
Deenanath Grass Cultivation in Hindi: दीनानाथ घास, जिसको वैज्ञानिक रूप से “पेनिसेटम पेडिसेलाटम” के नाम से भी जाना जाता है, एक बारहमासी घास है, जो अपनी मजबूत वृद्धि और बहुमुखी उपयोगों के लिए जाना जाता है। अपनी लचीलापन और अनुकूलनशीलता के लिए जानी जाने वाली, यह घास प्रजाति न केवल अपने पोषण मूल्य के लिए पसंदीदा है, बल्कि मृदा संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
दीनानाथ घास की खेती करना किसानों और भूमि मालिकों के लिए एक स्थायी विकल्प प्रस्तुत करता है, जो पशु चारा और पर्यावरण संरक्षण में योगदान करते हुए अपनी भूमि की उत्पादकता बढ़ाना चाहते हैं। यह लेख आपको दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की सफलतापूर्वक खेती करने के लिए आवश्यक ज्ञान और मार्गदर्शिका प्रदान करेगा।
दीनानाथ घास के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Deenanath grass)
दीनानाथ घास गर्म जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है और अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित होती है। यह घास आदर्श रूप से 25 से 35 डिग्री सेल्सियस (77°F से 95°F) के बीच अच्छे से पनपती है, और इसको 800-1250 मिमी के बीच वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। दीनानाथ घास (Deenanath Grass) ठंडे तापमान में जीवित रह सकता है, लेकिन ठंढ में नहीं पनपेगा, इसलिए यदि आप ठंडे क्षेत्र में रहते हैं, तो यह ध्यान रखें।
दीनानाथ घास के लिए मृदा का चयन (Soil selection for Deenanath grass)
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) अच्छी जल निकासी वाली, मध्यम बनावट वाली मिट्टी में पनपती है, जिसमें अच्छी जल निकासी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह थोड़ी अम्लीय से लेकर तटस्थ पीएच स्तर (6.0-7.0) को पसंद करती है और भारी चिकनी मिट्टी या जलभराव वाली स्थितियों को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इष्टतम विकास के लिए, मिट्टी में अच्छी वायु संचार और पोषक तत्वों की उपलब्धता भी होनी चाहिए।
दीनानाथ घास के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Deenanath Grass)
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) के लिए खेत की तैयारी में मिट्टी को भुरभुरा बनाना, खरपतवारों को हटाना, और अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करना शामिल है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि दीनानाथ घास अच्छी तरह से पनपे, मिट्टी को अच्छी तरह से जोतकर तैयार किया जाना चाहिए।
इसके लिए खेत को अच्छी तरह जोतने तथा उचित सिंचाई और जल निकासी के लिए क्यारियां और नालियां बनाने के लिए 2-3 बार जुताई करनी चाहिए। इसके बाद बुवाई के लिए एक समान सतह बनाने के लिए खेत को समतल करें।
दीनानाथ घास की उन्नत किस्में (Improved varieties of Deenanath grass)
दीनानाथ घास की कुछ उन्नत किस्मों में बुन्देल दीनानाथ- 1, बुन्देल दीनानाथ- 2, पूसा- 19 और टीएनडीएन शामिल है। इन किस्मों को सभी इलाकों में उगाया जा सकता है और इनकी सालाना पैदावार 22 से 28 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है। दक्षिण भारत के लिए टीएनडीएन किस्म विशेष रूप से अच्छी है, जिसकी पैदावार 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।
अन्य दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की उन्नत किस्में भी हैं, जैसे बुडेल दीनानाथ- 3 (जेएचडी-19-4), जो पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, असम, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अनुशंसित है।
दीनानाथ घास बुआई का समय और बीज दर (Dinanath grass sowing time and seed rate)
बुआई का समय: दीनानाथ घास को जून-जुलाई के दौरान बोना सबसे अच्छा होता है जब मानसून शुरू होता है। इस समय, बारिश और गर्मी की नमी घास के विकास के लिए आदर्श होती है। यदि आपके पास सिंचाई की सुविधा है, तो आप मार्च-अप्रैल के दौरान भी दीनानाथ घास की बुआई कर सकते हैं।
