
How to grow Gymnema in Hindi: मधुनाशिनी या गुड़मार, जिसे आमतौर पर जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे के नाम से जाना जाता है, यह उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाई जाने वाली एक बारहमासी बेल है, जो अपने कई स्वास्थ्य लाभों, खासकर डायबिटीज को मैनेज करने में, के लिए जानी जाती है। जैसे-जैसे प्राकृतिक उपचारों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है, कृषि उत्साही लोगों के बीच मधुनाशिनी की खेती भी लोकप्रिय हो रही है।
यह लेख गुड़मार की खेती के जरूरी पहलुओं पर गहराई से चर्चा करता है, जिसमें पौधे के लिए आदर्श बढ़ने की स्थितियों और प्रभावी खेती के तरीकों को समझने से लेकर किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का पता लगाना शामिल है। पारंपरिक चिकित्सा में अपने समृद्ध इतिहास और बढ़ती मांग के साथ, मधुनाशिनी (Gymnema) इस क्षेत्र में स्थायी कृषि विकास के लिए एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करता है।
गुमधुनाशिनी के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Gymnema)
मधुनाशिनी (Gymnema) गर्म, नमी वाले उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय मौसम में, जहाँ अच्छी बारिश होती है, वहाँ अच्छी तरह से उगती है। इसे अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट या काली मिट्टी पसंद है, लेकिन यह अनुकूलनीय है और पर्याप्त पानी मिलने पर सूखे क्षेत्रों में भी उग सकती है। इसे बेल होने के कारण सहारे की जरूरत होती है, और यह जलभराव वाली स्थितियों से बचती है, जिसके लिए आदर्श तापमान 20-30°C (68-86°F) के बीच होता है।
मधुनाशिनी के लिए भूमि का चयन (Land Selection for Gymnema Cultivation)
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसमें अच्छी जल निकासी हो, क्योंकि यह जल-जमाव के प्रति संवेदनशील है, हल्की रेतीली दोमट या मध्यम गहरी काली मिट्टी भी उपयुक्त है, और खेत को जुताई के बाद भुरभुरा और समतल करना चाहिए, क्योंकि बेल होने के कारण इसे सहारे की जरूरत होती है, और ऑर्गेनिक पदार्थ से इसे फायदा होता है, यह जंगल के किनारों या खुले जंगलों में अच्छी तरह बढ़ती है।
मधुनाशिनी के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for Gudmar)
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती की तैयारी के लिए, अच्छी जल निकासी वाली, गहरी मिट्टी (पीएच 5-6.5) चुनें और पक्का करें कि वह खरपतवार और कचरे से मुक्त हो, अच्छी तरह से जुताई की गई हो और समतल हो। जमीन की तैयारी के दौरान प्रति हेक्टेयर 5-10 टन फार्म यार्ड खाद (FYM) डालें, कटिंग या पौधे लगाने के लिए मिट्टी और खाद के मिश्रण के साथ गड्ढे (45सेमी) का इस्तेमाल करें। बेलों को चढ़ाने के लिए सहारा (जैसे बांस या अन्य पेड़) की व्यवस्था करें।
मधुनाशिनी की उन्नत किस्में (Improved varieties of Gymnema)
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए कोई विशेष उन्नत किस्में विकसित नहीं की गई हैं, लेकिन रिसर्च जंगली कलेक्शन से ज्यादा पैदावार देने वाले जीनोटाइप की पहचान करने पर फोकस करती है, जैसे कि आईआईएचआर के कलेक्शन (जैसे, आईआईएचआर-जीएस- 27, आईआईएचआर-जीएस- 9, आईआईएचआर-जीएस- 44), जिनमें कमर्शियल इस्तेमाल की क्षमता हो।
