
How to Grow Asparagus in Hindi: शतावरी या सतावर की खेती एक उभरता हुआ कृषि उद्यम है, जो किसानों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए महत्वपूर्ण संभावनाओं से भरा है। अपने समृद्ध पोषण गुणों और घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती माँग के साथ, शतावरी धीरे-धीरे उन भारतीय किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही है, जो अपनी फसलों में विविधता लाना और अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं।
यह लेख शतावरी की खेती के आवश्यक पहलुओं पर गहराई से चर्चा करता है, जिसमें जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएँ, विभिन्न खेती तकनीकें, कीट प्रबंधन रणनीतियाँ और इस उच्च मूल्य वाली फसल की उपज क्षमता शामिल है। इन पहलुओं का अन्वेषण करके, हमारा उद्देश्य इस उभरते हुए क्षेत्र में रुचि रखने वाले इच्छुक शतावरी (Asparagus) उत्पादकों और हितधारकों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका प्रदान करना है।
शतावरी के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate for Asparagus)
शतावरी के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु उत्तम मानी जाती हैं प्राय: जिन क्षेत्रों का तापमान 10 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच हो, वे इसकी खेती के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। इस प्रकार ज्यादा ठंडे प्रदेशों को छोड़कर सम्पूर्ण भारतवर्ष की जलवायु इसकी खेती के लिए उपयुक्त हैं।
विशेष रूप से मध्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में शतावरी (Asparagus) काफी अच्छी प्रकार पनपती हैं। मध्यभारत के साल वनों तथा मिश्रित वनों मे और राजस्थान के रेतीले इलाकों में प्राकृतिक रूप से इसकी काफी अच्छी बढ़त देखी जाती है।
शतावरी के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable Soil for Asparagus)
शतावरी (Asparagus) का मुख्य उपयोगी भाग इसकी जड़ें होती हैं, जो प्राय: 6 से 9 इंच तक भूमि में जाती हैं। रेतीली जमीनों में तो कई बार ये डेढ़ से दो फीट तक लंबी भी देखी गई हैं। इसकी कंदिल जड़ों के विकास लिए पर्याप्त सुविधा होनी चाहिए, अत: इसके लिए आवश्यक है कि जिस क्षेत्र में इसकी बिजाई की जाए वहां की मिट्टी नर्म अर्थात पोली हो।
इस दृष्टि से रेतीली दोमट मिट्टी जिसमें जलनिकास की पर्याप्त व्यवस्था हो, इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं, यूं तो हल्की कपासिया तथा चिकनी मिट्टी में भी इसे उपजाया जा सकता है। परन्तु ऐसी मिट्टी में रेत आदि का मिश्रण करके इसे इस प्रकार तैयार करना होगा कि यह मिट्टी कंदो को बलपूर्वक बांधे नहीं ताकि उखाड़ने पर कंद क्षतिग्रस्त न हों।
शतावरी के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Asparagus)
शतावरी (Asparagus) की खेती 24 माह से 40 माह की फसल रूप में की जाती है, इसलिए यह आवश्यक होता है कि प्रारंभ में खेत की अच्छी प्रकार से तैयारी की जाए। इसके लिए मई-जून के महीनें में खेत की गहरी जुताई करके उसमें 2 टन केंचुआ खाद अथवा चार टन कम्पोस्ट खाद के साथ-साथ 15 किलोग्राम बायोनीमा जैविक खाद प्रति एकड़ की दर से खेत में मिला दी जानी चाहिए।
यूं तो सतावर (Asparagus) की खेती सीधे प्लेन खेत में भी की जा सकती है, परन्तु जड़ों के अच्छे विकास के लिए यह वांछित होता है कि खेत की जुताई करने तथा खाद मिला देने से उपरान्त खेत में मेड़ें बना दी जाए। इसके लिए 60–60 सेंमी की दूरी पर 9 इंच ऊँची मेड़ियां बना दी जाती हैं।
शतावरी के लिए उन्नत किस्में (Improved Varieties for Asparagus)
