
How to Grow Drumstick in Hindi: सहजन की खेती, विशेष रूप से मोरिंगा ओलीफेरा किस्म की, अपने पोषण मूल्य और विविध जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के कारण भारत में काफी लोकप्रिय हो गई है। अपनी अत्यधिक पौष्टिक पत्तियों, फलियों और बीजों के लिए प्रसिद्ध, सहजन के पेड़ को अक्सर सुपरफ़ूड कहा जाता है और यह कई किसानों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जैसे-जैसे स्वस्थ और जैविक उत्पादों की माँग बढ़ती जा रही है, सहजन (Drumstick) की खेती की तकनीकों, चुनौतियों और आर्थिक महत्व को समझना जरूरी हो गया है। यह लेख सहजन की खेती के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा करता है, इसके महत्व, खेती के तरीकों, कीट प्रबंधन और उपज की पड़ताल करता है, साथ ही उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के स्थायी तरीकों पर भी प्रकाश डालता है।
सहजन के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Drumstick)
सामान्यताः 25°-30° सेल्सियस के औसत तापमान पर सहजन का पौधा हरा-भरा व काफी फैलता है। यह ठंड को भी सह सकता है, परन्तु पाला से पौधे को नुकसान होता है। फूल आते समय 40° सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर फूल झड़ने लगता है। कम या ज्यादा वर्षा से पौधे को कोई नुकसान नहीं होता। यह विभिन्न पारिस्थितिक अवस्थाओं में उगने वाला एक ढीठ स्वभाव का पौधा है।
सहजन के लिए भूमि का चयन (Selection of Land for Drumstick)
सभी प्रकार की मिट्टियों में सहजन (Drumstick) की खेती की जा सकती है। यहाँ तक कि बेकार, बंजर और कम उर्वरता वाली भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है, परन्तु व्यवसायिक खेती लिए 6-7 पी. एच. मान वाली बलुई दोमट मिट्टी बेहतर होती है। यह पौधा जलभराव वाली मिट्टी में नहीं उगाना चाहिए, इसलिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करना महत्वपूर्ण है।
सहजन के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for drumstick)
सहजन (Drumstick) की खेती के लिए खेत की तैयारी में गहरी जुताई, जल निकासी के लिए ऊँची क्यारियाँ या मेड़ बनाना और ऊपरी मिट्टी में मिश्रित गोबर की खाद जैसे कार्बनिक पदार्थों से भरे गड्ढे खोदना शामिल है। खेत की अच्छी तरह खरपतवार साफ-सफाई करके 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर, 45 x 45 x 45 सेंमी आकार के गड्ढे बनाते हैं। गड्ढे में मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर गड्ढे को भर देते हैं। इससे खेत पौध के रोपण हेतु तैयार हो जाता है।
सहजन की उन्नत किस्में (Improved varieties of drumstick)
सहजन की कुछ उन्नत किस्में हैं, पीकेएम- 1, पीकेएम- 2, कोयंबटूर- 1, कोयंबटूर- 2, और रोहित- 1। इनमें से, पीकेएम- 1, पीकेएम- 2, और कोयंबटूर- 2 जैसी संकर (हाइब्रिड) किस्में कम समय में उपज देना शुरू कर देती हैं और साल में कई बार फसल देती हैं, जो किसानों के लिए फायदेमंद है।
फार्म सोना भी एक लोकप्रिय किस्म है जिसकी फली लंबी और स्वादिष्ट होती है। सहजन (Drumstick) की खेती के लिए किस्मों का अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
पीकेएम- 1: यह एक अधिक उपज देने वाली और जल्दी तैयार होने वाली किस्म है। इसकी फली लगभग 70 सेंटीमीटर लंबी होती है और साल में कई बार फसल दे सकती है।
पीकेएम- 2: यह एक कॉम्पैक्ट और उच्च घनत्व वाली किस्म है जो प्रति एकड़ 340 टन तक उपज दे सकती है। इसकी फलियां लगभग 60-70 सेंटीमीटर लंबी होती हैं।
कोयंबटूर- 1: यह एक उत्कृष्ट किस्म है जिसकी फलियां 45-60 सेमी लंबी होती हैं। इसका पेड़ 8-10 साल तक लगातार उपज दे सकता है और साल में दो बार कटाई होती है।
कोयंबटूर- 2: यह किस्म भी काफी लोकप्रिय है और अच्छी पैदावार देती है। इसकी फलियां 25-35 सेमी लंबी होती हैं और प्रति वर्ष प्रति पौधा 350 फलियाँ मिल सकती हैं।
