँ: भारी मिट्टी या अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में, जल निकासी में सुधार के लिए ऊँची क्यारियाँ (15-20 सेमी ऊँची और 1-1.2 मीटर चौड़ी) बनाएँ।
मेड़ और नालियाँ: वैकल्पिक रूप से, सिंचाई और जल निकासी को सुगम बनाने के लिए मेड़ और नालियाँ बनाएँ।
गेंदा की उन्नत किस्में (Improved varieties of marigold)
भारत में गेंदे की कई उन्नत किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें अफ्रीकी और फ्रांसीसी दोनों प्रकार की किस्में शामिल हैं, साथ ही कुछ विशिष्ट भारतीय किस्में भी शामिल हैं। कुछ लोकप्रिय किस्मों में पूसा बसंती गैंडा, पूसा नारंगी गैंडा और “इंका” श्रृंखला और “क्लाइमेक्स” श्रृंखला जैसी विभिन्न संकर किस्में शामिल हैं।
ये उन्नत किस्में अधिक उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मनचाही पुष्प विशेषताएँ प्रदान करती हैं। गेंदा (Marigold) की की किस्मों पर अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
अफ्रीकी गेंदा: इनके फूल बड़े और गुच्छेदार होते हैं, जो पीले, सुनहरे, और नारंगी रंग के होते हैं। ये गेंदा (Marigold) की अधिकतर किस्में 90-100 दिनों में फूल देना शुरू कर देती है। पौधे 75-85 सेमी ऊंचे होते हैं, उदाहरण में पूसा नारंगी, पूसा बसंती, अफ्रीकन येलो शामिल है।
फ्रेंच गेंदा: इनके पौधे 1 मीटर तक ऊंचे होते हैं और कई शाखाओं से युक्त होते हैं। फूल गोलाकार और कई पंखुड़ियों वाले होते हैं, जो पीले और नारंगी रंग के होते हैं। फूलों का व्यास 7-8 सेमी होता है। ये गेंदा (Marigold) की किस्में 75-85 दिनों में फूल देना शुरू कर देती है, उदाहरण में रेड ब्रोकेट, कपिड येलो, बोलरो, बटन स्कोच शामिल है।
गेंदा की बुवाई या रोपाई का समय (Time of planting of marigold)
गेंदे की बुवाई या रोपाई का समय मौसम और बाजार की मांग के अनुसार अलग-अलग होता है। वर्षा ऋतु के लिए, जून के अंत से जुलाई की शुरुआत तक बीज बोना चाहिए और अगस्त के दूसरे सप्ताह तक रोपाई करनी चाहिए। सर्दियों के लिए, सितंबर के मध्य तक बीज बोना चाहिए और अक्टूबर के मध्य तक रोपाई करनी चाहिए।
गर्मियों के लिए, जनवरी के पहले सप्ताह में बीज बोना चाहिए और फरवरी के पहले सप्ताह में रोपाई करनी चाहिए। हालाँकि गेंदे (Marigold) की खेती पूरे वर्ष की जा सकती है, लेकिन अलग-अलग मौसमों में बुवाई का समय थोड़ा अलग होता है, जैसे-
वर्षा ऋतु: बीज बोने का समय जून के अंत से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक और पौधे लगाने का समय अगस्त के दूसरे सप्ताह तक उचित होता है।
सर्दी ऋतू: बीज बोने का समय मध्य सितंबर तक और पौधे लगाने का समय मध्य अक्टूबर तक उचित होता है।
गर्मी ऋतू: बीज बोने का समय जनवरी के प्रथम सप्ताह में और पौधे लगाने का समय फरवरी के प्रथम सप्ताह उचित होता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बाजार में गेंदा (Marigold) के फूलों की मांग और जरूरत के अनुसार बुवाई का समय समायोजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप दिवाली के आसपास फूल बेचना चाहते हैं, तो आपको सितंबर-अक्टूबर में बुवाई करनी चाहिए।
गेंदा के पौधे तैयार करना (Preparation of marigold plants)
