
Cultivation of sorghum for green fodder in Hindi: ज्वार एक बहुमुखी फसल है, जो पशुओं के लिए हरे चारे के स्रोत के रूप में बहुत मूल्यवान है। विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में पनपने की इसकी क्षमता और इसकी उच्च पोषण सामग्री इसे उन किसानों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाती है, जो अपने पशुओं को खिलाने की प्रथाओं को बेहतर बनाना चाहते हैं।
भारत के ज्यादातर राज्यों में पशुपालन कृषि क्षेत्र का एक अभिन्न अंग है। इसलिए यह लेख विशेष रूप से हरे चारे के उत्पादन के लिए ज्वार की खेती की पेचीदगियों पर प्रकाश डालता है, सर्वोत्तम पद्धतियों, तकनीकों और विचारों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो किसानों को बेहतर चारा उपज के लिए ज्वार की खेती के प्रयासों को अनुकूलित करने में मदद कर सकते हैं।
हरा चारा ज्वार के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for green fodder sorghum)
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की फसल से अधिक हरे चारे के उत्पादन के लिए पानी, हवा, सूर्य का प्रकाश एवं उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है। क्योंकि सफल उत्पादन मौसम की अनुकूल व प्रतिकूल दशाओं पर निर्भर करता है। ज्वार एक सूखा प्रतिरोधी वार्षिक फसल है। यह 25-35 डिग्री सेल्सियस तापमान सीमा के साथ उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपती है। यह अधिक ऊँचाई (1200 मीटर से अधिक) के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे 300-350 मिमी की वार्षिक वर्षा के तहत उगाया जा सकता है।
हरा चारा ज्वार के लिए भूमि का चयन (Selection of land for green fodder jowar)
हरे चारे के लिए ज्वार (Fodder Sorghum) की सफल खेती उचित जल निकास वाली सभी प्रकार की मिट्टी पर की जा सकती है। मगर ध्यान रहे कि खेत की मिट्टी अधिक अम्लीय और क्षारीय नहीं होनी चाहिए। दोमट, बलुई दोमट और हल्की काली मिट्टी जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 हो, ज्वार चरी उगाने के लिए सर्वोत्तम होती है। ज्वार के पौधों में भूमि की लवणीय व क्षारीयपन को कुछ सीमा तक सहन करने की क्षमता होती है। इसके अलावा भूमि उपजाऊ हो तथा अधिक पानी धारण करने की क्षमता भी रखती हो।
हरा चारा ज्वार के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for green fodder sorghum)
हरा चारा ज्वार (Fodder Sorghum) फसल के अच्छे जमाव और बढ़वार के लिए यह बेहद जरूरी है कि खेत की तैयारी सही तरीके से की जाए। इसलिए वर्षा से पहले खेत की जुताई करके तैयार कर लेना चाहिए। अंकुरण के लिए भूमि में पर्याप्त नमी अवश्य होनी चाहिए। पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए बुआई से पूर्व प्रति हैक्टेयर 20-25 गाड़ी गोबर की खाद खेत में डालकर अच्छी तरह से मिलाये। इसके बाद मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करने के बाद 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बना ले। तैयारी के समय खेत से खरपतवार निकालना भी नितांत आवश्यक है।
हरे चारे के लिए ज्वार की किस्मों का चयन (Selecting Sorghum Varieties for Green Fodder)
हरे चारे के लिए ज्वार (Fodder Sorghum) की सही किस्म चुनना आपके पशुओं के खाने के अनुभव को बेहतर या खराब कर सकता है। मीठे ज्वार से लेकर दोहरे उद्देश्य वाली किस्मों तक, हर पशु के स्वाद के लिए ज्वार मौजूद है। यहाँ कुछ हरा चारा ज्वार की उन्नत किस्मों का उल्लेख है, जो इस प्रकार है, जैसे-
एक कटाई के लिए: यूपी चरी- 1, यूपी चरी- 2, पूसा चरी- 6, पूसा चरी- 9, हरियाणा चरी- 136, हरियाणा चरी- 260, राजस्थान चरी- 1 और राजस्थान चरी- 2 आदि शामिल है।
बहु कटाई के लिए: एमपी चरी, पूसा चरी- 23, एसएसजी- 89-8 (मीठी सुडान), एमएफएसएच- 3ए, पंत सकर ज्वार- 5 और सीएसवी 59बीएमआर आदि शामिल है।
चारा ज्वार बुवाई का समय और बीज की मात्रा (Fodder jowar sowing time and seed quantity)
बुवाई का समय: हरे चारे के लिए ज्वार (Fodder Sorghum) की बुवाई का उपयुक्त समय 25 जून से 10 जुलाई है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई उपलब्ध नही है, वहां खरीफ की फसल मानसून में मौका मिलते ही बुवाई कर देनी चाहिए।
