
Celery Cultivation in Hindi: अजवाइन की खेती देश के कृषि परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, जो किसानों को इस बहुमुखी और पौष्टिक फसल को उगाने का एक आकर्षक अवसर प्रदान करती है। यह मसाले की एक महत्वपूर्ण फसल है। यह औषधिय गुणों से भरपूर होती है, तथा इसके पौधे के प्रत्येक भाग को औषधि के रूप में इस्तेमाल जाता है। इसका दाना विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।
सही ज्ञान और तकनीकों के साथ, अजवाइन की खेती एक फायदेमंद उद्यम हो सकती है। जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं को समझना, उपयुक्त किस्मों का चयन करना और उचित खेती के तरीकों को लागू करना सफल अजवाइन उत्पादन के लिए आवश्यक है। यह लेख भारत में अजवाइन की खेती की बारीकियों का पता लगाता है, बीज चयन से लेकर कटाई के बाद की देखभाल तक के चरणों के माध्यम से किसानों का मार्गदर्शन करता है।
अजवाइन के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for celery)
अजवाइन की खेती (Celery Farming) के लिए मध्यम शुष्क और गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। इसके लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र सबसे अच्छे होते हैं। अजवाइन 15° सेल्सियस से 21° सेल्सियस के बीच के तापमान वाले ठंडे मौसम में पनपती है। इसे इष्टतम विकास के लिए ठंढ से मुक्त मौसम और मध्यम मात्रा में धूप की आवश्यकता होती है।
अजवाइन के लिए भूमि का चयन (Selection of land for celery)
अजवाइन को 6.0 और 6.8 के बीच पीएच स्तर वाली अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी पसंद है। रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी अजवाइन की खेती (Celery Farming) के लिए आदर्श होती है, क्योंकि वे अच्छी वायु संचार और जल प्रतिधारण प्रदान करती हैं।
हालाँकि अजवाइन की खेती के लिए जैविक पदार्थों से भरपूर चिकनी-दोमट मिट्टी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बलुई जमीन इसके लिये उपयुक्त नही होती है। जहां भूमि में नमी की कमी हों वहां सिंचाई का उचित प्रबंध होना आवश्यक है।
अजवाइन के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for celery)
अजवाइन की खेती (Celery Farming) के लिए खेत की तैयारी में गहरी जुताई, मिट्टी को समतल करना, और खरपतवारों को हटाना शामिल है। खेत तैयार करने के लिये पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिये तथा इसके बाद दो बार जुताई कर खेत को अच्छे से बुवाई के लिए तैयार कर लेना चाहिए। खेत में पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर दें।
अजवाइन के लिए उन्नत किस्में (Advanced varieties for celery)
प्रत्येक अजवाइन (Celery) किस्म की अपनी अनूठी विशेषताएँ होती हैं, जैसे डंठल की मोटाई, पत्ती का रंग और रोगों के प्रति प्रतिरोध। किसान अपनी खेती के लक्ष्यों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के हिसाब से सबसे उपयुक्त किस्म चुन सकते हैं।
भारत में, अजवाइन की कुछ लोकप्रिय किस्मों में लाभ सलेक्शन – 1, आर ए – 1- 80, गुजरात अजवाइन – 1, अजमेर अजवाइन – 1, अजमेर अजवाइन – 2, प्रताप अजवाइन – 1, टॉल यूटा, चाइनीज पिंक, वेंचुरा और सफीरा शामिल हैं। ये किस्में अपने स्वाद, उपज और अलग-अलग बढ़ती परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए जानी जाती हैं।
अजवाइन के लिए बीज और बुवाई (Seeds and sowing for celery)