बीज की मात्रा: दीनानाथ घास (Deenanath Grass) के लिए बीज की मात्रा लगभग 6-8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है, यदि छिड़काव विधि से बीज लगाया जाता है। यदि आप नर्सरी रोपाई विधि से लगाते हैं तो यह मात्रा 3-4 किग्रा हो सकती है, लेकिन यह किस्म और स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
दीनानाथ घास की बुवाई का तरीका (Method of sowing of Deenanath grass)
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की बुवाई के लिए खेत की मिट्टी को भुरभुरा और खरपतवार रहित होना चाहिए। जब बीज बोने की बात आती है, तो आपके पास विकल्प होते हैं। आप या तो सीधे मिट्टी में बीज बो सकते हैं या फिर रोपाई का विकल्प चुन सकते हैं। सीधी विधि में आप तैयार मिट्टी पर समान रूप से बीज फैलाएँगे, फिर उन्हें हल्के से रेक करेंगे।
यदि आप रोपाई कर रहे हैं, तो उन्हें जगह-जगह पर लगाना सुनिश्चित करें ताकि उन्हें बढ़ने के लिए जगह मिले सके। इसे कतारों में बोने के लिए कतार से कतार की दूरी 40 सेमी व बीज की गहराई 1-1.5 सेमी होनी चाहिए।
दीनानाथ घास में खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer in Deenanath Grass)
दीनानाथ घास को सड़ी हुई गोबर खाद और रासायनिक उर्वरकों से खाद देना चाहिए। सड़ी हुई खाद बुवाई के 15 दिन पहले खेत में डाली जाती है, जबकि रासायनिक उर्वरकों को बुवाई के समय या बाद में दिया जाता है। इसके लिए 8-10 टन सड़ी गोबर की खाद और 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन बुवाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर खेत में डाले।
60-70 किग्रा नत्रजन को दो भागों में बांटकर रोपाई के 6-7 सप्ताह बाद दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की फसल में छिड़कें। मिट्टी की जांच के आधार पर, फॉस्फोरस और पोटेशियम उर्वरक का उपयोग भी किया जा सकता है।
दीनानाथ घास में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Deenanath Grass)
दीनानाथ घास में सिंचाई का सही प्रबंधन सुनिश्चित करता है, कि फसल को पर्याप्त पानी मिले और उसकी वृद्धि अच्छी हो। शुरुआती अवस्था में, जब घास अभी स्थापित हो रही है, तो नियमित सिंचाई करना महत्वपूर्ण है। एक बार स्थापित हो जाने के बाद, दीनानाथ घास अपेक्षाकृत सूखा सहनशील होती है, लेकिन अत्यधिक शुष्क अवधि के दौरान, सिंचाई आवश्यक हो सकती है।
सामान्य तौर पर, दीनानाथ घास (Deenanath Grass) को हर 2-3 सप्ताह में एक बार पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि मिट्टी सूखा है या गर्मी का मौसम चल रहा है, तो सिंचाई की आवृत्ति बढ़ सकती है।
दीनानाथ घास में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Deenanath grass)
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की शुरुआत में वृद्धि धीमी होती है, इसलिए इस समय खरपतवारों को निकालने के लिए खुरपी या वीडर का उपयोग करना चाहिए। यह घास एक तेजी से बढ़ने वाली घास है, जो 40-45 दिनों में अन्य खरपतवारों की वृद्धि को रोक देती है।
खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए रसायनों का उपयोग भी किया जा सकता है, जैसे कि सुमिगोल्ड का छिड़काव, जो खरपतवार प्रजातियों और तीव्रता के आधार पर किया जाता है। सुमिगोल्ड का उपयोग आमतौर पर बुवाई के 25-35 दिन बाद किया जाता है, लेकिन यह खरपतवार की स्थिति और प्रकार पर निर्भर करता है।
दीनानाथ घास में कीट और रोग नियंत्रण (Pest and Disease Control in Dinanath Grass)
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) में आमतौर पर कीटों और रोगों का प्रकोप कम होता है। यदि कोई रोग देखा जाता है, तो फफूंदनाशक या अन्य उपयुक्त उपचार का उपयोग किया जा सकता है। फसल चक्रण का उपयोग करके रोगों और कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है।
नीम का तेल और अर्क जैसे प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करके कीटों और रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है। जैविक उर्वरकों और खाद का उपयोग करके पौधों को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे वे बीमारियों और कीटों से लड़ने में सक्षम हो जाते हैं।
