• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
Krishak-Jagriti-Logo

Krishak Jagriti

Agriculture Info For Farmers

  • रबी फसलें
  • खरीफ फसलें
  • जायद फसलें
  • चारा फसलें
  • सब्जी फसलें
  • बागवानी
  • औषधीय फसलें
  • जैविक खेती
Home » Blog » Cauliflower Farming in Hindi: फूलगोभी की खेती कैसे करें

Cauliflower Farming in Hindi: फूलगोभी की खेती कैसे करें

July 5, 2024 by Bhupendra Dahiya Leave a Comment

Cauliflower Farming in Hindi: फूलगोभी की खेती कैसे करें

Cauliflower Cultivation: गोभी वर्गीय सब्जियाँ शीतकाल की प्रमुख फसलें हैं। फूलगोभी गोभी वर्गीय सब्जियाँ की प्रमख फसल है। इनका उपयोग एकल और अन्य सब्जियाँ जैसे आलू एवं मटर आदि के साथ किया जाता है। इनका पोषण प्रदान करने में भी बहुत महत्व है और ये कैंसर से बचाने में भी सक्षम हैं, क्योंकि इनमें बीमारियो से बचाने के लिए आवश्यक तत्व अधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं। फूलगोभी की अगेती तथा पछेती किस्मों की खेती बेमौसमी फसल के रूप में की जाती है।

सामान्य किस्मों की अपेक्षा इन किस्मों की उपज कम होती है, लेकिन बेमौसमी फसल के कारण बाजार में अच्छे दाम मिलने से कृषकों को शुद्ध लाभ अच्छा मिल जाता है। अत: फूलगोभी के उत्पादन के लिए वैज्ञानिक पद्धति और तकनीकों का उपयोग करके फूलगोभी की खेती (Cauliflower Farming) सें काफी अच्छा लाभ अर्जित किया जा सकता है। इसके लिए तकनीकी रूप में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Table of Contents

Toggle
  • फूलगोभी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cauliflower cultivation)
  • फूलगोभी की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for cauliflower cultivation)
  • फूलगोभी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for cultivation)
  • फूलगोभी की खेती के लिए किस्मों का चयन (Selection of varieties for cultivation)
  • फूलगोभी लगाने का समय और बीज दर (Cauliflower planting time and seed rate)
  • फूल गोभी की नर्सरी तैयार करना (Preparation of nursery for cauliflower)
  • फूलगोभी की खेती के लिए पौध की रोपाई (Planting of seedlings for cauliflower cultivation)
  • फूल गोभी की फसल के लिए उर्वरक और खाद (Fertilizer and Manure for Crop)
  • फूल गोभी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in cauliflower crop)
  • फूल गोभी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in cauliflower crop)
  • फूल गोभी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in cauliflower crop)
  • फूल गोभी की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in cauliflower crop)
  • फूल गोभी की फसल की कटाई और उपज (Harvesting and yield of cauliflower crop)
  • अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

फूलगोभी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cauliflower cultivation)

फूलगोभी को मूलत शीतल तथा आर्द्र जलवायु की फसल माना जाता है। अच्छे अंकुरण के लिए फूलगोभी को 15 से 20 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। फूलगोभी (Cauliflower) के फूल का विकास किस्मों के अनुसार तापमान पर निर्भर करता है। अनुकूलित तापमान नहीं मिलनें पर जल्दी फूल आना, पीला फूल होना, पौधों की वृद्धि रूक जाती है तथा देहिकी विषमताएं उत्पन्न हो जाती है।

फूलगोभी की खेती के लिए भूमि का चयन (Selection of land for cauliflower cultivation)

फूलगोभी (Cauliflower) की अगेती फसल के लिए उचित जल निकास वाली जीवांशयुक्त बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है तथा पछेती के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है। 5.5 से 7 पीएच मान वाली भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। पहली जुताई डिस्क हल से करके 2-3 बार हैरो चलाकर पाटा लगा देना चाहिए ताकि मिट्टी भुरभरी हो जाये।