अजवायन की बुवाई का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से दिसम्बर माह होता है। किसी प्रतिष्ठित स्रोत से उच्च गुणवत्ता वाले अजवाइन के बीज चुनें और बुवाई से पहले उचित बीज उपचार सुनिश्चित करें। एक हेक्टेयर में बुवाई के लिये 2 से 4 किलो अजवायन के बीज पर्याप्त होता है। इसका बुवाई छिटकवा विधि भी से भी की जा सकती है। लेकिन कतारों में बुवाई करना ज्यादा उपयुक्त रहता है।
कतारों में बुवाई के लिये पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से 40 सेन्टीमीटर तथा पौधे में पौधे की दूरी 15 से 25 सेन्टीमीटर रखनी चाहिये। बुवाई से पहले बीज में राख या सूखी मिट्टी मिलाना अच्छा रहता है। चूंकि अजवायन (Celery) का बीज सूक्ष्म होता है, इसलिए बीज मे राख या मिट्टी मिलाने से बीज की बुवाई सही ढंग से हो जाती है।
अजवाइन के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer for celery)
अजवायन की भरपूर पैदावार के लिए बुवाई से 15 दिन पूर्व 20 से 25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में फैलाकर एक जुताई कर देनी चाहिए। इसके अलावा 20 किलो नत्रजन 30 किलो फास्फोरस एवं 20 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना चाहिए।
फॉस्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के पूर्व खेत में डाल दे। शेष नत्रजन को आधी मात्रा को बुवाई के लगभग 25 दिन बाद अजवाइन (Celery) की खड़ी फसल में सिंचाई के साथ देना चाहीये।
अजवाइन फसल की सिंचाई एवं निराई गुड़ाई (Irrigation and Weeding of CeleryCrop)
फसल की सिंचाई: अजवाइन की फसल (Celery Crop) में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है। अजवायन के लिये 2 से 5 सिंचाई की आवश्कता होती हैं।
निराई गुड़ाई: जब पौधे 20 में 25 सेन्टीमीटर ऊंचे हो जाये तब निराई गुड़ाई करके खरपतवार निकाल देने चाहीये। इसके बाद आवश्यकतानुसार समय समय पर खरपतवार निकालते रहे। जल निकास का उचित प्रबंध होना चाहिये ताकि पौधो में सड़न पैदा ना हो। बुवाई के 20 दिन बाद घने पौधो को निकाल कर पौधों के बीच की दूरी कम कर देनी चाहिये।
अजवाइन की फसल में रोग नियंत्रण (Disease Control in Celery Crop)
यदि आप सावधान नहीं हैं तो बीमारियाँ आपकी अजवाइन की फसल (Celery Crop) पर भी बरस सकती हैं। अजवाइन की फसलों को प्रभावित करने वाली सामान्य बीमारियों में ब्लाइट, पाउडरी फफूंदी और बैक्टीरियल लीफ स्पॉट शामिल हैं। इन पौधों की बीमारियों से निपटने के लिए, फसल चक्र अपनाएँ।
हवा के अच्छे प्रवाह के लिए पौधों के बीच उचित दूरी सुनिश्चित करें और ऊपर से पानी देने से बचें। फफूंद जनित बीमारियाँ नमी वाली परिस्थितियों में पनपती हैं, इसलिए अपने अजवाइन के पौधों को हड्डी की तरह सूखा रखने से इन समस्याओं को रोकने में मदद मिल सकती है। नियंत्रण के अन्य उपाय इस प्रकार है, जैसे-
छाछ्याः इस रोग के प्रकोप से अजवाइन (Celery) के पौधे की पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखाई देने लगता है। पौधे की वृद्धि और विकास प्रभावित होता हैं।
नियंत्रणः इस रोग के नियंत्रण हेतु सल्फर युक्त फफूंदनाशक दवा को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से मिलाकर छिड़काव करना चाहिये। आवश्यकता पड़ने पर इसे 15 दिन बाद दोहराना चाहिये।
झुलसा: इस रोग से ग्रस्त अजवाइन (Celery) के पौधे की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनते है, तथा रोग की तीव्रता में पत्तियां झुलस जाती है।
नियंत्रण: इस रोग के नियंत्रण हेतु मेंकोजेब को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिये व आवश्यकता पड़ने पर इसे 15 दिन बाद दोहराना चाहिये।
अजवाइन की फसल में कीट नियंत्रण (Pest Control in Celery Crop)