रोहित- 1: इस सहजन (Drumstick) की किस्म की फली की लंबाई 50-60 सेमी होती है और प्रति पौधा प्रति वर्ष लगभग 135 फलियाँ प्राप्त होती हैं।
फार्म सोना: यह राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा विकसित की गई एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है। इसकी फली का स्वाद बेहतर होता है, फूल 90-100 दिनों में आ जाते हैं, और साल में 4 बार तक उपज मिल सकती है।
सहजन की बुवाई और रोपाई का समय (Drumstick Sowing Timing)
सहजन (Drumstick) की खेती के लिए बुवाई और रोपाई का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर (बारिश का मौसम) है, क्योंकि इस दौरान पौधे तेजी से बढ़ते हैं और सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। बीजों को सीधे खेत में बोने के बजाय, पहले पॉलीथीन बैग में नर्सरी में पौधे तैयार करके फिर उन्हें खेत में रोपा जाता है। यदि सीधे बीजों से रोपाई करनी है, तो इसका समय फरवरी-मार्च (वसंत) या जून-जुलाई (मानसून) होता है।
सहजन के पौधे तैयार करना (Cultivating Moringa Plants)
सहजन (Drumstick) के पौधे तैयार करने के लिए मुख्य रूप से बीज और कटिंग (कलम), दोनों विधियों का उपयोग किया जाता है। वार्षिक किस्मों के लिए बीज विधि बेहतर होती है, क्योंकि इससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अधिक उपज देते हैं, जबकि बारहमासी किस्मों के लिए कटिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त है। बीज को सीधे तैयार गड्ढों में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार करके लगाया जा सकता है। पॉलीथीन बैग में पौध एक महीने में लगाने योग्य तैयार हो जाते है।
सहजन के पौधारोपण की विधि (Method of planting drumstick)
एक महीने के तैयार पौध को पहले से तैयार किए गये गड्ढों में जुलाई-सितम्बर माह तक रोपण कर दें। पौध जब लगभग 75 सेंमी का हो जाये तो पौध के ऊपरी भाग की खोटनी कर दें, इससे बगल से शाखाओं को निकलने में आसानी होगी। रोपनी के तीन महीने के बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश प्रति गड्ढा की दर से डालें तथा इसके तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा का पुनः डालें।
सहजन (Drumstick) पर किए गए शोध से यह पाया गया कि मात्र 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पीएसबी ( 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) के प्रयोग से सहजन की उपज अच्छी होती है।
सहजन में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Drumstick)
सहजन (Drumstick) से अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई करना लाभदायक है। गड्ढों में बीज से अगर प्रबर्द्धन किया गया है तो बीज के अंकुरण और अच्छी तरह से स्थापन तक नमी का बना रहना आवश्यक है। किसी भी अतिरिक्त पानी से जड़ों में सड़न की समस्या हो सकती है।
इसलिए, पौधे के स्थापित होने तक पहले दो महीनों के लिए केवल सीमित मात्रा में मिट्टी की नमी आवश्यक होती है। इसके बाद, अपनी मिट्टी के प्रकार और मौजूदा जलवायु के आधार पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। फूल लगने के समय खेत ज्यादा सूखा या ज्यादा गीला रहने पर दोनों ही अवस्था में फूल के झड़ने की समस्या होती है।
सहजन में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in drumstick)
सहजन (Drumstick) की खेती में खरपतवार नियंत्रण, कृषि पद्धतियों (जैसे मल्चिंग और हाथ से निराई), यांत्रिक विधियों (जैसे कुदाल चलाना) और रासायनिक नियंत्रण (आवश्यकतानुसार ग्लाइफोसेट या एट्राजीन जैसे शाकनाशी का उपयोग) के संयोजन से प्राप्त किया जा सकता है।