गेंदा का प्रवर्धन बीज तथा वानस्पतिक भाग शाखा से कलम विधि द्वारा किया जाता है। वानस्पतिक विधि द्वारा प्रवर्धन करने से पौधे पैतृक जैसे ही उत्पादित होते हैं। व्यवसायिक स्तर पर गेंदा का प्रवर्धन बीज द्वारा किया जाता है। इसका 800 ग्राम से 1 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की दर से लगता है। गेंदा (Marigold) उत्पादन के लिए पौधे तैयार करने की विधियों का अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
कलम विधि: गेंदा (Marigold) का प्रवर्धन कलम विधि द्वारा करने के लिए 6-8 सेंमी लम्बी कलम पौधे के उपरी भाग से लेते हैं। पौधे कलम को अलग करने के उपरान्त कलम के निचले हिस्से से 3-4 सेंमी तक की सभी पत्तियों को ब्लेड से काट देते हैं तथा कलम के निचले भाग को तिरछा काटते हैं।
इसके बाद कलम को बालू में 2-3 सेंमी गहराई पर लगा देते हैं। कलम को बालू में लगा देने के 20-25 दिन बाद कलम में जड़ें बन जाती हैं। इस प्रकार वानस्पतिक प्रवर्धन विधि से पौधा बन कर रोपण हेतु तैयार हो जाता है।
नर्सरी की क्यारी की तैयारी एवं बीज की बुवाई: गेंदा (Marigold) की पौध तैयार करने के लिए सामान्य तौर पर 1 मीटर चौड़ा तथा 15-20 सेंमी जमीन की सतह से ऊंची क्यारी बनाते हैं। दो क्यारियों के बीच में 30-40 सेंमी का फासला छोड़ देते हैं, जिससे सुगमतापूर्वक नर्सरी में खरपतवार निकाई तथा क्यारी से पौधों को रोपण हेतु निकाला जा सके।
नर्सरी की क्यारी की मिट्टी अच्छी तरह भुरभुरी करके मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद 10-12 किलोग्राम प्रति वर्गमीटर के दर से मिला देते हैं। क्यारी में गेंदा (Marigold) बीज की बुवाई से पहले 2 ग्राम कैप्टान प्रति लीटर पानी में घोल कर सभी क्यारियों में ट्रेंच कर देना चाहिए, इससे नर्सरी में कवक का प्रकोप कम हो जाता है, जिसके कारण बीज के अंकुरण के बाद पौधों की मृत्यु दर कम हो जाती है।
क्यारी में बीज की बुवाई दो पंक्तियों के बीच में 6-8 सेंमी का फासला रखते हुए 1.5-2 सेंमी की गहराई पर करनी चाहिए। बीज की बुवाई के बाद सड़ी पत्ती की खाद या बालू की पतली परत क्यारी के उपर बिछा देना चाहिए। ऐसा करने से क्यारी में नमी बनी रहती है और बीज का अंकुरण भी अधिक होता है। क्यारियों में गर्मी के मौसम में सुबह-शाम तथा जाड़ा एवं बरसात के मौसम में सुबह पानी प्रतिदिन फुहारा से देना चाहिए।
गेंदा के पौधे रोपने की विधि (Method of planting marigold plants)
नर्सरी में बीज की बुवाई के एक माह बाद पौध रोपण के लिए तैयार हो जाते है। अफ्रीकन गेंदा 40×40 सेंमी तथा फ्रेंच 30×30 सेंमी पौध से पौध एवं पंक्ति से पंक्ति के फांसले पर 4-5 सेंमी गहराई पर लगाना चाहिए। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप अफ्रीकी गेंदा या फ्रेंच गेंदा (Marigold) लगा रहे हैं।
पौध रोपण गर्मी के मौसम में सांयकाल तथा सर्दी और बरसात में पूरे दिन किया जा सकता है। पौध रोपण के समय यदि पौध लम्बा हो गया तो लगाने से पहले उसका शीर्षनोचन कर देना चाहिए। रोपाई के बाद पौधों को पर्याप्त पानी दें, लेकिन ध्यान रखें कि मिट्टी ज्यादा गीली न हो।
गेंदा के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for marigold)
गोबर की सड़ी खाद 200-250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों द्वारा 200 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नत्रजन और 80 किलोग्राम फास्फोरस एवं पोटाश देने से पुष्पोत्पादन बढ़ जाता है। फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा हेतु सिंगल सुपरफास्फेट तथा म्यूरेट आफ पोटाश को क्यारी की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए।
