
Gerbera Gardening in Hindi: जरबेरा की खेती पुष्प उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरी है, जो अपने चटख रंगों और लंबे समय तक खिलने वाले फूलों के लिए प्रसिद्ध है। दक्षिण अफ्रीका का मूल निवासी, जरबेरा डेज़ी ने पुष्प प्रेमियों और व्यावसायिक उत्पादकों, दोनों का दिल जीत लिया है, जिससे यह दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय कटे हुए फूलों में से एक बन गया है।
अपनी विविधता से युक्त भारतीय जलवायु, जरबेरा उगाने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है, खासकर मध्यम तापमान और पर्याप्त धूप वाले क्षेत्रों में। यह लेख जरबेरा (Gerbera) की खेती की जटिल प्रक्रियाओं पर गहराई से चर्चा करता है, जिसमें जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं, प्रसार तकनीकों, कीट और रोग प्रबंधन जैसे आवश्यक पहलुओं को शामिल किया गया है।
जरबेरा के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Gerbera)
जरबेरा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त है। इसके पौधों की अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए वातावरण दिन का तापमान 20-25 सेंटीग्रेड तथा रात का तापमान 12-15 सेंटीग्रेड अच्छा पाया गया है। लेकिन जिस स्थान का तापमान कुछ दिनों के लिए गर्मी के महीनों में 30-35 सेंटीग्रेड तथा सर्दी में रात का न्यूनतम तापमान 3-4 सेंटीग्रेड तक जाता हो, वहां पर भी इसकी खेती की जा सकती है।
12 घण्टे की प्रकाश अवधि में अच्छा पुष्प उपज पाया गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में जरबेरा (Gerbera) की खेती पॉलीहाउस में ही सफलतापूर्वक की जा सकती है लेकिन कटीबन्धी और उष्ण-कटबंधी वातावरण में जहाँ पर ठण्ड हो वहाँ पर भी इसकी खेती की जा सकती है। फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए सापेक्ष आर्द्रता दिन में 70-75% और रात में 80% से कम बनाए रखनी चाहिए।
जरबेरा के लिए भूमि का चयन (Selection of land for gerbera)
जरबेरा (Gerbera) के पौधे को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, क्योंकि यह जड़ों को आसानी से भेदने और हवा का संचार बनाए रखने में मदद करती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए, जो जरबेरा के पौधों के लिए अनुकूल है।
मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक होनी चाहिए, जैसे कि गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट। रोपण से पहले, पीएच और ईसी स्तर निर्धारित करने के लिए मिट्टी का गहन परीक्षण करें। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि इष्टतम विकास परिस्थितियों को बनाने के लिए किसी संशोधन की आवश्यकता है या नहीं।
जरबेरा के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Gerbera)
जरबेरा की खेती के लिए खेत की तैयारी में अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी, उचित पीएच स्तर, और जैविक खाद का उपयोग शामिल है। पहले खेत को कम से कम तीन बार जोतना चाहिए और गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट या धान की भूसी जैसी जैविक खाद उचित मात्रा में मिट्टी में मिलानी चाहिए।
खेत की अंतिम जुताई के बाद पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए। जरबेरा (Gerbera) की रोपाई मेड या क्यारियों में की जाती है। इसके लिए क्यारियां 30 सेमी ऊंची और 1.2 मीटर चौड़ी बनानी चाहिए। पौधों के बीच 30-50 सेमी की दूरी रखनी चाहिए।
जरबेरा की उन्नत किस्में (Advanced varieties of Gerbera)
