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Home » Blog » Hybrid Rice SRI Method in Hindi: संकर धान की श्री विधि

Hybrid Rice SRI Method in Hindi: संकर धान की श्री विधि

October 18, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Hybrid Rice SRI Method in Hindi: संकर धान की श्री विधि

Hybrid Rice Cultivation by SRI Method in Hindi: संकर धान की श्री (SRI) विधि एक अभिनव दृष्टिकोण है, जो हाइब्रिड धान किस्मों के लाभों को सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन (SRI) के सिद्धांतों के साथ जोड़ता है। संकर धान की श्री विधि में 10 से 12 दिन का बिचड़ा (पौधा) 25 × 25 सेमी की दूरी पर एक जगह पर दो से तीन पौधों की रोपणी करते हैं। रोपाई वाले खेत में हर 2 मीटर की दूरी पर एक जल निकास नाली बनाते हैं तथा कोनों या रोटरी वीडर का प्रयोग 5 बार रोपाई के 10 दिन बाद तथा प्रत्येक 10 दिन के अन्तराल पर करते हैं।

इससे जड़ों का विकास ज्यादा होता है और ज्यादा कल्ले निकलते हैं। यह लेख संकर धान (Hybrid Rice) की एसआरआई विधि को लागू करने के सिद्धांतों, लाभों, सर्वोत्तम पद्धतियों, चुनौतियों और सफलता की कहानियों का पता लगाता है। इस पद्धति की पेचीदगियों में तल्लीन होकर, उत्पादकों को इस बात की जानकारी मिलेगी कि यह दृष्टिकोण चावल की खेती में कैसे क्रांति ला सकता है, उपज क्षमता को बढ़ा सकता है और टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा दे सकता है।

Table of Contents

Toggle
  • संकर धान की श्री विधि के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for SRI Method of Hybrid Paddy)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए मृदा का चयन (Soil selection for hybrid rice cultivation using Sri method)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for hybrid rice cultivation using Sri method)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए संस्तुत किस्में (Recommended varieties of hybrid Paddy for SRI method)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए बीज दर और उपचार (Seed rate and treatment for hybrid rice Sri method)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए बोआई का समय (Sowing time for hybrid rice using Sri method)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए पौधशाला की तैयारी (Preparation of nursery for hybrid rice Sri method)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए पौधशाला की देख-रेख (Nursery care for Sri method of hybrid rice)
  • संकर धान की श्री विधि के लिए पौध रोपाई (Planting of hybrid rice for Sri method)
  • संकर धान की श्री विधि में उर्वरकों का उपयोग (Use of fertilizers in Sri method of hybrid rice)
  • संकर धान की श्री विधि में सिंचाई और निकाई-गुड़ाई (Irrigation and weeding in hybrid rice cultivation method)
  • संकर धान की श्री विधि फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in hybrid rice crop by Shri method)
  • संकर धान की श्री विधि फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in hybrid rice crop under Shree Vidhi)
  • संकर धान की श्री विधि फसल की कटाई और उपज (Shree Vidhi Crop Harvesting and Yield of Hybrid Paddy)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?(FAQs)

संकर धान की श्री विधि के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for SRI Method of Hybrid Paddy)

संकर धान की श्री विधि से खेती के लिए गर्म और नम जलवायु की जरूरत होती है। यह सबसे अच्छा उच्च नमी, लंबे समय तक धूप और पानी की एक आश्वस्त आपूर्ति वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल है। फसल की जीवन अवधि के दौरान आवश्यक औसत तापमान 21 से 42 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि से फसल के लिये अधिकतम तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए।

संकर धान की श्री विधि के लिए मृदा का चयन (Soil selection for hybrid rice cultivation using Sri method)

संकर धान की श्री विधि से खेती के लिए दोमट या मटियार मिट्टी उपयुक्त होती है। इन मिट्टियों में पानी रोकने की क्षमता ज़्यादा होती है। संकर धान की श्री विधि से खेती के लिए काली मिट्टी भी अच्छी मानी जाती है। नदियों के मलबे से बने मैदानी इलाकों की मिट्टी भी संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि से खेती के लिए अच्छी होती है।

संकर धान की श्री विधि के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for hybrid rice cultivation using Sri method)

संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि से खेती सिंचित और असिंचति दोनों जमीन में की जा सकती है। पहली वर्षा के बाद मई में जुताई के समय तथा खेत में रोपाई के एक माह पूर्व, गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। श्री विधि में 10 से 15 टन तक जैविक खाद का प्रयोग करते हैं।

