
Kiwi fruit gardening in Hindi: अपने विशिष्ट स्वाद और समृद्ध पोषण संबंधी विशेषताओं के लिए जाना जाने वाला कीवी फल भारत में स्वास्थ्यवर्धक भोजन और आकर्षक कृषि उत्पाद दोनों के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। अपने अनूठे स्वाद और शहरी बाजारों में बढ़ती मांग के साथ, कीवी की खेती किसानों के लिए अपनी फसलों में विविधता लाने का एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करती है।
यह लेख भारत में कीवी फल की खेती के आवश्यक पहलुओं की पड़ताल करता है, जिसमें आदर्श जलवायु और मिट्टी की स्थिति, क्षेत्र के लिए उपयुक्त सर्वोत्तम किस्में, प्रभावी रोपण और देखभाल तकनीक और कीट प्रबंधन के लिए रणनीतियाँ शामिल हैं। जैसे-जैसे कीवी (Kiwi Fruit) की खेती में रुचि बढ़ती जा रही है, इन प्रमुख कारकों को समझना इस उभरते हुए क्षेत्र में सफल होने का लक्ष्य रखने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
कीवी फल के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Kiwi Fruit)
कीवी फल की बागवानी के लिए समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है, जिसमें ठंडा और आर्द्र मौसम शामिल है। कीवी के पौधे 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के तापमान में अच्छी तरह से बढ़ते हैं, और सर्दियों में हल्की ठंड की आवश्यकता होती है। अत्यधिक गर्मी या पाला पौधे को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए स्थिर मौसम पैटर्न वाले क्षेत्र सबसे उपयुक्त होते हैं।
बढ़ते मौसम के दौरान समान वितरण के साथ प्रति वर्ष लगभग 150 सेमी वर्षा पर्याप्त है। कीवी फल (Kiwi Fruit) को समुद्र तल से 800-1500 मीटर की ऊँचाई पर उगाया जा सकता है।
कीवी फल के लिए भूमि का चयन (Selection of land for kiwi fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधों को गहरी, उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। भारी मिट्टी, जो पानी को रोकती है, कीवी के विकास के लिए उपयुक्त नहीं है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि पौधे को आवश्यक पोषक तत्व आसानी से मिल सकें।
अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी कीवी के पौधों के लिए आवश्यक है, क्योंकि जलभराव से जड़ों में सड़न हो सकती है। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होना भी महत्वपूर्ण है, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। हल्की ढलान वाली या समतल भूमि कीवी की खेती के लिए उपयुक्त है, क्योंकि इससे जलभराव और कटाव कम होता है।
कीवी फल के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Kiwi Fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) की खेती के लिए खेत की तैयारी में, खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल करना, उचित जल निकासी सुनिश्चित करना और मिट्टी की उर्वरता का ध्यान रखना शामिल है। इसके लिए खेत को दो से तीन बार अच्छी तरह से जोतकर समतल कर लें। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी और पौधों की जड़ों को आसानी से बढ़ने में मदद मिलेगी।
कीवी के पौधों को अच्छी जल निकासी की आवश्यकता होती है, इसलिए सुनिश्चित करें कि खेत में पानी जमा न हो। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और स्वस्थ जड़ विकास को बढ़ावा देने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें। कतारों में पौधे लगाने के लिए, 1 मीटर चौड़ा और 2 फीट गहरा गड्ढा खोदें, गड्ढे में जैविक खाद और मिट्टी मिलाकर भर दें।