फूलगोभी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for cultivation)

फूलगोभी की फसल (Cauliflower Crop) के लिए अच्छी तरह से खेत को तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत को 3 से 4 जुताई करके पाटा लगाकर समतल कर देना चाहिए। अतिरिक्त पानी निकासी का उचित प्रबंधन करें। खेत की तैयारी के समय 270 से 320 क्विंटल अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद भूमि में मिला दें।

इसके अतिरिक्त 120 से 150 किलो नत्रजन, 80 किलो फॉस्फोरस और 60 से 80 किलो पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से देनी चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा पौध लगाने के समय भूमि में मिला देनी चाहिए।

फूलगोभी की खेती के लिए किस्मों का चयन (Selection of varieties for cultivation)

ग्रीष्मकालीन तथा अगेती किस्में अधिक तापमान सहन कर सकती है तथा पछेती किस्मों के लिए कम तापमान की आवश्यकता होती है। किस्मों का समयनुसार बुवाई नहीं करने पर पौधों को अनुकूलित तापमान नहीं मिलनें पर जल्दि फूल आना, पीला फूल होना, पौधों की वृद्वि रूक जाना, अधिक कीट और बीमारियाँ लगना तथा देहिकी विषमताएं उत्पन्न हो जाती है, जिससे उत्पादन तथा गुणवक्ता मे कमी होती है। अत: फूलगोभी की खेती (Cauliflower Farming) में समयनुसार किस्मों का चयन अति महत्वपूर्ण है। जिनका विवरण इस प्रकार है, जैसे-

ग्रीष्मकालीन: अर्ली कुँआरी और हाजीपुर एक्स्ट्रा अर्ली आदि प्रमुख है।

अगेती: पंत गोभी – 3, पटना अर्ली, पूसा कतकी, अर्ली कुँआरी, पूसा दीपाली, पूसा अर्ली सिन्थेटिक आदि प्रमुख है।

मध्यम: पूसा कतकी, पूसा दीपाली, इम्प्रूव्ड जापानी, पंत सुभ्रा, आईआईएचआर – 101, आईआईएचआर – 105, इम्प्रूव्ड जापानीज, पीजी – 26, हिसार -1, पूसा हाइब्रिड-2, गिरिजा, माधुरी आदि प्रमुख है।

पिछेती: स्नोबॉल – 16, पूसा स्नोबॉल – 1, डानिया, माघी, पूसा सिन्थेटिक, पूसा शुभ्रा, दरिया, पूसा स्नोबाल के- 1 आदि प्रमुख है।

फूलगोभी लगाने का समय और बीज दर (Cauliflower planting time and seed rate)

बीज दर: अर्ली प्रजाति वाली फूल गोभी की फसल (Cauliflower Crop) के लिये 500 से 700 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवशयकता होती है। मध्य और देर से बोने वाली प्रजाति में 350 से 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवशयकता होती है।

फूलगोभी लगाने का समय

सीजन नर्सरी का समय पौध रोपण का समय
ग्रीष्मकालीनफरवरी – मार्चमार्च – अप्रैल
अगेती किस्मजून – जुलाईजुलाई – अगस्त
मध्यम किस्मजुलाई – अगस्तअगस्त – सितम्बर
पिछेती किस्मसितंबर – अगस्तअक्टूबर – नवम्बर

फूल गोभी की नर्सरी तैयार करना (Preparation of nursery for cauliflower)

फूल गोभी (Cauliflower) की पौध तैयार करने के लिये बीजों की बुवाई उठी हुई क्यारियों में की जाती है। क्यारियों के लिये उपजाउ और अच्छे जल निकास वाली भूमि का चयन करना चाहिये। बुवाई से पूर्व बीज को कैप्टान या थाइरम 2 से 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिये।

