
Cultivation of millet for green fodder in Hindi: बाजरा शीघ्रता से बढने तथा कम अवधि में चारा पैदा करने वाली एक आदर्श फसल है। अधिक कल्ले फूटने, सूखा और गर्मी बर्दाश्त करने की क्षमता, विविध मृदा-जलवायुविक परिस्थितियों में उत्तम बढ़वार, चारे में प्रोटीन एवं रेशे की बहुलता जैसे गुणों के कारण पशुधन के लिए श्रेष्ठ चारा फसल है। फसल में पुष्पन की अवस्था में बाजरा के हरे चारे में 10 – 15% प्रोटीन, 50-60% चारे की पाचनशीलता, 96.6% राख, 2.24% ईथर के अलावा 0. 39% फॉस्फोरस पाया जाता है।
बीज की अवस्था में कटाई करने पर चारे में पोषक तत्वों की मात्रा में गिरावट आ जाती है। बाजरा के चारे में हाईड्रोसायनिक अम्ल (विषाक्त पदार्थ) की मात्रा बिल्कुल नहीं होती है। बाजरे को अकेले अथवा लोबिया के साथ सहफसल के रूप में बोया जा सकता है। यह लेख हरे चारे के लिए बाजरा (Green Fodder Millets) की खेती हेतु एक व्यापक मार्गदर्शिका प्रदान करता है, जिसमें जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं से लेकर कीट प्रबंधन, कटाई तकनीक तक के आवश्यक पहलुओं को शामिल किया गया है।
हरे चारे बाजरा के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for green fodder millet)
बाजरे की हरे चारे (Green Fodder Millets) के लिए खेती खरीफ फसल के रूप में उगाई जाती है। ग्रीष्मकाल में चारे के लिए यह उत्तम फसल है। बाजरे की उचित बढ़वार के लिए 30-35 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा रहता है। अच्छे अंकुरण के लिए, मिट्टी का तापमान 18-21 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
हरे चारे बाजरा के लिए भूमि का चुनाव (Selection of land for green fodder millet)
हरे चारे बाजरे (Green Fodder Millets) की उत्तम फसल बढ़वार के लिए उचित जलनिकास वाली बलुई दोमट अथवा हल्की भूमि उपयुक्त रहती है। अच्छे जमाव और पौध संख्या के लिए समतल और खरपतवार रहित खेत होना चाहिए और मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
हरे चारे बाजरा के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for green fodder millet)
हरे चारे बाजरा (Green Fodder Millets) की खेती के लिए, खेत को अच्छी तरह से तैयार करना ज़रूरी है। इसमें खेत को समतल करना, जुताई करना, और खरपतवारों को हटाना शामिल है। खेत में हल्की सिंचाई करके 2-3 जुताईया देशी हल से करके मिट्टी को भुरभूरी बना लेनी चाहिये। इसके बाद पाटा लगाकर खेतों को सममतल कर लेना चाहियें।
हरे चारे बाजरा के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for green fodder)
हरे चारे के लिए बाजरा (Green Fodder Millets) की उन्नत किस्मों में पूसा मोती, जीएपफबी-1, फोडर कम्ब-ू 8, माल बान्द्रा जी- 2, राज बाजरा चरी- 2, यूपीएपफबी- 1, टाइप- 55, एस- 530, ए- 1/30, एफबीसी- 16, राजको, पीएचबी- 12, एमएच- 30, बीजे- 105, आनन्द एस- 11, के- 674, के- 6787, एल- 74 आदि शामिल हैं।
हालाँकि द्वितीय पीढ़ी की एच बी- 3 एवं एच बी- 5 भी उपयुक्त है, जिनसे 500-550 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरा चारा पैदा हो सकता है | बहु कटाई चारे हेतु एस – 530 किस्म उपयुक्त है, जिससे 550-600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हरा चारा प्राप्त हो सकता है।
हरे चारे बाजरा की बुवाई का समय और विधि (Time and method of sowing of fodder millet)
बुवाई का समय: खरीफ में वर्षा प्रारंभ होने के पश्चात हरे चारे के लिए बाजरे (Green Fodder Millets) की बुवाई की जाती है। ग्रीष्मकाल में चारे हेतु फरवरी के दितीय सप्ताह से अप्रैल के प्रथम पक्ष तक की जा सकती है।
बीज दर: हरे चारे के लिए बाजरे की कतार बोनी हेतु 10-12 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। छिटका पद्धति से बुवाई करने के लिए 15-20 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। अंतरवर्ती खेती में बाजरा तथा लोबिया 2:1 अनुपात (2 लाइन बाजरा तथा एक लाइन लोबिया) में बोना चाहिए इसके लिए 6-7 किग्रा बाजरा तथा 12-15 किग्रा लोबिया बीज की आवश्यकता होती है।
बुवाई की विधि: प्राय: बाजरे की हरे चारे (Green Fodder Millets) के लिए बुवाई छिटकवां पद्धति से की जाती है, परन्तु बेहतर उत्पादन के लिए इसकी बुवाई कतारों में 25-30 सेमी की दूरी पर करना श्रेयस्कर रहता है।
हरे चारे बाजरा के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for fodder millet)