नत्रजन की मात्रा को तीन बराबर भाग में बांट कर एक भाग क्यारी की तैयारी के समय और दो भाग गेंदा (Marigold) पौध रोपण से 30 तथा 60 दिन पर यूरिया या कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक द्वारा देना चाहिए।
गेंदा के लिए सिंचाई प्रबन्धन (Irrigation Management for Marigold)
गेंदा की खेती में पौधों की बढ़वार एवं पुष्पोत्पादन में सिंचाई का विशेष महत्व है। सिंचाई के पानी का पीएच मान 6.5-7.5 तक लाभकारी पाया गया है। पौध रोपण के तुरन्त बाद सिंचाई खुली नाली विधि से की जाती है। मृदा में अच्छी नमी होने से जड़ों की अच्छी वृद्धि और विकास होता है, तथा पौधों को मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्व उचित मात्रा में मिलता रहता है।
शुष्क मौसम में गेंदा (Marigold) की सिंचाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गर्मी में 5-6 दिन तथा सर्दी में 8-10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। क्यारियों में पानी का जमाव नहीं होना चाहिए। बरसात में अत्याधिक पानी की निकासी के लिए जल निकास नाली पहले से तैयार रखनी चाहिए।
गेंदा में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in marigold)
खरपतवार जब छोटा रहे उसी समय खेत से बाहर निकाल देना चाहिए। गेंदा पौधों की छोटी अवस्था में समय पर मिट्टी की गुड़ाई करनी चाहिए। ऐसा करने से मिट्टी भुरभुरी बनी रहती है और जड़ों की अच्छी वृद्धि और विकास होता है। मिट्टी की गुड़ाई बहुत गहरी नहीं करनी चाहिए।
गेंदा (Marigold) के पौधों की पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के 20-25 दिन बाद करनी चाहिए, इसके बाद 45-50 दिन बाद दूसरी निराई करनी चाहिए। इसके अलावा, आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई की जा सकती है।
गेंदा के पौधों का शीर्षनोचन (Weed control in marigolds)
शीर्षनोचन गेंदा के पौधों के फैलाव को बढ़ाने के लिए किया जाता है। शीर्षनोचन दो बार करने से पुष्पोत्पादन बढ़ जाता है। यदि पौध रोपण बिलम्ब से किया गया हो तो केवल प्रथम शीर्षनोचन करना चाहिए। गेंदा (Marigold) के पौधों के शीर्षनोचन पर विस्तृत विवरण इस प्रकार है, जैसे-
प्रथम शीर्षनोचन: पौध रोपण के समय यदि गेंदा (Marigold) के पौधों का शीर्षनोचन न किया गया हो तो पौध लगाने के 12-15 दिन बाद उन प्रत्येक पौधा का शीर्षनोचन हाथ से करना चाहिए, जिनकी लम्बाई जमीन की सतह से 15 सेंमी से अधिक हो गयी हो।
शीर्षनोचन के समय यह ध्यान रखा जाता है कि शीर्षनोचन के उपरान्त पौध पर 4 से 5 पूर्ण विकसित पत्तियाँ बनी रहें। ऐसा करने से एक पौध पर 3 से 5 तक मुख्य शाखाएं आ जाती हैं। शाखाओं की संख्या बढ़ने पर पुष्पोत्पादन बढ़ जाता है।
द्वितीय शीर्षनोचन: प्रथम शीर्षनोचन जैसा ही द्वितीय शीर्षनोचन करते हैं। इसमें मुख्य शाखाएं जब 15-20 सेंमी लम्बी हो जाती हैं, उस समय हर शाखा पर 4-5 पूर्ण विकसित पत्तियाँ छोड़कर शीर्षनोचन कर देते हैं।
गेंदा के बाग में रोग नियंत्रण (Disease control in marigold garden)
गेंदे की बागवानी में कई रोग आते हैं, जिनमें पत्ती धब्बा, झुलसा, चूर्णी फफूंदी और तना सड़न जैसे कवक संक्रमण आम हैं। प्रभावी नियंत्रण में निवारक उपायों और कवकनाशी उपचारों का संयोजन शामिल है। गेंदा (Marigold) के बाग में रोग नियंत्रण के उपाय इस प्रकार है, जैसे-