कीवी फल की उन्नत किस्में (Improved varieties of kiwi fruit)
भारत में उगाई जाने वाली कीवी की उन्नत किस्मों में हेवर्ड, एलिसन, एबॉट, ब्रूनो, मोंटी और टोमुरी शामिल हैं। ये किस्में अपनी फल विशेषताओं और विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए जानी जाती हैं। विशेष रूप से, एलिसन और हेवर्ड को अक्सर किसानों के खेतों में उन्नत किस्मों के रूप में पेश किया जाता है। यहाँ कीवी फल (Kiwi Fruit) की कुछ विशिष्ट किस्मों पर विवरण है, जैसे-
हेवर्ड: एक लोकप्रिय, व्यावसायिक रूप से उगाई जाने वाली किस्म, जो अपने अंडाकार आकार और आकार के लिए जानी जाती है।
एलिसन: थोड़े अधिक तीखे स्वाद वाले अपने लम्बे, पतले फलों के लिए जानी जाती है।
एबॉट: यह कीवी फल (Kiwi Fruit) की जल्दी पकने वाली किस्म है।
ब्रूनो: एक और किस्म जिसे अक्सर इसके मजबूत अंकुरण के लिए रूटस्टॉक के रूप में उपयोग किया जाता है।
मोंटी: एक किस्म जिसने अध्ययनों में अच्छी जड़ें और विकास विशेषताएँ दिखाई हैं।
टोमुरी: एक स्टेमिनेट कल्टीवेटर, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग परागण के लिए किया जाता है।
कीवी फल की बुवाई का समय (Sowing time of kiwi fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) की बुवाई का सबसे अच्छा समय वसंत (फरवरी-मार्च) या मानसून (जुलाई-अगस्त) के बाद होता है। विशेष रूप से, देर से होने वाले ठंढों से बचने के लिए मई के मध्य तक इंतजार करना बेहतर है। कीवी के पौधों को ठंडी और नम जलवायु की आवश्यकता होती है, और उन्हें अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ, रेतीली दोमट मिट्टी में लगाया जाना चाहिए। कीवी फल की बुवाई के समय पर विस्तार से विवरण इस प्रकार है, जैसे-
वसंत ऋतु (फरवरी-मार्च): यह समय कीवी लगाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, खासकर जब मिट्टी और मौसम गर्म हो जाए। इस समय, पौधों को पर्याप्त धूप और आश्रय की आवश्यकता होती है, खासकर यदि वे खुले में उगाए जा रहे हैं।
मानसून के बाद (जुलाई-अगस्त): मानसून के बाद का समय भी कीवी (Kiwi Fruit) लगाने के लिए उपयुक्त होता है, क्योंकि इस समय पौधों को पर्याप्त नमी मिलती है।
तापमान: कीवी के पौधे के लिए 15 डिग्री सेल्सियस तापमान अंकुरण के लिए अच्छा होता है, और गर्मियों में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान नहीं होना चाहिए।
कीवी फल के पौधे तैयार करना (Preparation of Kiwi fruit plants)
कीवी फल को बीज, सॉफ्टवुड कटिंग और ग्राफ्टिंग सहित विभिन्न तरीकों से प्रचारित किया जा सकता है। सॉफ्टवुड कटिंग अलैंगिक प्रसार के लिए सबसे आम और आसान तरीका है, जबकि बीजों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप ऐसे पौधे हो सकते हैं जो मूल पौधे से भिन्न हों।
ग्राफ्टिंग का उपयोग अक्सर सही-सही किस्मों को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है और अक्सर सीडलिंग रूटस्टॉक पर ग्राफ्ट की गई फलदार किस्मों के साथ किया जाता है। कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधे तैयार करने की विभिन्न विधियाँ इस प्रकार है, जैसे-
सॉफ्टवुड कटिंग: सॉफ्टवुड कटिंग आमतौर पर जून और जुलाई और संभवतः अगस्त में काटी जाती हैं। नई वृद्धि के सिरों से 6 इंच (15 सेमी) लंबाई में काटें, किसी भी बढ़ते सिरे को हटा दें। कटिंग के आधार को रूटिंग हार्मोन से उपचारित करें और उन्हें नम, गर्म वातावरण में रखें। कटिंग को नम रखें और जड़ों के विकास की निगरानी करें, जिसमें आमतौर पर लगभग 60 दिन लगते हैं।