शतावरी की उन्नत किस्मों में एनडीएएस- 24, आरएस-एलजी- 11 और सिम शक्ति शामिल हैं, जो उच्च उपज और रोग प्रतिरोधकता प्रदान करती हैं। अन्य उन्नत किस्मों में जर्सी जाइंट और मिलेनियम जैसी पूरी तरह से नर किस्में भी शामिल हैं, जो पुरानी किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादक होती हैं। शतावरी (Asparagus) की खेती के लिए किस्मों की अधिक जानकारी इस प्रकार है, जैसे-
एनडीएएस- 24: यह किस्म कम पानी में भी अच्छी तरह उग सकती है और फंगस व बैक्टीरिया के संक्रमण के प्रति अधिक प्रतिरोधी है। प्रति हेक्टेयर 7 से 8 टन सूखी जड़ का उत्पादन होता है।
आरएस-एलजी- 11: यह उच्च उपज और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है और 17-18 महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 6 से 7 टन तक उत्पादन दे सकती है।
सिम शक्ति: यह शतावरी की किस्म प्रति हेक्टेयर 8 से 10 टन तक की उपज देती है और 18 महीने में तैयार हो जाती है।
जर्सी जाइंट और अन्य रटगर्स संकर: ये सभी नर संकर किस्में हैं, जो पुरानी किस्मों की तुलना में 20-50% अधिक उपज देती हैं।
मिलेनियम: यह शतावरी (Asparagus) की किस्म मिडवेस्ट में एक पसंदीदा किस्म है और उच्च उपज देती है।
यूसी 157 एफ1/एफ2: यह शतावरी की किस्म भी ओक्लाहोमा की परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करती है।
गाइनलिम एफ- 1: यह हरे और सफेद दोनों प्रकार की शतावरी के लिए उपयुक्त है, जो जल्दी पकने वाली और भारी उपज देने वाली किस्म है।
विटोरियो एफ- 1: यह सफेद शतावरी के लिए विशेष रूप से विकसित एक किस्म है, जिसमें अच्छी रोग प्रतिरोधकता होती है।
शतावरी की बुवाई या रोपाई का समय (When to sow asparaguss)
शतावरी की खेती के लिए बुवाई या रोपाई का सबसे अच्छा समय जून-जुलाई या फरवरी-मार्च है, जो मानसून और शुरुआती वसंत के मौसम के अनुरूप है। नर्सरी में बीज लगाना जून-जुलाई में होता है, और फिर जब पौधे 45 सेमी ऊंचे हो जाते हैं, तो उन्हें खेत में लगाया जा सकता है। शतावरी (Asparagus) की खेती के लिए बुवाई या रोपाई के समय पर अधिक विवरण इस प्रकार है, जैसे-
जून-जुलाई: यह रोपाई के लिए एक प्रमुख समय है। नर्सरी में जून-जुलाई में बीज बोए जाते हैं, और जब पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं, तो उन्हें खेत में लगाया जाता है।
फरवरी-मार्च: यह भी शतावरी (Asparagus) की रोपाई का एक अच्छा समय माना जाता है, खासकर शुरुआती वसंत में।
शतावरी की नर्सरी तैयार करना (Preparing an Asparagus Nursery)
शतावरी (Asparagus) की व्यावसायिक खेती करने के लिए सर्वप्रथम इसके बीजों से इसकी पौधशाला अथवा नर्सरी तैयार की जाती हैं, यदि एक एकड़ के क्षेत्र में खेती करना हो तो लगभग 100 वर्ग फीट की एक पौधशाला बनाई जाती है, जिसे खाद आदि डालकर अच्छी प्रकार तैयार कर लिया जाता है।
इस पौधाशाला की ऊंचाई सामान्य खेत से लगभग 9 इंच से एक फीट ऊंची होनी चाहिए, ताकि बाद में पौधों को उखाड़ कर आसानी से स्थानांतरित किया जा सके। 15 मई के करीब इस पौधशाला में सतावर के 5 किलोग्राम बीज एक एकड़ हेतु छिड़क दिए जाते है।
बीज छिड़कने के उपरान्त इन पर गोबर मिश्रित मिट्टी की हल्की परत चढ़ा दी जाती है, ताकि बीज ठीक से ढक जाएं। तदुपरांत पौधशाला की फव्वारे अथवा स्प्रिंकलर्स से हल्की सिंचाई कर दी जाती हैं प्रायः 10 से 15 दिनों में इन बीजों में अंकुरण प्रारंभ हो जाता है।
बीजों से अंकुरण का प्रतिशत लगभग 40 प्रतिशत तक रहता हैं जब ये पौधे लगभग 40-45 दिनों के हो जाए तो इन्हें मुख्य खेत में प्रतिरोपित कर दिया जाना चाहिए। नर्सरी अथवा पौधशाला में बीज बोने की जगह इन बीजों को पॉलीथीन की थैलियों में डाल करके भी तैयार किया जा सकता है।