भरपूर बाजरा हरा चारा (Green Fodder Millets) पैदावार के लिए खाद एवं उर्वरकों की संतुलित मात्रा का प्रयोग करना आवश्यक होता है। पोषक तत्वों की सही मात्रा का निर्धारण मृदा परिक्षण के आधार पर हो सकता है। खेत की अंतिम जुताई के समय 8-10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर खाद खेत में मिला देना चाहिए।
पौधों की उचित बढ़वार के लिए 80 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फास्फोरस एवं 25 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के समय तथा शेष मात्रा को दो भागों में बांटकर बुवाई के 30-35 दिन बाद एवं प्रथम कटाई के तुरंत बाद देना चाहिए।
हरे चारे बाजरा के लिए खरपतवार नियंत्रण (Weed control for green fodder millet)
हरे चारे के लिए बाजरा (Green Fodder Millets) बोने के तुरन्त बाद अंकुरण से पहले ट्रान 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से खरपतवार नियंत्रित रहते है। खड़ी फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु 2,4-डी 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 35 दिन बाद छिडकाव करना चाहिए।
हरे चारे बाजरा के लिए सिंचाई (Irrigation for green fodder millet)
हरे चारे के लिए बाजरा (Green Fodder Millets) की खेती में, सिंचाई की आवश्यकता मौसम और मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है, लेकिन आमतौर पर बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करें, और बाद की सिंचाइयों को 15-20 दिन के अंतराल पर करें। ग्रीष्मकाल में फसल को 10-12 दिन के अन्तराल पर पानी देना चाहिए । फसल को कुल 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
हरे चारे बाजरा के लिए चारे की कटाई (Harvesting of Fodder for Green Fodder Millet)
चारे के लिए बाजरे की (Green Fodder Millets) फसल बुवाई के लगभग 50-60 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल में 50 प्रतिशत बाली आने के बाद प्रोटीन की मात्रा में गिरावट होने लगती है और रेशे की मात्रा बढ़ने लगती है। अत: उत्तम हरे चारे के लिए फसल में 50 प्रतिशत बाली निकलने की अवस्था पर काट लेना चाहिए। दूसरी कटाई प्रथम कटाई के 40-45 दिन बाद की जा सकती है।
हरे चारे की बाजरा फसल से चारा उपज (Fodder yield from green fodder millet crop)
बाजरे की उन्नत किस्मों के बेहतर सस्य प्रबंधन से औसतन 400-500 कुन्तल तथा बहु कटाई वाली किस्मों से 600-650 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
बाजरे की हरे चारे के लिए खेती करने के लिए, अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट या हल्की मिट्टी चुनें, खेत को तैयार करें। बुवाई के लिए जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक का समय उपयुक्त है, और 2-3 जुताई करें। बीज की मात्रा: 12-15 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर और बुवाई छिटकवां या लाइन में 2-2.5 सेमी की गहराई पर करें।
हरे चारे के लिए बाजरे (Green Fodder Millets) की बुआई, उत्तर भारत में मार्च से अगस्त और दक्षिण भारत में फरवरी से नवंबर तक की जा सकती है।
हरे चारे के लिए 10-12 किलोग्राम बाजरा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है, बीज को 2.5 ग्राम थीरम या 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किग्रा की दर से शोधित कर लेना चाहिए। बाजरा की बुवाई लाईन में करने से अधिक उपज प्राप्त होती है।
हरे चारे के लिए बाजरे (Green Fodder Millets) की अच्छी किस्मों में राज- 171, नरेन्द्र चारा बाजरा- 2, एल- 72, एल- 74, पूसा मोती, जीएपफबी- 1, फोडर कम्ब-ू 8 और माल बान्द्रा जी- 2 शामिल हैं।
चारे के लिए बाजरे (Green Fodder Millets) की सिंचाई, बुआई के बाद 10-15 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए, खासकर गर्मी के मौसम में अवश्य करें। फसल को 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है, कल्ले निकलते समय और फूल आने पर खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें।
बाजरा चारे (Green Fodder Millets) के लिए, प्रति हेक्टेयर 80-100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का प्रयोग करें, या मिट्टी परीक्षण के अनुसार करें।
बाजरा चारे की कटाई, बुवाई के 50-55 दिन बाद, जब फसल 50% बाली अवस्था में हो, करनी चाहिए। फसल को 2 मीटर से ज्यादा ऊंचा ना होने दें, क्योंकि इससे चारे के पोषक तत्व कम हो जाते हैं और वह पाचन के लिए भारी होता है।
बाजरे की फसल से हरे चारे की उपज 400 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है, जबकि सूखे चारे की उपज 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है।
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