नीम या करंज की खली 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के तीन सप्ताह पूर्व जुताई के समय खेत में बिखेर दें। रोपाई के 15 दिनों पूर्व खेत की सिंचाई तथा कदवा करें ताकि खरपतवार, सड़कर मिट्टी में मिल जायें। रोपाई के एक दिन पूर्व दुबारा कदवा करें तथा खेत को समतल कर रोपाई करें।

संकर धान की श्री विधि के लिए संस्तुत किस्में (Recommended varieties of hybrid Paddy for SRI method)

क्षेत्र विशेष की जलवायु के अनुसार संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि के लिए किस्मों का चयन आवश्यक है। बोआई हेतु प्रति वर्ष संकर धान का नया बीज विश्वसनीय और अधिकृत बीज वितरक से प्राप्त करना चाहिए। संकर धान की श्री विधि के लिए कुछ किस्में इस प्रकार है, जैसे-

नरेन्द्र संकर धान- 2, पंत संकर धान- 1, पंत संकर धान- 2, प्रोएग्रो- 6201, प्रोएग्रो- 6444, पीएचबी- 71, पूसा आरएच- 10 (सुगन्धित) गंगा, नरेन्द्र धान- 3, सहयाद्री- 4 और एचआरआई- 157 आदि प्रमुख है। संकर किस्में दो अलग-अलग आनुवांशिक गुणों वाली प्रजातियों के नर और मादा के संयोग से विकसित होती हैं।
संकर धान की पहली पीढ़ी का बीज ही नई किस्म के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

संकर धान की श्री विधि के लिए बीज दर और उपचार (Seed rate and treatment for hybrid rice Sri method)

बीज दर: संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि के लिए, एक एकड़ में 2 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। वहीं, सामान्य तरीके से धान की बुआई में बीज की मात्रा अलग-अलग होती है।

बीज उपचार: बीज को 12 घंटे तक पानी में भिंगोयें तथा पौधशाला में बोआई से पूर्व बीज को कार्वेन्डाजिम (बैविस्टन) फफूदनाशी की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज में उपचारित बीज को समतल कठोर सतह पर छाया में फैला दें तथा भींगे जूट की बोरियों से ढंक दें। बोरियों के ऊपर दिन में 2-3 बार पानी का छिड़काव करें। बीज 24 घंटे बाद अंकुरित हो जायेगा। फिर अंकुरित बीज को कदवा वाले खेत में बिखेर दें।

संकर धान की श्री विधि के लिए बोआई का समय (Sowing time for hybrid rice using Sri method)

खरीफ मौसम की फसल के लिए जून माह के प्रथम सप्ताह से अन्तिम सप्ताह तक बीज की बोआई करें। गरमा मौसम में मध्य जनवरी से मध्य फरवरी तक बोआई करें। संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि के लिए पौधों की रोपाई करने का सही समय है, रोपाई के लिए, 25-30 दिन उम्र के 2-3 कल्लों वाले पौधों का इस्तेमाल करें। पौधों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर रोपें।

संकर धान की श्री विधि के लिए पौधशाला की तैयारी (Preparation of nursery for hybrid rice Sri method)

मई-जून में प्रथम वर्षा के बाद, पौधशाला के लिए चुने हुए खेत की दो बार जुताई करें। खेत में पाटा चला कर जमीन को समतल बनायें। पौधशाला सूखे या कदवा किये गये खेत में तैयार की जाती है। कदवा वाले खेत में बढ़वार अच्छी होती है। संकर धान की श्री विधि नर्सरी में ऊँची, समतल, तथा 1 मीटर चौड़ाई की होनी चाहिए। पानी की निकासी के लिए 30 सेंटीमीटर चौड़ाई की नाली बना दें।

खेत की अंतिम तैयारी से पूर्व 100 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद तथा नेत्रजन, स्फुर, व पोटाश, 500:500:500 ग्राम प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से डालें। प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई हेतु 750 वर्गमीटर पौधशाला की आवश्यकता पड़ती है तथा प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम बीज डालना चाहिए। संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि के लिए में 250 वर्गमीटर में 5 किलो बीज नर्सरी में डालते हैं।

संकर धान की श्री विधि के लिए पौधशाला की देख-रेख (Nursery care for Sri method of hybrid rice)

अंकुरित बीज की बोआई के 2-3 दिनों बाद संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि पौधशाला में सिंचाई करें। इसके पश्चात् आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। पौधशाला को खरपतवारों से मुक्त रखें। बिचड़ों की लगभग 12-15 दिनों की बढ़वार के बाद पौधशाला में दानेदार कीटनाशी कार्वोफुरॉन- 3जी, 250 ग्राम प्रति 100 वर्गमीटर की दर से डालें।