ग्राफ्टिंग: ग्राफ्टिंग में एक फल देने वाली किस्म को रूटस्टॉक पर जोड़ा जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि नया पौधा वांछित फल देगा। लोकप्रिय रूटस्टॉक में ब्रूनो या बाउंटी जैसी किस्में शामिल हैं, जिन पर जी- 3 या हेवर्ड जैसी फल देने वाली किस्में ग्राफ्ट की जाती हैं। यह विधि विशेष रूप से विशिष्ट किस्मों को बनाए रखने के लिए उपयोगी है।
बीज प्रसार: जबकि संभव है, बीज प्रसार वाणिज्यिक उत्पादन के लिए पसंदीदा तरीका नहीं है, क्योंकि अंकुर मूल पौधे के समान नहीं हो सकते हैं। बीजों को फलों से निकालकर साफ करना चाहिए और सुखाना चाहिए। उन्हें कुछ समय के लिए स्तरीकृत (ठंडा) किया जा सकता है और फिर नम पॉटिंग मिक्स में बोया जा सकता है। अंकुरण के लिए गर्म तापमान और प्रकाश की आवश्यकता होती है।
विशेष: कीवी फल (Kiwi Fruit) के बीज से उगाए गए पौधों को फल आने में कई साल लग सकते हैं और उनकी विशेषताएँ मूल पौधे से भिन्न हो सकती हैं।
कीवी फल के पौधरोपण की विधि (Method of planting kiwi fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधे टी बार या निफिन विधियों से 5 से 6 मीटर पौधे से पौधे और 4 मीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर सर्दी के मौसम दिसम्बर से जनवरी में पहले से तैयार किए हुए गढ्ढों में लगा देते है। अगर सधाई परगोला विधि से करनी हो, तो पंक्तियों का आपसी अन्तर 6 मीटर रखना चाहिए।
कीवी फल के पौधों को लगाने के बाद चारों तरफ से मिट्टी को दबाकर तुरन्त सिंचाई करना आवश्यक होता है। पौध लगाने के बाद पाले से बचाने के लिए पौधों को सूखे घास या खरपतवार से ढक देना चाहिए व सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। करीब 1 फुट तक पूनिंग करने पर पौधे तेजी से बढ़ते हैं।
कीवी फल का परागण (Pollination of Kiwi Fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) के नर और मादा पौधे अलग-अलग होते हैं, इसलिए उत्तम फल उत्पादन हेतु दोनों तरह के पौधे लगाना आवश्यक होता है। एलिसन या तोमूरी नर पौधा परागण के लिए लगाना आवश्यक है। आठ से नौ मादा पौधों के साथ एक नर पौधा लगाना चाहिए। कीवी फल का परागण मुख्य रूप से कीटों, खासकर मधुमक्खियों द्वारा होता है।
कीवी फल की सधाई और काट-छांट (Pruning and Trimming of Kiwifruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) की बेलों को अंगूर की तरह तारों के सहारे की आवश्यकता होती है। कीवी फल के पौधों से उत्तम उपज के लिए काट-छांट, सहारे और सधाई की आवश्यकता होती है। इनकी परगोला, टी- बार निफिन तथा बावर विधियों से सधाई की जा सकती है। परन्तु सामन्यता टी – बार विधी से सधाई अधिक सुविधाजनक और काफी सस्ती पड़ती है।
प्रथम वर्ष में पौधों को लगाने के बाद जमीन की सतह से 30 सेंटीमीटर पर से काट देना चाहिए और मुख्य तने पर सभी तरफ निकलने वाली टहनियों को काटते रहना चाहिए, जिससे इसकी बढ़कार सीधे ऊपर की तरफ हो शुरू में जब तक पौधे की ऊँचाई खम्बों पर लगाई गई तारों तक नहीं पहुंचाती है, बांस के खम्भों का सहारा देना चाहिए, जिससे पौधा सीधा खड़ा रह सके।
फलत मुख्यतया नई निकली हुई शाखाओं पर ही आती है, जो स्वयं एक साल पुरानी शाखाओं से निकली हुई होती है और नीचे की 3 से 5 कलियां ही फल पैदा कर सकती है। एक फल देने वाली शाखा सिर्फ 3 से 4 वर्षों तक ही समुचित और अच्छा फल देती है। इसके बाद उसको काटकर दूसरी शाखाओं पर फल लेने के लिए चुनना चाहिए।