उन्नत जरबेरा किस्में रंगों, आकारों और विशेषताओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती हैं, जो उन्हें कटे हुए फूलों और बगीचों, दोनों के लिए लोकप्रिय बनाती हैं। जरबेरा (Gerbera) की कुछ लोकप्रिय और उन्नत किस्में इस प्रकार है, जैसे-
लाल फूल वाली उन्नत किस्में: वेस्टा, तमारा, फ्रेडोरेल्ला, रुबीरेड, साल्वाडोर और रेड इम्पल्स प्रमुख है।
पीले फूल की किस्में: फूलमून, डोनी, सुपरनोवा, मेमूट, यूरेनस, तलासा, फ्रेडकिंग, नाडजा और पनामा प्रमुख है।
नारंगी फूल की किस्में: कैरेरा, मारा, सोल, कोजक, ऑरेंज क्लासिक और गोलियथ प्रमुख है।
गुलाबी फूल की किस्में: टेरा क्वीन, वेलेंटाइन, पिंक एलिगेंस, रोसलिन, मारा और सल्वाडोर प्रमुख है।
क्रीमी और सफेद फूल की किस्में: विंटर, क्वीन, डेल्फी, डालमा, फरीदा, व्हाइट मारिया और स्नोफ्लेक प्रमुख है।
जामुनी फूल की किस्में: ट्रीजर और ब्लैक जैक आदि प्रमुख है।
जरबेरा की बुवाई या रोपाई का समय (Timing of planting of gerbera)
जरबेरा की रोपाई आमतौर पर जनवरी-मार्च या जून-जुलाई के दौरान की जाती है। हालाँकि, पाला-रहित क्षेत्रों में इसे साल भर भी लगाया जा सकता है। उत्पादक अक्सर कम रोशनी और पाले के खतरे के कारण नवंबर और दिसंबर में, और पौधे के शुरुआती विकास के दौरान सर्दी से बचने के लिए अगस्त और सितंबर में भी रोपाई से बचते हैं। यहाँ जरबेरा (Gerbera) की बुवाई या रोपाई पर विस्तृत विवरण दिया गया है, जैसे-
रोपण का सर्वोत्तम समय: जनवरी-मार्च और जून-जुलाई जरबेरा की रोपाई के लिए सबसे आम समय हैं।
इन दिनों में रोपाई से बचें: नवंबर-दिसंबर (कम रोशनी और पाला) और अगस्त-सितंबर (शुरुआती विकास के दौरान सर्दी से बचने के लिए)।
साल भर रोपाई: पाला-रहित क्षेत्रों में, जरबेरा (Gerbera) की रोपाई साल भर की जा सकती है।
प्रकाश की आवश्यकताएँ: जरबेरा को अच्छी रोशनी की आवश्यकता होती है, इसलिए कम धूप वाले महीनों में रोपाई से बचना चाहिए।
उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र: उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, पाला युवा पौधों के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए रोपाई के समय पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
जरबेरा के पौधे तैयार करना (Preparation of Gerbera Plants)
जरबेरा (Gerbera) का प्रवर्धन बीज तथा वानस्पतिक भागों द्वारा किया जाता है। बीज द्वारा प्रवर्धन नयी जातियों को विकसित करने के लिए किया जाता है। वानस्पतिक विधि द्वारा प्रवर्धन करने से पौधे पैतृक जैसे ही उत्पादित होते हैं। इस विधि द्वारा जरबेरा का प्रवर्धन कलम्प विभाजन द्वारा किया जाता है।
कलम्प विभाजन विधि द्वारा कम समय में बड़े पैमाने पर पौधों को तैयार नहीं किया जा सकता है। इसलिए बड़े पैमाने पर रोगमुक्त पौधे उत्तक संवर्धन विधि द्वारा तैयार किये जाते है। जरबेरा (Gerbera) के पौधे तैयार करने की विधियों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है, जैसे-
कलम्प विभाजन: पहाड़ी क्षेत्रों में जरबेरा (Gerbera) के कलम्प का विभाजन सितम्बर के पहले सप्ताह तथा मैदानी क्षेत्रों में जून से जुलाई में किया जाता है। कलम्प विभाजन के बाद तथा पुन: कलम्प को रोपित करने से पहले कलम्प से कुछ पत्तों उपरी आधे हिस्से को काट देना चाहिए। केवल दो से तीन नये पत्ते रखे जाते हैं।
कलम्प को लगाने में यह सावधानी रखी जाती है कि कलम्प के बीच का भाग मिट्टी में नहीं दबना चाहिए। पौध उखाड़ने तथा कलम्प विभाजन के बाद कलम्पों को पॉलीथीन बैग में लगाकर पॉलीहाउस में जिसका तापमान 18-20° सेंटीग्रेड तथा आर्द्रता 80 प्रतिशत तक हो, वहाँ पर रखनी चाहिए।