पत्ती धब्बा और झुलसा: विभिन्न कवकों (जैसे, अल्टरनेरिया, सर्कोस्पोरा, सेप्टोरिया) के कारण होता है, जिसकी विशेषता पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे होते हैं, जो बड़े हो जाते हैं और पत्तियों के झड़ने का कारण बन सकते हैं।
नियंत्रण: डाइथेन एम-45 (0.2%) जैसे कवकनाशी का छिड़काव पखवाड़े के अंतराल पर किया जा सकता है। अन्य प्रभावी कवकनाशियों में हेक्साकोनाजोल + जिनेब और पाइराक्लोस्ट्रोबिन + मेटिराम शामिल हैं।
चूर्णी फफूंदी: गेंदा (Marigold) के पौधे के ऊपरी भागों पर सफेद चूर्णी वृद्धि दिखाई देती है।
नियंत्रण: सल्फेक्स (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव रोग को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
विल्ट और तना सड़न: कवक पौधे के आधार को प्रभावित करता है, जिससे पौधे मुरझा जाते हैं और संभावित रूप से मर जाते हैं। फ्रांसीसी और बौनी किस्में अफ्रीकी किस्मों की तुलना में कम संवेदनशील होती हैं।
नियंत्रण: कैप्टन, मैन्कोजेब, मेटालैक्सिल या फोसेटिल-अल से मृदा उपचार और नियंत्रित सिंचाई से रोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
कॉलर रॉट: गेंदा (Marigold) के तने के आधार पर काले धब्बे, जिससे सड़न और पौधा मर जाता है।
नियंत्रण: रोपण से पहले मृदा बंध्यीकरण और उचित सिंचाई अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गेंदा के बाग में कीट नियंत्रण (Pest control in marigold garden)
गेंदा (Marigold), हालांकि आमतौर पर कीट-प्रतिरोधी होता है, फिर भी विभिन्न कीटों और रोगों से प्रभावित हो सकता है। आम कीटों में एफिड्स, स्पाइडर माइट्स, व्हाइटफ़्लाइज और कटवर्म शामिल हैं। पाउडरी मिल्ड्यू और ग्रे बोट्राइटिस जैसे फफूंद जनित रोग भी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।
इन समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपायों, प्राकृतिक उपचारों और कुछ मामलों में, रासायनिक उपचारों का संयोजन आवश्यक है। गेंदा के बाग में कीट नियंत्रण के उपाय इस प्रकार है, जैसे-
एफिड्स: ये कीट गेंदा (Marigold) के तनों और पत्तियों से रस चूसते हैं। आप इन्हें पानी के तेज स्प्रे, नीम के तेल या कीटनाशक साबुन से हटाकर नियंत्रित कर सकते हैं।
स्पाइडर माइट्स: ये माइट्स पत्तियों पर धब्बे और जाल बनाते हैं। लेडी बीटल (लाभकारी कीट) को छोड़ दें, पानी का छिड़काव करें, या डिश सोप के घोल का उपयोग करें।
व्हाइटफ़्लाइज: ये कीट पीले रंग की ओर आकर्षित होते हैं, इसलिए पीले चिपचिपे जाल प्रभावी होते हैं। नियमित रूप से संक्रमण की जाँच करें और नीम के तेल का उपयोग करने पर विचार करें।
कटवर्म: ये लार्वा पौधों को खाते हैं। पौधों का निरीक्षण करें, कटवर्म हटाएँ और पौधों के चारों ओर टॉयलेट पेपर ट्यूब जैसी भौतिक बाधाएँ लगाएँ।
लीफ माइनर्स और थ्रिप्स: फिप्रोनिल जैसे प्रणालीगत कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है।
रूट-नॉट नेमाटोड: गेंदा, विशेष रूप से फ्रेंच गेंदा (Marigold), मिट्टी में इन नेमाटोडों को कम करने में मदद कर सकता है।
हेलिकोवर्पा: अंडों और लार्वा की निगरानी करें, लार्वा को हाथ से चुनें और टमाटर के साथ अंतर-फसल लगाने पर विचार करें।
गेंदा के फूलों की तुड़ाई करना (plucking marigolds flowers)
गेंदे (Marigold) के फूलों की कटाई आमतौर पर तब की जाती है, जब वे पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं और उनकी पंखुड़ियाँ पूरी तरह से खुल जाती हैं, लेकिन मुरझाने से पहले। कटाई दिन के ठंडे समय, जैसे सुबह या शाम, में की जानी चाहिए और फूलों को लंबे समय तक टिकाए रखने के लिए तोड़ने से पहले खेत की सिंचाई करना फायदेमंद होता है।