शतावरी के पौधों की खेत में रोपाई (asparaguss plants into the field)
जब नर्सरी में शतावरी की पौध 40-45 दिन की हो जाती है तथा यह 4.5 इंच की ऊँचाई प्राप्त कर लेती है, तो इसे इन मेड़ियों पर 60-60 सेंमी की दूरी पर चार-पांच इंच गहरे गड्ढे खोदकर के रोपित कर दिया जाता है। खेत में खाद मिलाने का काम खेत की तैयारी के समय भी किया जा सकता है, तथा गड्ढों में पौध की रोपाई के समय भी।
शतावरी (Asparagus) में पहले वर्ष के उपरान्त आगामी वर्षों में भी प्रतिवर्ष माह जून- जुलाई में 750 किलोग्राम केंचुआ खाद अथवा 1.5 टन कम्पोस्ट खाद तथा 15 किलोग्राम बायोनीमा जैविक खाद प्रति एकड़ डालना उपयोगी रहता |
शतावरी के आरोहरण की व्यवस्था (Asparagus Climbing Arrangements)
शतावरी (Asparagus) एक लता है, अत: इसके सही विकास के लिए आवश्यक है कि इसके लिए उपयुक्त आरोहरण की व्यवस्था की जाए। इस कार्य हेतु तो मचान जैसी व्यवस्था भी की जा सकती है, परन्तु यह ज्यादा उपयुक्त रहता है, यदि प्रत्येक पौधे के पास लकड़ी के सूखे डंठल अथवा बांस के डंडे गाड़ दिए जाएं, ताकि सतावर की लताऐं उन पर चढ़कर सही विस्तार पा सकें।
शतावरी की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control in Asparagus Crops)
शतावरी (Asparagus) के पौधों को खरपतवार मुक्त रखना आवश्यक होता है, इसके लिए यह उपयुक्त होता है कि आवश्यकता पड़ने पर नियमित अंतरालों पर हाथ से निराई-गुड़ाई की जाए। इससे एक तरफ जहां खरपतवार पर नियंत्रण होता है वहीं हाथ से निराई. गुड़ाई करने से मिट्टी भी नर्म रहती है, जिससे पौधों की जड़ों के प्रसार के लिए उपयुक्त वातावरण भी प्राप्त होता है।
शतावरी में सिंचाई की व्यवस्था (Irrigation Management for Asparagus)
शतावरी के पौधों को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। यदि माह में एक बार सिंचाई की व्यवस्था हो सके तो जड़ों का अच्छा विकास हो जाता है। सिंचाई प्लावन पद्धति से भी की जा सकती है, तथा इसके लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति का भी उपयोग किया जा सकता है, जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है।
सिंचाई देते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि पानी पौधों के पास ज्यादा देर तक रुके नहीं। वैसे कम पानी शतावरी की सूखी जड़ अथवा बिना सिंचाई के अर्थात् असिंचित फसल के रूप में भी सतावर (Asparagus) की खेती की जा सकती, ऐसी स्थिति में उत्पादन का प्रभावित होना स्वाभाविक है।
शतावरी की जड़ों की खुदाई (Digging Asparaguss Roots)
24 से 40 माह की फसल हो जाने पर शतावरी (Asparagus) की जड़ों की खुदाई कर ली जाती है। खुदाई का उपयुक्त समय अप्रैल-मई माह का होता है, जब पौधों पर लगे हुए बीज पक जाएं। ऐसी स्थिति में कुदाली की सहायता से सावधानीपूर्वक जड़ों को खोद लिया जाता खुदाई से पहले यदि खेत में हल्की सिंचाई देकर मिट्टी को थोड़ा नर्म बना लिया जाए तो फसल को उखाड़ना आसान हो जाता है।
जड़ों को उखाड़ने के उपरान्त उनके ऊपर का छिलका उतार लिया जाता है। ऐसा चीरा लगाकर भी किया जाता सकता है। सतावर की जड़ों के ऊपर पाया जाने वाला छिलका जहरीला होता है, अत: इसे टयूबर्स से अलग करना आवश्यक होता है । छिलका उतारने का कार्य टयूबर्स उखाड़ने के तत्काल बाद कर लिया जाना चाहिए अन्यथा यदि टयूबर्स थोड़ी सूख जाएं तो छिलका उतारना मुश्किल हो जाता है।
ऐसी स्थिति में इन्हें पानी में हल्का उबालना पड़ता है तथा तदुपरान्त ठंडे पानी में थोड़ी देर रखने के उपरान्त ही इन्हें छीलना संभव हो पाता है। छीलने के उपरान्त इन्हें छाया में सुखा लिया जाता है। तथा पूर्णतया सूख जाने के उपरान्त बोरियों में पैक करके बिक्री हेतु प्रस्तुत कर दिया जाता है।