इस विधि द्वारा 15-20 दिनों में जरबेरा (Gerbera) के पौधे क्यारी में स्थानान्तरण के लिए तैयार हो जाते हैं। पौध रोपण के तुरन्त बाद जो फूल आते हैं, उन्हें शुरू में तोड़ देते हैं। जब तक पौधे पर कम से कम 6-7 बड़ी आकार की पत्तियाँ न हों जाएं तब तक पुष्प उत्पादन नहीं लिया जाता है।
उत्तक संवर्धन: बड़े पैमाने पर कम समय में रोगमुक्त जरबेरा (Gerbera) की पौध सामग्री तैयार करने की यह सर्वोत्तम विधि है। पौध निर्माण के लिए उत्तक संवर्धन की विधि को सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें पौधों की कली, अग्र भाग और फूल के उत्तको द्वारा नई पौध तैयार की जाती है। इस तरह की पौध को प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है।
बीज के माध्यम से पौध तैयार करना: बीज से पौध को तैयार करने के लिए बीजो को नर्सरी में लगाया जाता है। इसके लिए जब पौधों पर फूल निकलने लगे तब बीज को फूल से निकाल ले और फिर नर्सरी में तैयार क्यारियों में लगा दे। इसके बीज का अंकुरण 5 से 7 सप्ताह में हो जाता है। लेकिन बीज से तैयार पौधे को पैदावार देने में अधिक समय लग जाता है। इसलिए बीज से पौधा उगाना कम अच्छा होता है।
जरबेरा की पौध रोपण और विधि (Gerbera Plantation and Method)
वातावरण अनुकूल होने पर जरबेरा (Gerbera) का पौध रोपण पूरे वर्ष किया जा सकता है। इसके लिए पौधे से पौधे और पंक्ति से पंक्ति का फासला 33 या 40 सेंमी रखा जाना चाहिए। पौध रोपण का फासला बढ़ाने पर पुष्प की उपज कम हो जाती है तथा बहुत ही कम फासला करने पर पुष्प गुणवत्ता में कमी आ जाती है तथा रोग लगने की अनुकूल परिस्थिति पैदा हो जाती है।
पौध रोपण करते समय विशेष तौर पर यह ध्यान देना चाहिए कि पूर्ण तरीके से जड़ वाला भाग जमीन के अन्दर चला जाए, लेकिन पौधे के बीच में जहाँ से नई पत्तियाँ निकलती हैं, वह जमीन के अन्दर नहीं जाना चाहिए। पौध रोपण का कार्य सायंकाल में करना चाहिए। रोपाई के तुरन्त बाद सिंचाई कर देनी चाहिए, ताकि जड़ों एवं मिट्टी के बीच कोई फासला न रहे अन्यथा पौधों के मरने की स्थिति पैदा हो जाती है।
जरबेरा में खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer in gerbera)
जरबेरा (Gerbera) की पौध की अच्छी वद्धि और विकास के लिए लगातार पोषक तत्व की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन कभी भी एक साथ अधिक मात्रा में पोषक तत्व इसके पौधों को नहीं देना चाहिए। पौध रोपण के बाद तब तक उर्वरक देना शुरू नहीं करते हैं, जब तक पौधों में नई वृद्धि शुरु न हो जाए।
इसके लिए प्रति हेक्टेयर खेत में 15 से 20 गाड़ी सड़ी गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाता है, और रासायनिक उवर्रक के तौर पर 40 किलोग्राम फास्फोरस, 30 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम पोटाश की मात्रा का इस्तेमाल करे, या नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश के लिए घुलनशील ग्रेडेड विभिन्न प्रतिशत वाले रासायनिक उर्वरक जैसे 13:13:13, 19:19:19 तथा 0:0:51 का इस्तेमाल किया जा सकता है।
नत्रजन के लिए कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का भी प्रयोग किया जाता है। जरुरत पड़ने पर सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव जरबेरा (Gerbera) के पौधों पर किया जाता है। इन उर्वरकों या सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा वर्तमान में पौधों की वृद्धि और विकास के उपर काफी हद तक निर्भर करता है।