गोभी की अगेती किस्मों की बुवाई मई के मध्य से जून के अन्त तक, मध्यकालीन किस्मों की बुवाई जुलाई से अगस्त तथा पिछेती किस्मों की बुवाई सितम्बर के मध्य से अक्टूबर के अन्त तक कर देनी चाहिये। अगेती किस्मों के लिये 500 से 700 ग्राम तथा मध्यकालीन और पिछेती किस्मों के लिये 350 से 400 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर र्याप्त होता है। बीज को कतारों में बोयें तथा मिट्टी की बारीक पर्त से ढक देवें तथा सिंचाई फव्वारे से करें।

फूलगोभी की खेती के लिए पौध की रोपाई (Planting of seedlings for cauliflower cultivation)

फूल गोभी (Cauliflower) की रोपाई से पूर्व प्रति हैक्टेयर एक से डेढ़ किलो फलूकलोरोलिन (2-3 किलो वासालिन) छिड़क कर तुरन्त भूमि में मिला देवें अथवा 100 ग्राम ऑक्सीफल्यरेफेन (400 ग्राम तेल ) भूमि में मिलायें। तत्पश्चात फसल की 45 दिन की अवस्था पर एक गुड़ाई करें।

बुवाई के 4 से 6 सप्ताह में पौध खेत में लगाने योग्य हो जाती है। अत: उचित दूरी पर उनकी खेत में रोपाई कर देनी चाहिये। अगेती किस्मों में कतार से कतार तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेन्टीमीटर तथा मध्यकालीन व पिछेती किस्मों में कतार से कतार की दूरी 60 सेन्टीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 सेन्टीमीटर रखनी चाहिये।

फूल गोभी की फसल के लिए उर्वरक और खाद (Fertilizer and Manure for Crop)

फूल गोभी (Cauliflower) कि अधिक पैदावार के लिए भूमि में पर्याप्त मात्रा में खाद और उर्वरक अत्यतं आवश्यक होता है। पौध रोपण से लगभग 2-3 सप्ताह पूर्व खेत में 25-30 टन प्रति हैक्टेर पूर्णतया सड़ी हुई गोबर की खाद को मिला दें। खेत की जुताई के पश्चात् खेत में नत्रजन 120 किग्रा, फॉस्फोरस 100 किग्रा एवं पोटाश 60 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से मिलाकर अगेती फसल के लिए 45 सेंमी के अन्तर पर तथा मध्य व पछेती फसल के लिए 60 45 सेंमी के अन्तर मेंड तैयार करें।

अंतिम तैयारी के समय आधी मात्रा में नत्रजन तथा आधी मात्रा में फॉस्फोरस व पोटाश भूमि में मिला दें। शेष नत्रजन को बराबर दो हिस्सो में बांट कर एक हिस्सा रोपाई के एक महीने पश्चात निराई-गुड़ाई के साथ डालें तथा दूसरा हिस्सा फूल बनने की स्थिति में पौधों को मिट्टी चढ़ाते समय मिलाएं। पौधों की बढ़वार कम होने की स्थिति में 2-3 बार 1.0 से 1.5 प्रतिशत यूरिया का छिड़काव विशेषकर लाभकारी होता है।

फूल गोभी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in cauliflower crop)

खरपतवार से होने वाली हानि को रोकने के लिये निराई गुड़ाई करना आवश्यक है। फूलगोभी की फसल (Cauliflower Crop) में 2 से 3 बार निराई गुड़ाई कने की आवश्यकता पड़ती है। निराई गुड़ाई करते समय पौधों पर मिट्टी भी चढ़ावें। रासायनिक नियंत्रण के लिए रोपाई से पहले स्टॉम्प 3.3 लीटर या वासालीन 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर हल्की सिंचाई करें।

फूल गोभी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation management in cauliflower crop)

फूलगोभी (Cauliflower) की पौध लगाने के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये, बाद में आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहें। हल्की मिट्टी में 5 से 6 दिन के बाद तथा भारी मिट्टी में 8 से 10 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिये।

फूल गोभी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in cauliflower crop)