संकर धान की श्री विधि के लिए पौध रोपाई (Planting of hybrid rice for Sri method)

पौधशाला से बिचड़ों (पौधों) को उखाड़ने के बाद जड़ों को धोकर रोपाई से पूर्व बिचड़ों की जड़ों को क्लोरपायरीफॉस कीटनाशी के घोल (1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) में पूरी रात (12 घंटे) डुबो कर उपचारित करें। रोपाई के लिए 15- 20 दिनों की उम्र के बिचड़ों का प्रयोग करें। रोपाई पाटा लगाने के पश्चात् समतल की गयी खेत की मिट्टी में 2 से 3 सेंटीमीटर गहराई में करें।

यदि खेत में जल जमाव हो तो रोपाई से पूर्व पानी को निकाल दें। संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि के लिए पौध रोपाई से पूर्व रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करें। कतारों एवं पौधों के बीच की दूरी क्रमश: 20 सेंटीमीटर x 15 सेंटीमीटर रखते है, एक स्थान पर केवल एक या दो बिचड़े की रोपाई करें। कतारों को उत्तर – दक्षिण दिशा की ओर रखें।

संकर धान की श्री विधि में उर्वरकों का उपयोग (Use of fertilizers in Sri method of hybrid rice)

संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि में नएत्रजन : स्फुर : पोटाश क्रमश: 150:75:90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। खेत में नैत्रजन की 1/4 मात्रा, स्फुर की पूरी और पोटाश की 3/4 मात्रा खेत से पानी निकालने के बाद डालें। नेत्रजन की शेष 3/4 मात्रा को तीन बराबर भागों में यूरीया द्वारा रोपाई के 3 व 6 सप्ताह बाद तथा शेष बालियाँ निकलते समय डालें।

पोटाश की बची हुई 1/4 मात्रा को भी बालियाँ निकलते समय खड़ी फसल में टॉपड्रेसिंग करें। स्फुर (सिंगल सुपर फास्फेट) के द्वारा प्रयोग करें, जिससे सल्फर की कमी को दूर किया जा सके, साथ 25 किलो प्रति हैक्टर सल्फर (जिप्सम) प्रयोग करें।

संकर धान की श्री विधि में सिंचाई और निकाई-गुड़ाई (Irrigation and weeding in hybrid rice cultivation method)

संकर धान की श्री विधि की फसल में बिचड़ों की रोपाई के 5 दिनों बाद खेत की हल्की सिंचाई करें। इसके बाद खेत में 5 सेंटीमीटर की ऊँचाई तक पानी दानों में दूध भरने के समय तक बनाये रखें। खाली स्थानों पर एवं मृत बिचड़ों की जगह पर रोपाई के 5 से 7 दिनों के अंदर पुनः बिचड़ों की रोपाई करें।

संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि में खरपतवारों की निकाई-गुड़ाई रोपाई के 3 सप्ताह बाद तथा दूसरी 6 सप्ताह बाद करें। लाईन में रोपी गयी फसल में खाद डालने के बाद रोटरी या कोनों वीडर का प्रयोग करें। यूरीया की टॉपड्रेसिंग करने से पहले निकाई गुड़ाई अवश्य करें।

संकर धान की श्री विधि फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in hybrid rice crop by Shri method)

संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि फसल में दानेदार कीटनाशी कार्बोफुरान 3 जी (30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) या फोरेट 10 जी (10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) बिचड़ों की रोपाई के 3 सप्ताह बाद डालें। इसके पश्चात् मोनोक्रोओफॉस 36 ईसी (1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर) या क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी (2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर) का 15 दिनों के अंतराल पर दो छिड़काव करें, ताकि फसल कीटों के आक्रमण से मुक्त रहें। एक हैक्टर में छिड़काव के लिए 500 लीटर जल की आवश्यकता पड़ती है।

गंधी कीट के नियंत्रण के लिये इंडोसल्फान धूल या क्वीनालफॉस धूल की 25 किलोग्राम मात्रा का भुरकाव प्रति हेक्टेयर की दर से या मोनोक्रोटोफॉस 36 ईसी (1.5लीटर प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें। उपरोक्त वर्णित दानेदार और कीटनाशी के उपयोग से सुंडी एवं तना छेदक कीटों की भी रोकथाम होगी। पत्र लपेटक कीट की रोकथाम के लिए क्वीनालफॉस 25 ईसी (2 लीटर प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें।

संकर धान की श्री विधि फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in hybrid rice crop under Shree Vidhi)