बीज की मात्रा: हरा चारा ज्वार (Fodder Sorghum) के लिए 20-24 किलोग्राम व सूडान घास के लिए 12 से 14 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से 25 सेन्टीमीटर की दूरी पर पंक्ति में ड्रिल या पोरे की मदद से करें। बीज को बिखेरकर ना बोऐं। यदि किसी कारणवश छिड़काव विधि द्वारा बुवाई करनी पड़े तो बीज की मात्रा में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि आवश्यक है।
हरे चारे के लिए ज्वार की बुआई का तरीका (Method of sowing sorghum for green fodder)
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की किस्मों के चुनाव के बाद यह आवश्यक है कि बीज प्रमाणित जगह से ही खरीदा जाए। देखा गया है कि कभी- कभी पास के बाजार में जो भी बीज बुआई के काम में लिया जाता है उसमें ना तो सही किस्म होती है और ना ही जमाव अच्छा रहता है। इसलिए प्रमाणित जगह से बीज लेकर खेत की तैयारी इस तरह से की जाए कि बीज का जमाव सही प्रकार से हो सके और बुआई से पहले खेत में पलेवा करना न भूलें।
इस प्रकार तैयार खेत में सुबह के समय में “सीड ड्रिल’ से या देशी हल से 25–30 सेमी की दूरी पर बनी लाइनों में बुआई की जानी चाहिए। छिटकवां विधि में काफी बीज जमीन की सतह पर रह जाता है। इसलिए इस विधि से बीज की मात्रा 15-20 प्रतिशत अधिक रखना चाहिए। जहां पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो के आकार के अनुसार बीज की मात्रा 30-40 किग्रा प्रति हैक्टेयर रखनी चाहिए जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में पौधों की संख्या अधिक मिल सकें।
हरा चारा ज्वार में खाद और उर्वरक प्रबंधन (Manure and fertilizer in green fodder sorghum)
बहु कटाई वाली हरे चारे की ज्वार (Fodder Sorghum) की किस्मों के लिए यह आवश्यक है कि संतुलित उर्वरक, सही मात्रा व सही समय पर प्रयोग करे। अगर संभव हो सके तो 10-15 टन अच्छी सड़ी गोबर की खाद बुआई से 20 दिन पहले खेत में डालकर मिला दें। इसके साथ ही कम वर्षा वाले व बारानी क्षेत्रों में बुवाई के समय 20 किलोग्राम नत्रजन प्रति एकड़ दें। सम्पूर्ण उर्वरक बुवाई से पहले पंक्ति में ड्रिल करें।
अधिक वर्षा वाले या सिंचित क्षेत्रों में 20 किलोग्राम नत्रजन बुवाई के समय तथा 10 किलोग्राम नत्रजन प्रति एकड़ बुवाई के एक महीने बाद भी डालें। सूडान घास के लिए हर कटाई के बाद 10 किलोग्राम नत्रजन प्रति एकड़ देनी चाहिए। जिन खेतों में फॉस्फोरस का स्तर मध्यम से कम हो वहां 12 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति एकड़ की दर से बुवाई से पहले डालें। जिन खेतों में पोटाश का स्तर मध्यम से कम हो वहां 12 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से बुवाई से पहले डालें।
हरा चारा ज्वार में खरपतवार प्रबन्धन (Weed Management in Green Fodder Sorghum)
ज्वार उगने के 15–20 दिन बाद या पहली सिंचाई के बाद, बत्तर आने पर एक बार निराई-गुड़ाई करें, दूसरी गुड़ाई बरसात में जब खरपतवारों का प्रकोप बढ़ जाए तब करें। इससे खरपतवार नियन्त्रण में रहते हैं तथा जमीन में नमी भी बनी रहती है। हरे चारे की ज्वार (Fodder Sorghum) में खरपतवारों की रोकथाम के लिए बुवाई के 7-15 दिन के अन्दर 200 ग्राम एट्राज़ीन (50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण) प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें ऐसा करके खरपतवारों को काफी हद तक रोका जा सकता |
हरा चारा ज्वार में सिंचाई प्रबन्धन (Irrigation Management in Green Fodder Sorghum)
यदि हरा चारा ज्वार (Fodder Sorghum) फसल मार्च में बोयी गयी हो तो सिंचाई का उचित प्रबंध करना चाहिए। बुआई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करना अति आवश्यक होता है। यदि ज्वार की बुआई मई-जून में की गयी हो तो इसमें 7-8 दिन अंतराल पर गर्मियों में पानी देने की आवश्यकता पड़ती है तथा बरसात आने पर सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। इसमें लाभ यह होगा फसल की प्रारम्भिक अवस्था में गर्मी का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बहु कटाई वाली किस्मों में यह ध्यान रहे कि प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करें, ताकि आगे के लिए फुटान अच्छा हो। इस बात को भी भली भांति समझ लें कि खेत में जल का ठहराव होना उचित नहीं है। अत: बरसात के मौसम में उचित जल निकास की व्यवस्था करनी चाहिए। अगर फसल देर से बोयी गई हो तो सितम्बर के अंत में या अक्टूबर में एक या दो सिंचाई करने से चारे की अधिक पैदावार ली जा सकती है।
हरा चारा ज्वार में कीट नियंत्रण (Pest control in green fodder sorghum)