पत्ती भक्षक कीट: इसमें आरा मक्खी, फूली बीटल, पत्ती भक्षक लटें, हीरक तितली और गोभी की तितली मुख्य है। ये कीट फूलगोभी (Cauliflower) की पत्तियों को खाकर काफी नुकसान पहुंचाते है।

नियंत्रण: नियंत्रण के लिए फूल बनने से पूर्व मैलाथियॉन 5 प्रतिशत अथवा कार्बोरिल 5 प्रतिशत के 20 किलो चूर्ण का प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करना चाहिये। फल बनने के बाद डेढ़ मिलीलीटर एण्डोसल्फॉन 35 ईसी या आधा मिलीलीटर फेवेलरेट 20 ईसी या एक मिलीलीटर मैलाथियॉन 50 ईसी का प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। हीरक तितली हेतु कीटनाशी का महीन बूंदों के रूप में छिड़काव करना उत्तम पाया गया है। आवश्यकतानुसार छिड़काव 15 दिन बाद दोहरावें।

मोयला: ये कीट फूलगोभी (Cauliflower) की पत्तियों से रस चूसकर हानि पहुंचाते है।

नियंत्रण: नियंत्रण के लिए कार्बोरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 20 से 25 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें या मैलाथियॉन 50 ई सी एक मिलीलीटर का प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

डाईमण्ड बैक मोथ: इसके नियंत्रण के लिए :बेसिलस थूरीन्जेन्सिस कस्टकी (बीटीके) 500 मिली और एण्डोसल्फान 625 मिली प्रति हैक्टेयर के दो छिड़काव प्रथम छिड़काव रोपण के 25 दिन बाद तथा दूसरा इसके 10 दिनबाद करें अथवा मोनोक्रोटोफास 36 एसएल एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर दो छिड़काव 15 दिनों के अन्तराल पर कीट का प्रकोप दिखाई देने पर करें।

अन्तिम छिड़काव फसल काटने के 4 सप्ताह पूर्व करें अथवा स्पाईनोसेड 2.5 एससी 15 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर की दर से 3 बार छिड़काव करें या प्रोफेनजोस 40 ईसी 1000-1500 मिली लीटर प्रति हैक्टेयर या बुलडाक 0.25 एससी 750-1000 मिली प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव अत्यन्त उपयुक्त पाये गये है।

फूल गोभी की फसल में रोग नियंत्रण (Disease control in cauliflower crop)

भूरी गलन या लाल सड़न: यह रोग फूलगोभी (Cauliflower) में बोरोन तत्व की कमी के कारण होता है। गोभी के फूलों पर गोल आकार के भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है, जो बाद में फूल को सड़ा देते है।

नियंत्रण: नियंत्रण के लिए रोपाई से पूर्व खेत में 10 से 15 किलो बोरेक्स प्रति हैक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिये या फसल पर 02 से 0.3 प्रतिशत बोरेक्स के घोल का छिड़काव करना चाहिये।

आर्द्र गलन (डैम्पिंग ऑफ): यह रोग फूलगोभी (Cauliflower) की अगेती किस्मों में नर्सरी अवस्था में होता है। जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़कर कमजोर हो जाता है तथा नन्हें पौधे गिरकर मरने लगते हैं।

नियंत्रण: नियंत्रण के लिए बुवाई से पूर्व बीजों को थाइरम या कैप्टान 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिये। रोग के लक्षण दिखाई देने पर बोर्डो मिश्रण 2:2:50 अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पान के घोल का छिड़काव करें।

काला सड़न: बीजों की क्यारी में नई पौध पर यह रोग अधिक लगता है। पौधों की पत्तियों के किनारों पर जगह जगह पीले चकत्ते दिखाई देते हैं और शिरायें काली दिखाई देते है। उग्रावस्था में यह रोग फूलगोभी (Cauliflower) के अन्य भागों पर भी दिखाई देता है जिसमें फूल का डंठल अन्दर से काला पड़ जाता है।