जब अजवाइन की खेती (Celery Farming) की बात आती है, तो कीट आपके लिए एक वास्तविक कांटा हो सकते हैं। कुछ कष्टप्रद जीवों से सावधान रहना चाहिए जिनमें एफिड्स, लीफमाइनर्स और आर्मीवर्म शामिल हैं। ये कीट आपकी अजवाइन की फसल पर कहर बरपा सकते हैं, इसलिए इन पर कड़ी नजर रखना जरूरी है। सतर्क रहें और इन उपद्रवियों को दूर रखने के लिए प्राकृतिक शिकारियों या जैविक कीट नियंत्रण विधियों का उपयोग करने पर विचार करें।
अजवाइन फसल की कटाई और मड़ाई (Harvesting and Threshing of CeleryCrop)
बीजों के गुच्छों का रंग जब भूरा हो जाये तब अजवाइन फसल (Celery Crop) कटाई के लिये तैयार हो जाती है। बुवाई के समय के अनुसार फरवरी से मई माह तक इसकी कटाई की जा सकती है। फसल काटने के बाद इसे खलियान में सुखाना चाहिये। सूखने के बाद दाने अलग कर लेने चाहिए।
अजवाइन की फसल से उपज (Yield from celery crop)
अजवायन की अच्छी फसल से 11 से 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज की प्राप्त होती है। अजवाइन की खेती (Celery Farming) पत्तियों के साथ-साथ दानों के लिए भी की जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
भारत में क्षेत्रीय रूप से अजवाइन (Celery) को शकरी, अजमोद, बंधुरी, चनु, बॉडी अजमोदा, अजमोदा, कर्नौली, अजमोदा, अजमोदा के नाम से भी जाना जाता है।
अक्टूबर के दौरान बीजों को सीधे खेत में 2 सेमी गहराई पर पंक्तियों में बोया जा सकता है, जब तापमान 15 – 20 डिग्री सेल्सियस हो। 2 सप्ताह में अंकुर निकल आते हैं और अंकुरण की दर लगभग 80% होती है। अजवाइन (Celery) की बीज दर 2 से 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। बीजों को कतारों में 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं। पौधों के बीच 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
अजवाइन की बुवाई वसंत या शरद ऋतु के हल्के मौसम में करनी चाहिए। अजवाइन की खेती (Celery Farming) के लिए ठंडा और शुष्क जलवायु सबसे अनुकूल होती है। हालाँकि बुवाई का सही समय सितंबर से अक्टूबर महीने को माना जाता है।
अजवाइन (Celery) के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए और पौधों की जड़ों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। इसके बाद 2-3 बार हल्की जुताई करने के बाद खेत में पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर दें। बीज की मात्रा प्रति एकड़ भूमि में इसकी खेती के लिए 1 से 2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
अजवाइन (Celery) की कई किस्में होती हैं, स्वादिष्ट और लगातार फसल के लिए, एफ एक संकर किस्में सबसे अच्छी मानी जाती हैं।
अजवाइन (Celery) के बीज बोने से लेकर कटाई के लिए तैयार होने में करीब 130 से 140 दिन लगते हैं, हालांकि, यह समय कई कारकों पर निर्भर करता है।
अजवाइन (Celery) के लिए नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, और पोटैशियम युक्त उर्वरक सबसे अच्छे होते हैं, साथ ही, अजवाइन के लिए तांबा-आधारित जस्ता-बोरॉन पर्णीय उर्वरक भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्वचालित ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता है। अजवाइन (Celery) की फसल में पूरे बढ़ते मौसम में नियमित रूप से पानी देना चाहिए। खास तौर पर गर्मियों के मौसम में जब पौधे तेजी से बढ़ रहे हों, तो उन्हें ज़्यादा पानी की जरूरत होती है। मिट्टी को कभी भी सूखने नहीं देना चाहिए।
अजवाइन की खेती (Celery Farming) में एक हेक्टेयर जमीन में 12 से 15 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है। यह पैदावार इस बात पर निर्भर करती है कि खेत की मिट्टी कैसी है, सिंचाई का प्रबंधन कैसा है, और अजवाइन की किस्म कैसी है।
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