खासकर ऐसे टाइप जिनमें मधुनाशिनी (Gymnema) पत्तियों की पैदावार और जिम्नेमिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो, जिन्हें अक्सर चौड़ी पत्ती या पतली पत्ती वाले वेरिएंट के रूप में पहचाना जाता है, और बेहतर गुणों के लिए ब्रीडिंग के प्रयास जारी हैं।
मधुनाशिनी की बुवाई का समय (Sowing time of Gymnema)
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए, बीज बोने का सबसे अच्छा समय आमतौर पर नवंबर-दिसंबर होता है, पके बीज इकट्ठा करने के बाद, जबकि जड़ वाली कटिंग या तने की कटिंग लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान, जून-जुलाई होता है, ताकि खेत में अच्छी तरह से जम सकें और बढ़ सकें। बीजों को तैयारी (भिगोना) की जरूरत होती है और वे लगभग 15 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं, जबकि कटिंग में 90 दिनों के अंदर जड़ें निकल आती हैं, इसलिए मुख्य फसल लगाने के लिए जून-जुलाई सबसे अच्छा मौसम है।
मधुनाशिनी के पौधे तैयार करना (Preparing Gymnema Plants)
प्रवर्धन सामग्री: मधुनाशिनी (Gymnema) के बीजों की जीवन क्षमता कम होती है, अत: इसका प्रवर्धन सामान्यतया 1 वर्ष पुराने पौधे के तने की कटिंग्स, जिसमें 3 से 4 गॉठें हों, द्वारा किया जाता है। कटिंग्स का रोपण फरवरी – मार्च में करने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। इसकी जड़ों की कटिंग्स को भी प्रवर्धन सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है। जड़ों की कटिंग्स का रोपण जून-जुलाई में करना चाहिए। गुड़मार के पौधे टिश्यू कल्चर से भी तैयार किए जा सकते हैं।
नर्सरी तकनीक: नर्सरी में पौधे कटिंग्स अथवा बीज से तैयार किए जा सकते हैं। कटिंग्स से पौधे तैयार करने के लिए स्टायरोफोम ट्रे अथवा पोलीथीन थैली में मिट्टी, रेत तथा गोबर खाद का 1:2:1 अनुपात में मिश्रण भर कर उन्हे तैयार किया जाता है। गोबर खाद के स्थान पर कम्पोस्ट / वर्मीकम्पोस्ट का भी उपयोग किया जा सकता है। फरवरी-मार्च में कटिंग्स को इन ट्रेज अथवा पोलीथीन थैलियों में लगा देते है। कटिंग्स को लगाने के पूर्व आईबीए के 100 पीपीएम घोल में 6 मिनट तक डुबा कर रखना चाहिए।
मधुनाशिनी के पौधारोपण का तरीका (Method of Planting Gymnema)
मधुनाशिनी (Gymnema) के रोपण के लगभग 10 से 15 सेमी ऊंचाई वाले पौधों को 45 सेमी गड्ढों में प्रत्यारोपित किया जाता है। प्रत्यारोपण करने का उचित समय, वर्षात की शुरुआत के साथ माना जाता है, जैसा की खेत में जड़ वाले पौधों की रोपाई का सबसे अच्छा समय जून से अगस्त है। जल भराव की स्थिति पौधों की स्थापना पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी और इसलिए, ऐसे क्षेत्र में रोपाई से बचा जाना चाहीए।
वहीं सुखे की स्थिति में सिंचाई कि उचित व्यवस्था होनी चाहिये। जड़ वाले कटिंग / रोपण को क्रॉबर विधि द्वारा लगाया जा सकता है। खेत मे पौधो को 1×1.5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है तथा 1 हेक्टेयर भूमि में रोपण के लिए कुल 6700 पौधों की आवश्यकता होती है। यदि पौधो कि जीवित रहने की दर 80% हो तो एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए कुल 8400 पौधों की आवश्यकता होगी।