शतावरी की खेती से उपज (Yield from Asparagus Cultivation)
शतावरी (Asparagus) की खेती से प्रति एकड़ 12,000 से 14,000 किलो गीली जड़ें (12-14 टन) या 3,500 से 4,000 किलो सूखी जड़ें (3.5-4 टन) प्राप्त हो सकती हैं। यह उपज रोपण के लगभग 24 से 40 महीने बाद प्राप्त होती है और यह पौधे की किस्म और वैज्ञानिक खेती की पद्धति पर निर्भर करती है। उच्च उपज वाली किस्में प्रति हेक्टेयर 7 से 10 टन तक सूखी जड़ें दे सकती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न? (FAQs)
शतावरी (Asparagus) की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी (पीएच 6-8) आवश्यक है। खेत तैयार करते समय गहरी जुताई के बाद खाद और जैविक पदार्थ मिलाएं। अप्रैल-मई में नर्सरी में बीज बोकर तैयार किए गए पौधों को, 15-25 सेमी के होने पर, 60×60 सेमी की दूरी पर खेत में लगाएं। शुरुआती 18 महीनों में नियमित सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण करें। कटाई आमतौर पर 16-18 महीने बाद होती है।
शतावरी (Asparagus) के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु आदर्श है, लेकिन यह हल्की छाया भी सहन कर सकती है। अच्छी उपज के लिए, इसे भरपूर धूप वाली जगह पर लगाना चाहिए और तेज हवाओं से बचाना चाहिए। इसके लिए 600-1000 मिमी वार्षिक वर्षा उपयुक्त होती है।
शतावरी (Asparagus) के लिए अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी आदर्श होती है, जिसका पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच हो। यह मिट्टी हल्की, गहरी और ढीली होनी चाहिए ताकि शतावरी की जड़ें गहराई तक फैल सकें। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होना भी आवश्यक है, लेकिन भारी और पानी जमा करने वाली चिकनी मिट्टी इसके लिए उपयुक्त नहीं है।
शतावरी (Asparagus) की सबसे अच्छी किस्में जर्सी जायंट, जर्सी नाइट और मिलेनियम हैं, जो मुख्य रूप से नर पौधों वाली संकर किस्में हैं और अधिक मजबूत व रोग प्रतिरोधी होती हैं। आपकी आवश्यकतानुसार, आप ठंडे मौसम के लिए जर्सी जायंट या रोग प्रतिरोधी किस्मों के लिए जर्सी नाइट चुन सकते हैं।
शतावरी (Asparagus) लगाने का सबसे अच्छा समय बसंत ऋतु, आमतौर पर मार्च और अप्रैल के बीच होता है, जब मिट्टी का तापमान अंकुरण के लिए अनुकूल होता है।
शतावरी (Asparagus) की खेती के लिए एक हेक्टेयर में लगभग 7 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, जबकि एक एकड़ में 400-600 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। यह मात्रा बीज की गुणवत्ता और अंकुरण दर पर निर्भर करती है, और बुवाई के बाद 10-15 दिनों में अंकुरण शुरू हो जाता है।
शतावरी (Asparagus) लगाने का सबसे अच्छा समय शुरुआती वसंत (अप्रैल-मई) है, जब मिट्टी का तापमान कम से कम 50 डिग्री फारेनहाइट (10 डिग्री सेल्सियस) हो। इस समय पौधे लगाने से उन्हें गर्मियों की गर्मी से पहले जड़ें जमाने का समय मिलता है और यह सबसे अच्छी जगह पर रोपण करने का भी समय है।
शतावरी (Asparagus) को रोपण के बाद तुरंत पहली बार पानी दें और फिर पहले दो साल तक लगभग हर हफ्ते 1-2 इंच पानी दें, खासकर अगर बारिश न हो। बाद में, सिंचाई की मात्रा घटाकर हर 2-3 सप्ताह में कर सकते हैं। पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई एक अच्छा तरीका है, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहे और खरपतवार भी कम हों।
