
Cluster bean for fodder in Hindi: हरे चारे के लिए ग्वार की खेती (Fodder Guar Cultivation) पशुधन पोषण बढ़ाने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के इच्छुक किसानों के लिए एक मूल्यवान अवसर प्रस्तुत करती है। अपने सूखा-प्रतिरोधी गुणों और उच्च पोषण मूल्य के साथ, ग्वार एक उत्कृष्ट चारा फसल के रूप में कार्य करता है जो विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में पनप सकता है।
यह लेख विशेष रूप से हरे चारे के प्रयोजनों के लिए ग्वार (Fodder Guar) की खेती पर एक व्यापक मार्गदर्शिका प्रदान करता है, जिसमें जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं, खेती की तकनीक, कीट और रोग प्रबंधन, कटाई के तरीके, पशुधन उपयोग और आर्थिक विचारों जैसे आवश्यक पहलुओं को शामिल किया गया है।
चारा ग्वार के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for fodder guar)
चारा ग्वार (Fodder Guar) की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है, क्योंकि ग्वार एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, इसलिए इसे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। जहाँ बुवाई के समय 30-35 डिग्री सेल्सियस तापमान और वानस्पतिक वृद्धि के लिए 32-38 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श रहता है। कम तापमान होने पर इसकी वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
चारा ग्वार के लिए मृदा का चयन (Soil selection for fodder guar)
चारा ग्वार (Fodder Guar) की खेती कई तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसके लिए मध्यम से हल्की, अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि उपयुक्त होती है, जिसका पीएच मान 7.0 से 8.5 के बीच हो। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जरूरी है, क्योंकि पानी जमा होने से फसल को नुकसान हो सकता है। अधिक भारी दोमट मिट्टी चारा ग्वार की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
चारा ग्वार के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Fodder Guar)
चारा ग्वार (Fodder Guar) के लिए रबी फसल काटने के बाद, मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से गहरी जुताई करें। इसके बाद देशी हल या कल्टीवेटर से 1-2 बार क्रॉस जुताई करें, ताकि खरपतवार नष्ट हो जाएं। अंतिम जुताई से पहले, 5 से 7 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद मिलाएं, फिर खेत को समतल करने के लिए पाटा चलाएं। बारिश के मौसम में जल भराव से बचने के लिए जल निकासी की व्यवस्था करें।
चारा ग्वार के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for fodder guar)
चारा के लिए ग्वार (Fodder Guar) की कुछ उन्नत किस्मों में एचएफजी- 119, ग्वार क्रांति, बुन्देल ग्वार- 1, बुन्देल ग्वार- 2, बुन्देल ग्वार- 3, मक ग्वार, एचएफजी- 156, गोरा- 80 और आरआई- 2395-2 आदि शामिल है। ये किस्में हरे चारे के लिए अच्छी मानी जाती हैं।
चारा ग्वार बुवाई का समय और बीज दर (Guar sowing time and seed rate)
बुवाई का समय: चारा ग्वार (Fodder Guar) की बुवाई का सही समय जून-जुलाई में, मानसून के बाद, या फिर सिंचित क्षेत्रों में फरवरी-मार्च में की जा सकती है।
बीज की मात्रा: एक सफल हरे चारे की ग्वार (Fodder Guar) फसल के लिए सही बीज चुनना बहुत जरूरी है। चारा ग्वार की बुवाई के लिए, प्रति हेक्टेयर 40 से 45 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है।
बीज उपचार: बीजों को मिट्टी जनित रोगों से बचाने के लिए, बुवाई से पहले 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाज़िम से उपचारित करें। इसके बाद, उपयुक्त राइजोबियम कल्चर से भी बीजों का उपचार करें।
चारा ग्वार की बुवाई का तरीका (Method of sowing of fodder guar)
ग्वार की हरे चारे (Fodder Guar) के लिए बुवाई करने हेतु बीज को 30 सेमी लाईनों के बीच दूरी और पौधों के बीच 10 सेमी की दुरी रखकर सीड ड्रिल से बोया जाना चाहिए। वहीं एकल तना किस्म के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर (सामान्य) या 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए। अगर चारा ग्वार को अन्तःशस्य के रूप में बुवाई करनी हो तो 15-16 किलोग्राम बीज पर्याप्त है।
चारा ग्वार में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in fodder guar)
ग्वार सूखा सहनशील तथा वर्षा ऋतु की फसल होने के कारण सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है, फिर भी अगर फसल मुरझाने लगे तो सिंचाई कर देनी चाहिए। चारा ग्वार (Fodder Guar) के खेत में पानी जमा न होने दें, उचित जल निकासी का प्रबंध करें। क्योंकि हरे चारे की ग्वार फसल के लिए पानी जरूरी है, लेकिन बहुत ज्यादा या बहुत कम पानी फसल को बिगाड़ सकता है।
चारा ग्वार के लिए खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer for Guar)
