
Guinea Grass Farming in Hindi: गिनी घास कैसे उगाएंचारे की फसलों में गिनी घास का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक बहु-वर्षीय चारा फसल है। यह सिंचित दशा में पूरे वर्ष हरा चारा प्रदान करती है, जबकि शुष्क देशों में सिर्फ वर्षाकाल में ही चारा उपलब्ध होता है। गिनी घास को देश के लगभग सभी भागों में उगाया जाता है। पशु चारे के रूप में गिनी घास पौष्टिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसका वानस्पतिक नाम पेनिकम मैक्सिमम है। इस बहुमुखी घास को अपनी कृषि पद्धतियों में शामिल करने के इच्छुक किसानों के लिए जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं के साथ-साथ चरण-दर-चरण खेती की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है। यह लेख गिनी घास (Guinea Grass) की खेती के तरीकों, लाभों और बाजार की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करता है।
गिनी घास के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Guinea grass)
गिनी घास की फसल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपती है, जो इसे भारत के कई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त बनाती है। इष्टतम विकास के लिए इसे न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है और यह मध्यम सूखे की स्थिति को भी झेल सकती है, अर्थात गिनी घास (Guinea Grass) के लिए 19-23 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त है, और 700-900 मिमी वार्षिक वर्षा के साथ सबसे अच्छी तरह से बढ़ता है।
गिनी घास के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Guinea grass)
उत्तम जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। हालाँकि इसे लगभग सभी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है, अर्थात गिनी घास के लिए भूमि का चयन करते समय, कुछ महत्वपूर्ण कारकों पर ध्यान देना चाहिए। गिनी घास की फसल अच्छी तरह से जल निकासी वाली, उपजाऊ और अच्छी तरह से तैयार मिट्टी में अच्छी तरह से विकसित होती है।
इसे अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती है और यह वृक्षारोपण की छाया के नीचे भी उगाया जा सकता है। गिनी घास (Guinea Grass) 5.5 से 7.5 के बीच पीएच वाली अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी को पसंद करती है।
गिनी घास के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Guinea grass)
गिनी घास (Guinea Grass) उगाने के लिए भूमि को अच्छी तरह से तैयार करना महत्वपूर्ण है। भूमि को मोल्डबोर्ड द्वारा जुताई करें, फिर दो बार हैरोइंग और क्रॉस प्लैंकिंग करें। यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में से सभी पत्थर, कंकड़ और अन्य अवशिष्ट को हटा दिया गया है। भूमि को अच्छी तरह से समतल करें, ताकि सभी जगह समान रूप से पानी पहुंच सके। यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है, तो जैविक खाद या रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में सुधार करें।
गिनी घास के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Guinea grass)
गिनी घास (Guinea Grass) की कुछ उन्नत किस्मों में बुंदेल गिनी 1, बुंदेल गिनी 2, पीजीजी 1, पीजीजी 9, पीजीजी 14, पीजीजी 19, और सीओ 1, 2, 3 (ये किस्में उच्च उपज और अच्छी गुणवत्ता के चारे के लिए जानी जाती हैं) हैं। इनके आलावा कुछ अन्य किस्में भी हैं जैसे कोयंबटूर 1, कोयंबटूर 2, डीजीजी 1, गटन, पीजीजी 101 और हेमिल आदि शामिल है। ये किस्में भी उच्च उपज के लिए जानी जाती है और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अच्छी तरह से बढ़ती है।
गिनी घास की पौधशाला तैयार करना (Preparation of nursery of Guinea grass)
पौधशाला तैयार करने के लिए फरवरी या मार्च के महीने में क्यारियां बनाई जाती है और उसमें बीज की बुवाई की जाती है। इसके लिए एक से डेढ़ मीटर चौड़ी क्यारी बनानी चाहिए। एक हेक्टेयर के लिए 8 मीटर लंबाई की लगभग 45 क्यारियों की जरूरत होती है, जबकि सीधे खेत में बुवाई करने के लिए मानसून पहले बुवाई करनी चाहिए।