जरबेरा में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Gerbera)
जरबेरा की खेती में पौधों की बढ़वार के लिए सिंचाई का विशेष महत्व है। मिट्टी को पौध रोपण से पहले हल्का सींच देना चाहिए तथा पौध रोपण के उपरान्त भी सिंचाई करनी चाहिए। मिट्टी की उपरी सतह पर पोषक तत्वों को अर्जित करने वाली जड़ों का विकास होता है, इसलिए यह आवश्यक है कि उपरी 30 सेंमी की सतह में लगातार नमी बनी रहे।
क्यारियों में पानी का जमाव बिल्कुल नहीं होना चाहिए। शुष्क मौसम में प्रतिदिन हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जरबेरा (Gerbera) के पूर्ण विकसित एक पौधे को 700 से 1000 मिलीलीटर पानी की प्रतिदिन आवश्यकता पड़ती है। सिंचाई के पानी का पीएच मान 6.5 -7.0 तथा ईसी 0.5-1.0 तक लाभकारी पाया गया है।
जरबेरा में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in gerberas)
जरबेरा (Gerbera) के पौधे अधिक लंबाई वाले नहीं होते है, इसलिए खरपतवार नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है, अन्यथा पौधों में कई तरह के कीट व रोगो का प्रभाव देखने को मिल सकता है। जिसका असर फसल की पैदावार पर होता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक तरीका अपनाना चाहिए, इसके लिए पौधों की दो से तीन गुड़ाई करनी होती है। जिसमे पहली गुड़ाई को तकरीबन 20 से 25 दिन बाद तथा बाकी की गुड़ाई को 15 से 20 दिन में करे।
जरबेरा की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in gerbera crop)
जरबेरा (Gerbera) की फसल में कई रोगों का प्रकोप होता है, जिनसे फसल को नुकसान हो सकता है। इनमे प्रमुख हैं: पाउडरी मिल्ड्यू, रूटराट, फ्यूजेरियम विल्ट और लीफ स्पॉट। इन रोगों के नियंत्रण के लिए, उचित फफूंदनाशकों और कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए।
इसके अलावा, जैविक और प्राकृतिक तरीकों का भी उपयोग किया जा सकता है। जरबेरा (Gerbera) में रोग नियंत्रण के उपाय इस प्रकार है, जैसे-
पाउडरी मिल्ड्यू: यह रोग पत्तियों और तनों पर सफेद पाउडर जैसा जमाव पैदा करता है।
नियंत्रण: कैराथेन 1 मिली प्रति लिटर पानी का छिड़काव करें।
रूटराट: यह रोग जड़ों को सड़ा देता है, जिससे पौधे मुरझा जाते हैं और मर जाते हैं।
नियंत्रण: मेटलैक्सिल, प्रोपीनेब, या कार्बेंडाजिम जैसे फफूंदनाशकों का उपयोग करें।
फ्यूजेरियम विल्ट: यह रोग पत्तियों को पीला कर देता है और फिर उन्हें सुखा देता है।
नियंत्रण: बाविस्टीन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
लीफ स्पॉट: यह रोग पत्तियों पर धब्बे पैदा करता है, जिससे पत्तियां समय से पहले गिर जाती हैं।
नियंत्रण: पत्ती धब्बा और पत्ती झुलसा रोग के लिए, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3%) और मैनकोजेब (0.2%) का छिड़काव किया जा सकता है।
जरबेरा की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in gerbera crop)
जरबेरा की फसल में एफिड्स, थ्रिप्स, स्पाइडर माइट्स और व्हाइटफ्लाई जैसे कीटों का प्रकोप हो सकता है। इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए, आप जैविक या रासायनिक नियंत्रण विधियों जैसे लेडीबग या लाभकारी कीड़ों का उपयोग कर सकते हैं। जरबेरा (Gerbera) की फसल में कीट नियंत्रण के उपाय इस प्रकार है, जैसे-
व्हाईट फ्लाई: यह एक प्रकार का रस चूसने वाला कीट है। इसके अत्याधिक प्रभाव के कारण पौधों की बढ़वार तथा फूलों की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।
नियंत्रण: इसकी रोकथाम के लिए सार्प नामक कीटनाशक दवा का 0.3 ग्राम प्रतिलीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