कीवी फल (Kiwi Fruit) की लता का काट-छांट का काम सामान्तया दिसम्बर से जनवरी महीने में जब पौधों से पत्तियां गिर जांए, तब कर लेनी चाहिए। जनवरी के बाद काट-छांट करने पर बेलों से रस निकलने लगता है, जिससे बेलों के सूखने और मरने की सम्भावना रहती है।
कीवी फल में फूल विरलन और मिट्टी प्रबन्धन (Flower thinning in kiwifruit)
फूल विरलन: कीवी फल (Kiwi Fruit) में उत्तम गुणवत्ता वाले ए-ग्रेड फल प्राप्त करने के लिए 4 से 6 फूल की कलिकाएं प्रति फल देने वाली शाखा पर रखें, और शेष फूल की कलिकाओं का हाथ से विरलन करें।
मिट्टी प्रबन्धन: कीवी फल की विकसित बेलों में खाद को आस-पास पूरे खेत में डाला जाता है। भूमि में नमी को बनाए रखने के लिए उपाय करना जरूरी है। खरपतवार निकाल दें, हो सके तो मल्चिंग करें।
कीवी फल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in KiwiFruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) की खेती को गर्मियों में अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक पानी की आवश्यकता होती है। प्रारम्भ के 3 से 5 वर्ष में सिंचाई का समुचित प्रबन्ध होना आवश्यक होता है। कम वर्षा या असिंचित अवस्था में फलों का आकार तथा कुल उपज काफी कम हो जाती है, इसलिए गर्मियों में प्रायः 10 से 15 दिन के अन्तर पर सिंचाई अवश्य करते रहना चहिए ।
कीवी फल में खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer in Kiwi Fruit)
कीवी फल में उत्तम पैदावार तथा बेलों की अधिक बढ़ोतरी के लिए इसको खाद की आवश्यकता भी अधिक होती है। उर्वरकों की मात्रा को मिट्टी की उपजाऊ शक्ति व पैदावार के अनुसार घटाया बढाया जा सकता है। कीवी फल के एक पूर्ण विकसित पौधों में, जो 6 x 5 मीटर पर लगे हों, 750 से 800 ग्राम नाईट्रोजन, 400 से 500 ग्राम फॉस्फोरस और 700 ग्राम पोटाश प्रति पौधा दो भागों में डालें।
आधा से 2/3 भाग जनवरी से फरवरी में तथा दूसरा भाग अप्रैल से मई में फल लगने के बाद डालें। गली-सड़ी गोबर की खाद जनवरी से फरवरी में 50 से 60 किलोग्राम एक बार में डालें। यदि कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधे 6 x 3 मीटर पर लगे हों तो उर्वरकों की मात्रा आधी कर लें।
कीवी फल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in kiwi fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) के बागों में खरपतवारों को न उगने देना तथा बीज संबर्धन से खेती को बढ़ावा देना, दो सामान्य तरीके अच्छी भूमि प्रबन्ध के लिए आवश्यक है। पहाड़ों पर जहां भूमि प्रवाह का डर रहता है, सॉड कल्चर करना बहुत ही आवश्यक होता है।
इसके लिए प्राकृतिक खरपतवार को दराती या अन्य यंत्र से काटते रहना चाहिए, कटी हुई पत्तियों को भूमि में उसी स्थान पड़े रहने दिया जाता है, यह भूमि संरक्षण तथा मृदा की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में काफी सहायक सिद्ध होता है।
शुरू के चार वर्षों में हरी खाद और मिश्रित खेती के लिए दलहन वाली और सब्जी वाली फसलों की खेती आसानी से की जा सकती है। सॉड कल्चर और मिश्रित खेती के लिए खाद और उर्वरकों का अतिरिक्त प्रबन्ध रखना अति आवश्यक होता है।
कीवी फल में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control in Kiwi Fruit)