खरपतवारों को जड़ें जमाने से रोकने के लिए साफ जमीन से शुरुआत करें। इसके लिए खरपतवार प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए रोपण से पहले खेत से सभी फसल के ठूंठ और मलबे को हटा देना सुनिश्चित करें।
सहजन में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control in Drumstick)
सहजन (Drumstick) के आम कीटों में फली मक्खी, पत्ती खाने वाली इल्ली, कलिकाकृमि और छाल खाने वाली इल्ली शामिल हैं, जबकि आम बीमारियाँ डैम्पिंग ऑफ और टहनी कैंकर हैं। नियंत्रण विधियों में एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) शामिल है, जिसमें संक्रमित पौधों के हिस्सों को इकट्ठा करके नष्ट करना, लेडीबग बीटल जैसे प्राकृतिक शिकारियों का उपयोग करना और नीम के तेल जैसे जैविक छिड़काव करना शामिल है।
गंभीर संक्रमण के लिए, कार्बारिल या मैलाथियान जैसे रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन सहजन की फसल में इनका उपयोग लेबल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
सहजन के फलों की तुड़ाई और उपज (Harvesting and Yield of Moringa Fruits)
फलों की तुड़ाई: सहजन (Drumstick) की सामान्य किस्मों की तुड़ाई सामान्यतः फरवरी – मार्च और सितम्बर-अक्टूबर के दौरान होती है। साल भर फलने वाली किस्मों से दूसरे महीनों में भी उत्पादन लिया जा सकता है।
फसल से उपज: सहजन के प्रत्येक पौधे से लगभग 200-400 फलियाँ प्रति वर्ष प्राप्त हो सकती हैं। सहजन के फली में रेशा आने से पहले ही तुड़ाई करने से बाजार में माँग बनी रहती है और इससे मुनाफा भी ज्यादा मिलता है। लगभग 18-25 टन फलियों की उपज हो सकती है, जबकि पत्तियों की उपज प्रति एकड़ 25-32 टन तक जा सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
सहजन (Drumstick) के लिए जमीन की तैयारी, गड्ढे खोदकर रोपण, सही दूरी और उचित खाद का उपयोग करें। सबसे पहले अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी चुनें और 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45x45x45 सेमी के गड्ढे खोदें। गड्ढे में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर मिट्टी भर दें और फिर बीज या कलम लगाएँ।
सहजन (Drumstick) की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु आदर्श होती है, जिसमें तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच हो। यह पौधा पाले और बहुत ज्यादा गर्मी 40 C से अधिक के प्रति संवेदनशील होता है, क्योंकि ज्यादा गर्मी से फूल झड़ते हैं।
सहजन (Drumstick) की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे आदर्श होती है, लेकिन यह कई अन्य प्रकार की मिट्टी, जैसे कि रेतीली और हल्की काली मिट्टी में भी अच्छी तरह उग सकता है। व्यावसायिक खेती के लिए, ऐसी मिट्टी चुनें जो अच्छी जल निकासी वाली हो और जिसका पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच हो।
सहजन (Drumstick) की सबसे अच्छी किस्मों में पीकेएम-1, पीकेएम-2, कोयंबटूर-2 और रोहित-1 शामिल हैं, जो अपनी अच्छी उपज, स्वाद और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती हैं। ये किस्में पूरे साल फलन देती हैं और उत्पादकों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती हैं।
सहजन (Drumstick) लगाने का सबसे अच्छा समय बरसात का मौसम (जून से सितंबर) है। इसके अलावा, फरवरी से मार्च और सितंबर-अक्टूबर में भी इसे लगा सकते हैं।
सहजन (Drumstick) की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 500 से 700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। यह मात्रा खेती की विधि और पौधों के बीच की दूरी के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है।