नियंत्रण: नियंत्रण के लिए हेतु बीजों को बुवाई से पूर्व स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 250 ग्राम अथवा बाविस्टिन एक ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 2 घण्टे तक भिगोकर छाया में सुखावें व बुवाई करें। पौध रोपण के पूर्व पौध की जड़ों को स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और बाविस्टिन के घोल में एक घण्टे तक डुबोकर लगावे तथा फसल में रोग के लक्षण दिखने पर उपरोक्त दवाओं का छिड़काव करें।

झुलसा: इस रोग से फूलगोभी (Cauliflower) की पत्तियों पर गोल आकार के छोटे से बड़े भूरे धब्बे बन जाते हैं तथा उसमें छलले नुमा धारियां बनती है, अन्त में ये धब्बे काले रंग के हो जाते है।

नियंत्रण: इसकी रोकथाम के लिए एक किग्रा वाविस्टीन अथवा दो से ढाई किग्रा डाथेन एम-45 या डाइथेन जेड-78 प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

फूल गोभी की फसल की कटाई और उपज (Harvesting and yield of cauliflower crop)

कटाई: फूलगोभी (Cauliflower) के फूलों को उनकी प्रजाति के अनुसार आकार ग्रहण करते ही बाजार के लिए तुरन्त काट लेना चाहिए। देर करने से गुणवत्ता में कमी आएगी। कटाई उपरांत फूलों को बाजार के लिए तैयार करते समय केवल बाहर वाले बड़े पत्तों को ही हटाएं। इससे फूलों की गुणवत्ता बनी रहेगी।

उपज: फूलगोभी (Cauliflower) के विभिन्न वर्गों की प्रजातियों की पैदावार इस प्रकार होती हैं- अगेती 10-12 टन प्रति हैक्टेर, मध्यम अगेती 12-17 टन प्रति हैक्टेर, मध्य कालीन 20-27 टन प्रति हैक्टर तथा पछेती 25-35 टन प्रति हैक्टेर होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)

फूलगोभी की खेती कैसे करें?

फूलगोभी की खेती के लिए अपने क्षेत्र में आखिरी अपेक्षित ठंढ की तारीख से 6 से 8 सप्ताह पहले फूलगोभी (Cauliflower) के बीज घर के अंदर बोएँ। बीज ट्रे या गमलों में लगभग 1/4 इंच गहराई पर बीज लगाएँ। एक बार जब आपके बीज अंकुरित हो जाएँ, तो उन्हें सावधानीपूर्वक पोषक तत्वों से भरपूर खेत की मिट्टी या बीज ट्रे में रोपें, जिसमें प्रत्येक पौधे के बीच पर्याप्त दूरी हो।

फूलगोभी के लिए कौन सी जलवायु सबसे अच्छी है?

फूलगोभी एक ठंडे मौसम की सब्जी फसल है, जो 60 से 65 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच औसत तापमान पर सबसे अच्छी तरह से उगती है और 75 डिग्री फ़ारेनहाइट से ज़्यादा नहीं होती। फूलगोभी (Cauliflower) अन्य कोल फ़सलों की तुलना में गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।

भारत में फूलगोभी किस राज्य में उगाई जाती है?

इसमें पोटेशियम, सोडियम, आयरन, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि, जैसे- खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक जैसे कुछ राज्य फूलगोभी (Cauliflower) का बड़ी मात्रा में उत्पादन करते हैं।

प्रति एकड़ फूलगोभी की उपज कितनी है?

फूलगोभी (Cauliflower) औसतन 100-125 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है। जल्दी पकने वाली किस्म, उत्तरी भारत में खेती के लिए उपयुक्त है।

फूलगोभी के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?