कीवी फल (Kiwi Fruit) के बागों में लगने वाले कीट और रोगों में मुख्य रूप से बोट्रीटिस फल सड़ांध, एफिड्स, फल मक्खियाँ, लीफरोलर, और नेमाटोड शामिल हैं। इन कीटों और रोगों का प्रभावी प्रबंधन उच्च गुणवत्ता वाली फसल सुनिश्चित करने और फसल के नुकसान को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। कीवी फल के बागों में लगने वाले कीट और रोग नियंत्रण के उपाय इस प्रकार है, जैसे-
कीट नियंत्रण: कीवी फल की बेलों पर अभी तक कोई विशेष हानिकारक कीट देखने में नही आई, परन्तु जैसे-जैसे कीवी फल का पौधा स्थापित होता जाएगा कई तरह के कीट इसको हानि पहुँचा सकते हैं। कीटों को नियंत्रित करने के लिए फेरोमोन जाल का उपयोग करें, और आवश्यकतानुसार कीटनाशकों का प्रयोग करें।
रोग नियंत्रण: कीवी फल (Kiwi Fruit) की खेती के 3 से 4 वर्ष में जड़ और तना गलन का प्रकोप होता है । तना गलन रोग रोकथाम के लिए कार्बेडांज़िम या थायोफेनेटमिथायिल के 0.1 प्रतिशत घोल का 2 बार यानि की रोग लक्षण प्रकट होने के आरंम्भ तथा पुष्पन के समय फसल पर छिड़काव करने से रोग नियंत्रण में आ जाता है, इसके साथ साथ कटाई के बाद रोगग्रस्त फसल के अवशेषों को जला दें।
कीवी फलों की तुड़ाई और पैदावार (Kiwi Fruit Harvesting and Yield)
फलों की तुड़ाई: कीवी फल अक्तूबर से दिसम्बर के बीच पकते हैं, जब दूसरे फल बाजार में काफी कम होते हैं। फलों को थोड़ा सख्त अवस्था में तोड़ा जाना चाहिए, ताकि उन्हें दूर मण्डियों में बिना किसी विशेष पैकिंग के भेजा जा सके । कीवी फल को आम कमरे में लगभग एक महीने तक और शीत भण्डार में 4 महीने तक रखा जा सकता है।
यदि कीवी फल (Kiwi Fruit) के फलों को पॉलीथीन थैलियों में फ्रिज में रखा जाए तो ये सिकुड़ते नहीं हैं । फलों को आकर्षित बनाने के लिए छिलके के रोएं रगड़ कर साफ कर दें।
पैदवार: कीवी फल (Kiwi Fruit) की पैदावार अलग-अलग हो सकती है, लेकिन एक परिपक्व कीवी पौधा प्रति वर्ष 50 से 100 किलोग्राम फल पैदा कर सकता है। इसके अनुसार, प्रति हेक्टेयर लगभग 500-600 पौधों के रोपण घनत्व के साथ, संभावित उपज प्रति हेक्टेयर 25 से 60 टन तक हो सकती है। ट्रेलिस पर बेलें प्रति हेक्टेयर लगभग 25 टन उत्पादन कर सकती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
कीवी फल (Kiwi Fruit) की खेती में एक्टिनिडिया डेलिसियोसा या अन्य संबंधित प्रजातियों की लताओं की खेती शामिल है। सफल कीवी की खेती के लिए विशिष्ट जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी के प्रकार और खेती के तरीकों की आवश्यकता होती है। मुख्य पहलुओं में उपयुक्त ठंडा करने के घंटे, अच्छी तरह से सूखा मिट्टी, उचित परागण और बेल प्रबंधन शामिल हैं।
कीवी फल (Kiwi Fruit) ठंडी सर्दियों और गर्म गर्मियों के साथ समशीतोष्ण जलवायु में पनपता है। आदर्श परिस्थितियों में 7°C से 30°C तक का तापमान शामिल है, साथ ही ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है जहाँ मौसम अच्छी तरह से परिभाषित हो और पर्याप्त वर्षा या सिंचाई हो।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के लिए उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली, थोड़ी अम्लीय मिट्टी अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए। इसके अलावा, मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की भरपूर मात्रा होनी चाहिए, जैसे कि बगीचे की खाद या अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधों की रोपाई का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु (फरवरी-मार्च) या मानसून के बाद (जुलाई-अगस्त) होता है। कीवी के पौधों को ठंडी और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है, और रोपाई के लिए मानसून के बाद का समय उपयुक्त माना जाता है, ताकि पौधे अच्छी तरह से विकसित हो सकें।
