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Fenugreek Leaves Cultivation: कसूरी मेथी की खेती कैसे करें

June 12, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Fenugreek Leaves Cultivation: कसूरी मेथी की खेती कैसे करें

Kasuri Methi Farming: कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) एक सुगंधित मेथी है। यह एक वर्षीय शाकीय पौधा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 46-56 सेमी तक होती है। यह स्वः परागित प्रकृति का पौधा है। इसकी बढ़वार धीमी तथा पत्तियां छोटे आकार की गुच्छे में लगी होती हैं। पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है। फूल चमकदार नारंगी पीले रंग के और तने पर आते हैं। फली का आकार 2-3 सेमी और आकृति हंसिये जैसी होती है। बीज अपेक्षाकृत छोटे होते हैं। इसकी खेती सीमित स्थानों पर ही की जाती है।

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की खेती कासर शहर, पंजाब (पाकिस्तान), ईरान और भारत में कुछ ही स्थानों पर की जाती है। भारत में इसकी खेती कुमारगंज, फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) और नागौर (राजस्थान) में की जाती है। लेकिन अच्छी सुगन्ध नागौर जिले में ही आती है और यहीं पर यह व्यवसायिक रूप में पैदा की जाती है और इसी कारण से यह मारवाड़ी मेथी के नाम से जानी जाती है। इस लेख में कसूरी मेथी का वैज्ञानिक तकनीक से उत्पादन कैसे करें का उल्लेख किया गया है।

Table of Contents

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  • कसूरी मेथी के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Kasuri Methi)
  • कसूरी मेथी के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी के लिए बुआई का समय (Sowing time for Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी के लिए बीज दर (Seed rate for Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी का बीज उपचार (Seed treatment of Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी बुआई की दूरी और विधि (Distance and method of sowing Kasuri Methi)
  • कसूरी मेथी के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for Kasuri Methi)
  • कसूरी मेथी में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी में रोग नियंत्रण (Disease control in Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी में कीट नियंत्रण (Pest control in Fenugreek Leaves)
  • कसूरी मेथी फसल की कटाई (Harvesting of Kasuri Methi crop)
  • कसूरी मेथी की उपज (Yield of Fenugreek Leaves)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

कसूरी मेथी के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Fenugreek Leaves)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) ठंडी जलवायु की फसल है तथा इसकी खेती रबी के मौसम में की जाती है। इसकी प्रारंभिक वृद्धि के लिए मध्यम आर्द्र जलवायु तथा कम तापमान उपयुक्त रहता हैं। यह पाले के प्रति काफी सहनशील होती है।

कसूरी मेथी के लिए भूमि का चयन (Selection of land for Fenugreek Leaves)

दोमट और बलुई दोमट मृदा जिसमें कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की खेती के लिए उत्तम होती है। इसकी खेती दोमट मटियार भूमि में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। यह क्षारीयता को अन्य फसलों की तुलना में अधिक सहन कर सकती है।

कसूरी मेथी के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Kasuri Methi)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) के लिए हल्की मिट्टी में कम व भारी मिट्टी में अधिक जुताई करके खेत को तैयार करें। मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई करके, एक या दो जुताई देशी हल या हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभूरी बना लेवें और शीघ्र पाटा लगा देना चाहिए, जिससे नमी का ह्रास न हो।

कसूरी मेथी के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties for Fenugreek Leaves)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की प्रचलित किस्में पुसा कसूरी व नागौरी मेथी या मारवाड़ी मेथी है।

कसूरी मेथी के लिए बुआई का समय (Sowing time for Fenugreek Leaves)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की बुआई के लिए उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से नवम्बर माह है।

कसूरी मेथी के लिए बीज दर (Seed rate for Fenugreek Leaves)

छिटकवां विधि से कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की बीज दर 100 किग्रा प्रति हेक्टेयर एवं कतार विधि से 30-35 किग्रा प्रति हेक्टेयर होती है।

कसूरी मेथी का बीज उपचार (Seed treatment of Fenugreek Leaves)

फसल की अच्छी वृद्धि एवं उपज ‘लिए बीज उपचार जरूरी है। एक दिन पहले पानी में भिगोने पर जमाव में वृद्धि होती है। 50-100 पीपीएम साइकोसिल घोल में भिगोने से जमाव में वृद्धि और अच्छी बढ़वार होती है। बोने से पहले राइजोबियम कल्चर से बीज को अवस्य शोधित करें।

कसूरी मेथी बुआई की दूरी और विधि (Distance and method of sowing Kasuri Methi)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) बुवाई की दो विधियाँ प्रचलित है, जैसे-