गिनी घास (Guinea Grass) की बुवाई पंक्ति में करने के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी एक मीटर तथा से पौधे से पौधे की बीच की दूरी आधा मीटर रखनी चाहिए। अधिक क्षेत्र में बुवाई करने के लिए सीड बैलेट द्वारा बुआई करना सस्ता एवं सुलभ होता है।
गिनी घास के लिए बीज और बीज की बुवाई (Seeds and seed sowing for Guinea grass)
गिनी घास (Guinea Grass) को पौधशाला में लगाकर या सीधे खेत में बुवाई की जाती है। दोनों विधियों में लगभग ढाई से 3 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है, जबकि जड़ों द्वारा बुवाई के लिए 25000 से 66000 जड़ें एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त होती हैं। पौधशाला में पौध तैयार करने के लिए 6 माह पुराने बीज को एक सेंटीमीटर की गहराई पर बुआई करना चाहिए। इसके बाद क्यारियों को जूट बैग से ढक कर पानी लगाना चाहिए।
गिनी घास के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer for guinea grass)
मृदा परीक्षण की संस्तुति के आधार पर खाद और उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। सामान्य परिस्थितियों में अच्छी प्रकार से सड़ी हुई गोबर की खाद 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी करते समय खेत में मिला देनी चाहिए। बुवाई के समय 60 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाना चाहिए।
इसके बाद गिनी घास (Guinea Grass) की प्रत्येक कटाई के बाद 40 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से टॉप ड्रेसिंग करना चाहिए। फास्फोरस के विकल्प के रूप में एनपीके ग्रेड मिक्सर या सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करना चाहिए। जल विलेय उर्वरकों तथा नैनो यूरिया के पर्णीय छिड़काव से फसल की पैदावार अच्छी मिलती है।
गिनी घास की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Guinea grass crop)
फसल की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवार के प्रकोप के कारण गिनी घास (Guinea Grass) फसल की बढ़वार प्रभावित होती है। खरपतवारों की अधिकता होने पर फसल की उपज बुरी तरह प्रभावित होती है। शुरुआती 30 से 40 दिनों में खरपतवारों की अधिकता होती है, जो फसलों के साथ हवा पानी प्रकाश पोषक तत्व के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। शुरुआती अवस्था में खरपतवारों का नियंत्रण जरूरी होता है।
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4-डी सोडियम साल्ट की 625 ग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। प्रथम रोपाई के समय लोबिया की अन्त: फसल से भी खरपतवारों पर नियंत्रण किया जा सकता है। साथ ही गुणवत्तापूर्ण हरा चारा भी प्राप्त होता है। लोबिया एक दलहनी फसल है।
फसल की जड़ों की गांठों में राइजोबियम के जीवाणु पाए जाते हैं, जो वायुमंडलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर भूमि को नत्रजन उपलब्ध कराते हैं। इसलिए फसल में लोबिया की फसल लेने से भूमि की उर्वराशक्ति में वृद्धि होती है। लोबिया एक पौष्टिक चारा भी है, जो पशु स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है।
गिनी घास की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Ginee Grass Crop)
गिनी घास के स्थापित होने के चरण के दौरान उचित सिंचाई आवश्यक है। नमी की कमी होने पर सिंचाई करना अति आवश्यक होता है। गिनी घास की फसल में सिंचाई प्रबंधन के लिए, पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें, और उसके बाद 7-8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
बाद में मौसम के अनुसार 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर, जीवन बचाव सिंचाई भी करें, लेकिन ध्यान रहे कि ज्यादा पानी न लगाएं क्योंकि गिनी घास (Guinea Grass) ज्यादा पानी को सहन नहीं कर पाती है। खरीफ में वर्षा न होने पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।
गिनी घास में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and disease control in Guinea grass)