मधुनाशिनी में खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizers for Gymnema)
मधुनाशिनी (Gymnema) एक घनी वानस्पतिक वृद्धि करने वाली औषधीय लता है, इसलिये अच्छी बढ़वार के लिये इसे लगतार खाद और उर्वरकों का मिलना आवश्यक होता है। इसके उचित विकाश हेतू अच्छी तरह विघटित 10-12 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टर रोपण से पहले, भूमि की तैयारी के दौरान बेसल खुराक के रूप में दी जाती है।
इसके अलावा एनपीके 100: 60: 60 किलोग्राम प्रति हेक्टर उर्वरकों की सिफारिश रोपाई से पहले की जाती है। नत्रजन की आधी खुराक जब फसल कि पौध अच्छी तरह से स्थापित हो जाने के एक महिने बाद भी दि जा सकती है। अधिकतम बायोमास प्राप्त करने के लिए, हर वर्ष उर्वरकों की अतिरिक्त खुराक की भी सिफारिश की जा सकती है।
मधुनाशिनी में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Gymnema)
फसल की अच्छी वृद्धि व बढ़वार के लिये नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक पौध जमाव व विकास के लिये प्रत्यारोपण के तुरंत बाद एक सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों के दौरान तापमान अधिक होने के कारण एक सप्ताह में कम से कम एक सिंचाई की आवश्यकता होती है। वही सर्दियों के मौसम में, मिट्टी की नमी के आधार पर महीने में एक बार सिंचाई की जा सकती है। मधुनाशिनी (Gymnema) मे सिंचाई के लिये ड्रिप और बूंद-बूंद प्रणालि से सिंचाई बहुत सफल मानी जाती है।
मधुनाशिनी में अंत: कृषण क्रियाएं (Intercultural Operations in Gymnema)
मधुनाशिनी (Gymnema) प्रत्यारोपण के बाद प्रारंभिक विकास के दौरान प्रत्यारोपित क्षेत्र खरपतवार मुक्त रहना चाहीए। चुंकि इसके पौधों की वृद्धि बहुत धीरे होती है, अत: प्रारंभिक विकास के दौरान चने कि फसल इंटरक्रोप के रूप में उगायी जा सकती है। यह एक लता वाली फसल है और वैकल्पिक रूप से, इस फसल को पेड़ प्रजातियों के नीचे उगाया जा सकता है।
ये पेड़ प्रजातियां इसकी शाखाओं के लिये स्टेकिंग के रूप में काम करते मधुनाशिनी की बढ्वार मे भी सहायता प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त स्टेकिंग के लिये बाँस के खंभे भी उपयोग में लाये जा सकते है।
मधुनाशिनी में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control in Gudmar)
एफिड्स और स्पाइडर माइट्स जैसे कीटों पर कड़ी नजर रखें, क्योंकि ये छोटे हमलावर मधुनाशिनी (Gymnema) को खाना पसंद करते हैं। अपने पौधों का नियमित रूप से निरीक्षण करें और उन्हें दूर रखने के लिए नीम का तेल या कीटनाशक साबुन का इस्तेमाल करें।
इसके अलावा, फसल चक्र अपनाना और पौधों के चारों ओर अच्छी हवा का प्रवाह बनाए रखना बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आपका जिम्नेमा स्वस्थ और मजबूत रहे।
मधुनाशिनी की कटाई और पैकेजिंग (Gymnema sylvestre Harvesting)
मधुनाशिनी (Gymnema) की फसल रोपण के लगभग दो साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी पत्तियों आर्थिक उपयोग का भाग होता हैं तथा पत्तियों की कटाई वर्ष में चार बार की जा सकती है। हालांकि, यह पौधे की विकास दर पर निर्भर करता है, और एक वर्ष बाद ही बेहतर उपज प्राप्त होती है।