फूलगोभी (Cauliflower) की रोपाई करने के 4 सप्ताह बाद नाइट्रोजन आधारित उर्वरक (21-0-0) का 1/2 कप प्रति 10 फीट पंक्ति में डालें। यह पत्तियों की जोरदार वृद्धि को प्रोत्साहित करता है जो उच्च पैदावार के लिए आवश्यक है। उर्वरक को पौधों के किनारे 6 इंच की दूरी पर रखें और इसे मिट्टी में मिला दें।

फूलगोभी सबसे अच्छी कहाँ उगती है?

फूलगोभी को अच्छी जल निकासी वाली लेकिन नमी बनाए रखने वाली, उपजाऊ मिट्टी में उगाएँ, जिसका पीएच मान 6 से 7 हो। एक अच्छी फूलगोभी की फसल (Cauliflower Crop) के लिए इस आदर्श मिट्टी की ज़रूरत होती है। मिट्टी परीक्षण की सिफारिशों के अनुसार फॉस्फोरस (P) और पोटेशियम (K) डालें।

फूलगोभी की फसल अवधि क्या है?

पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं, जिनमें सीधी मोमी हरी छोटी पत्तियां, दही जैसा सघन सफेद और मध्यम आकार के होते हैं। फूलगोभी की फसल (Cauliflower Crop) आमतौर पर 60-120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

फूलगोभी की खेती कब और कैसे करें?

अगेती फूलगोभी की खेती जुलाई-अगस्त में होती है। इसकी खेती अभी से शुरू करेंगे तो ठंड की शुरुआत से पहले ही यानी सितंबर-अक्टूबर तक फसल तैयार हो जाएगी। यह फसल बरसात में लगती है, इसलिए ध्यान रखें कि खेत में पानी ना रुके। साथ ही फूलगोभी (Cauliflower) की रोपाई से पहले खेत की जुताई भी अच्छे से करें और गोबर की खाद भी जरूर डालें।

गोभी लगाने का सही महीना कौन सा है?

आप मई, जून, जुलाई और अगस्त महीनों में फूलगोभी (Cauliflower) की उन्नत वेरायटी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

फूल गोभी की नर्सरी कितने दिन में तैयार हो जाती है?

फूलगोभी की बुवाई या रोपाई ऊंची बेड़ या मेड़ बनाकर ही करें, इससे निराई-गुड़ाई करने में आसानी होती है और फसल में पानी का जमाव भी नहीं होता। अगेती फूल गोभी (Cauliflower) की नर्सरी तैयार करने पर पौधे बुवाई के 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती हैं।

गोभी की अच्छी किस्में कौन सी है?

आप फूलगोभी (Cauliflower) की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं। इन उन्नत किस्मों में हिमरानी, पुष्पा, पूसा सुभ्रा, पूसा हिम ज्योति और पूसा कतकी आदि किस्में शामिल हैं। इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

Related Posts

Sweet Potato in Hindi: जानिए शकरकंद की खेती कैसे करें
Sweet Potato in Hindi: जानिए शकरकंद की खेती कैसे करें
Globe Artichoke Farming: जाने ग्लोब आटिचोक कैसे उगाएं
Globe Artichoke Farming: जाने ग्लोब आटिचोक कैसे उगाएं
Cucumber Cultivation in Hindi: जाने खीरा कैसे उगाएं
Cucumber Cultivation in Hindi: जाने खीरा कैसे उगाएं
Elephant Foot Yam Farming in Hindi : जिमीकंद की खेती
Elephant Foot Yam Farming in Hindi : जिमीकंद की खेती

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

  • Facebook
  • LinkedIn
  • Twitter

Recent Posts

  • Plum Cultivation in Hindi: जाने बेर की बागवानी कैसे करें
  • Water Chestnut Farming: सिंघाड़े की बागवानी कैसे करें
  • Pineapple Farming in Hindi: अनानास की बागवानी कैसे करें
  • Grapes Cultivation in Hindi: अंगूर की बागवानी कैसे करें
  • Sweet Lime Farming in Hindi: मौसंबी की बागवानी कैसे करें

Footer

Copyright © 2025 Krishak Jagriti

  • Blog
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Sitemap
  • Contact Us