• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
Krishak-Jagriti-Logo

Krishak Jagriti

Agriculture Info For Farmers

  • रबी फसलें
  • खरीफ फसलें
  • जायद फसलें
  • चारा फसलें
  • सब्जी फसलें
  • बागवानी
  • औषधीय फसलें
  • जैविक खेती
Home » Blog » Kathiya Wheat Farming: ड्यूरम गेहूं की खेती कैसे करें

Kathiya Wheat Farming: ड्यूरम गेहूं की खेती कैसे करें

May 27, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Kathiya Wheat Farming: ड्यूरम गेहूं की खेती कैसे करें

आधुनिक सामाजिक परिवेश में कठिया (ड्यूरम) गेहूं (Kathiya Wheat) अपने खास गुणों, पौष्टिक तत्त्वों तथा अनेक प्रकार के उत्पाद बनाने में प्रयुक्त होने से अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) के दाने साधारण गेहूँ के मुकाबले अधिक कठोर, बड़े, अर्द्ध- पारदर्शी, सुनहरे होते हैं तथा इसमें ग्लूटन की सबलता भी अधिक होती है। आज, भारत की सामाजिक व्यवस्था बदल रही है। संयुक्त बड़े परिवार की जगह एकल छोटा परिवार ले रहा है।

इसके अतिरिक्त, यदि पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, इसलिए उनके पास भोजन बनाने के लिए अधिक समय नहीं होता। ऐसी परिस्थितियों में कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) उत्पाद जैसे पास्ता, नूडल्स, कॉसकस, बुलगुर, मैक्रोनी आदि को कम समय में पकाकर स्वादिष्ट, पौष्टिक तथा सुपाच्य भोजन तैयार किया जा सकता है। यही कारण है कि आधुनिक समय में कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) का मूल्य और सर्वाधिक भोज्य वस्तुओं का उपयोग दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

मानव की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढने के साथ-साथ कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इससे किसानों को बाजार में उपज की उचित कीमत मिल रही है और जो उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है। इससे किसानों का रुझान एक बार फिर कठिया गेहूं की ओर बढ़ रहा है। कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) सामान्यतः सूखे क्षेत्रों में सिंचाई की कमी और अधिक तापमान सहन करने की क्षमता के कारण भी उगाया जाता है।

Table of Contents

Toggle
  • कठिया गेहूं के लिए भूमि की तैयारी (Land Preparation for Kathiya Wheat)
  • कठिया गेहूं की किस्में (Kathia Wheat Varieties)
  • कठिया गेहूं के लिए बीज और बीज उपचार (Seeds and Seed Treatment for Kathia Wheat)
  • कठिया गेहूं की खेती के लिए उर्वरक (Fertilizer for Kathiya Wheat Cultivation)
  • कठिया गेहूं की बुवाई का समय (Sowing Time of Kathiya Wheat)
  • कठिया गेहूं में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Kathia Wheat)
  • कठिया गेहूं की फसल सुरक्षा (Crop Protection of Kathia Wheat)
      • खरपतवार नियंत्रण
      • रोग नियंत्रण
      • कीट नियंत्रण
  • कठिया गेहूं की उपज और भंडारण (Production and Storage of Kathiya Wheat)
  • निष्कर्ष एवं परिदृश्य (Conclusion and Scenario)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

कठिया गेहूं के लिए भूमि की तैयारी (Land Preparation for Kathiya Wheat)

कठिया (ड्यूरम) गेहूं (Kathiya Wheat) की खेती के लिए खेत की मिट्टी को बारीक भुरभुरी करके गहरी जुताई करनी चाहिये। यदि बुआई से पहले नमी नहीं है, तो एक समान अंकुरण के लिए सिंचाई आवश्यक है।

कठिया गेहूं की किस्में (Kathia Wheat Varieties)

कठिया गेहूं की संस्तुत नवीनतम प्रजातियां इस प्रकार है, जैसे-

किस्मउपयुक्त दशापकने की अवधि (दिन)औसत उपज (क्विं./है.)
एचआई 8759 ( पूसा तेजस )सिंचित एवं समय से बुआई11756.9
एचडी 4728 (पूसा मालवी)सिंचित एवं समय से बुआई12054.2
एचआई 8737 (पूसा अनमोल)सिंचित एवं समय से बुआई12453.4
एचआई 8713 ( पूसा मंगल)सिंचित एवं समय से बुआई12252.3
एचआई 8823 (डी)सीमित सिंचाई एवं समय से बुआई12238.6
यूएएस 466सीमित सिंचाई एवं समय से बुआई12038.8
डीडीडब्ल्यू 47सीमित सिंचाई एवं समय से बुआई12137.3

कठिया गेहूं के लिए बीज और बीज उपचार (Seeds and Seed Treatment for Kathia Wheat)

कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) की बुआई के लिए 40 किग्रा प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। बुआई से पहले बीज को मृदाजनित रोगों से बचाने के लिए वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत, थीरम 37.5 प्रतिशत) 2 से 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।

कठिया गेहूं की खेती के लिए उर्वरक (Fertilizer for Kathiya Wheat Cultivation)

उवर्रकों का उपयोग मृदा परीक्षण करवाने के उपरान्त की गयी अनुशंसा के अनुसार करना चाहिये। उच्च उवर्रता वाली मृदा के लिये 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस, 40 किग्रा पोटाश प्रति हैक्टर की दर से देना पर्याप्त होता है। इसमें फॉस्फोरस और पोटाश की कुल मात्रा बुआई के समय तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा देनी चाहिये। शेष नाइट्रोजन का 1/4 भाग पहली सिंचाई तथा शेष 1/4 भाग दूसरी सिंचाई से पूर्व देना चाहिए । उपलब्ध होने पर 10 से 15 टन प्रति हैक्टर गोबर की खाद प्रयोग करने की सिफारिश की जाती है।

कठिया गेहूं की बुवाई का समय (Sowing Time of Kathiya Wheat)

  1. असिंचित दशा में कठिया गेहूं की बुआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक अवश्य कर देनी चाहिये।
  2. सिंचित अवस्था में कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) के लिए नवंबर का दूसरा व तीसरा सप्ताह उपयुक्त समय होता है।

कठिया गेहूं में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Kathia Wheat)

कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) में सिंचाई सुविधानुसार करनी चाहिये, जैसे-

पहली सिंचाई: बुआई के 25-30 दिनों पर करते हैं, जब फसल ताजमूल अवस्था में होती है।

दूसरी सिंचाई: बुआई के 60 से 70 दिनों पर तब करते हैं, जब फसल दुग्धावस्था में होती है।

तीसरी सिंचाई: बुआई के 90 से 100 दिनों पर तब करते हैं, जब फसल में दाने पड़ने लगते हैं।

कठिया गेहूं की फसल सुरक्षा (Crop Protection of Kathia Wheat)

खरपतवार नियंत्रण

कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) में निराई-गुड़ाई की विशेष आवश्यकता नहीं होती है। अधिक खरपतवार होने की दशा में खरपतवारनाशी का प्रयोग किया जा सकता है। संकरी और चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के एक साथ नियंत्रण के लिये पेण्डीमेथलीन 30 प्रतिशत ई.सी. की 3.30 लीटर प्रति हैक्टर, बुआई के 3 दिनों के अन्दर 500-600 लीटर पानी की मात्रा में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से फ्लैटफैन नोजल से छिड़काव करना चाहिये या सल्फोसल्फ्यूरॉन 75 प्रतिशत + मेट सल्फोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 5 प्रतिशत डब्ल्यू. जी. 400 ग्राम का (2.50 यूनिट) का बुआई के 20 से 30 दिनों के अंदर छिड़काव करें। खरपतवारनाशी के प्रयोग के समय खेत में नमी का होना आवश्यक है।

रोग नियंत्रण

कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) में रोग लगने की कम आशंका मानी जाती है। फिर भी कठिया गेहूं में गेरूई या रतुआ जैसी महामारी का प्रकोप तापमान के अनुकूलतानुसार कम या अधिक होता है। रोकथाम के उपाय इस प्रकार है, जैसे-

  1. नवीन प्रजातियों को उगाकर इनका प्रकोप कम किया जा सकता है।
  2. रोग प्रतिरोधी किस्मों को बोना चाहिये।
  3. बीजों को बोने से पूर्व वीटावैक्स या बाविस्टिन 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें।

कीट नियंत्रण

दीमक: यह एक सामाजिक कीट है। ये कॉलोनी बनाकर रहते हैं। ये कीट बहुत हानिकारक होते हैं और मृदा में रहते हैं तथा पौधे की जड़ों को खाते हैं। रोकथाम के उपाय इस प्रकार है, जैसे-

दीमक प्रकोपित क्षेत्रों में नीम की खली 10 क्विंटल प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करनी चाहिये। खड़ी फसल में दीमक का प्रकोप होने पर क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. दो से तीन लीटर प्रति हैक्टर की दर से सिंचाई के पानी के साथ अथवा बालू में मिलाकर प्रयोग करें। बेवेरिया वेसियाना की 2 कि.ग्रा. मात्रा को 20 कि.ग्रा. सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर 10 दिनों तक छाया में रख दें तथा बुआई करते समय कूंड़ में इसे डालकर बुआई करें।

कठिया गेहूं की उपज और भंडारण (Production and Storage of Kathiya Wheat)

कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) के झड़ने की आशंका रहती है। अतः पक जाने पर शीघ्र कटाई तथा मड़ाई कर देनी चाहिये। कठिया गेहूं में सूखा प्रतिरोधी क्षमता होती है। इसकी खेती के लिए तीन सिंचाइयां पर्याप्त होती हैं, जिससे यह फसल जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में किसानों के लिए उचित विकल्प साबित हो रही है। सिंचित दशा में कठिया प्रजातियों का औसत उत्पादन 50 से 65 क्विंटल प्रति हैक्टर तथा असिंचित व अर्द्धसिंचित दशा में इसका उत्पादन 30 से 40 क्विंटल प्रति हैक्टर प्राप्त होता है।

सामान्य गेहूं की अपेक्षा कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) में पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होती है। बीटा कैरोटीन की उपलब्धता होने के कारण यह कुपोषण की समस्या को कम करने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सुरक्षित भंडारण के लिए दानों में 10-12 प्रतिशत नमी होनी चाहिये । भण्डारण के पूर्व कमरों को साफ कर लेना चाहिये। भण्डारण में कीट के नियंत्रण के लिए एल्युमिनियम की गोली 3 ग्राम प्रति टन की दर से भंडारगृह में धुआं करें।

निष्कर्ष एवं परिदृश्य (Conclusion and Scenario)

  1. भरपूर उपज के लिए समय पर बुआई करना आवश्यक।
  2. असिंचित तथा अर्द्धसिंचित दशा में बुआई के समय खेत में नमी का होना अति जरूरी।
  3. चमकदार दानों के लिए पकने के समय आर्द्रता की उपलब्धता।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

कठिया गेहूं क्या हैं?

कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) की खेती करने वाले किसान बताते हैं, कठिया गेहूं किसी रसायन या उर्वरक के बिना पैदा होता है। इसकी फसल को अधिक पानी की जरूरत नहीं पड़ती। सिंचाई सुविधानुसार कर सकते हैं। अर्ध-सिंचित दशा में कठिया गेहूं की 1-2 और सिंचित दशा में तीन सिंचाई पर्याप्त है।

एक एकड़ में कितने किलो गेहूं बोया जाता है?

सामान्य रूप से कहा जाये तो आप 40 किलोग्राम बीज का उपयोग करें, अगर सीड ड्रिल से बुवाई कर रहे है।

कठिया गेहूं की सिंचित दशा की किस्में कौन सी है?

पी.डी.डब्लू. 34, पी.डी.डब्लू 215, पी.डी.डब्लू 233, राज 1555, डब्लू. एच. 896, एच.आई 8498 एच.आई. 8381, जी.डब्लू 190, जी.डब्लू 273 और एम.पी.ओ. 1215 आदि प्रमुख है।

कठिया गेहूं की असिंचित दशा की किस्में कौन सी है?

आरनेज 9-30-1, मेघदूत, विजगा यलो जे.यू.-12, जी.डब्लू 2, एच.डी. 4672, सुजाता और एच.आई. 8627 इत्यादि है।

कठिया गेहूं की अधिक उपज वाली किस्म कौन सी है?

एचआई 8713 कठिया गेहूं (Kathiya Wheat) की किस्म है जिसमें उच्च उपज, व्यापक अनुकूलन क्षमता, उच्च पीला रंगद्रव्य (7.16 पीपीएम), आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों का अच्छा स्तर और तने और पत्ती के जंग के प्रतिरोध के उच्च स्तर के साथ उत्कृष्ट दोहरी गुणवत्ता वाला अनाज है।

Related Posts

Wheat Farming in Hindi: जानिए गेहूं की खेती कैसे करें
Wheat Farming in Hindi: जानिए गेहूं की खेती कैसे करें
Sunflower Farming in Hindi: सूरजमुखी की खेती कैसे करें
Sunflower Farming in Hindi: सूरजमुखी की खेती कैसे करें
Kidney Bean Farming: जानिए राजमा की खेती कैसे करें
Kidney Bean Farming: जानिए राजमा की खेती कैसे करें
Fenugreek Cultivation: जानिए मेथी की खेती कैसे करें
Fenugreek Cultivation: जानिए मेथी की खेती कैसे करें

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

  • Facebook
  • LinkedIn
  • Twitter

Recent Posts

  • Rose Cultivation in Hindi: गुलाब की बागवानी कैसे करें
  • Mulberry Cultivation: जाने शहतूत की बागवानी कैसे करें
  • Falsa Cultivation in Hindi: फालसा की बागवानी कैसे करें
  • Bael Cultivation in Hindi: जाने बेल की बागवानी कैसे करें
  • Amla Cultivation in Hindi: आंवला की बागवानी कैसे करें

Footer

Copyright © 2025 Krishak Jagriti

  • Blog
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Sitemap
  • Contact Us