थ्रिप्स: यह भी एक प्रकार का रस चूसने वाला कीट है। इसका सीधा प्रभाव पुष्प की गुणवत्ता पर पड़ता है तथा बाजार में इस प्रकार के पुष्पों की कीमत कम मिलती है।
नियंत्रण: समय समय पर इण्डोसल्फान और मैलाथियान का छिड़काव 2.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर करना चाहिए।
एफिड्स: एफिड्स नई पत्तियों या पुष्प डण्डियों पर रहते हैं।
नियंत्रण: इनकी रोकथाम के लिए मैलाथियान या इण्डोसल्फान का छिड़काव 2.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ बोलकर करना चाहिए।
लीफमाइनर: लीफमाइनर काला और पीले रंग का होता है। इसके नर एवं मादा दोनों पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं।
नियंत्रण: इसकी रोकथाम के लिए 1.0 मिली लीटर रोगर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
जरबेरा के फूलो की कटाई (Cutting of gerberas flowers)
जरबेरा के पौधे रोपाई के तकरीबन 5 से 6 माह बाद पैदावार देना आरम्भ कर देते है। जब पौधों पर लगे फूल पूर्ण रूप से खिले दिखाई दे और जब दो तीन बाहरी पंखुड़ियों की लाइन डंठल के लंबवत हो जाए तब फूल की तुड़ाई करना चाहिए। फूलों की तुड़ाई सुबह या शाम में करना चाहिए, इसके बाद इन्हे पानी के बर्तन में रखे।
आरम्भ में जरबेरा (Gerbera) के फूलो को दो दिन में तोड़ना होता है, किन्तु जब फूल अधिक खिलने लगे तो प्रतिदिन कटाई करे। कटाई के पश्चात् सामान आकार वाली डंडियों वाले फूल की 12 15 डालियो को एकत्रित कर बंडल तैयार कर लिए जाते हैं।
जरबेरा की खेती से पैदावार (Yield from Gerberas cultivation)
जरबेरा (Gerbera) की खेती से अच्छी उपज और मुनाफा कमाया जा सकता है। क्योंकि बाजार में इस फूल की सुंदरता के कारण अधिक मांग होने से अच्छी कमाई होती है। हर साल प्रति वर्गमीटर से 200 से 250 फूलों का उत्पादन होता है।
यदि प्रति एकड़ की बात करें तो अच्छे रखरखाव से 12 से 15 लाख जरबेरा (Gerbera) फूल प्रति एकड़ तक प्राप्त किए जा सकते हैं। एक बार रोपाई के बाद पौधों से 24 से 30 महीनों तक पौधों से उत्पादन लिया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
जरबेरा (Gerbera) की बागवानी के लिए, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी, 5.5 से 6.5 पीएच मान और 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान आवश्यक है। नर्सरी से पौधे को सावधानी से निकालकर, जड़ों को हल्का ढीला करके, 30 सेमी की दूरी पर लगाएं। नियमित सिंचाई, उर्वरक और खरपतवार नियंत्रण के साथ, जरबेरा 3 महीने में फूल देना शुरू कर देगा।
जरबेरा (Gerbera) मध्यम तापमान, आदर्श रूप से 18°C से 25°C के बीच, में पनपता है। इसे दिन में कम से कम 6-8 घंटे पूर्ण सूर्यप्रकाश और 6.0 से 6.8 के बीच पीएच स्तर वाली अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
जरबेरा (Gerbera) के पौधे के लिए अच्छी मिट्टी वह है जो अच्छी जल निकासी वाली हो और जिसमें जैविक पदार्थ भरपूर मात्रा में हों। लाल लैटेराइट मिट्टी जरबेरा के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
जरबेरा (Gerbera) की कई अच्छी किस्में हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय हैं: प्री इंटेंज, स्टैन्ज़ा, विंटर क्वीन, कैचरेल, जाफा, संगरिया, डायना, थालिया, सोनसारा, पगनिनी, एनेके, नेटे, रोसेटा, ग्लोरिया, गिन्ना, इंग्रिड, प्रिसिला, एलेक्सियास, इंटेंस, सनवे, ज़िंगारो, बैलेंस, रोजलिन, ड्यून और मोनिक शामिल है।