शतावरी (Asparagus) के लिए जैविक खाद (जैसे कम्पोस्ट, गोबर की खाद, या अस्थि चूर्ण) और संतुलित रासायनिक उर्वरक (जैसे 10-10-10) या (5-10-10) अच्छी होती हैं। मिट्टी की जांच के बाद फॉस्फोरस और पोटेशियम की सही मात्रा देना ज़रूरी है, खासकर कम्पोस्ट, अस्थि चूर्ण और रॉक फॉस्फेट के रूप में फॉस्फोरस की अच्छी आपूर्ति करनी चाहिए।
शतावरी (Asparagus) की निराई-गुड़ाई करने के लिए बारिश के मौसम में हर 2 से 3 महीने में और बाद में हर 2 से 3 महीने में करें। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए, बुवाई के बाद 2 से 3 महीने में निराई-गुड़ाई करें, और कटाई के बाद छोटे-छोटे खरपतवारों को उखाड़ दें।
शतावरी (Asparagus) के सामान्य कीटों में शतावरी भृंग और कटवर्म शामिल हैं, जबकि रस्ट और फ्यूजेरियम जैसे रोग फसल को प्रभावित कर सकते हैं। एकीकृत कीट प्रबंधन पद्धतियों को लागू करने से इन समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
शतावरी (Asparagus) में कीटों और रोगों के प्रबंधन के लिए रोकथाम और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करें। स्वस्थ पौधे उगाने के लिए सिंचाई, उचित जल निकासी और कीटों और खरपतवारों को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें, खेत की नियमित सफाई करें और रासायनिक छिड़काव से पहले प्राकृतिक तरीकों और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
शतावरी (Asparagus) को पूरी तरह पकने और अच्छी फसल देने में आमतौर पर लगभग 2 से 3 साल लगते हैं। हालाँकि, एक बार जड़ पकड़ लेने के बाद, इसकी कटाई 15 साल या उससे ज्यादा समय तक की जा सकती है।
शतावरी (Asparagus) की कटाई का सर्वोत्तम समय वसंत ऋतु में होता है, जब डंठल लगभग 6 से 10 इंच लंबे हों और पेंसिल के बराबर मोटे हों। कटाई का मौसम आमतौर पर मई की शुरुआत से जून के अंत तक चलता है।
शतावरी (Asparagus) की पैदावार एक एकड़ में लगभग 12000 से 14000 किलोग्राम ताजी जड़ें (गीली जड़ें) और 25 से 40 क्विंटल सूखी जड़ें होती है, जो फसल की कटाई के समय पर निर्भर करती है।
हाँ, शतावरी (Asparagus) को बगीचे में उगाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सही जगह, मिट्टी और रोपण के तरीके का चुनाव करना ज़रूरी है। यह एक बारहमासी पौधा है जो बगीचे में लंबी अवधि तक (25 साल या उससे अधिक) रह सकता है, इसलिए इसके लिए एक अच्छी और धूप वाली जगह चुनें जहाँ पर्याप्त नमी और अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ मिट्टी हो।
शतावरी (Asparagus) का उपयोग मुख्य रूप से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने (जैसे हार्मोनल संतुलन, स्तनपान को बढ़ावा देना) और पुरुषों के लिए जीवन शक्ति और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह पाचन में सुधार करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और तनाव को प्रबंधित करने में भी सहायक है। इसे अक्सर शक्तिवर्धक टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और यह अल्सर जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद हो सकती है।
शतावरी (Asparagus) के मुख्य स्वास्थ्य लाभ हैं: पाचन में सहायता, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करना, प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और तनाव को कम करना। यह विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाती है।
हाँ, घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में इसकी बढ़ती माँग और पारंपरिक फसलों की तुलना में इसके उच्च बाजार मूल्य के कारण शतावरी (Asparagus) की खेती अत्यधिक लाभदायक हो सकती है।





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