कीट और रोग गिनी घास (Guinea Grass) की फसलों पर कहर बरपा सकते हैं, जिससे उपज और गुणवत्ता प्रभावित होती है। आम कीटों में टिड्डे, एफिड और आर्मीवर्म शामिल हैं, जबकि जंग और पत्ती के धब्बे जैसी बीमारियाँ भी खतरा पैदा कर सकती हैं।
इन से निपटने के लिए, किसान एकीकृत कीट प्रबंधन तकनीकों को लागू कर सकते हैं, जैसे कि लाभकारी कीटों का उपयोग करना, फसल चक्र का अभ्यास करना और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना। फसलों की नियमित निगरानी और शुरुआती हस्तक्षेप गंभीर संक्रमण को रोकने में महत्वपूर्ण हैं।
गिनी घास की फसल कटाई तथा उपज (Ginee grass crop harvesting and yield)
गिनी घास (Guinea Grass) की फसल लगभग 60 से 65 दिन की अवस्था में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। सिंचित दशा में 50 दिन के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस प्रकार लगभग 400 से 450 टन प्रति हेक्टेयर हरा चारा उपलब्ध होता है।
असिंचित दशा में सिर्फ मानसून पर आधारित खेती से दो-तीन बार कटाई की जाती है। अतः इस फसल को चारा वाले वृक्षों के बीच लगाकर भी चारा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह फसल छाया के प्रति सहनशील है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
गिनी घास की खेती एक अच्छी तरह से तैयार भूमि, उपयुक्त मौसम और उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। हल से जोताई करके जमीन को अच्छी तरह से समतल कर लेना चाहिए। फिर दो बार तवियों से जोताई करें और सुहागे से दो बार तिरछा खेत को समतल करें। गिनी घास (Guinea Grass) के रोपण के लिए बीज बैड की तैयारी जरूरी होती है।
गिनी घास (Guinea Grass) की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होता है। इसके बाद, आप बीज या जड़दार स्लिप्स का उपयोग करके इसकी बुवाई कर सकते हैं। बुवाई के लिए उपयुक्त समय मध्य फरवरी से जुलाई तक होता है।
गिनी घास (Guinea Grass) की बुवाई का सबसे अच्छा समय मध्य मार्च से मध्य मई के बीच होता है। इस समय में बुवाई करने से पौधे अच्छी तरह से स्थापित हो जाते हैं और बेहतर विकास करते हैं।
गिनी घास (Guinea Grass) की कुछ अच्छी किस्मों में बुंदेल गिनी- 1, बुंदेल गिनी- 2, बुंदेल गिनी- 4, मकौनी, हामिल, पीजीजी- 609, गिनी गटन- 1, पीजीजी- 13, पीजीजी- 19, पीजीजी- 101, और सीओ- 1 हैं।
गिनी घास (Guinea Grass) को तैयार होने में, पहली कटाई के लिए, लगभग 55 दिन लगते हैं, और फिर उसके बाद हर 25-30 दिनों पर दोबारा कटाई की जा सकती है, यह घास 4 से 5 सालों तक हरा रहता है।
गिनी घास (Guinea Grass) से आप 4 से 5 साल तक चारा ले सकते हैं। एक बार लगाने पर, यह कई वर्षों तक हरा चारा प्रदान करती है, जिससे पशुओं के लिए स्थायी चारे का स्रोत मिलता है।
गिनी घास (Guinea Grass) की सिंचाई का समय मौसम और फसल की अवस्था पर निर्भर करता है। सामान्यत: बुवाई के बाद तुरंत सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद, आवश्यकतानुसार, मौसम और मिट्टी की नमी के आधार पर सिंचाई की आवृत्ति को समायोजित किया जा सकता है।
गिनी घास (Guinea Grass) में, जैविक खाद जैसे गोबर की खाद (FYM) और रासायनिक खाद दोनों का उपयोग किया जा सकता है। जैविक खाद 20-25 टन प्रति एकड़ डालें, और रासायनिक खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश शामिल करें, जैसे कि 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना उचित रहता है।
हरे चारे के लिए गिनी घास (Guinea Grass) की कटाई मुख्य रूप से फूल आने से पहले की जाती है, यानी मई से नवंबर के महीने में। पहली कटाई बोआई के 60-70 दिनों के बाद की जाती है, और उसके बाद 25-30 दिनों के अंतराल पर कटाई की जा सकती है। वर्षा के मौसम में 30-35 दिनों और गर्मी में 40-45 दिनों के अंतर पर कटाई की जा सकती है।
गिनी घास (Guinea Grass) से औसतन 210 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज प्राप्त होती है। यह एक तेज गति से बढ़ने वाली घास है जो मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती है।
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