पत्तियों की तुड़ाई हाथ से की जाती है तथा मुख्य तने को नहीं काटा जाता है। तुड़ाई की हुई पत्तियां को पर्याप्त हवा के माध्यम से, छायादार स्थान में, साफ जमीन पर फैलाकर 8-10 दिनों तक सुखाया जाता है।
खराब होने से बचाने के लिए, पत्तियों को अच्छे से सुखनें के बाद जब नमी 8-9% से कम हो तभी पॉलीथीन बैग में पैक किया जाता है। इससे अधिक नमी की स्थिति मे पैक की गयी पत्तियों पर फफूंद के प्रकोप का खतरा बना रहता है। पत्तियों की रचनात्मक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सीधी धूप मे नहीं सुखाना चाहिये।
मधुनाशिनी की पैदावार और लाभ (Gymnemas sylvestre Yield and Profit)
मधुनाशिनी (Gymnema) की एक वर्ष मे चारों तुड़ाई से सूखे पत्तों की कुल उपज लगभग 5000 किलोग्राम वजन प्रति हेक्टेयर, प्रति वर्ष के हिसाब से हो जाती है। यदी फसल फूलों के दौरान एक वर्ष में केवल एक बार तुड़ाई की जाती है, तो 4 साल पुराने पौधे से औसतन 5-6 किलोग्राम सूखे पत्ते प्रति पौधा प्राप्त किया जा सकता है।
जबकि प्रति हेक्टेयर खेती की लागत लगभग 50,000 रुपये हो जाती है। वहीं मौजूदा बाजार दर पर रूपये 100 प्रति किलो के भाव से, प्रति वर्ष कुल 2.5 लाख प्रति हेक्टर से आय हो सकती है। उचित फसल प्रबंधन अपनाकर 10-15 वर्षों तक पौधों से लगातार आर्थिक उपज प्राप्त की जा सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी, गर्म व नम जलवायु और सहारे की जरूरत होती है। खेती के लिए खेत की अच्छी जुताई कर, नर्सरी में तैयार पौधों (बीज या कलम से) को फरवरी-मार्च या मानसून में रोपित करें। खाद के रूप में गोबर की खाद दें और सिंचाई का ध्यान रखें, तथा पत्तियाँ सितंबर-अक्टूबर और अप्रैल-मई में तोड़ें। यह एक बार लगाने पर 25-30 साल तक फसल देती है।
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है, जहाँ अच्छी तरह से वितरित वर्षा होती हो। यह शुष्क क्षेत्रों में भी उग सकता है, लेकिन जल-जमाव के प्रति संवेदनशील है, इसलिए दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली जगह पसंद करता है, और 20°C से 35°C तापमान इसके लिए अनुकूल है।
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसमें बलुई दोमट या मध्यम गहरी काली मिट्टी भी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी भुरभुरी और समतल होनी चाहिए, और जल-जमाव बिल्कुल नहीं होना चाहिए क्योंकि यह जड़ों को सड़ा सकता है, जिससे पौधे के विकास में बाधा आती है।
मधुनाशिनी (Gymnema) की कोई अलग-अलग किस्में नहीं होतीं, बल्कि यह एक ही प्रजाति है जिसे कई नामों (जैसे मेषश्रृंगी, मधुनाशिनी) से जाना जाता है, और इसकी सबसे अच्छी पहचान इसके औषधीय गुणों के लिए होती है।
मधुनाशिनी (Gymnema) उगाने का सबसे अच्छा समय वर्षा ऋतु (जून से अगस्त) है, क्योंकि इस दौरान पौधे की वृद्धि अच्छी होती है और कटिंग (कलम) भी इसी मौसम में लगाई जाती है, लेकिन खेत की तैयारी और रोपण के लिए मानसून के आगमन के बाद का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, जब मिट्टी नम होती है।
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए, अगर आप बीज से उगा रहे हैं, तो एक हेक्टेयर के लिए लगभग 2-3 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है, लेकिन ज्यादातर किसान इसे कटिंग (कलम) या तैयार पौधों से लगाते हैं, जिसमें प्रति हेक्टेयर 6,700 से 10,000 पौधे लगाए जा सकते हैं, जिनकी दूरी आमतौर पर 1×1 मीटर या 1×1.5 मीटर रखी जाती है।