नियमित रूप से तोड़ने से भी अधिक फूल खिलते हैं। फूलों को आमतौर पर स्थानीय बाजारों में ले जाने के लिए टोकरियों या बोरियों में पैक किया जाता है। यहाँ गेंदा (Marigold) के फूलों की तुड़ाई पर विस्तृत विवरण दिया गया है, जैसे-
समय: गेंदा (Marigold) आमतौर पर रोपाई के लगभग 2.5 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है। फ्रेंच गेंदे के लिए, यह लगभग 1.5 महीने का समय ले सकता है, जबकि अफ्रीकी गेंदे के लिए 2 महीने लग सकते हैं।
पूर्ण आकार: तोड़ने से पहले फूल पूरी तरह से खिले हुए और अपने अधिकतम आकार में होने चाहिए।
ठंडे समय: दिन के ठंडे समय में तोड़ने से गेंदा (Marigold) फूलों की गुणवत्ता और ताजगी बनी रहती है।
सिंचाई: कटाई से पहले खेत की सिंचाई करने से फूलों का फूलदान में जीवन बढ़ सकता है।
नियमित रूप से तोड़ना: मुरझाए हुए फूलों को हटाने से पौधे को और अधिक फूल देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
परिवहन: ताजे तोड़े गए गेंदे के फूलों को अक्सर स्थानीय बाजारों तक पहुँचाने के लिए बांस की टोकरियों या बोरियों में पैक किया जाता है।
गेंदा की खेती से पैदावार (Yield from marigolds cultivation)
गेंदे की बागवानी से होने वाली उपज मौसम, किस्म और विशिष्ट कृषि पद्धतियों सहित कई कारकों पर निर्भर करती है। आम तौर पर, आप अफ्रीकी गेंदे के लिए 15 से 28 टन प्रति हेक्टेयर और फ्रांसीसी गेंदे के लिए 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर उपज की उम्मीद कर सकते हैं। एकड़ के हिसाब से, यह अफ्रीकी गेंदे के लिए लगभग 3-4 टन प्रति एकड़ और फ्रांसीसी गेंदे (Marigold) के लिए 4.5-7 टन प्रति एकड़ होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
गेंदे की खेती के लिए, सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करें, जिसमें गहरी जुताई और सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना शामिल है। फिर, 30-45 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधों को रोपाई करें। सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ, गेंदे (Marigold) के पौधों को नियमित रूप से खाद और उर्वरक दें।
गेंदे (Marigold) के फूल के लिए गर्म और समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी होती है। यह फूल ठंडी और अधिक बारिश वाली जलवायु में ठीक से नहीं उगता। 15°C से 30°C के तापमान में यह अच्छे से बढ़ता है।
गेंदे (Marigold) के फूल के लिए दोमट मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी या मटियार दोमट मिट्टी अच्छी होती है। यह मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए और इसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
गेंदे की कई अच्छी किस्में हैं, जिनमें अफ्रीकी गेंदा और फ्रेंच गेंदा (Marigold) प्रमुख हैं। अफ्रीकी गेंदे में पूसा नारंगी और पूसा बसंती, जबकि फ्रेंच गेंदे में पिटाइट ऑरेंज, पिटाइट येलो और रस्टी रेड मुख्य किस्में हैं। पूसा नारंगी और पूसा बसंती गेंदा की किस्में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं।
गेंदा (Marigold) मानसून के मौसम (जून से अगस्त) और सर्दियों के महीनों (सितंबर से दिसंबर) में भी लगाया जा सकता है, जो क्षेत्र पर निर्भर करता है। रोपण का इष्टतम समय स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है।