कीवी फल (Kiwi Fruit) की कई अच्छी किस्में हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय हैं: हेवर्ड, मोंटी, एलिसन, ब्रूनो और टोमुरी। ये किस्में भारत में उगाई जाती हैं और ये विभिन्न विशेषताओं के साथ आती हैं।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधे तैयार करने के लिए, आप बीज, कलम या लेयरिंग विधि का उपयोग कर सकते हैं। कलम विधि के लिए, एक साल पुरानी शाखाओं को काटकर 1000 पीपीएम आईबीए रूट ग्रोथ हार्मोन लगाकर मिट्टी में गाड़ दें। लेयरिंग विधि में, पौधे की एक शाखा को मिट्टी में दबाकर जड़ें निकलने दें और फिर उसे मुख्य पौधे से अलग करके नया पौधा तैयार करें।
एक हेक्टेयर में कीवी फल (Kiwi Fruit) के ज्यादातर 400 से 450 पौधों को लगाने की सलाह दी जाती है, ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिल सके और उनकी अच्छी पैदावार हो सके। कुछ मामलों में, 500 से 600 पौधे भी लगाए जा सकते हैं।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए, खासकर गर्मियों में जब तापमान अधिक होता है। सिंचाई की आवृत्ति मिट्टी के प्रकार, मौसम और पौधे की उम्र पर निर्भर करती है। आमतौर पर, कीवी के पौधों को सप्ताह में दो या तीन बार पानी देने की आवश्यकता होती है, लेकिन सुनिश्चित करें कि मिट्टी नम रहे, और जलभराव न हो। ड्रिप सिंचाई कीवी के लिए एक प्रभावी विधि है।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के लिए, संतुलित उर्वरक, विशेष रूप से उच्च नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम वाले उर्वरकों का उपयोग करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा, कैल्शियम की मात्रा भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह फलों की गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधों को रोपण के बाद फल देने में आम तौर पर लगभग 3 से 4 साल लगते हैं। यह समयरेखा विविधता, बढ़ती परिस्थितियों और देखभाल पद्धतियों जैसे कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है।
कीवी फल (Kiwi Fruit) की खेती को प्रभावित करने वाले सामान्य कीटों में एफिड्स, स्पाइडर माइट्स और फल मक्खियाँ शामिल हैं। पौधों की सुरक्षा और स्वस्थ फसल सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और उचित कीट प्रबंधन रणनीतियाँ आवश्यक हैं।
कीवी फल (Kiwi Fruit) के पौधों को प्रभावित करने वाले सामान्य रोगों में फाइटोफ्थोरा रूट रॉट, बोट्रीटिस ग्रे मोल्ड और पाउडरी फफूंदी शामिल हैं। ये रोग पौधों के विभिन्न भागों को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि जड़ें, तने, पत्तियां और फल, और उचित प्रबंधन के बिना, वे पौधों के स्वास्थ्य और उपज को काफी कम कर सकते हैं।
कीवी फल (Kiwi Fruit) की तुड़ाई का सबसे अच्छा समय आमतौर पर अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है, जब फल पककर तैयार हो जाते हैं।
एक कीवी (Kiwi Fruit) फल के बाग से 25 से 60 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज हो सकती है। एक बेल से 50 से 100 किलो तक फल प्राप्त हो सकते हैं।
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