चारा ग्वार (Fodder Guar) की फसल में उचित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए, बुआई से पहले खेत में 5 से 7 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद मिलाएं। कम उपजाऊ मिट्टी के लिए 10-12 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद की जरूरत होती है, खासकर तब जब इसे खराब रेतीली मिट्टी पर उगाया जा रहा हो। इसके बाद, 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 40-50 किग्रा फास्फोरस और 20 किग्रा सल्फर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उर्वरक का प्रयोग करें।
चारा ग्वार में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in fodder guar)
चारा ग्वार (Fodder Guar) अधिकतर क्षेत्रों में वर्षा ऋतु की फसल होने के कारण खरपतवारों का प्रकोप अधिक होता है, इसलिए खरपतवार नियंत्रण के लिए, बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई और 40-45 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करना सही रहता है।
यदि रसायनों का उपयोग करना चाहते है, तो अंकुरण से पहले पेण्डीमिथालीन 0.75 किग्रा प्रति हेक्टेयर सक्रिय तत्व का उपयोग करें और अंकुरण के बाद इमेजाथायपर 40 ग्राम प्रति हेक्टेयर सक्रिय तत्व का 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
चारा ग्वार में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and disease control in fodder guar)
कीट नियंत्रण: चारा ग्वार (Fodder Guar) के पौधों को खाने वाले कष्टप्रद जीवों में एफिड्स, व्हाइटफ्लाई और कैटरपिलर शामिल हैं। अगर इन कीटों पर ध्यान न दिया जाए तो ये आपकी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनके नियंत्रण के लिए उचित कीटनाशी का समय पर छिडकाव करें।
रोग नियंत्रण: चारा ग्वार (Fodder Guar) के पौधों को स्वस्थ और फलते-फूलते रखने के लिए, रोगरोधी किस्मों का चुनाव करें, उचित रोगनाशी से बीज उपचार करें, अच्छा फसल चक्र अपनाएँ, पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें और जड़ सड़न और पाउडरी फफूंदी जैसी बीमारियों को रोकने के लिए पर्याप्त जल निकासी सुनिश्चित करें।
विशेष: यदि संभव हो सके चारे की फसलों में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कम से कम व अत्यन्त सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इनके अवशेष चारे में बचे रहने के कारण इससे पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
चारा ग्वार फसल की कटाई और उपज (Harvesting and Yield of Guar Fodder Crop)
चारे की कटाई: ग्वार की फसल को हरे चारे के रूप में कटाई के लिए बुआई के 50-60 दिन के बाद फूल आने की अवस्था में करना उपयुक्त माना जाता है। फली बनने की अवस्था में ग्वार के हरे चारे को खिलाना दुधारू पशुओं के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है।
पैदावार: चारा ग्वार (Fodder Guar) की फसल से, उक्त उन्नत खेती विधियों से, प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल हरा चारा प्राप्त होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
चारा ग्वार (Fodder Guar) की खेती के लिए दोमट एवं बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। इसे सिंचित एवं असिंचित दोनों प्रकार की स्थितियों में उगाया जा सकता हैं। गर्मी में एक या दो जुताई और वर्षा के बाद एक या दो जुताई करके पाटा लगाकर खेत तैयार कर लेना चाहिए, जिससे खरपतवार अच्छी तरह से नष्ट हो सके। बुवाई कतारों में करें, हर लाइन के बीच 30 सेमी की दूरी और हर पौधे के बीच 10 सेमी का फासला रखें।
चारा ग्वार (Fodder Guar) की गर्मी के मौसम में खेती करने के लिए मध्य फरवरी से मार्च के पहले सप्ताह में बुआई कर देनी चाहिए। बारिश के मौसम की फसल की बुआई के लिए जून और जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त समय है।
चारा ग्वार (Fodder Guar) की बुवाई के लिए, प्रति हेक्टेयर 40 से 45 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है।
हरे चारे के लिए ग्वार (Fodder Guar) की अच्छी किस्मों में एचएफजी- 119, एचएफजी- 156, ग्वार क्रांति, बुन्देल ग्वार- 1, बुन्देल ग्वार- 2, बुन्देल ग्वार- 3, मक ग्वार, गोरा- 80 और आरआई- 2395-2 शामिल हैं।
कतार विधि: चारा ग्वार (Fodder Guar) की बुवाई कतारों में करें, हर लाइन के बीच 25 से 30 सेमी की दूरी और हर पौधे के बीच 10 सेमी का फासला रखें।
छिटकाव विधि: यह विधि भी इस्तेमाल की जा सकती है, लेकिन कतार विधि बेहतर होती है क्योंकि इससे निराई-गुड़ाई, सिंचाई और खाद देना आसान हो जाता है।
चारा ग्वार (Fodder Guar) के लिए, बुआई से पहले खेत में भूमि अनुसार सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं, और बुआई के समय या अंतिम जुताई के समय 20-25 किग्रा नाइट्रोजन, 40-50 किग्रा फास्फोरस और 20 किग्रा सल्फर डालें।
चारा ग्वार (Fodder Guar) की सिंचाई, आवश्यकता अनुसार, या अगर बारिश न हो या बारिश के अंतराल ज्यादा हों, तो उत्पादन बढ़ाने के लिए करनी चाहिए, लेकिन ज़्यादा पानी से फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए जल निकासी का ध्यान रखें।
चारा ग्वार (Fodder Guar) की फसल से, उन्नत खेती करने पर, प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल हरा चारा प्राप्त होता है।
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