कवक-जनित झोंका तथा भूरी चित्ती रोगों की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम (बैविस्टीन 50डब्लूपी) 0.1ब या ट्रइसायक्लाजोल (0.06) का छिड़काव करें। फॉल्स स्मट रोग की रोकथाम के लिए बालियाँ निकलने से पूर्व प्रोपीकोनाजोल 0.1का दो छिड़काव, या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.3 का 10 दिन के अंतराल पर तीन छिड़काव करें।

संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि में पत्रावरण अंगमारी एवं जीवाणु-जनित रोगों के लिए खेत के पानी की निकासी करें तथा खेत में पोटाश की अतिरिक्त मात्रा (30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) टॉपड्रेसिंग द्वारा डालें और नेत्रजन की बची किस्तों को बिलंब से डालें। सीथ ब्लाइट की रोकथाम के लिए हेक्साकोनाजोल 0.2 का छिड़काव करें।

संकर धान की श्री विधि फसल की कटाई और उपज (Shree Vidhi Crop Harvesting and Yield of Hybrid Paddy)

फसल कटाई: संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि फसल की बालियों के 80 प्रतिशत दानें जब पक जायें, तब फसल की कटाई करें। कटाई के पश्चात् झड़ाई कर और दानों को अच्छी तरह सुखाकर भण्डारण करें।

उपज क्षमता: उपराऊ धान: 30-40 क्विंटल, मध्यम व नीची जमीन (ऊँची किस्म): 40-50 क्विंटल; बौनी उन्नत किस्म: 60-70 क्विंटल और संकर धान: 80-90 क्विंटल प्रति हैक्टर उपज प्राप्त की जा सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?(FAQs)

संकर धान की श्री विधि क्या है?

श्री (SRI) का मतलब है: सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन। संकर धान (Hybrid Rice) की खेती का यह उन्नत तरीका 1983 में मेडागास्कर में विकसित किया गया था और अब यह दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुका है। चावल गहनता प्रणाली (SRI) पौधों, मिट्टी, पानी और पोषक तत्वों के प्रबंधन में बदलाव करके सिंचित चावल की उत्पादकता बढ़ाने की एक पद्धति है, विशेष रूप से जड़ों की अधिक वृद्धि करके।

संकर धान की श्री विधि से खेती कैसे करें?

संकर धान (Hybrid Rice) की खेती सिंचित व असिंचित दोनों जमीन में की जा सकती है। पहली वर्षा के बाद मई में जुताई के समय तथा खेत में रोपाई के एक माह पूर्व, गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। श्री विधि में 10 टन तक जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। श्री विधि से खेती में बीज बहुत कम लगता है। इसमें एक एकड़ जमीन में 2 किलो बीज पर्याप्त है। धान की बुआई करने के लिए रस्सी से नापकर खेत में पंक्ति बना ली जाती है और उसी के नीचे बीज डाला जाता है।

संकर धान की श्री विधि से खेती कब करें?

संकर धान (Hybrid Rice) की खेती के लिए शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक की जा सकती है। सुगन्धित प्रजातियों की रोपाई माह के अंत में प्रारंभ करें। पहली वर्षा के बाद मई में जुताई के समय तथा खेत में रोपाई के एक माह पूर्व, गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से डालें।

संकर धान की श्री विधि में सिंचाई कैसे करें?

संकर धान (Hybrid Rice) की श्री विधि में पानी सिर्फ़ मिट्टी को गीला करने और आर्द्रता बनाए रखने के लिए दिया जाता है। खेत को क्रमिक रूप से सूखने देने और फिर पानी देने से मिट्टी में माइक्रोबियल क्रियाकलाप बढ़ता है और पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं। बाद की सिंचाई तभी करें जब खेत में दरारें आ जाएं। खेत की सतह से पानी अदृश्य होने के एक दिन बाद 5-7 सेंमी सिंचाई करें।

संकर धान की श्री विधि में कितना उर्वरक डालें?

संकर धान (Hybrid Rice) में नेत्रजन: स्फुर: पोटाश क्रमश: 150:75:90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। खेत में नेत्रजन की 1/4 मात्रा, स्फुर की पूरी एवं पोटाश की 3/4 मात्रा खेत से पानी निकालने के बाद डालें। नेत्रजन की शेष 3/4 मात्रा को तीन बराबर भागों में यूरिया द्वारा रोपाई के 3 व 6 सप्ताह बाद, एवं शेष बालियाँ निकलते समय डालतें है।

संकर धान की श्री विधि से कितनी पैदावार मिलती है?

श्री विधि या चावल गहनता प्रणाली (SRI) से संकर धान (Hybrid Rice) की खेती करने पर 80-90 क्विंटल प्रति हैक्टर उपज प्राप्त की जा सकती है और 25 से 30 प्रतिशत सिंचाई जल की बचत की जा सकती है।

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