छिटकवां विधि: इसमें सुविधानुसार क्यारिया बनायी जाती हैं, फिर बीजों को एक समान रूप से छिड़क कर मिट्टी से हल्का- हल्का ढंक देते हैं।

कतार विधि: इस विधि में 20-25 सेमी की दूरी पर कतारों में करते है। पौधे से पौधे की दूरी 5-8 सेमी रखी जाती है। बीज की गहराई 2 सेमी से ज्यादा नही होनी चाहिए।

कसूरी मेथी के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizers for Kasuri Methi)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) के लिए नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश का अनुपात 1:2:1 का होता है। गोबर अथवा कम्पोस्ट की खाद 10-20 टन प्रति हेक्टेयर देते हैं। कसूरी मेथी में 20 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फास्फोरस एवं 20 किग्रा पोटाश देने से पत्तियों की अच्छी उपज प्राप्त हुई है।

इसके अलावा 2 प्रतिशत एनपीके के घोल का स्प्रे करने पर पत्तियों की उपज में 20 प्रतिशत वृद्धि पाई गई है। अतः फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा बुआई के समय देनी चाहिए। शेष आधी नत्रजन की मात्रा और 2 प्रतिशत एनपीके का छिड़काव हर कटाई के बाद देवें।

कसूरी मेथी में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Fenugreek Leaves)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की बुआई के तुरन्त बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद 10-15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए, पुष्पन एवं बीज बनते समय मृदा में प्रर्याप्त नमी होनी चाहिए।

कसूरी मेथी में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Fenugreek Leaves)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की खेती मुख्यतः पत्तियों की कटाई के लिए की जाती हैं। बुआई के 15 दिन बाद और पत्तियों की कटाई करने से पहले खरपतवारों को हाथ से निकाल देना चाहिए। बुवाई से पहले खरपतवारनाषी फ्लूक्लोरे लीन 1 किग्रा क्रियाशील तत्व प्रति हैक्टेयर की दर से मिलाने पर खरपतवार कम उगते है।

कसूरी मेथी में रोग नियंत्रण (Disease control in Fenugreek Leaves)

चूर्णिल आसिता: इसे छाछ्या रोग भी कहते हैं, प्रारम्भ में पत्तियों पर सफेद चूर्णिल पुंज दिखाई देते हैं और उग्र रूप में पूरे पौधे को चूर्णिल आवरण से ढक देते हैं। इससे बीज की उपज एवं गुणवता में कमी आ जाती है। नियंत्रण के लिए 0.1 प्रतिशत कैराथेन एलसी और 0.2 प्रतिशत निलम्बनशील गंधक 500 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर तथा 0.1 प्रतिशत बावस्टिन का छिड़काव करें।

मृदुरोमिल आसिता: रोग के प्रारम्भ में पत्ती की निचली सतह पर सफेद मृदुरोमिल वृद्धि दिखायी देती है। रोग के बढ़ने पर पत्तियां पीली होकर गिरने लगती हैं और पौधों की वृद्धि रुक जाती है। नियंत्रण के लिए ब्लाइटाक्स 50 का 0.3 प्रतिशत का 400-
500 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर और डायथेन जेड – 78 या डायथेन एम 45 का 0.3
प्रतिशत घोल का 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें।

मूल गलन: यह कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की गंभीर बीमारी हैं जिसमें जड़ों के पास सड़न तथा बुआई के 30-35 दिनों के बाद पौधे पीले होकर सूख जाते हैं। नियंत्रण के लिए नीम की खली 1 टन प्रति हेक्टेयर बुआई से पूर्व मिटटी में मिलाएं। बीज उपचार कार्बेन्डाजीम 2 ग्राम दवा प्रति 1 किग्रा बीज से करना चाहिए।

कसूरी मेथी में कीट नियंत्रण (Pest control in Fenugreek Leaves)

माहू: इसके नियंत्रण के लिए 0.03 प्रतिशत डाइमेथोएट 30 ईसी या फास्फेमिडान 40 ईसी में से कोई एक दवा का 400-500 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर प्रभावी होता है।

दीमक: इसकी रोकथाम के लिए 4 लीटर प्रति हेक्टेयर क्लोरपायरीफास सिंचाई के साथ पानी में देते हैं।