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की फसल में मुख्यतः गोभ छेदक मक्खी, तना छेदक एवं टिड्डे का प्रकोप अधिक होता है। गोभ छेदक मक्खी फसल को मार्च मध्य व जुलाई से सितम्बर तक हानि पहुंचाती है। इसलिए फसल को मध्य मई से लेकर जून तक बुवाई कर दें। बीज की 10 प्रतिशत मात्रा अधिक प्रयोग में लायें।
तना छेदक का आक्रमण फसल उगने के 15 दिन बाद शुरु हो जाता है। छोटी फसल में पौधों की गोभ सूख जाती है। बड़े पौधों में इसकी सुंडियाँ तने में सुराख बनाकर फसल की पैदावार व गुणवत्ता को काफी कम कर देती हैं। तना छेदक पतंगे को आकर्षित करने और मारने के लिए आधी रात तक प्रकाश जाल (लाइट ट्रैप) लगाएं।
टिड्डे, ज्वार की फसल को छोटी अवस्था से लेकर पूरे वृद्धिकाल तक हानि पहुंचाते हैं। शिशु और प्रौढ पत्तों को किनारों से खाते हैं, जिससे भारी प्रकोप की अवस्था में केवल पत्तों की मध्य शिराऐं और कभी-कभी तो केवल पतला तना ही रह जाता है। फसल छोटी रह जाती है। फसल पर इन कीड़ों की संख्या बहुत होती है, जिससे इनके मल-मूत्र की बहुतायत के कारण फफूँद आ जाती है और प्रकोपित फसल चारे के योग्य नहीं रहती।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) में इस कीट की रोकथाम के लिए 500 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ईसी का छिड़काव 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ करें। इसका चारा पशुओं को छिड़काव के 21 दिन तक न खिलाएँ।
चारा ज्वार की कटाई और उपज (Harvesting and yield of fodder sorghum)
चारा ज्वार की कटाई: बहु कटाई वाली ज्वार की किस्मों पर चारा कटाई पर किये गये परीक्षणों द्वारा यह पता चला है, कि इन किस्मों में चारे की पहली कटाई बुआई के 55-60 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद दूसरी और तीसरी कटाई 40-45 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। कटाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक कटाई के पश्चात सिंचाई करना अति आवश्यक है, जिसमें पौधों की पुन: वृद्धि अथवा फुटान अच्छा होता रहे।
चारा ज्वार की उपज: उन्नत किस्मों का चुनाव, सही बीज की मात्रा, सही समय पर बुआई एवं खाद और सिंचाई प्रबंध करने से एकल कटाई वाली चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की किस्मों से औसतन 250-300 क्विं हरा चारा तथा बहु कटाई वाली ज्वार की उन्नत किस्मों से 500-700 क्विं हरे चारे की उपज प्राप्त होती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
हरे चारे के लिए ज्वार (Fodder Sorghum) की खेती हेतु अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी चुनें, जून के अंत या वर्षा के पहले बुवाई करें, और प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज का प्रयोग करें। अच्छी तरह तैयार खेत में बीजों को कतारों में 2.5-4.0 सेंटीमीटर की गहराई पर और 25-30 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना चाहिए।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की बुवाई के लिए, गर्मियों में हरा चारा प्राप्त करने के लिए मार्च में बुवाई की जा सकती है, और वर्षा ऋतु में चारा प्राप्त करने के लिए जून-जुलाई में बुवाई करें।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की बुवाई के लिए, प्रति हेक्टेयर 25-30 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है, जबकि प्रति एकड़ छींटकवा विधि के लिए 18 से 24 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की कुछ अच्छी किस्मों में यूपी चरी- 1, यूपी चरी- 2, पूसा चरी- 6, पूसा चरी- 9, हरियाणा चरी- 136, हरियाणा चरी- 260, राजस्थान चरी- 1 और राजस्थान चरी- 2 आदि शामिल हैं।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) की बहु कटाई वाली किस्मों में पूसा चरी- 23, जवाहर चरी- 69 (जेसी- 69), और मीठी सूडान (एसएसजी- 59-3) शामिल हैं।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) में अच्छी पैदावार के लिए, बुवाई से पहले 4-6 टन हरी खाद या सड़ी हुई गोबर की खाद डालें, और बुवाई के समय यूरिया, डीएपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करें।
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) से हरे चारे की उपज 250 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है, जो किस्म और कटाई की अवस्था पर निर्भर करता है।
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