जरबेरा (Gerbera) उगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च और सितंबर से अक्टूबर है। इन महीनों में, तापमान और प्रकाश की स्थिति जरबेरा के पौधों के लिए अनुकूल होती है, जिससे वे अच्छी तरह से विकसित हो पाते हैं।
जरबेरा (Gerbera) के पौधे बीजों, वानस्पतिक विधियों जैसे गुच्छों को विभाजित करके या ऊतक संवर्धन द्वारा तैयार किये जा सकते है। प्रत्येक विधि के अपने फायदे हैं, और चुनाव खेती के पैमाने और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करता है।
एक एकड़ में जरबेरा (Gerbera) के लगभग 25,000 से 32,000 पौधे लगाए जा सकते हैं। यह संख्या पौधे लगाने की विधि और पौधे के प्रकार पर निर्भर करती है।
जरबेरा (Gerbera) के पौधे को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन बहुत अधिक पानी देने से जड़ सड़न हो सकती है। सामान्य तौर पर, मिट्टी को नम रखने के लिए हर 3-5 दिन में पानी देना चाहिए, लेकिन जब मिट्टी की ऊपरी परत सूख जाए।
जरबेरा (Gerbera) के बाग की निराई-गुड़ाई करने के लिए, सबसे पहले खरपतवारों को हाथ से या खुरपी से निकालें। फिर, मिट्टी को ढीला करने के लिए चारों तरफ गोड़ाई करें, जिससे जड़ों को हवा मिल सके। शुरुआती दो महीनों में, जरबेरा की कलियों को हटा दें ताकि पौधा स्वस्थ रहे और बाद में फूल खिल सकें।
जरबेरा (Gerbera) के पौधों के लिए संतुलित एनपीके उर्वरक, जैविक खाद जैसे वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद और नीम खली, साथ ही कंट्रोल-रिलीज़ उर्वरक का उपयोग करना अच्छा होता है।
जरबेरा (Gerbera) के पौधों की छंटाई फूलों के खिलने के बाद और पुरानी पत्तियों को हटाने के लिए की जाती है। तेज और साफ कैंची या प्रूनर का उपयोग करके, मृत या मुरझाई हुई पत्तियों और फूलों को हटा दें, जिससे पौधे को नई वृद्धि के लिए प्रोत्साहन मिले।
जरबेरा (Gerbera) को प्रभावित करने वाले सामान्य कीटों में एफिड, थ्रिप्स और सफेद मक्खियाँ शामिल हैं, जबकि चूर्णिल फफूंद और जड़ सड़न जैसे रोग भी पौधों को प्रभावित कर सकते हैं। नियमित निगरानी, जैविक नियंत्रण और उचित स्वच्छता सहित एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) रणनीतियाँ इन समस्याओं के प्रबंधन में प्रभावी हैं।
जरबेरा (Gerbera) के फूल लगाने के 3 महीने बाद फूल देना शुरू कर देते हैं। एकल प्रकार की किस्मों में, फूल तब काटे जाते हैं, जब पुंकेसर के 2-3 चक्र विकसित हो जाते हैं, जबकि डबल किस्मों में, फूल थोड़े पके होने पर काटे जाते हैं।
जरबेरा (Gerbera) के फूलों की कटाई तब करनी चाहिए जब पंखुड़ियाँ पूरी तरह से खुली हों, लेकिन अभी झुकी न हों। फूलों को ताजा और नमीयुक्त बनाए रखने के लिए कटाई का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या देर दोपहर है।
जरबेरा (Gerbera) से उपज की मात्रा कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि खुली स्थिति या ग्रीनहाउस में खेती और पौधे की देखभाल। एक एकड़ में, खुली स्थिति में 130-160 फूल प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष और ग्रीनहाउस में 175-200 फूल प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष तक प्राप्त किए जा सकते हैं। एक एकड़ में लगभग 12 लाख फूल तक प्राप्त किए जा सकते हैं।
हाँ, जरबेरा (Gerbera) को गमलों या कंटेनरों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। जरबेरा को छोटे से मध्यम आकार के गमलों में लगाया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि गमले में अच्छी जल निकासी हो।
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