गुड़मार (Gymnema) की फसल में पानी पौध रोपण के तुरंत बाद और फिर गर्मी में 10-15 दिन व सर्दी में 20-25 दिन के अंतराल पर देना चाहिए, ताकि बेलों की अच्छी बढ़वार हो सके और पत्तियों की अच्छी पैदावार मिले। पानी का उचित निकास महत्वपूर्ण है और अत्यधिक पानी से बचें।
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती के लिए जैविक खाद जैसे गोबर की खाद (FYM) और वर्मीकम्पोस्ट बहुत अच्छी होती है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं, साथ ही रोपण के समय नीम की खली का प्रयोग करना चाहिए, और अधिक पैदावार के लिए फेरस सल्फेट जैसी सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है, खासकर पीलापन रोकने के लिए।
मधुनाशिनी (Gymnema) की पौधरोपण के तुरंत बाद और बाद में आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए, खासकर जब लताएँ बढ़ रही हों और पत्तियां निकल रही हों, ताकि खरपतवार मुख्य फसल से पोषक तत्वों और पानी की प्रतिस्पर्धा न करें, आमतौर पर यह प्रक्रिया पहली कटाई (सितंबर-अक्टूबर) और दूसरी कटाई (अप्रैल-मई) से पहले जरूरी होती है।
हाँ, मधुनाशिनी (Gymnema) को एफिड्स और व्हाइटफ्लाइज जैसे आम कीड़े जिम्नेमा के पौधों को प्रभावित कर सकते हैं, साथ ही पाउडरी मिल्ड्यू जैसी फंगल बीमारियाँ भी। स्वस्थ विकास के लिए नियमित निगरानी और सही कीट प्रबंधन के तरीके ज़रूरी हैं।
मधुनाशिनी (Gymnema) की खेती में कीट-रोग प्रबंधन के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) अपनाएं, जिसमें जैविक तरीके (नीम तेल/अर्क, लहसुन-मिर्च का घोल, गोमूत्र-चूना मिश्रण) और रासायनिक उपाय (आपात स्थिति में कम विषाक्त कीटनाशक) शामिल हैं।
मधुनाशिनी (Gymnema) के पौधों को आमतौर पर मैच्योर होने और पहली कटाई के लिए तैयार होने में लगभग 6 से 12 महीने लगते हैं, यह बढ़ने की स्थितियों और दी गई देखभाल पर निर्भर करता है।
मधुनाशिनी (Gymnema) की पत्तियां तोड़ने का सबसे अच्छा समय बढ़ने के मौसम में होता है, आमतौर पर जब पत्तियां पूरी तरह से पक जाती हैं लेकिन फूल आने से पहले, क्योंकि इससे फायदेमंद कंपाउंड्स की सबसे ज्यादा मात्रा मिलती है।
हाँ, मधुनाशिनी (Gymnema) को गमलों और बगीचों, दोनों में आसानी से उगाया जा सकता है, क्योंकि यह एक बेल (लता) है और घर के बगीचे के लिए एक लोकप्रिय और उपयुक्त औषधीय पौधा है, जिसे सही सहारे और देखभाल के साथ बालकनी या किसी भी खुले स्थान पर लगाया जा सकता है।
मधुनाशिनी या गुड़मार (Gymnema), मुख्य रूप से शुगर के एब्जॉर्प्शन को कम करके और इंसुलिन को बढ़ाकर ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद करता है, मीठे की क्रेविंग को कम करके वजन घटाने में मदद करता है, और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करके दिल की सेहत को सपोर्ट करता है, साथ ही एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल फायदे भी देता है, जिससे यह एक संपूर्ण मेटाबॉलिक सहायता बन जाता है।





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