छाछ्या रोग एवं एपिड (मोयला) का जैविक प्रबन्धन: मेथी में छाछ्या रोग एवं एफिड (मोयला) के जैविक प्रबन्धन के लिए 2 टन प्रति हेक्टर की दर से नीम की खल एवं 2.5 किग्रा प्रति हेक्टर की दर से ट्राइकोडर्मा विरिडी भूमि में मिलावें और 5 प्रतिशत नीम बीज अर्क का छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर ( दो से तीन बार) करना प्रभावी पाया गया है।

कसूरी मेथी फसल की कटाई (Harvesting of Kasuri Methi crop)

अक्टूबर में बोई गई फसल से पत्तियों की पाँच व नवम्बर में बोई गई फसल से पत्तियों की चार कटाई लेनी चाहिए। उसके बाद बीज के लिए छोड़ देना चाहिये अन्यथा बीज नही बनेगा। पत्तियों की पहली कटाई बुआई के 30 दिन बाद करें, फिर 15 दिन के अन्तराल पर कटाई करते रहे। कटाई करने के बाद पत्तियों को तिरपाल पर रख कर हल्की धूप में सुखा लेवें। जिससे उनका रंग व सुंगध अच्छी होती है।

कसूरी मेथी की उपज (Yield of Fenugreek Leaves)

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) की पत्तियों की उपज उसकी कटाई की संख्या पर निर्भर करती है। यदि चार कटाई ली है, तो हरी पत्तियों की उपज 80-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा बीज की उपज 6-9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा पांच कटाई लेने पर हरी पत्तियों की उपज 90-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा बीज की उपज 4-7 क्विटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

कसूरी मेथी किस राज्य में उगाई जाती है?

अकेले राजस्थान में देश की 80% से अधिक मेथी पैदा होती है, इसके अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश भी मेथी उगाने वाले अन्य राज्य हैं।

मेथी और कसूरी मेथी में क्या अंतर है?

मेथी के पौधे के बीजों को संदर्भित करता है। वे छोटे, पीले-भूरे रंग के बीज होते हैं जिनका स्वाद थोड़ा कड़वा और अखरोट जैसा होता है। कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) सूखे मेथी के पत्ते होते हैं, जिनका स्वाद बीजों की तुलना में ज़्यादा तीखा और तीखा होता है। इन्हें अक्सर भारतीय और पाकिस्तानी खाना पकाने में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

कसूरी मेथी क्यों प्रसिद्ध है?

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves), मेथी के पत्तों का सूखा हुआ रूप है। इसे आमतौर पर भारतीय व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने वाले एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसकी एक अलग सुगंध और स्वाद होता है। कसूरी मेथी अपने भरपूर पोषण प्रोफाइल के लिए जानी जाती है, जिसमें फाइबर, विटामिन और खनिज शामिल हैं।

कसूरी मेथी का अंग्रेजी नाम क्या है?

कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves), जिसे मेथी के पत्ते के नाम से भी जाना जाता है, मेथी के पौधे से प्राप्त की जाती है जो फलीदार परिवार से आती है। पत्तियों और फलों को पौधे से काटा जाता है और खाना पकाने में उपयोग के लिए सुखाया जाता है।

कसूरी मेथी कैसे लगाएँ?

बीजों को ऐसी जगह पर लगाएँ जहाँ कम से कम 4-5 घंटे सीधी धूप मिले और दोपहर में छाया हो। अगर आप इसे ऐसी जलवायु में उगा रहे हैं जहाँ सूरज की रोशनी तेज़ न हो और मौसम ठंडा हो, तो धूप वाली जगह चुनें।

कसूरी मेथी कब बोई जाती है?

इसकी बुवाई के लिए सितंबर माह सबसे उपयुक्त होता है। मैदानी इलाकों में इसकी बुवाई के लिये सितंबर से लेकर मार्च का समय, जबकि पहाड़ी इलाकों में जुलाई से लेकर अगस्त तक का समय सबसे बढ़िया माना जाता है।

कसूरी मेथी कितने समय तक चलती है?

अगर कसूरी मेथी (Fenugreek Leaves) को एयरटाइट कंटेनर में ठंडी, सूखी जगह पर रखा जाए तो इसे 6 महीने तक स्टोर किया जा सकता है। ख़राब होने से बचाने के लिए इसे नमी और धूप से दूर रखना ज़रूरी है।

कसूरी मेथी की कटाई कब करें?

इस फसल की कटाई पूरी तरह से किस्म पर निर्भर होती है। अक्टूबर में बाई जाने वाली पत्तियों की 5 और नवम्बर में बोई जाने वाली पत्तियों की 4 कटाई करनी चाहिए। इसके पत्तियों की पहली कटाई 30 दिनों के भीतर कर लेना चाहिए।

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