गेंदे (Marigold) के पौधे तैयार करने के लिए, आप बीजों या कलमों का उपयोग कर सकते हैं। बीजों से पौधे तैयार करने के लिए, उन्हें पहले एक गमले या ट्रे में बोएं, फिर जब वे थोड़े बड़े हो जाएं तो उन्हें बगीचे में प्रत्यारोपित करें। कलमों से पौधे तैयार करने के लिए, स्वस्थ पौधे से एक टहनी काटें और उसे पानी या मिट्टी में जड़ें विकसित करने के लिए रखें, फिर उसे गमले या बगीचे में लगाएं।
एक एकड़ में लगभग 20,000 से 25,000 गेंदे (Marigold) के पौधे लगाए जा सकते हैं। हालांकि, यह संख्या पौधों के बीच की दूरी पर निर्भर करती है।
गेंदे (Marigold) को मध्यम पानी की आवश्यकता होती है। मिट्टी को लगातार नम रखना आवश्यक है, लेकिन गीली नहीं। आमतौर पर, सप्ताह में एक बार पानी देना पर्याप्त होता है, लेकिन यह वर्षा और तापमान के आधार पर भिन्न हो सकता है।
गेंदे (Marigold) के बाग की निराई-गुड़ाई करने के लिए, आपको नियमित रूप से खरपतवारों को हटाना होगा, मिट्टी को ढीला करना होगा, और आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी होगी।
गेंदे (Marigold) के फूल के लिए, जैविक खाद जैसे कि गोबर की खाद, कम्पोस्ट या वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करना अच्छा होता है। इसके अलावा, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम से भरपूर उर्वरकों का भी उपयोग किया जा सकता है।
गेंदे (Marigold) के पौधों की छंटाई के लिए, मुरझाई हुई कलियों और कमजोर/सूखी टहनियों को हटाना मुख्य है। इसके अलावा, पौधे को घना बनाने के लिए शीर्ष को चुटकी से तोड़ना भी किया जाता है। छंटाई का सही समय वसंत से पतझड़ तक है, लेकिन मुरझाई हुई कलियों को आप कभी भी हटा सकते हैं।
गेंदे (Marigold) के फूल लगाने में आमतौर पर 60 से 90 दिन लगते हैं, लेकिन यह मौसम और किस्म पर निर्भर करता है। अफ्रीकी गेंदा 75-90 दिनों में और फ्रेंच गेंदा 60-75 दिनों में फूलने लगते हैं।
हाँ, गेंदे (Marigold) एफिड्स, व्हाइटफ्लाई और नेमाटोड जैसे कीटों के साथ-साथ पाउडरी फफूंदी और डाउनी फफूंदी जैसे रोगों से भी प्रभावित हो सकते हैं। इन समस्याओं के प्रबंधन के लिए नियमित निगरानी और समय पर हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।
गेंदे (Marigold) के फूलों की तुड़ाई तब करनी चाहिए जब वे अपने पूर्ण आकार में खिल जाएँ, आमतौर पर रोपाई के 60-70 दिनों बाद। कटाई आमतौर पर सुबह या शाम के समय, दिन के ठंडे समय में की जाती है। नियमित रूप से तुड़ाई करने से उपज में सुधार होता है।
बिल्कुल, गेंदा (Marigold) गमलों में बागवानी के लिए उपयुक्त है। सुनिश्चित करें कि गमलों में पानी की अच्छी निकासी हो और स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने हेतु गुणवत्तापूर्ण पॉटिंग मिक्स का उपयोग करें।
गेंदा (Marigold) के फूलों का मूल्य सुनिश्चित करने के लिए, सुनिश्चित करें कि आपके फूल स्वस्थ और आकर्षक हों। दूसरा, आपको बाजार की मांग और आपूर्ति की जानकारी होनी चाहिए। त्योहारों के समय फूलों की मांग बढ़ जाती है, इसलिए उस समय अपनी फसल को बेचना फायदेमंद हो सकता है। तीसरा, आपको एक उचित मूल्य निर्धारित करना होगा जो आपकी लागत को कवर करे। इसके लिए, आप स्थानीय बाजारों में कीमतों का सर्वेक्षण कर सकते हैं या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।
Leave a Reply