दीनानाथ घास की कटाई और उपज (Harvesting and Yield of Deenanath Grass)
फसल की कटाई: दीनानाथ घास एक हरा चारा है, जिसे पशुओं को खिलाने के लिए उगाया जाता है। इसकी कटाई लगभग 70-75 दिनों में की जा सकती है, जब यह पहले कटाई के लिए तैयार हो जाती है। पौधे को 10-12 सेमी की ऊंचाई से काटना चाहिए ताकि दोबारा बढ़वार हो सके। दूसरी कटाई लगभग 40-45 दिनों के बाद की जा सकती है।
फसल से उपज: दीनानाथ घास (Deenanath Grass) से प्रति हेक्टेयर लगभग 300-350 क्विंटल हरा चारा प्राप्त होता है। इसके अलावा, बीज उत्पादन के लिए भी यह उपयुक्त है, जिससे प्रति हेक्टेयर 3-4 क्विंटल बीज प्राप्त होते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) , जिसे पेनिसेटम पेडिसेलेटम भी कहा जाता है, एक उच्च गुणवत्ता वाला चारा घास है, जो मवेशियों के लिए पौष्टिक भोजन का स्रोत है। यह अपनी तेजी से विकास क्षमता और कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की खेती करने के लिए, आप पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करें, फिर बुवाई के लिए बीज या रोपण का उपयोग करें। बुवाई के लिए, खेत में 1.5 सेमी से अधिक गहराई पर बीज न बोएं। बीज को 1-2 सेमी की गहराई पर बोना बेहतर होता है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) को गर्म और नम जलवायु पसंद होती है। यह 800 से 1250 मिमी वार्षिक वर्षा के साथ अच्छी तरह से बढ़ता है। यह अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी वाली ऊँची भूमि में भी सबसे अच्छी तरह से उगती है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) के लिए अच्छी जल निकासी वाली, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। भारी चिकनी मिट्टी या जलभराव वाली भूमि इसके लिए उपयुक्त नहीं है। अनउपजाऊ भूमि पर भी, उचित जल निकासी और पर्याप्त उर्वरक देकर दीनानाथ घास को उगाया जा सकता है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की बुवाई आमतौर पर जून-जुलाई के महीने में, यानी खरीफ के मौसम में, की जाती है। यह वर्षा आधारित फसल है और इसे गर्म, उमस भरे बरसाती मौसम में अच्छी वृद्धि प्राप्त होती है, जिससे अधिक पौष्टिक हरा चारा मिलता है। सिंचित क्षेत्रों में, मार्च-अप्रैल में भी बुवाई की जा सकती है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) की कुछ अच्छी किस्मों में बुन्देल दीनानाथ- 1, बुन्देल दीनानाथ- 2, पूसा- 19 और टीएनडीएन आदि शामिल है। ये सभी किस्में अच्छी पैदावार देती हैं और अधिकतर क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) लगभग 70-75 दिनों मे यह पहले कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई भूमि से 10 सेमी ऊपर से करनी चाहिए, ताकि पौधे की पुनः बढ़वार हो सके। तत्पश्चात अन्य कटाइयाँ 40-45 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) पूरे साल हरा चारा देने वाली फसल है, लेकिन इसे बहुवर्षीय फसल माना जाता है। इसका फसल चक्र ऐसा है कि पकने पर इसके बीज खेत में गिर जाते हैं और अगले खरीफ मौसम में इनसे अपने आप ही शानदार पौधे उगने लगते हैं। इस तरह, एक बार बुआई करने के बाद दीनानाथ घास खेत में 3-4 साल तक अपने आप उगती रहती है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass), जो एक वर्षा ऋतु की फसल है, को आमतौर पर ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। खरीफ के मौसम में, यदि बारिश के बीच ज्यादा समय का अंतर हो, तो सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है। ग्रीष्म ऋतु में, 3-5 सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है, जबकि अन्य मौसमों में, 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) के लिए, बुआई से पहले सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें। इसके अलावा, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरक भी इस्तेमाल करें।
दीनानाथ घास (Deenanath Grass) से प्रति हेक्टेयर लगभग 30-35 टन हरा चारा प्राप्त होता है। बीज उत्पादन के लिए, प्रति हेक्टेयर लगभग 3-5 क्विंटल बीज प्राप्त हो सकता हैं।
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