सहजन (Drumstick) में पानी की आवश्यकता कम होती है, इसलिए मिट्टी के सूखने पर ही पानी दें। रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें, उसके बाद लगभग 15 दिनों के अंतराल पर या मिट्टी की जरूरत के अनुसार सिंचाई करें। फूल आने के दौरान खेत को न तो बहुत सूखा रखें और न ही ज्यादा गीला, क्योंकि इससे फूल झड़ने की समस्या हो सकती है। सबसे अच्छी सिंचाई ड्रिप इरिगेशन से होती है, जो 3 से 4 दिनों के अंतराल पर की जा सकती है।
सहजन (Drumstick) की खेती के लिए गोबर की खाद सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसे शुरुआती रोपण के समय गड्ढों में डालना चाहिए। इसके अलावा, रोपाई के 3 महीने बाद यूरिया, सुपर फास्फेट, और पोटाश जैसे रासायनिक उर्वरकों का मिश्रण देना भी फायदेमंद होता है।
सहजन (Drumstick) की निराई-गुड़ाई बुवाई के 30-35 दिन बाद पहली बार और उसके बाद हर 2-3 महीने के अंतराल पर करनी चाहिए। यह प्रक्रिया खरपतवारों को नियंत्रित करती है और फसल की बेहतर वृद्धि में मदद करती है।
सहजन (Drumstick) को प्रभावित करने वाले प्रमुख कीटों में बालों वाली सूंडी, फल मक्खी और रसचूसक कीट शामिल हैं, जबकि रोग में जड़ सड़न रोग और पत्ती धब्बा शामिल हैं। इन कीटों और रोगों के कारण पौधे की पत्तियों, फलों और जड़ों को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे फसल बर्बाद हो सकती है।
सहजन (Drumstick) में कीटों और रोगों के प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें जैविक, रासायनिक और यांत्रिक तरीके शामिल हैं। कीटों के लिए, इमिडाक्लोप्रिड, एसिटामिप्रीड, या डाइक्लोरोवास का उपयोग करें, जबकि रोगों के लिए, ट्राइकोडर्मा, कार्बेन्डाजिम या सल्फर/कॉपर-आधारित फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।
सहजन (Drumstick) के पेड़ आमतौर पर रोपण के 6 से 8 महीनों के भीतर फलियाँ देना शुरू कर देते हैं, जो किस्म और बढ़ती परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
सहजन (Drumstick) की कटाई का सही समय, उसकी किस्म और उपयोग पर निर्भर करता है। वार्षिक किस्मों के लिए, पौधे लगाने के 6-8 महीने बाद पहली कटाई होती है, जबकि दो बार फल देने वाली किस्मों की कटाई आमतौर पर फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर में की जाती है। फलियों की कटाई तब करनी चाहिए जब वे छोटी, नरम और बिना रेशेदार हों।
सहजन (Drumstick) की पैदावार किस्म और खेती की विधि पर निर्भर करती है, लेकिन एक पौधे से सालाना 40-50 किलोग्राम (लगभग 200-400 फली) मिल सकती है। एक एकड़ में लगभग 1500 पौधे लगाने पर साल भर में लगभग 3000 किलोग्राम तक की पैदावार हो सकती है। कुछ उन्नत किस्मों, जैसे कि पीकेएम- 2, से प्रति हेक्टेयर 90-97 टन तक की उपज प्राप्त हो सकती है।
हाँ, सहजन (Drumstick) को बगीचे में उगाया जा सकता है, चाहे वह सीधे जमीन में हो, बड़े गमलों में हो या छत पर। इसके लिए ऐसी जगह चुनें जहाँ भरपूर धूप आती हो और मिट्टी अच्छी जल निकासी वाली हो। आप बीज या कटिंग दोनों से इसे लगा सकते हैं और इसकी देखभाल करना आसान है।
सहजन (Drumstick) का उपयोग मुख्य रूप से भोजन और दवा के रूप में होता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण शरीर को मजबूत बनाता है और कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, जैसे कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, पाचन सुधारना और हड्डियों को मजबूत करना। इसके अतिरिक्त, त्वचा की देखभाल और आँखों के स्वास्थ्य के लिए भी सहजन का उपयोग किया जाता है।
सहजन (Drumstick) के मुख्य स्वास्थ्य लाभों में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना, रक्त शर्करा को संतुलित करना और हड्डियों को मजबूत करना शामिल है। यह पाचन में सुधार, त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और शरीर को विषाक्त पदार्थों से बचाने में भी सहायक है।





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